हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
औद्योगिक अर्थशास्त्र की परिभाषा क्या है | औद्योगिक अर्थशास्त्र किसे कहते है अर्थ industrial economics in hindi
industrial economics in hindi औद्योगिक अर्थशास्त्र की परिभाषा क्या है | औद्योगिक अर्थशास्त्र किसे कहते है अर्थ ?
प्रस्तावना
औद्योगिक अर्थशास्त्र का अध्ययन करने का हमारा उद्देश्य यह समझना है कि औद्योगिक अर्थव्यवस्था किस तरह से कार्य करती है। औद्योगिक अर्थव्यवस्था से हमारा अभिप्राय राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का वह घटक है जो कि औद्योगिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करता है। इसमें इस्पात और सीमेंट जैसी वस्तुओं का उत्पादन हो सकता है अथवा जीन्स और जूते जो आपने पहन रखे हैं, जैसी अंतिम वस्तुओं या विद्युत उत्पादन में उपयोग की जाने वाली मशीनों का विनिर्माण भी हो सकता है, यही नहीं आपके स्कूटर और घर में रेफ्रीजरेटर इत्यादि की मरम्मत भी इसी श्रेणी में आती है। ये सभी औद्योगिक वस्तुएँ और सेवाएँ हैं। इस अर्थव्यवस्था को चलाने वाले कौन हैं?
वे कई हैं। औद्योगिक क्षेत्र में बड़ी और छोटी दोनों प्रकार की कंपनियाँ सम्मिलित हैं। सड़क के किनारे स्थित मोटर साइकिल मरम्मत की दुकान भी इसी व्यवस्था का अंग है। औद्योगिक अर्थव्यवस्था का अध्ययन करने तथा इसे समझने के लिए औद्योगिक व्यवस्था के विभिन्न संघटकों के बारे में व्यवस्थित ज्ञान की जरूरत होती है। हम यह व्यवस्थित ज्ञान कैसे प्राप्त करें? हम जब खरीदारी के लिए बाजार जाते हैं तो देखते हैं कि वस्तुओं के मूल्यों में किस प्रकार परिवर्तन होता है। हम देखते है कि कभी कुछ माल की कमी होती है या फिर इनकी भरपूर आपूर्ति होती है जैसा कि वर्षा ऋतु में छातों की आपूर्ति जैसे हम एक उत्पादक अथवा उपभोक्ता के रूप में अर्थव्यवस्था का अंग बनते हैं, और हम सभी को आर्थिक दशाओं के संबंध में कुछ न कुछ जानकारी अवश्य होती है।
औद्योगिक सांख्यिकी अर्थव्यवस्था में चल रहे औद्योगिक कार्यकलापों के संबंध में व्यवस्थित और वस्तुपरक जानकारी उपलब्ध कराती हैं। आप सभी जनगणना के बारे में अवश्य जानते होंगे जो देश की कुल जनसंख्या और उनकी विशेषताओं जैसे अवस्थिति (ग्रामीण और शहरी), लिंग (पुरुष/स्त्री) और साक्षरता इत्यादि के संबंध में जानकारी का आधार है। इसी प्रकार सरकार और अन्य एजेन्सियाँ फैक्ट्रियों और कंपनियों से उनके उत्पादन, रोजगार, मजदूर, मशीनों और अन्य संबंधित विषयों के बारे में सूचनाएँ एकत्र करती हैं। यहाँ हम मुख्य रूप से भारतीय औद्योगिक क्षेत्र के बारे में आँकड़ों के सरकारी सांख्यिकी स्रोतों पर विचार करेंगे। औद्योगिक उत्पादन में होने वाले परिवर्तनों के माप के लिए हम किस प्रकार से आँकड़ों को प्राप्त करते हैं? हम विभिन्न प्रकार के उद्योगों का एक समान विशेषताओं के आधार पर किस प्रकार वर्गीकरण करते हैं?
बोध प्रश्न 1
1) भारत की औद्योगिक अर्थव्यवस्था के कुछ प्रमुख उद्योगों अथवा क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए।
2) औद्योगिक सांख्यिकी की आवश्यकता स्पष्ट कीजिए।
औद्योगिक वर्गीकरण
सांख्यिकीय आँकड़ों को कतिपय वर्गीकरण के अनुरूप व्यवस्थित और प्रस्तुत किया जाता हैं। दूसरे शब्दों में, वे कतिपय प्रारूप (फॉर्मेट) का पालन करते हैं जिससे कि उन्हें आसानी से । समझा जा सके और उनका व्यापक उपयोग किया जा सके। यह इसका उपयोग करने वालों अर्थात् उद्योगों में प्रबन्धकों और सरकारी नीति निर्णयन करने वालों निर्माताओं के लिए उपयोगी है। सांख्यिकीय प्रणाली की एक दूसरी आवश्यकता समय और अन्तरराष्ट्रीय संदर्भ में तुलना करने के लिए होती है, और इसलिए इसके मानकीकरण की आवश्यकता है। आर्थिक कार्यकलापों की विभिन्न विधाओं का वर्गों, उपवर्गों और समूहों में वर्गीकरण किया जाता है । कार्यकलापों के उप समूहों से मानक वर्गीकरण का ढाँचा तैयार होता है जिसे राष्ट्रीय औद्योगिक वर्गीकरण (एन. आई. सी.) कहा जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र के सांख्यिकीय आयोग की सिफारिशों पर आधारित है। संयुक्त राष्ट्र ने सभी आर्थिक कार्यकलापों का एक अन्तरराष्ट्रीय मानक वर्गीकरण दिया है। भारत में नई दिल्ली स्थित केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन (सी. एस. ओ.), जिसका कार्य सांख्यिकीय मानकों को स्थापित करना है, ने राष्ट्रीय औद्योगिक वर्गीकरण को तैयार किया है। यह अन्य बातों के साथ-साथ उत्पादन, रोजगार और पूँजी की संरचना के विश्लेषण को सुगम बनाता है।
राष्ट्रीय औद्योगिक वर्गीकरण
राष्ट्रीय औद्योगिक वर्गीकरण आर्थिक इकाइयों द्वारा चलाए जा रहे आर्थिक कार्यकलापों का वर्गीकरण है। यह स्वामित्व के प्रकार, संगठन की कानूनी स्थिति, प्रौद्योगिकी के प्रकार या उत्पादन की इकाई के आकार के आधार पर भेद नहीं करता है। उदाहरण के लिए एक ही प्रकार के आर्थिक कार्यकलापों में संलग्न सभी आर्थिक इकाइयाँ चाहे वे फैक्ट्रियाँ हों या दुकानें एन. आई. सी. की एक ही श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत की गई हैं। वस्त्र उद्योग में विनिर्माण इकाइयों के एक सेट पर विचार कीजिए। वस्त्रों का उत्पादन करने वाली फैक्ट्री, विद्युत चालित करघा अथवा कपड़ा बनाने के लिए घरेलू स्तर पर इस्तेमाल किया जा रहा हथकरघा, ये सभी आर्थिक इकाई हो सकती हैं। इन तीनों प्रकार की आर्थिक इकाइयों को एन. आई. सी. श्रेणी कोड 15 में रखा गया है और इसे सूती वस्त्रों का विनिर्माण कहा जाता है। वर्गीकरण के आधार के रूप में उपयोग की गई आर्थिक इकाई को प्रतिष्ठान या संस्थापना कहा जाता है। एक प्रतिष्ठान या संस्थापना की परिभाषा एक आर्थिक इकाई के रूप में की गई है जो एक ही स्थान पर किसी एक अथवा एक प्रमुख आर्थिक कार्यकलाप में संलग्न है। यदि कोई प्रतिष्ठान एक से अधिक उत्पाद का उत्पादन कर रहा है तो वर्गीकरण के लिए मुख्य उत्पाद पर विचार किया जाता है, उदाहरण के लिए, ऐसा उत्पाद जिसका कुल उत्पादन में 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है।
आर्थिक श्रेणियों को निश्चित कूट (कोड) दिया गया है जो व्यापक श्रेणी से शुरू होकर लघु होता चला जाता है। उन्हें तालिका 3.1 में दिखाया गया है। ध्यान दीजिए कि दो संख्या वाले औद्योगिक वर्गीकरण के अंतर्गत उद्योगों को वृहद् उप-समूहों जैसे खाद्य, वस्त्र और रसायन इत्यादि में वर्गीकृत किया गया है। इन दो संख्या वाले समूहों, उदाहरण के लिए, मूल रसायनों और रासायनिक उत्पादों (एन. आई. सी. 30) को पुनः अधिक सूक्ष्म उप-समूहों, जैसे उर्वरक (301) और मानव निर्मित रेशा (306) में वर्गीकृत किया गया है। इसे तीन संख्या वाला वर्गीकरण कहा जाता है।
तालिका 3.1ः राष्ट्रीय औद्योगिक वर्गीकरण (एन. आई. सी.) 1998, दो संख्या के स्तर पर
विभाजन विवरण
01 कृषि, आखेट और संबंधित सेवा कार्यकलाप
02 वानिकी, लकडी के कुंदे बनाना और संबंधित सेवा कार्यकलाप
05 मत्स्यन, मत्स्यन से प्रासंगिक सेवा कार्यकलाप
11 कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का दोहन
12 यूरेनियम और थोरियम अयस्कों का खनन
13 धातु अयस्कों का खनन
14 अन्य खनन और पत्थर निकालना
15 खाद्य उत्पादों का विनिर्माण
16 तम्बाकू उत्पादों का विनिर्माण
17 वस्त्रों का विनिर्माण
18 पहनने के वस्त्रों का विनिर्माण, रेशों की ड्रेसिंग और रंगाई
19 चर्मशोधन और चमड़े की ड्रेसिंगः लगेज, हैण्डबैग इत्यादि का विनिर्माण
20. लकड़ी का विनिर्माण और लकड़ी एवं पेड़ की छाल के उत्पाद
21 कागज और कागज उत्पादों का विनिर्माण
22 प्रकाशन और मुद्रण
23 कोक, शोधित (रिफाइन्ड) पेट्रोलियम उत्पादों और न्यूक्लियर ईंधन का विनिर्माण
24 रसायनों और रासायनिक उत्पादों का विनिर्माण
25 रबड़ और प्लास्टिक उत्पादों का विनिर्माण
26 अन्य गैर-धात्विक खनिज उत्पादों का विनिर्माण
27 मूल धातुओं का विनिर्माण
28 फैब्रिकेटेड धातु उत्पादों का विनिर्माण
29 मशीनों और उपकरणों का विनिर्माण
30 ऑफिस, एकाउंटिंग और कम्प्यूटिंग मशीनों का विनिर्माण
31 विद्युत मशीनों और उपकरणों का विनिर्माण
32 रेडियो, टेलीविजन और संचार उपस्करों एवं उपकरणों का विनिर्माण चिकित्सा, प्रिसिजन और ऑप्टिकल उपकरणों, वॉच और क्लॉक का विनिर्माण
34 मोटर वाहनों, ट्रेलरों (ट्रालियों) और छोटे ट्रेलरों (ट्रालियों) का विनिर्माण
35 अन्य परिवहन उपकरणों का विनिर्माण
36 फर्नीचर का विनिर्माण
37 पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग)
40 विद्युत, गैस और जल आपूर्ति
41 जल का संग्रहण, परिष्कार और वितरण
50 मोटर वाहनों की मरम्मत
51 थोक व्यापार एवम् कमीशन व्यापार
52 व्यक्तिगत और घरेलू वस्तुओं की मरम्मत
63 सहायक और सहकारी यातायात कार्यकलाप, पर्यटन एजेंसी के कार्यकलाप
72 ऑफिस, एकाउटिंग और कम्प्यूटिंग मशीनों का रख-रखाव एवं मरम्मत
91 संगठन सदस्यों के कार्यकलाप
92 मनोरंजन, सांस्कृतिक और खेल-कूद संबंधी कार्यकलाप
93 अन्य सेवा कार्यकलाप
97 मरम्मत सेवाएँ
नोट: बोधगम्य बनाने हेत सम्पादित संस्करण
बोध प्रश्न 2
1) औद्योगिक वर्गीकरण की प्रणाली की आवश्यकता को स्पष्ट करें।
2) भारत में औद्योगिक सांख्यिकी संबंधी आँकड़े किस संगठन द्वारा प्रकाशित किया जाता है?
विनिर्माण क्षेत्रक: संरचना और आँकड़ों के स्रोत
संरचना और राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी
विनिर्माण क्षेत्रक में संगठित अथवा पंजीकृत क्षेत्र और असंगठित क्षेत्र सम्मिलित होते हैं । पंजीकृत क्षेत्र से अभिप्राय उन कारखानों से है जो कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत पंजीकृत है और इस अधिनियम के अंतर्गत सभी कारखाने जिसमें विद्युत का उपयोग हो रहा है और 10 या अधिक श्रमिक नियोजित हैं तथा वे उन सभी कारखाने जिनमें विद्युत का उपयोग तो नहीं हो रहा हो, किंतु 20 या अधिक श्रमिक नियोजित हैं, का कारखाना पंजीयक के यहाँ पंजीकरण कराना अनिवार्य है और वे कारखाना अधिनियम के प्रावधानों के अधीन होंगे। गैर पंजीकृत क्षेत्र से अभिप्राय उन इकाइयों से है जो कारखाना अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत नहीं हैं। विनिर्माण उत्पादन पंजीकृत और गैर-पंजीकृत क्षेत्र के उत्पादन का कुल योग है। इससे संबंधित आँकड़े केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी में उपलब्ध हैं। हम पंजीकृत क्षेत्र को वृहद् उद्योग और गैर पंजीकृत क्षेत्र को लघु उद्योग का प्रतिनिधि मान सकते हैं। पंजीकृत क्षेत्र से संबंधित और अधिक विस्तृत आँकड़े केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन द्वारा प्रकाशित वार्षिक औद्योगिक सर्वेक्षण (ए. एस. आई.) और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में उपलब्ध है।
उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण
केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन द्वारा उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण प्रकाशित किया जाता है। जिसके अंतर्गत विनिर्माण, खनन् , गैस, विद्युत और जलापूर्ति सम्मिलित है । यह उत्पादन, रोजगार, निवेश और मजदूरी में प्रवृत्तियों की जाँच-परख के लिए आँकड़े उपलब्ध कराता है। यह स्रोत अन्य बातों के साथ उत्पादन के मूल्य, श्रमिकों की संख्या और श्रमिकों को भुगतान की गई मजदूरी एवं वेतन तथा निवेश संबंधी आँकड़ों को प्रस्तुत करता है। यह कारखानों के प्रतिवर्ष किए गए सर्वेक्षण पर आधारित होता है। इसके परिणाम प्रतिवर्ष प्रकाशित दस्तावेज ‘समरी रिजल्ट्स ऑफ फैक्टरी सेक्टर‘ (कारखाना क्षेत्र के संक्षिप्त परिणाम) में प्रकाशित किए जाते हैं।
बोध प्रश्न 3
1) विनिर्माण क्षेत्रक के संघटक क्या हैं?
2) अर्थव्यवस्था के उन क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए जिनके संबंध में आपको ए. एस. आई. से सूचना मिल सकती है।
3) सी.एस.ओ. द्वारा प्रकाशित दस्तावेज का नाम क्या है?
.
कारपोरेट (निगमित) क्षेत्र,कंपनी वित्त और निष्पादन (पर्कोमेन्स) सांख्यिकी
भारत में कारपोरेट क्षेत्र का अभिप्राय कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत पंजीकृत सभी संयुक्त-स्टॉक कंपनियों से है। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र की लिमिटेड कंपनियाँ सम्मिलित हैं। कारपोरेट क्षेत्रश् कंपनियों अथवा फर्मों की संख्या है। यह उपर्युक्त ए एस आई से प्राप्त आँकड़ों के विपरीत है जो कि कारखानों की संख्या इंगित करता है।
कारपोरेट क्षेत्र से संबंधित सांख्यिकी भारतीय रिजर्व बैंक के प्रकाशनों द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक समाचार (आर बी आई बुलेटिन) का प्रकाशन प्रत्येक महीने मुम्बई से होता है। आर बी आई निजी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों के संबंध में आँकड़ा प्रकाशित करता है। निम्नलिखित अध्ययन आँकड़ों के अच्छे स्रोत हैं।
1) फाइनान्सेज ऑफ लार्ज पब्लिक लिमिटेड कंपनीज, 1995-96 (भारतीय रिजर्व बैंक समाचार, अप्रैल 1999) इस अध्ययन में चुनिन्दा 807 कंपनियाँ सम्मिलित हैं जिनकी प्रदत्त पूँजी एक करोड़ या अधिक है।
2) पर्फोमेन्स ऑफ फॉइनान्स एण्ड इन्वेस्टमेंट कंपनीज, 1995-96 (भारतीय रिजर्व बैंक समाचार मार्च 1999), इसमें चुनिंदा 625 वित्त और निवेश कंपनियाँ शामिल हैं। उपर्युक्त में से प्रत्येक आर बी आई कंपनी वित्त अध्ययन में तुलन पत्र, आय-व्यय, लाभप्रदता, और निधियों के प्रवाह तथा वित्तीय अनुपातों संबंधी आँकड़े शामिल हैं।
तालिका 3.4: निजी क्षेत्र में गैर-वित्तीय उपक्रमों का वित्तीय अनुपात
1986-87 1992-93
फर्मों की संख्या 621 650
सकल लाभ बिक्री अनुपात (प्रतिशत) 9.2 11.8
ऋण इक्विटी अनुपात (प्रतिशत) 80.3 94.3
स्रोतः भारतीय रिजर्व बैंक समाचार, विभिन्न अंक
कारपोरेट सेक्टर के संबंध में जानकारी का एक अन्य स्रोत बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज निदेशिका है। यह मुम्बई (बाम्बे) स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों के संबंध में आँकड़े प्राप्त करने में उपयोगी है। यह प्रतिवर्ष प्रकाशित होता है और इसमें निम्नलिखित के बारे में जानकारी होती है (प) कम्पनी का इतिहास और इसके वर्तमान क्रियाकलाप (पप) निदेशक मंडल (पपप) उनके कारखाने की अवस्थिति और (पअ) कंपनी का तुलन-पत्र और लाभ तथा हानि का लेखा-जोखा।
सार्वजनिक उपक्रमों संबंधी आँकड़े
यह भारत सरकार द्वारा प्रकाशित सार्वजनिक उपक्रम सर्वेक्षण में उपलब्ध है। यह केन्द्र सरकार के 200 उपक्रमों के नमूना सर्वेक्षण पर आधारित है। बजट के अवसर पर प्रत्येक वर्ष प्रकाशित होने वाले आर्थिक सर्वेक्षण में भी चुनिंदा सार्वजनिक क्षेत्रों के निष्पादन संबंधी आँकड़े उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए वर्ष 2000-2001 के आर्थिक सर्वेक्षण में औद्योगिक नीति और विकास (इकाई 7) संबंधी अध्याय देखिए।
औद्योगिक वस्तुओं के निर्यात और आयात संबंधी आँकड़े
अभी तक हम घरेलू उत्पादन से संबंधित आँकड़ों पर चर्चा कर रहे थे। तथापि, भारत कई प्रकार की औद्योगिक वस्तुओं का आयात करता है तथा विभिन्न प्रकार के औद्योगिक उत्पादों का निर्यात भी करता है। भारत में विभिन्न उद्योग अपने उत्पादन के लिए आयातित आदानों का उपयोग करते हैं तथा अपने उत्पादों का विदेश निर्यात करते हैं तथा वहाँ बेचते हैं। यह उपक्रमों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार कार्यकलाप का क्षेत्र है। व्यावसायिक उपक्रमों पर आर्थिक नीतियों के प्रभाव को समझने के लिए उपक्रमों और कंपनियों के अन्तरराष्ट्रीय व्यापार कार्यकलाप संबंधी आँकड़े महत्त्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए, हाल के वर्षों में भारत सरकार की आयात और निर्यात नीतियों में परिवर्तन हो रहे हैं। इस संबंध में आपने समाचार पत्रों में अवश्य पढ़ा होगा।
भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार (निर्यात और आयात) के संबंध में आँकड़े कलकत्ता स्थित वाणिज्यिक आसूचना और सांख्यिकी महानिदेशालय (डी. जी. सी. आई. एण्ड एस.) द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं। यह आँकड़े देश के बड़े पत्तनों पर कस्टम क्लियरेंस पर आधारित होते हैं। यह एजेन्सी विदेशों में माल भेजने के लिए जहाजों पर लादे गए माल का रिकार्ड रखती है। यह मालों के विदेश से आने और कस्टम द्वारा उन्हें मंजूरी देने संबंधी जानकारी के आधार पर आयात संबंधी आँकड़ों का रिकार्ड करती है। यह आँकड़े आर्थिक सर्वेक्षण में उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए आर्थिक सर्वेक्षण 2000-2001 में भारत के प्रमुख निर्यात और आयात संबंधी तालिका देखिए।
बोध प्रश्न 6
1) भारत में कंपनियों के वित्त के संबंध में आँकड़े किस स्रोत से प्राप्त होते हैं?
2) भारत में कारपोरेट क्षेत्र और फैक्टरी क्षेत्र के बीच अंतर बताइए।
उद्देश्य
यह इकाई औद्योगिक उत्पादन संबंधी आँकड़ों, उद्योगों के वर्गीकरण, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और कारपोरेट क्षेत्र में निजी क्षेत्र की कंपनियों से संबंधित है। यह निर्यात और आयात के लिए भी आँकड़ों के स्रोतों को दर्शाता है। इस इकाई को पढ़ने के बाद आप:
ऽ औद्योगिक सांख्यिकी की आवश्यकता को समझ सकेंगे;
ऽ औद्योगिक वर्गीकरण का अभिप्राय समझ सकेंगे;
ऽ औद्योगिक उत्पादन संबंधी आँकड़ों के स्रोत के बारे में जान सकेंगे;
ऽ उद्योग के अलग-अलग खंडों की पहचान कर सकेंगे; और
ऽ माप की समस्या से अवगत हो सकेंगे।
Recent Posts
द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन क्या हैं differential equations of second order and special functions in hindi
अध्याय - द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन (Differential Equations of Second Order…
नियत वेग से गतिशील बिन्दुवत आवेश का विद्युत क्षेत्र ELECTRIC FIELD OF A POINT CHARGE MOVING WITH CONSTANT VELOCITY in hindi
ELECTRIC FIELD OF A POINT CHARGE MOVING WITH CONSTANT VELOCITY in hindi नियत वेग से…
four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं
चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…
Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा
आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…
pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए
युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…
THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा
देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…