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Categories: sociology

औद्योगीकरण से समाज में परिवर्तन | औद्योगीकरण का भारतीय समाज पर प्रभाव industrialisation meaning in hindi

industrialisation meaning in hindi औद्योगीकरण से समाज में परिवर्तन | औद्योगीकरण का भारतीय समाज पर प्रभाव औद्योगीकरण ने मजदूरों की आजीविका को किस तरह प्रभावित किया ?

प्रस्तावना
एक राष्ट्र की आर्थिक समृद्धि का वहाँ विनिर्मित वस्तुओं के उत्पादन की वृद्धि दर से निकट सह-संबंध होता है। अठारहवीं सदी के अंतिम पच्चीस वर्षों में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत से ही मानव आविष्कारों की सहायता से और प्रौद्योगिकी में परिवर्तन लाकर उत्पादन के तरीके में सुधार करने का प्रयास करता रहा है। विनिर्मित वस्तुओं का उत्पादन मानवीय कार्यकलापों का केंद्र रहा है। आर्थिक कार्यकलाप के केन्द्र में इस परिवर्तन के साथ ही संबंधित सामाजिक-सांस्कृतिक-राजनीतिक परिवर्तन भी हुए हैं। आदिम, एकाकी, आत्म-निर्भर (आत्मसीमित) सामाजिक आर्थिक जीवन का स्थान एक ऐसे समाज ने ले लिया है जिसमें मनुष्य एक-दूसरे पर अधिक निर्भर है तथा भौगोलिक दूरियाँ खत्म हो गई हैं।

औद्योगिकरण जीवन का एक दस्तूर और प्रगति के लिए एक कुंजी बन गया है।

 औद्योगिकरण और आर्थिक विकास
औद्योगिकरण और आर्थिक विकास परस्पर संबंधित है तथा आर्थिक विकास का ही दूसरा नाम औद्योगिकरण है।

यह निरूसंदेह सत्य है कि उपलब्ध अनुभव सिद्ध प्रमाणों से हमें इस प्रतिपाद्य विषय पर विश्वास करना पड़ता है कि किसी भी देश के लिए सुदृढ़ कृषि आधार के बिना विकास करना और आर्थिक विकास की वर्तमान ऊँचाइयों को छूना असंभव था। कुछ देश जो कृषि क्षेत्र में पिछड़े हुए थे किसी अन्य आश्रित देश के कृषि संसाधनों का उपयोग कर सकते थे। कुछ अन्य देशों में कृषि ने विकास के लिए ‘अग्रणी क्षेत्र‘ की भूमिका अदा की है।

किंतु साथ ही यह भी सत्य है कि प्रत्येक स्थान पर तीव्र आर्थिक विकास मुख्य रूप से तीव्र औद्योगिकरण के कारण ही संभव हुआ था। विश्व में शायद ही कोई देश है (न्यूजीलैंड इसका अपवाद हो सकता है) जो अपने कृषि क्षेत्र और उत्पादों के प्रसंस्करण पर निर्भर रहकर पश्चिम के औद्योगिक रूप से विकसित देशों की प्रति व्यक्ति आय के स्तर तक पहुँच सका हो पिट्रोलियम उत्पादक ,देश जैसे सउदी अरब, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात की विशेष स्थिति है अथवा वे अपवाद हैं जहाँ प्रति व्यक्ति आय और विनिर्माण के अंश में सकारात्मक संबंध है)।

विकासशील देश और विकसित देश में भेद करने के लिए जिन महत्त्वपूर्ण मानदंडों का उपयोग किया जा रहा है वे औद्योगिक कार्यकलाप में संलग्न श्रमबल के अनुपात, औद्योगिक क्षेत्र में पैदा होने वाले राष्ट्रीय उत्पादन के अनुपात इत्यादि से संबंधित हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि दो शब्दों “औद्योगिकरण‘‘ और ‘‘आर्थिक विकास‘‘ में कोई विशेष अंतर नहीं किया जाता है तथा इन दोनों का प्रयोग एक-दूसरे के बदले में भी किया जाता है।

 औद्योगिकरण का अर्थ
औद्योगिकरण एक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था औद्योगिक अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो जाती है।

कृषि अर्थव्यवस्था के औद्योगिक अर्थव्यवस्था में परिवर्तन की प्रक्रिया के साथ-साथ तीन और बदलाव होते हैं:
ऽ देश के सकल घरेलू उत्पाद का एक निश्चित न्यूनतम प्रतिशत अर्थव्यवस्था के विनिर्माण, खनन और ऊर्जा क्षेत्रों से पैदा होता है तथा विकास की प्रक्रिया के आगे बढ़ने के साथ ही इसमें भी निरन्तर वृद्धि होती है। औद्योगिकरण के उन्न्त चरण में, सकल घरेलू उत्पाद के एक बड़े भाग का सृंजन औद्योगिक कार्यकलापों से होता है। तथापि, प्रगति के बाद के चरण में सेवा क्षेत्र का महत्त्व भी बढ़ता है।
ऽ औद्योगिक कार्यकलापों में विनिर्माण कार्यकलापों की प्रधानता रहती है। दूसरे शब्दों में, उन देशों को औद्योगिक राष्ट्र नहीं कहा जा सकता जो अपनी राष्ट्रीय आय के बड़े भाग के लिए मुख्य रूप से खनन कार्यकलापों पर निर्भर रहते हैं।
ऽ औद्योगिक क्षेत्र पर निर्भर श्रमिकों के अनुपात में वृद्धि होती है। औद्योगिक क्षेत्र एवं उसके अंदर विनिर्माण क्षेत्र वाली अर्थव्यवस्था की कल्पना की जा सकती है, जो शेष अर्थव्यवस्था की तुलना में काफी बड़ा है, तथापि वैसी अर्थव्यवस्था में भी जनसंख्या का अधिकांश भाग औद्योगिक क्षेत्र से बाहर रह सकता है, जिसका स्पष्ट कारण यह है कि शेष अर्थव्यवस्था में उत्पादकता तथा उत्पादन अत्यन्त ही कम है। जब तक कि औद्योगिक क्षेत्र का यह अस्तित्व जनसंख्या के एक बड़े भाग को प्रभावित नहीं करता सिर्फ यही कहा जा सकता है कि अर्थव्यवस्था का आंशिक औद्योगिकरण ही हुआ है। इसलिए, यह भी महत्त्वपूर्ण है कि औद्योगिक क्षेत्र में नियोजित श्रमिकों की संख्या भी बढ़ती रहे।

उपर्युक्त तीन मानदंडों के आधार पर हम औद्योगिकरण की परिभाषा एक प्रक्रिया के रूप में कर सकते हैं जिसमें सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र के अंश और श्रमिकों की संख्या में तेजी से वृद्धि होती है। इस प्रकार, इस प्रक्रिया के माध्यम से अर्थव्यवस्था का गुरुत्व केन्द्र कृषि की जगह उद्योग बन जाता है।

औद्योगिकरण में दो बातें निहित हैं:

ऽ उत्पादन की बेहतर तकनीक, जो मूल कच्चे माल तथा अर्धनिर्मित सामग्रियों को विनिर्मित वस्तुओं में बदल देती है, का अपनाया जाना।
ऽ प्रबन्ध और संगठन की आधुनिक तकनीकों जैसे आर्थिक गणना, लेखा-विधि, प्रबन्धन-तकनीक इत्यादि लागू करना।

बोध प्रश्न 1
1) औद्योगिकरण से आप क्या समझते हैं?
2) औद्योगिकरण किस तरह (प) सकल घरेलू उत्पाद के आकार और (पप) सकल घरेलू उत्पाद
की बनावट को प्रभावित करता है ?
3) औद्योगिकरण किस तरह अर्थव्यवस्था में श्रम बल की संरचना को प्रभावित करता है ?

औद्योगिकरण की आवश्यकता
प्रथम पंचवर्षीय योजना में ही, भारत के योजना आयोग ने उन दो कारकों की पहचान कर ली थी जो तीव्र आर्थिक विकास के साधन के रूप में तीव्र औद्योगिकरण के पोषक थे। वे हैं:
ऽ उद्योग में श्रम की उत्पादकता, जो कृषि की अपेक्षा उद्योग में काफी अधिक है।
ऽ विकासशील अर्थव्यवस्था में औद्योगिक क्षेत्र में सृजित अधिशेष, कृषि क्षेत्र में सृजित अधिशेष की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक सरलता से निवेश के लिए उपलब्ध रहता है। हम आगे के भागों में तीव्र औद्योगिकरण के पक्ष में इन तथा अन्य तर्कों की विस्तारपूर्वक जाँच करेंगे।

औद्योगिकरण और श्रम की उत्पादकता
औद्योगिक क्षेत्र में निम्नलिखित एक या अधिक कारणों के सक्रिय होने की वजह से साधारणतया उत्पादकता अधिक होती है:
ऽ अधिक पूँजी प्रधानता का अस्तित्व,
ऽ उत्पादन की निरन्तरता,
ऽ अधिक विशेषज्ञता और श्रम का विभाजन,
ऽ प्राकृतिक कारकों जैसे मौसम पर कम निर्भरता,
ऽ विनिर्माण क्षेत्र में आंतरिक-बाह्य मितव्ययिता प्राप्त करने की अधिक संभावना।

इतना ही नहीं, विनिर्माण कार्यकलाप में कृषि की अपेक्षा ज्यादा तीव्र गति से तकनीकी संबंध बदलते हैं। इस प्रकार, यदि किसी विकासशील अर्थव्यवस्था को निर्धनता के दुश्चक्र से बाहर निकालने का कोई गंभीर प्रयास करना है, तो उसे अपने भौतिक और वित्तीय दोनों संसाधनों का बड़े पैमाने पर औद्योगिक क्षेत्र में निवेश करना होगा।

उद्देश्य
यह प्रारंभिक इकाई विकासशील अर्थव्यवस्था में औद्योगिकरण की आवश्यकता तथा उसके महत्त्व पर समग्र प्रकाश डालती है। इस इकाई को पढ़ने के बाद आप:
ऽ यह समझ सकेंगे कि आर्थिक विकास को औद्योगिकरण का समानार्थी क्यों माना जाता है,
ऽ विकासशील अर्थव्यवस्था में औद्योगिकरण की आवश्यकता और महत्त्व को स्पष्ट कर सकेंगे,
ऽ अर्थव्यवस्था में औद्योगिकरण और उत्पादकता स्तरों के बीच संबंध की पहचान कर सकेंगे,
ऽ औद्योगिकरण की प्रक्रिया में आने वाली बाधाओं को पहचान सकेंगे, और
ऽ औद्योगिकरण की प्रक्रिया को तीव्र करने के उपयुक्त उपाय के संबंध में सुझाव दे सकेंगे।

सारांश
औद्योगिकरण और आर्थिक विकास को समानार्थी माना जाता है। तीव्र औद्योगिकरण के कारण उपलब्ध संसाधनों का बेहतर और अधिक कुशलतापूर्वक उपयोग होता है जिसके परिणामस्वरूप तीव्र आर्थिक वृद्धि, अधिक रोजगार का सृजन और पूँजी निर्माण होता है जिससे जीवन स्तर में तेजी से सुधार होता है। तीव्र औद्योगिकरण के कार्यक्रम से जुड़े लागतों के बावजूद भी कोई देश औद्योगिकरण के कार्यक्रमों पर धीमी गति से नहीं चल सकता। प्रत्येक देश को औद्योगिकरण के पथ पर बढ़ने में आने वाली विभिन्न समसस्याओं का समाधान खोजना होगा। औद्योगिकरण के संबंध में और भी महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि औद्योगिक विकास का कृषि, व्यापार, परिवहन और आधारभूत संरचना के साथ क्षेत्रगत सहलग्नता (अनुबंध) होती है।

शब्दावली
बड़े पैमाने की मितव्ययिता/लागत ः उत्पादन की मात्रा बढ़ने के साथ प्रति इकाई लागत में कमी आना।
श्रम का सीमान्त उत्पादन ः श्रम की अतिरिक्त इकाई के नियोजन द्वारा कुल उत्पादन में हुई वृद्धि।
जीवन-निर्वाह मजदूरी ः जीवन-निर्वाह के लिए आवश्यक मजदूरी का न्यूनतम स्तर ।
अधिशेष ः कुल उत्पादन और कुल उपभोग के स्तर में अंतर ।
आधारभूत संरचना ः उत्पादन क्षेत्रों के लिए अपेक्षित सहायक सेवाओं की संरचना।
पश्चानुबंध (बैकवर्ड लिंकेज) ः एक उद्योग अथवा फर्म और इसके लिए आदानों के आपूर्तिकर्ताओं के बीच संबंध ।

कुछ उपयोगी पुस्तकें एवं संदर्भ
रे कीली, (1998) इण्डस्ट्रियलाइजेशन एण्ड डेवलपमेंट, यू सी एल प्रेस अध्याय 1, 2
टी एलेन, (1992) प्रोस्पेक्ट्स एण्ड डाइलेमाज फॉर इण्डस्ट्रियलाइजिंग नेशन्स, एलेन एण्ड थॉमस, पृष्ठ 379-90
एम करशेनास, (1995) इण्डस्ट्रियलाइजेशन एण्ड एग्रीकल्लरल सरप्लस, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस जी.काय, (1975) डेवलपमेंट एण्ड अंडर डेवलपमेंट, मैकमिलन
आई.सी. धींगरा, (2001) दि इंडियन इकोनॉमी, एन्वायरन्मेंट एण्ड पॉलिसी, सुल्तानचंद, अध्याय 17

बोध प्रश्न 2
1) औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादकता स्तर कृषि क्षेत्र की तुलना में अधिक कैसे हैं? संक्षेप में बताइए।
2) औद्योगिकरण संसाधनों के संग्रह को कैसे बढ़ावा देता है? स्पष्ट करें।
3) देश के भुगतान संतुलन पर औद्योगिकरण का दीर्घकालीन प्रभाव क्या होता है?
4) औद्योगिकरण बड़े पैमाने पर बचत के सृजन और बचत राशियाँ जुटाने में कैसे सहायक होता है?

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