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आशुरचित उपकरण क्या है ? आशुरचना उपकरण meaning improvised of laboratory apparatus in hindi

improvised of laboratory apparatus in hindi आशुरचित उपकरण क्या है ? आशुरचना उपकरण ?

आसुरचित उपकरणों से आप क्या समझते हैं ? इनका महत्त्व बताइये। तीन ऐसे उपकरणों के उदाहरण दीजिये जिन्हें आप बना सकते हैं।
What do you mean by improvisation of apparatus. Discuss their importance. Give three examples of apparatus which you would improvise.
उत्तर- रसायन विज्ञान का प्रमुख उद्देश्य है कि बालकों में विज्ञान के प्रति अभिरुचि पैदा करना, इसके लिए उनसे विज्ञान सम्बन्धी कार्य कराये जायें या प्रयोगों पर विशेष बल देना चाहिए। विद्यार्थियों को उपकरणों की जानकारी होनी चाहिये और यदि सम्भव हो सके तो छोटे-छोटे टूटे हुए उपकरणों की मरम्मत उन्हें स्वयं ही करनी चाहिये। साधारण कामचलाऊ उपकरणों का निर्माण करना वे स्वयं सीखें जो बहुत कम खर्चे पर बनाये जा सकते है। इस प्रकार विद्यार्थी अपने शिक्षक की देखरेख में कामचलाऊ उपकरणों को सुधार सकते है या नये उपकरणों को स्वयं बना सकते हैं । इस प्रकार के उपकरणों को आशुरचित उपकरण कहते है।
आशुरचित उपकरणों से लाभ-
1. आशुरचित उपकरणों का निर्माण करना शिक्षा की दृष्टि से बहुत उपयोगी है क्योंकि वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्ञान जब चरितार्थ अवस्था की ओर अग्रसर होता है तो हाथों से मस्तिष्क की ओर बढ़ता है।
2. इस प्रकार की क्रियाओं से बालकों में रचनात्मक प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिलता है और बालकों का दृष्टिकोण विज्ञान के प्रति और अधिक व्यापक बनता है। उनमें खोजात्मक प्रवृत्तियों का विकास होता है और बच्चे इस प्रकार की क्रियाओं को अपनी स्वेच्छा से करते हैं।
3. आशुरचित उपकरण के निर्माण करने से प्रयोगशाला में जो टूटी-फूटी सामग्री का उपकरण होते हैं वह सब काम में आ जाते हैं।
4. बालक अपनी इच्छानुसार अपने हिसाब से सुविधानुसार यह निर्णय करता है कि उसे क्या बनाना चाहिये और कैसा उपकरण ठीक रहेगा। इसके लिए वह अपने आप सोचकर खुद निर्णय पर आशुरचित उपकरण का निर्माण करता है।
5. आशुरचित उपकरणों का निर्माण करना मनोविज्ञान के महत्वपूर्ण सिद्धान्त पर आधारित है कि करके सीखनाश् । बालक ऐसे कार्यों को स्वयं करते हैं तो उन्हें नई-नई क्रियायें करनी पड़ती हैं और उससे बालकों में नई सूझ तथा ज्ञान पैदा होता है।
6. इस प्रकार निरन्तर प्रयोगशाला में काम करने से बालकों में परिश्रम करने की अच्छी आदत पैदा होती है और उनको जब अपने कार्य में सफलता मिलती है तो उनके मन में श्रम के महत्व का भी ज्ञान होता है।
7. इस प्रकार के कार्य करने से बालकों में वैज्ञानिक चिन्तन का विकास होता है। जब वे प्रयोगशाला में कार्य करते हैं तो क्रिया करने से उन्हें वैज्ञानिक विधि का प्रशिक्षण मिलता है।
8. बालकों को ऐसे नये-नये कार्य करने में प्रसन्नता होती है। उनका मानसिक मनोरंजन होता है। अवकाश के समय का वह सदुपयोग करते हैं।
9. आशुरचित उपकरणों के बनाने से बालक को आर्थिक दृष्टि से भी लाभ हो सकता है क्योंकि बहुत-सी ऐसी निर्माण की वस्तुएं हैं जिनके निर्माण से यदि बालक चाहे तो आधिक लाभ उठा सकता है।
छात्रों द्वारा बनाए जा सकने वाले उपकरण-रसायन विज्ञान प्रयोगशाला में छात्र साधारणतया निम्न उपकरण स्वयं बना सकते हैं-
1. साधारण तिपाई (Simple Tripod Stand) – किसी टीन के डिब्बे के नीचे के सिरे पर । आकार के टुकड़े काट देते हैं। ऊपर के और नीचे के पैंदे को निकाल देते हैं। नीचे के किनारों को मोड़कर पाये से बना देते हैं। ऊपर के भाग में छेद कर देते हैं।
2. लोहे की तिपाई बनाना (Iron Tripod Stand) – सख्त लोहे के तारों से चित्र में दिये हुए आकार की भिन्न-भिन्न प्रकार की छोटी-बड़ी तिपाई बनाई जा सकती है। प्लास की सहायता से इन्हें मोड़कर तथा ऐंठकर बनाइये।
3. कमानीदार तुला (Spring Balance) – किसी पुरानी बेकार स्प्रिंग जिसमें लचक हो, लेकर एक लकड़ी की तख्ती में कीलों से गाढ़ दो। उसके ऊपर प्लेट या डिब्बे के ढंकने को टांका लगाकर फिट कर दो। साइड में दोनों ओर लकड़ी के स्टेण्ड या सीधी तख्ती लगाकर नीचे बड़ी लकड़ी में फिट कर लो। एक तरफ की लकड़ी की तख्ती पर 100 -1 ग्राम के निशान लगा दो। इस प्रकार एक कमानीदार तुला बन .. जाती है।

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