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जड़त्वीय एवं अजड़त्वीय निर्देश तंत्र Inertial and Non inertial Frame of Reference in hindi उदाहरण , प्रकार
जाने विस्तार पूर्वक कि जड़त्वीय एवं अजड़त्वीय निर्देश तंत्र Inertial and Non inertial Frame of Reference in hindi उदाहरण , प्रकार आदि से समबन्धित समस्त जानकारी जो नीचे दी गयी है |
जड़त्वीय एवं अजड़त्वीय निर्देश तंत्र (Inertial and Noninertial Frames of Reference)
निर्देश तंत्र दो प्रकार के होते हैं
(i) जड़त्वीय निर्देश तंत्र – यदि किसी कण पर कोई बाह्य बल नहीं लग रहा है तो वह निर्देश फ्रेम जिसके सापेक्ष इस प्रकार के कण की गति त्वरण रहित दिखाई देती है उसे जड़त्वीय निर्देश फ्रेम कहते हैं। अर्थात इस प्रकार के निर्देश तन्त्र के लिए निम्न समीकरण प्रदर्शित किया जा सकता है –
माना कण पर कोई बाह्य बल नहीं लग रहा है तो
स्पष्टतः बाह्य बल की अनुपस्थिति में इस प्रकार के निर्देश तंत्र में कण नियत वेग से गति करेगा। यह जड़त्व का नियम कहलाता है अर्थात् जड़त्वीय निर्देश फ्रेम में न्यूटन के प्रथम एवं द्वितीय नियम सदैव वैध होते हैं। विश्लेषण द्वारा यह ज्ञात होता है कि ऐसे निर्देश फ्रेम या तो स्थिर होते हैं या नियत वेग से गति करते हैं। अतः स्थिर या नियत वेग से गतिशील प्रेक्षक के लिए निर्देश फ्रेम सदैव जड़त्वीय होता है।
(ii) अजड़त्वीय निर्देश तंत्र – वह निर्देश तंत्र जिसके सापेक्ष कण की गति बाह्य बल की अनुपस्थिति में भी त्वरित (accelerated) दिखाई देती है उसे अजड़त्वीय निर्देश फ्रेम कहते हैं।
ऐसे तंत्रों के अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि जब निर्देश तंत्र या प्रेक्षक त्वरित वेग से गति करते हैं या स्वयं के अक्ष के सापेक्ष घूर्णन गति कहते हैं तो इनके सापेक्ष कण की गति बाह्य बल की अनुपस्थिति में भी त्वरित दिखाई देती है। ऐसे निर्देश तंत्रों में न्यूटन के प्रथम एवं द्वितीय नियम वैध नहीं रहते हैं। उदाहरणतः पृथ्वी की गति स्वयं के अक्ष के सापेक्ष घूर्णी होती है। अतः पृथ्वी पर स्थित प्रत्येक निर्देश तंत्र अजड़त्वीय होता है। परन्तु पृथ्वी के घूर्णन वेग से उत्पन्न त्वरण अति न्यून होने के कारण पृथ्वी पर स्थित निर्देश तंत्र व्यवहारतः जड़त्वीय मानते हैं।
जड़त्वीय ता अजड़त्वीय निर्देश तन्त्रों में अंतर स्पष्ट करने के लिए कल्पना कीजिये कि एक व्यक्ति कार में बैठा है। जब कार स्थिर होती है अथवा एकसमान चाल से गतिशील होती हे तो वह व्यक्ति कोई बल अनुभव नहीं करता है परन्तु यदि कार एकाएक त्वरित होकर चलने लगे तो वह पीछे की ओर एक बल अनुभव करता है और यदि एकसमान चाल से चलती हुई कार एकाएक ब्रेक लगाकर अवमन्दित हो तो वह आगे की ओर बल अनुभव करता है। इस प्रकार त्वरित या अवमन्दित कार में बाह्य बल आरोपित हुये बिना भी अतिरिक्त बल अनुभव किया जाता है जो न्यूटन के नियमों के अनुरूप नहीं है। त्वरित या अवमन्दित कार उसमें बैठे व्यक्ति के लिये अजड़त्वीय निर्देश तंत्र होता है परन्तु स्थिर या एकसमान वेग से गतिशील कार जडत्वीय निर्देश तंत्र होता है। इसी प्रकार स्थिर या एकसमान वेग से गतिशील लिफ्ट जडत्वीय निर्देश तन्त्र होती है परन्त त्वरित या अवमन्दित लिफ्ट अजड़त्वीय निर्देश तंत्र हो जाती है। पृथ्वी की परिक्रमा करता हुआ उपग्रह अजड़त्वीय निर्देश तंत्र होता है क्योंकि वह पृथ्वी के केन्द्र की ओर अभिकेन्द्रीय त्वरण से गति करता है। उसमें स्थित वस्तु या व्यक्ति भारहीन अवस्था में होते हैं क्योंकि तंत्र के अजडत्वीय होने के कारण उस पर कार्यरत अतिरिक्त बल (अपकेन्द्रीय बल) अभिकेन्द्रीय बल को प्रभावहीन कर देता है।
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