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भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 क्या है समझाइए , निम्नलिखित दिन प्रभावी हुआ , में कितनी धाराएं थी
indian independence act 1947 in hindi भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 क्या है समझाइए , निम्नलिखित दिन प्रभावी हुआ , में कितनी धाराएं थी ?
भारत शासन अधिनियम, 1935
यह अधिनियम भारत में पूर्ण उत्तरदायी सरकार के गठन में एक मील का पत्थर साबित हुआ। यह एक लंबा और विस्तृत दस्तावेज था, जिसमें 321 धाराएं और 10 अनुसूचियां थीं।
अधिनियम की विशेषताएं
1. इसने अखिल भारतीय संघ की स्थापना की, जिसमें राज्य और रियासतों को एक इकाई की तरह माना गया। अधिनियम ने केंद्र और इकाइयों के बीच तीन सूचियों-संघीय सूची (59 विषय), राज्य सूची (54 विषय) और समवर्ती सूची (दोनों के लिये, 36 विषय) के आधार पर शक्तियों का बंटवारा कर दिया। अवशिष्ट शक्तियां वायसराय को दे दी गईं। हालांकि यह संघीय व्यवस्था कभी अस्तित्व में नहीं आई क्योंकि देसी रियासतों ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया था।
2. इसने प्रांतों में द्वैध शासन व्यवस्था समाप्त कर दी तथा प्रांतीय स्वायत्तता का शुभारंभ किया। राज्यों को अपने दायरे में रह कर स्वायत्त तरीके से तीन पृथक्् क्षेत्रों में शासन का अधिकार दिया गया। इसके अतिरिक्त अधिनियम ने राज्यों में उत्तरदायी सरकार की स्थापना की। यानि गवर्नर को राज्य विधान परिषदों के लिए उत्तरदायी मंत्रियों की सलाह पर काम करना आवश्यक था। यह व्यवस्था 1937 में शुरू की गई और 1939 में इसे समाप्त कर दिया गया।
3. इसने केंद्र में द्वैध शासन प्रणाली का शुभारंभ किया। परिणामतः संघीय विषयों को स्थानांतरित और आरक्षित विषयों में विभक्त करना पड़ा। हालांकि यह प्रावधान कभी लागू नहीं हो सका।
4. इसने 11 राज्यों में से छह में द्विसदनीय व्यवस्था प्रारंभ की। इस प्रकार, बंगाल, बंबई, मद्रास, बिहार, संयुक्त प्रांत और असम में द्विसदनीय विधान परिषद् और विधानसभा बन गईं। हालांकि इन पर कई प्रकार के प्रतिबंध थे।
5. इसने दलित जातियों, महिलाओं और मजदूर वर्ग के लिए अलग से निर्वाचन की व्यवस्था कर सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था का विस्तार किया।
6. इसने भारत शासन अधिनियम, 1858 द्वारा स्थापित भारत परिषद को समाप्त कर दिया। इंग्लैंड में भारत सचिव को सलाहकारों की टीम मिल गई।
7. इसने मताधिकार का विस्तार किया। लगभग दस प्रतिशत जनसंख्या को मत का अधिकार मिल गया।
8. इसके अंतर्गत देश की मुद्रा और साख पर नियंत्रण के लिये भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की गई।
9. इसने न केवल संघीय लोक सेवा आयोग की स्थापना की बल्कि प्रांतीय सेवा आयोग और दो या अधिक राज्यों के लिए संयुक्त सेवा आयोग की स्थापना भी की।
10. इसके तहत 1937 में संघीय न्यायालय की स्थापना हुई।
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947
20 फरवरी, 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने घोषणा की कि 30 जून, 1947 को भारत में ब्रिटिश शासन समाप्त हो जाएगा। इसके बाद सत्ता उत्तरदायी भारतीय हाथों में सौंप दी जाएगी। इस घोषणा पर मुस्लिम लीग ने आंदोलन किया और भारत के विभाजन की बात कही। 3 जून, 1947 को ब्रिटिश सरकार ने फिर स्पष्ट किया कि 1946 में गठित संविधान सभा द्वारा बनाया गया संविधान उन क्षेत्रों में लागू नहीं होगा, जो इसे स्वीकार नहीं करेंगे। उसी दिन 3 जून, 1947 को वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने विभाजन की योजना पेश की, जिसे माउंटबेटन योजना कहा गया। इस योजना को कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने स्वीकार कर लिया। इस प्रकार भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 बनाकर उसे लागू कर दिया गया।
अधिनियम की विशेषताएं
1. इसने भारत में ब्रिटिश राज समाप्त कर 15 अगस्त, 1947 को इसे स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र घोषित कर दिया।
2. इसने भारत का विभाजन कर दो स्वतन्त्र डोमिनयनों-संप्रभु राष्ट्र भारत और पाकिस्तान का सृजन किया, जिन्हें ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने की स्वतंत्रता थी।
3. इसने वायसराय का पद समाप्त कर दिया और उसके स्थान पर दोनों डोमिनयन राज्यों में गवर्नर-जनरल पद का सृजन किया, जिसकी नियुक्ति नए राष्ट्र की कैबिनेट की सिफारिश पर ब्रिटेन के ताज को करनी था। इन पर ब्रिटेन की सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होना था।
4. इसने दोनों डोमिनियन राज्यों संविधान सभाओं को अपने देशों का संविधान बनाने और उसके लिए किसी भी देश के संविधान को अपनाने की शक्ति दी। सभाओं को यह भी शक्ति थी कि वे किसी भी ब्रिटिश कानून को समाप्त करने के लिए कानून बना सकती थीं, यहां तक कि उन्हें स्वतंत्रता अधिनियम को भी निरस्त करने का अधिकार था।
5. इसने दोनों डोमिनयन राज्यों की संविधान सभाओं को यह शक्ति प्रदान की कि वे नए संविधान का निर्माण एवं कार्यान्वित होने तक अपने-अपने सम्बन्धित क्षेत्रों के लिए विधानसभा बना सकती थीं। 15 अगस्त, 1947 के बाद ब्रिटिश संसद में पारित हुआ कोई भी अधिनियम दोनों डोमिनयनों पर तब तक लागू नहीं होगा, जब तक कि दोनों डोमिनियन इस कानून को मानने के लिए कानून नहीं बना लेंगे।
6. इस कानून ने ब्रिटेन में भारत सचिव का पद समाप्त कर दिया। इसकी सभी शक्तियां राष्ट्रमंडल मामलों के राज्य सचिव को स्थानांतरित कर दी गईं।
7. इसने 15 अगस्त, 1947 से भारतीय रियासतों पर ब्रिटिश संप्रभुता की समाप्ति की भी घोषणा की। इसके साथ ही आदिवासी क्षेत्र समझौता संबंधों पर भी ब्रिटिश हस्तक्षेप समाप्त हो गया।
तालिका 1.1 अंतरिम सरकार (1946)
क्र. सदस्य धारित विभाग
1. जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रमंडल संबंध तथा विदेशी मामले
2. सरदार वल्लभभाई पटेल गृह, सूचना एवं प्रसारण
3. डॉ. राजेंद्र प्रसाद खाद्य एवं कृषि
4. जॉन मथाई उद्योग एवं नागरिक आपूर्ति
5. जगजीवन राम श्रम
6. सरदार बलदेव सिंह रक्षा
7. सी.एच.भाभा कार्य, खान एवं ऊर्जा
8. लियाकत अली खां वित्त
9. अब्दुर-रब-निश्तार डाक एवं वायु
10. आसफ अली रेलवे एवं परिवहन
11. सी. राजगोपालाचारी शिक्षा एवं कला
12. आई. आई. चुंदरीगर वाणिज्य
13. गजनफर अली खान स्वास्थ्य
14. जोगेंद्र नाथ मंडल विधि
नोटः अंतरिम सरकार के सदस्य वायसराय की कार्यकारी परिषद के सदस्य थे। वायसराय परिषद का प्रमुख बना रहा, लेकिन जवाहरलाल नेहरू को परिषद का उपाध्यक्ष बनाया गया।
तालिका 1.2 स्वतंत्र भारत का पहला मंत्रिमंडल (1947)
क्र. सदस्य धारित विभाग
1. जवाहरलाल नेहरू धारित विभाग प्रधानमंत्रीय राष्ट्रमंडल तथा विदेशी मामले; वैज्ञानिक शोध
2. सरदार वल्लभभाई पटेल गृह, सूचना एवं प्रसारण, राज्यों के मामले
3. डॉ. राजेंद्र प्रसाद खाद्य एवं कृषि
4. मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षा
5. डॉ. जॉन मथाई रेलवे एवं परिवहन
6. आर.के. षणमगम शेट्टी वित्त
7. डॉ. बी.आर. अंबेडकर विधि
8. जगजीवन राम श्रम
9. सरदार बलदेव सिंह रक्षा
10. राजकुमारी अमृत कौर स्वास्थ्य
11. सी.एच. भाभा वाणिज्य
12. रफी अहमद किदवई संचार
13. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी उद्योग एवं आपूर्ति
14. वी.एन. गाडगिल कार्य, खान एवं ऊर्जा
8. इसने भारतीय रियासतों को यह स्वतंत्रता दी कि वे चाहें तो भारत डोमिनियन या पाकिस्तान डोमिनियन के साथ मिल सकती हैं या स्वतंत्र रह सकती हैं।
9. इस अधिनियम ने नया संविधान बनने तक प्रत्येक डोमिनियन में शासन संचालित करने एवं भारत शासन अधिनियम, 1935 के तहत उनकी प्रांतीय सभाओं में सरकार चलाने कीव्यवस्था की। हालांकि दोनों डोमिनियन राज्यों को इस कानून में सुधार करने का अधिकार था।
10. इसने ब्रिटिश शासक को विधेयकों पर मताधिकार और उन्हें स्वीकृत करने के अधिकार से वंचित कर दिया। लेकिन ब्रिटिश शासक के नाम पर गवर्नर जनरल को किसी भी विधेयक को स्वीकार करने का अधिकार प्राप्त था।
11. इसके अंतर्गत भारत के गवर्नर जनरल एवं प्रांतीय गवर्नरों को राज्यों का संवैधानिक प्रमुख नियुक्त किया गया। इन्हें सभी मामलों पर राज्यों की मंत्रिपरिषद् के परामर्श पर कार्य करना होता था।
12. इसने शाही उपाधि से ‘भारत का सम्राट‘ शब्द समाप्त कर दिया।
13. इसने भारत के राज्य सचिव द्वारा सिविल सेवा में नियुक्तियां करने और पदों में आरक्षण करने की प्रणाली समाप्त कर दी। 15 अगस्त, 1947 से पूर्व के सिविल सेवा कर्मचारियों को वही सुविधाएं मिलती रहीं, जो उन्हें पहले से प्राप्त थीं।
14-15 अगस्त, 1947 की मध्य रात्रि को भारत में ब्रिटिश शासन का अंत हो गया और समस्त शक्तियां दो नए स्वतंत्र डोमिनियनों-भारत और पाकिस्तान को स्थानांतरित कर दी गईं। लॉर्ड माउंटबेटन नए डोमिनियन भारत, के प्रथम गवर्नर-जनरल बने। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू को भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई। 1946 में बनी संविधान सभा को स्वतंत्र भारतीय डोमिनियन की संसद के रूप में स्वीकार कर लिया गया।
संदर्भ सूची
1. मुगल बादशाह शाह आलम ने 1764 में बक्सर की लड़ाई में विजय प्राप्त करने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में दीवानी अधिकार दिए।
2. इसे ब्रिटिश संसद में तत्कालीन प्रधानमंत्री विलियम पिट द्वारा पुनः स्थापित किया गया।
3. उस समय कंपनी की सिविल सेवाएं दो तरह की होती थी, प्रसंविदाबद्ध सिविल सेवाएं (उच्च सिविल सेवाएं) एवं गैर प्रसंविदाबद्ध सिविल सेवाएं (निम्न सेवाएं) पहली कंपनी के कानून द्वारा निर्मित हुई, जबकि दूसरी अन्य तरह से।
4. सुभाष सी. कश्यप, अपर कांस्टीट्यूशन, नेशनल बुक ट्रस्ट, तृतीय खंड 2001 पृष्ठ 14।
5. बजट की व्यवस्था को ब्रिटिशकालीन भारत में 1860 से शुरू किया गया।
6. वी.एन. शुक्ला, द कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया ईस्टर्न बुक कंपनी, दसवां संस्करण 2001 पृष्ठ ए-10।
7. घोषणा ने स्थापित कियाः ब्रिटिश शासक की सरकार की नीति प्रशासन की प्रत्येक शाखा में भारतीयों की भागीदारी बढ़ाने और स्वशासन संस्थाओं का क्रमिक विकास करने की थी, ताकि ब्रिटिश साम्राज्य के आंतरिक भाग के रूप में भारत उत्तरदायी सरकार की प्रगतिशील प्राप्ति की जा सके।
8. यह भारत में उच्च नागरिक सेवाओं (1923-24)पर ली आयोग की सिफारिशों पर किया गया।
9. भारतीय स्वतंत्रता अध्यादेश को ब्रिटिश संसद में 4 जुलाई,1947 को पेश किया गया और 18 जुलाई, 1947 को इसे राजशाही की संस्तुति मिली। यह अधिनियम 15 अगस्त, 1947 से लागू हुआ।
10. दो राज्यों के बीच सीमाओं का निर्धारण रेडक्लिफ की अध्यक्षता वाले सीमा आयोग ने किया। पाकिस्तान में पश्चिमी पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान, पूर्वी बंगाल, उत्तर-पश्चिम सीमांत क्षेत्र एवं असम का सिलहट जिला शामिल किया गया। उत्तर-पश्चिम सीमांत क्षेत्र एवं सिलहट में अध्यादेश पाकिस्तान के पक्ष में थे।
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