JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: indian

औद्योगिक क्रांति के कारण और प्रभावों को बताइये। industrial revolution causes and effects in hindi

industrial revolution causes and effects in hindi औद्योगिक क्रांति के कारण और प्रभावों को बताइये।

प्रश्न: औद्योगिक क्रांति से आशय क्या है ? सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में ही औद्योगिक क्रांति क्यों सम्पन्न हुई ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: 18वी शताब्दी के मध्य यूरोप एक कृषि प्रधान देश था। उस समय तक मशीनों, जल शक्ति एवं वाष्प शक्ति तथा यातायात के साधनों का अभाव था। व्यापार व्यापक स्तर पर ना होकर आंतरिक व्यापार ही था। यह व्यापार सुराक्षत नहा था। बडे उद्योग व कारखानों का भी अभाव था। मानव श्रम ही एकमात्र ऊर्जा का स्रोत था। एक व्यक्ति एक इकाइ का कार्य करता था। जीवन धीमा, सरल एवं सुस्त था। इस कृषि प्रधान समाज की पृष्ठभूमि में लगभग 1770 में इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति के लक्षण सम्राट जार्ज प्प्प् के समय में प्रारम्भ हये। औद्योगिक क्रांति ने कृषि प्रधान समाज को औद्योगिक समाज में परिवर्तित कर दिया। इसके परिणामस्वरूप उत्पादन निर्माण व वितरण की प्रणाली में परिवर्तन आया। यह आम क्रांतियों जैसे क्रांति नहीं थी। इसमें उग्रता ज्वालामुखी विस्फोट, रक्तचाप आदि नहीं था। औद्योगिक क्रांति का स्वरूप विकासवादी था। यह धीमी गति से होने वाला परिवर्तन था। औद्योगिक क्रांति कब प्रारम्भ हुई कह पाना कठिन है तथा क्या इसका अंत हो गया यह कह पाना भी कठिन है। फिर यह क्रांति एक समय में सभी स्थानों पर प्रारम्भ नहीं हुई। लगभग 1770 से अगले 50 वर्षों में इसका प्रभाव इंग्लैण्ड व यूरोप के अन्य देशों पर भी प्रभाव पड़ा। बेल्जियम, फ्रांस व अमेरिका पर इसका प्रभाव 1815 के बाद दिखाई देता है। यह वह समय है जब नेपोलियन का पतन हुआ तब रूस व अन्य पूर्वी यूरोपीय देश 19वीं शताब्दी के अंत तक कृषि प्रधान देश बने रहे।

इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति के कारण

(1) पूंजी की उपलब्धता – कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन: 17वीं शताब्दी के अंत व 18वीं के प्रारम्भ में कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ। इंग्लैण्ड की संसद में कृषि क्षेत्र में परिवर्तन के लिए कई नियम व कानून बने।
यहीं की संसद से नियम व कानून बनाये गये। खुले, कृषि फार्म के स्थान पर बाड़ बंदी/तारबंदी की गई। कृषि के क्षेत्र में वैज्ञानिक परिवर्तन किये गये। जेथ्रोटोल (Jethrotol) नामक व्यक्ति ने सेडड्रिल नामक व्यक्ति द्वारा आविष्कार किया गया जो प्रारंभ में घोड़ों से बाद में भाप से खीची जाती थी। इसी ने कल्टीवेटर नामक यंत्र का आविष्कार किया। चार्ल्स टाउनशेन्ड ने कृषि-चक्र प्रारम्भ किया। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती थी। इसी ने शलजम (Turmip) की बुआई को प्रारंभ किया। अतः इसे ट्रिम्फ टाउनशेन्ड भी कहते हैं।
रॉबर्ट बैकवैल ने श्रेष्ठ श्रेणी के पशुधन का उत्पादन प्रारंभ किया। विशेषतः भेडों की नस्ल में सुधार किया। इस काल में कृषि संबंधी पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन भी प्रारंभ हुआ। जार्ज-प्प्प् भी फारमर जार्ज (Farmer Jeorge) नाम से कृषि पर लेख लिखा करता था। इसके परिणामस्वरूप कृषि पूंजी उत्पन्न हुई। इस पूंजी के अतिरिक्त व्यापारिक पूँजी भी प्राप्त हुई। यह व्यापारिक पूंजी विदेशी व्यापार, दास व्यापार एवं समुद्री डकैतियों (Piracy) से प्राप्त हुई। यह परिवर्तन इंग्लैण्ड में हुआ। अतः क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में हुई।
(2) सस्ते श्रम की उपलब्धता: संलग्नक प्रणाली से श्रम उपलब्ध हुआ। छोटे किसानों ने बड़े किसानों को अपनी जमीने बेच दी तथा स्वयं मजदूरी करने लगे। इससे श्रम सस्ता उपलब्ध होने लगा।
(3) समुद्री व्यापार: 17वीं व 18वीं शताब्दी में जहाज बनाने के उद्योग का विकास इंग्लैण्ड में हुआ। ब्रिटिश जहाज विश्व के कोने-कोने में पहुंचने लगे। 17वीं शताब्दी तक इंग्लैण्ड समुद्र की रानी बन चुका था। इन जहाजों द्वारा माल, तम्बाकू, चाय, चीनी, गरम मसाले व कपास भारी मात्रा में आयात किया जा रहा था। इंग्लैण्ड केवल ऊनी वस्त्रों का निर्यात करता था। यदि इंग्लैण्ड को व्यापार एवं वाणिज्य की दृष्टि से विश्व का सबसे धनी राष्ट बनना था तो उसे अपने आयात व निर्यात में संतुलन स्थापित करना था तथा इस संतुलन को मातृ राष्ट्र के पक्ष में करना आवश्यक था।
(4) प्राकतिक संसाधनों की उपलब्धता: इंग्लैण्ड में यार्कशायर व लंकाशायर में लोहा व कोयला प्रचर मात्रा में उपलश था। ये दोनों किसी भी उद्योग का मेरूदंड माना जाता है। कहते हैं कि प्रकृति (ईश्वर) की कृपा इंग्लैण्ड पर रही क्योंकि यहां कि आर्द्रता सूती वस्त्र उद्योग के लिए उपयोगी सिद्ध हुई। एच.ए.एल. फिशर ने लिखा है, ‘बिटेन को औद्योगिक पूँजीवाद के अग्रणी होने में जिस कारण ने योगदान दिया, उसमें प्राकृतिक साधनों की प्रचरता का सर्वाधिक योगदान है।‘
(5) बैंकिग व्यवस्था: 1694 में बैंक ऑफ इंग्लैण्ड की स्थापना हुई। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय ऋण जैसी वित्तीय संस्थाएं स्थापित हई। ये बैंक फ्रांस के विरुद्ध युद्ध करने हेतु राष्ट्र को ऋण उपलब्ध करा सकने के लिए स्थापित किये गये थे। शांतिकाल में उद्योग स्थापित करने के लिए ये बैंक उपलब्ध रहे। कम ब्याज दर पर ये बैंक ऋण उपलब्ध कराने लगे।
(6) राजनैतिक स्थिरता: इंग्लैण्ड में राजनीतिक स्थिरता रही। इसका लाभ आर्थिक क्षेत्र में दिखाई दिया।
(7) ब्रिटिशवासियों की महत्वाकांक्षा: ब्रिटिशवासी धनी एवं महत्वाकांशी थे। इन्होंने दुनिया के कोने-कोने में जाकर व्यापार किया। अतः नये-नये आविष्कार एवं नयी मशीनों की खोज की गई। नेपोलियन (फ्रांस) के कारण इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति आगे बढ़ी। इस औद्योगिक क्रांति से ही इंग्लैण्ड ने फ्रांस (नेपोलियन) को पराजित किया।
(8) इंग्लैण्ड का विस्तृत औपनिवेशिक साम्राज्य: अठारहवीं सदी के अंत तक इंग्लैण्ड ने विस्तृत औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित कर लिया था। उपनिवेशों से इंग्लैण्ड को कच्चा माल एवं नवीन बाजार उपलब्ध हुए। जी.टी वाट्स अपने ग्रंथ ‘लैण्डमार्क्स इन इंडस्ट्रियल हिस्ट्री‘ में लिखा है कि ‘मूलतः हमारे उपनिवेशों ने हमें विस्तत बाजार दिये, हमारे व्यापार पर यूरोपीय देश अथवा उनके उपनिवेश प्रतिबंध लगा सकते थे परन्तु हम अपने उपनिवेशों के साथ जैसा चाहे वैसा व्यापार कर सकते थे और यदि हम अन्य देशों के साथ व्यापार न करते हुए केवल अपने उपनिवेशों के साथ ही व्यापार करते, तब भी इंग्लैण्ड विश्व का सर्वोच्च व्यापारिक देश होता।‘
(9) पंजी की उपलब्धता: वाणिज्यवाद के परिणामस्वरूप प्रचुर मात्रा में धन इंग्लैण्ड में जमा हो गया था। आर्थिक इतिहासकार रजनी पामदत्त ने ‘आज का भारत‘ में लिखा है ‘यदि प्लासी की लूट का माल और भारत की सम्पदा इंग्लैण्ड की ओर उन्मुख न हुई होती – तो मैनचेस्टर, पेंसले और लंकाशायर की सूती मिलें नष्ट हो जाती तथा जेम्स वाट, आर्कराइट, कार्टराइट, क्रोम्पटन – जैसे आविष्कारक और उनके आविष्कार समुद्र में फेंक दिये जाते।‘ एक अमेरिकी लेखक बुक एडम्स ने बंगाल से प्राप्त लूट का सीधा संबंध इंग्लैण्ड के औद्योगिक विकास से जोड़ा है।
(10) इंग्लैण्ड के निवासियों का जीवन स्तर अन्य किसी भी देश के निवासियों से उच्च था। इंग्लैण्ड में लोगों के पास अधिक क्रय शक्ति होने तथा नगरीय जीवन के विकास से वस्तुओं की मांग बढ़ी। बढ़ी हुई मांग की पूर्ति के लिए अधिक उत्पादन की तरफ ध्यान दिया गया।
(11) इंग्लैण्ड उन चीजों का उत्पादक था, जिनकी बड़ी मात्रा में जरूरत रहती थी। उसका विश्वास था कि यदि वह उन्हें और अधिक सस्ता बनाने का साधन पा जाये, तो उसका बाजार बढ़ सकता था। इसलिए इंग्लैण्ड उन तरीकों को 15 अपनाने के लिए तैयार था, जिनसे वस्तुओं का बड़ी तादाद में उत्पादन सम्भव हो सके।
(12) इंग्लैण्ड में कृषि दासता तथा श्रेणी व्यवस्था अन्य देशों की अपेक्षा पहले ही समाप्त हो चुकी थी। इंग्लैण्ड के अपेक्षाकृत मुक्त समाज में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की भावना को बल मिला। अब प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छानुसार उद्योग स्थापित करने के लिए स्वतंत्र था।
(13) फ्रांसीसी क्रांति एवं नेपोलियन के युद्धों ने भी इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। युद्धों के दिनों में इंग्लैण्ड को अपने साथी देशों के सैनिकों की आवश्यकताओं को भी पूरा करना पड़ा। युद्ध समाप्ति के बाद इंग्लैण्ड में बेकारी बढ़ गई। इस बेकारी को दूर करने का एकमात्र उपाय था – उद्योग धंधों का विकास।
(14) इंग्लैण्ड की सरकारी नीति उद्योग और व्यापार को प्रोत्साहित करने वाली थी। अन्य यूरोपीय देशों में विभिन्न प्रकार के स्थानीय कर और चुंगी लगायी जाती थी परन्तु इंग्लैण्ड में इस तरह की बाधाएँ नहीं थी। वहां की सरकार की संरक्षणवादी नीति के कारण उद्योग एवं व्यापार को बढ़ावा मिला।
प्रश्न: औद्योगिक क्रांति की वैज्ञानिक एवं तकनीकी पृष्ठभूमि को ‘‘आवश्यकता आविष्कार की जननी है‘‘ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: 1. वस्त्र उद्योग में: औद्योगिक क्रांति की शुरूआत मुख्यतः वस्त्र उद्योग से हुई थी। सबसे पहले ‘जॉन के‘ ने ‘1733 में फ्लाईंग शटल‘ का आविष्कार किया जो बुनाई यंत्र था। यह मशीन एक दिन में 10 श्रमिकों जितना कपड़ा बुनती थी। अब धागों की अधिक आवश्यकता पड़ी। इसलिए 1764 में ‘जेम्स हारग्रीब्ज‘ ने ‘स्पिंनिग जैनी‘ का आविष्कार किया जो एक साथ कई धागों की कताई करती थी। 1769 में रिचर्ड आर्कराइट ने स्पिनिग जैनी में सुधार करके शक्ति से चलने वाला वाटर फ्रेम नामक सूत कातने का यंत्र बनाया। यह संसार की सबसे पहली मशीन थी जो हाथ से न चलकर जल-शक्ति से चलती थी। अधिकांश विद्वान औद्योगिक क्रांति की शुरूआत यहीं से मानते हैं।
अब सूत कातने की मशीन के लिए रूई की कमी पड़ने लगी। 1793 में ‘एली हीटले‘ ने कपास ओटने की मशीन ‘कॉटन जिन‘ का आविष्कार किया जो 50 मजदूरों जितना काम करने लगी। सैम्युअल क्राम्पटन ने स्पिनिंग जैनी तथा वाटर फ्रेम को मिलाकर 1779 ‘‘स्पिनिंग म्यूल‘‘ का आविष्कार किया और 1785 में कार्टराइट ने ‘शक्तिचलित करघे पावरलूम‘ का आविष्कार करके कारखाना प्रणाली की शुरूआत की।
1825 में रिचर्ड रॉबर्टस ने पहली स्वचालित ‘बुनाई मशीन‘ का आविष्कार किया, जिससे सिले हुए वस्त्र बड़े पैमाने पर तैयार होने लगे। 1846 में ‘एलियास हो‘ ने सिलाई मशीन का आविष्कार कर दिया था लेकिन वह लकड़ी की थी। इस प्रकार बुनाई से लेकर सिलाई तक वस्त्र उद्योग का कार्य मशीनों द्वारा बड़े पैमाने पर होने लग गया।
2. नई शक्ति में: सर्वप्रथम 1712 में टॉमसन न्यूकोमैन ने खानों से पानी बाहर निकालने के लिए वाष्य ईजन का आविष्कार किया। 1769 में जेम्सवॉट ने न्यूकोमैन के इंजन के दोषों को दूर कर कम खर्चीला हल्का और उपादेय बनाया।
3. लौह-इस्पात उद्योग में: 1730 के आस-पास यह पता लगा कि पत्थर के कोयले से बना कोक अत्यधिक ऊष्मा देता है जिससे लौह अयस्क को पिघलाने व साफ करने का काम सुगम हो गया। 1784 में हेनरी कोर्ट ने शुद्ध व अच्छा लोहा बनाने की तकनीकी का विकास किया। 1856 में हेनरी बेसेमर ने ‘बेसेमर प्रक्रिया‘ से शीघ्र व सस्ता इस्पात बनाने की प्रक्रिया खोज निकाली, जिससे ढलावाँ लोहे से सीधे इस्पात बनाया जाता था। अब बड़ी-बड़ी मशीनों का निर्माण किया जाने लगा जो हल्की एवं जंगरोधी थी।
4. परिवहन के क्षेत्र में: वस्त्र उद्योग, लौह इस्पात उद्योग एवं नई शक्ति के साधनों का विकास होने के बाद माल को बड़े पैमाने पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने में समस्या उत्पन्न हो गयी। इसके लिए तकनीकी मागों एवं परिवहन की आवश्यकता महसूस हुई। इस दिशा में स्कॉटलैण्ड के ‘मैकाडम‘ ने पक्की सड़क निर्माण की नई पद्धति को खोज निकाला। जिसे ‘मैकेडमाइज्ड‘ कहा जाता है। जेक्स बिड़ले ने नहरों का निर्माण किया। जिससे यातायात सुगम एवं सस्ता हो गया। फ्रांसीसी फर्डिनेण्ड ने स्वेज नहर का निर्माण कर यूरोप और पश्चिम-दक्षिण पूर्वी एशिया के मध्य की दूरी को कम कर दिया।
अमेरिकी रॉर्बट फुल्टन ने 1807 में वाष्पचालित नौका का आविष्कार किया। अंग्रेज जार्ज स्टीफेन्सन ने 1884 में प्रसिद्ध भाप इंजन ‘रॉकेट‘ का आविष्कार कर परिवहन क्षेत्र में तहलका मचा दिया। 1889 में चार्ल्स गुड ईयर ने रबड के टायरों का आविष्कार किया तथा 1880 में पेट्रोल इंजन के आविष्कार ने परिवहन के क्षेत्र में दूरगामी परिवर्तन किये।
5. संचार क्षेत्र में: 1844 में सैमुअल मोर्स ने एक व्यावहारिक तार यंत्र का आविष्कार किया। 1866 में अमेरिकी साइरस फील्ड ने अटलांटिक केबल का निर्माण कर दिया। जब 1876 में ग्राहम बैल ने टेलीफोन का आविष्कार किया तो संचार व्यवस्था को ही बदल दिया। जिसमें आज भी लगातार क्रांति हो रही है।

Sbistudy

Recent Posts

सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ

कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें  - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…

4 weeks ago

रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?

अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…

4 weeks ago

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

2 months ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

2 months ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

3 months ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now