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Categories: Physicsphysics

प्राचलों का परस्पर रूपान्तरण क्या है , inter-conversion of h-parameters in hindi OF A JUNCTION TRANSISTOR

inter-conversion of h-parameters in hindi OF A JUNCTION TRANSISTOR प्राचलों का परस्पर रूपान्तरण क्या है ?

 संधि ट्रांजिस्टर के विभिन्न विन्यासों से सम्बन्धित / प्राचलों का परस्पर रूपान्तरण (INTER-CONVERSION OF h-PARAMETERS OF A JUNCTION TRANSISTOR FOR DIFFERENT CONFIGURATIONS) 

साधारणतः संधि ट्रॉजिस्टर के निर्माता संधि ट्रॉजिस्टर के लिये उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास के h- प्राचलों को ही देते हैं। अन्य विन्यास के h – प्राचलों को निम्न सारणी में प्रस्तुत सूत्रों की सहायता से ज्ञात किया जा सकता है। इन सम्बन्धों को किरचॉफ के नियम तथा प्राचलों की परिभाषाओं का उपयोग करके ज्ञात किया जा सकता है।

उपरोक्त संबंध निम्न सन्निकटनों की सहायता से व्युत्पन्न किये गये हैं।

hrb व hre << 1, hob, hoc व hoc <<< 1

एक विशिष्ट ट्रॉजिस्टर के लिये तुलना हेतु h-प्राचल निम्न सारणी में दिये गये हैं।

प्राचलों के उपयोग से ट्रांजिस्टर प्रवर्धक का विश्लेषण (ANALYSIS OF A TRANSISTOR AMPLIFIER USINGPARAMETERS) ट्रॉजिस्टर एक धारा प्रचालित युक्ति है तथा यह एक चर्तुटर्मिनल जाल की तरह कार्य करता है। ट्रॉजिस्टर प्रवर्धक की रचना के लिये ट्रॉजिस्टर को उपयुक्त रूप से बायसित + करके उसके निवेशी परिपथ में संकेत वोल्टता स्रोत (signal voltage source) vs तथा निर्गम परिपथ में लोड ZL लगाते हैं। Rs जनित्र प्रतिरोध है। चित्र (4.11 – 1) में ट्रॉजिस्टर के मूल प्रवर्धक परिपथ को प्रदर्शित किया गया है। यह सक्रिय

चर्तुटर्मिनल जाल ट्रॉजिस्टर के किसी भी विन्यास (CE या CB या CC) के लिये हो सकता है तथा परिपथ में प्रदर्शित लोड, शुद्ध प्रतिरोध या प्रतिबाधा या कोई अन्य परिपथ हो सकता है।

इस विश्लेषण में यह माना गया है कि ट्रॉजिस्टर के h-प्राचल, प्रचालन सीमा में नियत रहते हैं। चित्र (4.11-1 ) के तुल्य परिपथ को चित्र (4.11 – 2 ) व (4.11-3) में प्रदर्शित किया गया है। चित्र (4.11-2) में निवेश वोल्टता स्रोत के रूप में है तथा चित्र (4.11 – 3 ) में धारा स्रोत के रूप में।

(i) धारा लाभ (Current gain or current amplification) (Aj)

ट्रॉजिस्टर प्रवर्धक के लिये निर्गत धारा तथा निवेशी धारा के अनुपात को धारा लाभ कहते हैं। इसे A से प्रदर्शित करते हैं।

Ai = i2/i1

चित्र (4.11-2) के परिपथ से किरचॉफ के धारा के नियम से,

(ii) निवेश प्रतिबाधा (Input impedance Zi) 

ट्रॉजिस्टर प्रवर्धक की निवेश प्रतिबाधा का मान ट्रॉजिस्टर के निवेश टर्मिनलों पर परिलक्षित प्रतिबाधा के बराबर होता है तथा इसका मान निवेश टर्मिनलों पर वोल्टता v1 तथा धारा i1 के अनुपात के बराबर होता है। अत:

(iii) वोल्टता प्रवर्धन या वोल्टता लाभ (Voltage amplification or voltage gain)— निर्गत वोल्टता v2 तथा निवेशी वोल्टता V1 के अनुपात को ट्रॉजिस्टर प्रवर्धक का वोल्टता प्रवर्धन या वोल्टता लाभ कहते हैं।

(iv) निर्गम प्रतिबाधा (Output impedance) Zo …(4) निर्गम प्रतिबाधा का मान ज्ञात करने के लिये चित्र (4.11-2) में प्रदर्शित परिपथ में स्रोत वोल्टता v को शून्य तथा लोड प्रतिबाधा ZL को वोल्टता जनित्र v2 में प्रतिस्थापित करते हैं। इस स्थिति में यदि i2 जनित्र v2 से ली गयी धारा 12 है तो V2 तथा i2 का अनुपात निर्गम प्रतिबाधा के तुल्य होती है, अर्थात्

निर्गम प्रतिबाधा स्रोत के प्रतिरोध का फलन होती है।

(v) शक्ति लाभ (Power gain) (Ap) ट्रॉजिस्टर प्रवर्धक परिपथ के लिये निर्गत प्रत्यावर्ती शक्ति (output ac power) तथा निवेशी प्रत्यावर्ती शक्ति (input a c. power) के अनुपात को शक्ति लाभ कहते हैं। अतः

अर्थात शक्ति लाभ का मान वोल्टता लाभ (A) तथा धारा लाभ (A) के गुणनफल के मान के बराबर होत है। Av का मान रखने पर

उपरोक्त विश्लेषण में संकेत स्रोत (signal source) के प्रतिरोध Rs को नहीं लिया गया है। इस स्थिति में प्राप्त राशियों धारा लाभ (Ai) तथा वोल्टता लाभ (Av) को क्रमश: ट्रॉजिस्टर का आन्तरिक धारा लाभ (internal transistor current gain) तथा आन्तरिक वोल्टता लाभ (internal voltage gain) कहते हैं। यदि स्रोत के प्रतिरोध Rs को लेकर धारा लाभ तथा वोल्टता लाभ का मान ज्ञात किया जाये तो उसे समग्र धारा लाभ (overall current gain) तथा समग्र वोल्टता लाभ (over all voltage gain) कहते हैं।

(a) समग्र धारा लाभ (Over all current gain) यदि निवेशी स्रोत एक धारा जनित्र है तो उसका आंतरिक प्रतिरोध Rs समान्तर क्रम में लिया जाता कि चित्र (4.11-3) में प्रदर्शित है, तो समग्र धारा लाभ ( overall current gain) A’ है,

अतः A एक आदर्श धारा स्रोत के लिये धारा लाभ का मान होता है।

(b) समग्र वोल्टता लाभ (Overall voltage gain)

(A) यदि स्रोत वोल्टता vs है तो समग्र वोल्टता लाभ

उपरोक्त समीकरण (12) से यह ज्ञात होता है कि यदि स्रोत का प्रतिरोध Rs = 0 हो तो Av = Av अर्थात् Av एक आदर्श वोल्टता स्रोत ( ideal voltage source) या शून्य आन्तरिक प्रतिरोध के स्रोत के समग्र वोल्टता लाभ के बराबर होता है।

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