JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

भारतीय परिषद एक्ट 1892 का मूल्यांकन कीजिए 1892 indian council act in hindi कमियाँ drawbacks of

1892 indian council act in hindi कमियाँ drawbacks of भारतीय परिषद एक्ट 1892 का मूल्यांकन कीजिए ?

भारतीय परिषद एक्ट, 1892 : 1891 में कांग्रेस ने अपने इस दृढ़ निश्चय को दोहराया कि जब तक भारत की जनता को उसके निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से विधानमंडलों में अपनी सक्षम आवाज उठाने की इजाजत नहीं मिल जाती तब तक भारत पर अच्छी तरह से शासन नहीं हो सकता। भारतीय परिषद एक्ट, 1892 मुख्यतया भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1889 से 1891 तक के अधिवेशनों में स्वीकार किए गए प्रस्तावों से प्रभावित होकर पारित किया गया था। 1892 के एक्ट के अधीन, गवर्नर जनरल की परिषद में अतिरिक्त सदस्यों की सख्या बढाकर “कम-से-कम दस तथा अधिक-से-अधिक सोलहष् कर दी गई (इससे पहले इनकी न्यूनतम संख्या छह और अधिकतम संख्या बारह थी)। इसी प्रकार, प्रातीय विधान परिषदों में भी अतिरिक्त सदस्यों की संख्या बढा दी गई।
परिषदो को, उनके विधायी कार्यों के अलावा, अब कतिपय शर्तों तथा प्रतिबंधों के साथ वार्षिक वित्तीय विवरण या बजट पर विचार-विमर्श करने की इजाजत दे दी गई। परिषद के सदस्यो को भी, कतिपय शतों के अधीन रहते हुए, विहित नियमो के अंतर्गत लोक हित के मामलों के बारे मे प्रश्न पूछने की इजाजत मिल गई।
1892 का एक्ट, निश्चित रूप से, 1861 के एक्ट की अपेक्षा एक समुन्नत एक्ट था, क्योंकि इसके द्वारा विधान परिषद में प्रतिनिधित्व का पुट दे दिया गया था और परिषद के कार्यों का विस्तार करके इसके काम पर लगे प्रतिबंधों को कुछ हद तक शिथिल कर दिया गया था। परिषद में निर्वाचित सदस्यों के प्रवेश से इसके जीवन में एक नये युग का सूत्रपात हो गया।
स्वराज ही लक्ष्य: कांग्रेस ने 1906 के अधिवेशन में घोषणा की कि इसका अंतिम लक्ष्य स्वराज है। “नरमपंथियों के अनुसार इसका अर्थ था अंग्रेजी साम्राज्य के अधीन संसदीय स्व-शासन और अतिवादियों के लिए इसका अर्थ था स्वाधीनता। इसने विधान परिषदों के तुरंत विस्तार की मांग भी की ताकि जनता का और अधिक तथा वस्तुतया प्रभावी प्रतिनिधित्व हो सके और देश के वित्तीय तथा कार्यकारी प्रशासन पर और अधिक नियंत्रण हो सके।‘‘
मिंटो-मार्ले सुधार: एक ओर राष्ट्रीय आंदोलन में गरमपंथियों की शक्ति बढ़ती जा रही थी तो दूसरी ओर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में नरमपंथी लोग देश के कार्य-संचालन में भारतीयों के और अधिक तथा और प्रभावी प्रतिनिधित्व के लिए अनथक अभियान चला रहे थे। इसे देखते हुए तत्कालीन सेक्रेटरी आफ स्टेट फार इडिया, लाई मार्ने तथा तत्कालीन वाइसराय लाई मिटो ने मिलकर 1906-1908 के दौरान कतिपय सवैधानिक सुधार प्रस्ताव नैयार किए। इन्हें आमतौर पर मिटो-मार्ले सुधार प्रस्ताव कहा जाता है। इनका मतव्य था कि विधान परिषदो का विस्तार किया जाए तथा उनकी शक्तियों और कार्यक्षेत्र को बढ़ाया जाए, प्रशासी परिषदो में भारतीय सदस्य नियुक्त किए जाए, जहां पर ऐसी परिषदें नहीं है, वहा पर ऐसी परिपदे स्थापित की जाए, और स्थानीय स्वशासन प्रणाली का और विकास किया जाए।
भारतीय परिषद एक्ट, 1909 : 1909 के एक्ट और इसके अधीन बनाए गए विनियमों द्वारा परिषदों तथा उनके कार्यक्षेत्र का और अधिक विस्तार करके उन्हे अधिक प्रतिनिधिक एव प्रभावी बनाने के लिए उपबंध किए गए। सदस्यो की संख्या दुगुनी अथवा दुगुनी से भी ज्यादा कर दी गई । भारतीय विधान परिषद (गवर्नर जनरल की परिषद) के अतिरिक्त सदस्यो की अधिकतम संख्या 16 (1892 के एक्ट के अधीन) से बढ़ाकर 60 कर दी गई (इनमे प्रशासी पार्षद सम्मिलित नहीं थे, वे पदेन सदस्य थे)।
इस एक्ट के अधीन अप्रत्यक्ष निर्वाचन के सिद्धान को मान्यता दी गई। कितु यह निर्णय किया गया कि भारत की परिस्थितियो में, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व जनता के लिए उपयुक्त नहीं है और वो तथा हितबद्ध व्यक्तियो के माध्यम से प्रतिनिधित्व देना ही भारतीय विधान परिषदो का गठन करते समय निर्वाचन-सिद्धात को मूर्त रूप देने की एकमात्र व्यावहारिक विधि होगी। तथापि, निर्वाचित सदस्यो की अनुपूर्ति के वास्ते (क) सरकारी सदस्यों की नियुक्ति के लिए, तथा (ख) गैर सरकारी सदस्यो की नियुक्ति के लिए नामजदगी का उपबंध बनाए रखा गया ताकि जिन लोगो को निर्वाचन के द्वारा प्रतिनिधित्व देना अव्यावहारिक प्रतीत होता था, उन्हें प्रतिनिधित्व दिया जा सके। ‘निर्वाचित सदस्य‘ ऐसे निर्वाचन क्षेत्रो से चुने जाने थे यथा नगरपालिकाएं, जिला तथा स्थानीय बोर्ड, विश्वविद्यालय, वाणिज्य तथा व्यापार सघ पडल और जमीदारो या चाय बागान मालिको जैसे लोगो के समूह । ऐसे विनियम बना दिए गए जिनसे सभी प्रातीय विधान परिषदो मे गैर सरकारी सदस्यों का बहुमत हो, कितु केद्रीय विधान परिषद में सरकारी सदस्यो का ही बहुमत बना रहे। इन विनियमो में मुस्लिम सप्रदाय के लिए पृथक निर्वाचक मडल तथा पृथक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था भी कर दी गई। इस प्रकार, पहली बार साप्रदायिक प्रतिनिधित्व के घातक सिद्धात का सूत्रपात हुआ।
इस एक्ट के द्वारा लागू किए गए सुधार जिम्मेदार सरकार की माग को न तो पूरा करते थे और न ही पूरा कर सकते थे, क्योंकि उसके अधीन स्थापित परिषदों में जिम्मेदारी का अभाव था, जो जन-निर्वाचित सरकार की विशेषता होती है।
मोंटेग्यू घोषणा: 20 अगस्त, 1917 को तत्कालीन सेक्रेटरी आफ स्टेट फार इंडिया, श्री मोंटेग्यू ने हाउस आफ कामंस में एक ऐतिहासिक वक्तव्य दिया। अंग्रेजी राज के दौरान भारत के उतार-चढ़ाव वाले इतिहास में पहली बार इस वक्तव्य के द्वारा भारत में ‘जिम्मेदार सरकार‘ की स्थापना का वादा किया गया। मोंटफोर्ड रिपोर्ट, 1918 रू भारतीय सवैधानिक सुधार संबंधी रिपोर्ट मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड या मोंटफोर्ड रिपोर्ट के नाम से जानी जाती है। उसे सेक्रेटरी आफ स्टेट फार इंडिया, श्री मोंटेग्यू तथा भारत के वाइसराय, लार्ड चेम्सफोर्ड ने संयुक्त रूप से तैयार किया था। वह जुलाई, 1918 में प्रकाशित की गई।
इस रिपोर्ट में स्वशासी डोमिनियन के दर्जे की मांग की पूर्ण उपेक्षा की गई। उल्टे उसमें अति अनिष्टकर ढंग से पृथक निर्वाचक मंडल संबंधी उन रियासतों को मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों का आधार बना दिया गया जिन पर कांग्रेस और लीग के बीच 1916 में हुए लखनऊ समझौते के अधीन कांग्रेस सहमत हो गई थी।
राष्ट्रवादी आंदोलन तथा प्रतिनिधि संस्थाओं की उत्पत्ति (1919-1940)
भारत शासन एक्ट, 1919ः मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड रिपोर्ट पर आधारित भारत शासन एक्ट, 1919 में इस बात को स्पष्ट कर देने का प्रयास किया गया था कि अंग्रेज शासक भारतीयों के जिम्मेदार सरकार के ध्येय की पूर्ति तक केवल धीरे धीरे पहचने के आधार पर स्वशासी संस्थानों के क्रमिक विकास को मानने के लिए तैयार हैं। संवैधानिक प्रगति के प्रत्येक चरण के समय, ढग तथा गति का निर्धारण केवल ब्रिटिश ससद करेगी और यह भारत की जनता के किसी आत्म-निर्णय पर आधारित नहीं होगा।
1919 के एक्ट तथा उसके अधीन बनाए गए नियमों द्वारा तत्कालीन भारतीय सवैधनिक प्रणाली में अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए। केंद्रीय विधान परिषद का स्थान राज्य परिषद (उच्च सदन) तथा विधान सभा (निम्न सदन) वाले द्विसदनीय विधानमंडल ने ले लिया। हालांकि सदस्यों को नामजद करने की कुछ शक्ति बनाए रखी गई, फिर भी प्रत्येक सदन में निर्वाचित सदस्यों का बहुमत होना अब जरूरी हो गया था।
सदस्यों का चुनाव एक्ट के अंतर्गत बनाए गए नियमों के अधीन सीमांकित निर्वाचन क्षेत्रों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाना था। मताधिकार का विस्तार कर दिया गया था। निर्वाचन के लिए विहित अर्हताओं में बहुत भिन्नता थी और वे सांप्रदायिक समूह, निवास
और संपत्ति पर आधारित थीं।

Sbistudy

Recent Posts

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

3 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

5 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

1 week ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

1 week ago

elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है

दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…

1 week ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now