JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: indian

साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद में अंतर क्या है , imperialism and colonialism in hindi difference

imperialism and colonialism in hindi difference साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद में अंतर क्या है  ?

प्रश्न: साम्राज्यवाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: भिन्न प्रजाति वाले देश पर किसी दूसरे देश के राजनीतिक आधिपत्य की व्यवस्था को साम्राज्यवाद कहते है।

प्रश्न: साम्राज्यवाद के प्रसार में ईसाई मिशनरियों का योगदान बताइए।
उत्तर: यूरोपीय साम्राज्यवाद के प्रसार में धर्म प्रचार-प्रसार के साधनों व पादरियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया जिन्हें साम्राज्य विस्तार के एक अच्छे साधन माने जाते थे। पादरियों का अपमान होना राष्ट्र का अपमान समझा जाता था जिससे आक्रमण, आन्तरिक हस्तक्षेप, कब्जा आदि कर लिए जाते थे। इंग्लैण्ड के डेविड लिलिंगस्टोन तथा फ्रांस के कार्डिनल लेवीगेरी प्रमुख भौगोलिक खोजकर्ता ईसाई मिशनरी थे। जिनके प्रारंभिक प्रयासों से ब्रिटेन व फ्रांस ने अफ्रीका में साम्राज्यवाद का प्रसार शुरू किया।

प्रश्न: उपनिवेशों ने यूरोपीयों का आधिपत्य स्वीकार क्यों किया ?
उत्तर: विश्व के अविकसित क्षेत्रों के लोग इन यूरोपवासियों की गोलियों से अपनी रक्षा नहीं कर सके। परिणामस्वरूप उन्हें उनका आधिपत्य स्वीकार करना पड़ा। अन्य उपाय – उपनिवेशों की जनता को शराब, अफीम, कोकिन देकर नशेबाज बनाया। रंग-बिरंगी मालाएं या छोटे-छोटे उपहार देकर विशाल प्रदेश लिए। घूस, कपटाचार, धोखा, बेईमानी एवं ज्यादती से उनका क्षेत्र छीना गया।
प्रश्न: साम्राज्यवाद एवं उपनिवेशवाद के कारणों की चर्चा कीजिए –
उत्तर:
1. औद्योगिक क्रांति साम्राज्यवाद एवं उपनिवेशवाद का सर्वप्रमुख कारण था।
2. आवश्यक वस्तु (कच्चामाल) और बाजार की आवश्यकता।
3. अतिरिक्त पूँजी के निवेश की समस्या।
4. आबादी और शक्ति संतुलन की समस्या।
5. प्रतिष्ठा प्राप्ति और परोपकार की भावना।
6. परिवहन एवं संचार साधनों का विकास।
7. भौगोलिक खोजें एवं अनुसंधान कार्य।
8. यूरोप में सैन्यवाद का प्रसार।
9. ईसाई मिशनरियों का योगदान।
10. राजनीतिक शक्ति का प्रसार करने की आकांक्षा।
11. प्रशासकों में सैनिकों की भूमिका।
12. व्यापारिक वर्ग का दबाब आदि साम्राज्यवाद एवं उपनिवेशवाद के कारण रहे।

प्रश्न: साम्राज्यवाद के प्रथम चरण के विकास एवं पतन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: साम्राज्यवाद की शुरूआत को किस प्रकार समझा जाना है। साम्राज्यवाद को सर्वप्रथम प्राचीन व मध्यकालीन परिप्रेक्ष्य म समझे जाने की आवश्यकता है। इसका स्वरूप मख्यतः राजनीतिक था। इसका स्वरूप महाद्वीप तक ही सीमित था। इसमें औपनिवेशिक दृष्टिकोण निहित नहीं था।
1. 16वीं शताब्दी से विकास शुआ हुआ।
2. इसके कारक पुनर्जागरण नवीन दृष्टि व भौगोलिक खोजें थी।
3. भौगोलिक खोजें व नवीन मार्गों की खोज ने इसका प्रसार किया।
4. वैज्ञानिक क्रांति- कम्पास महत्वपूर्ण आविष्कार था जिसने समुद्रपारीय देशों तक की यात्राओं को सुगम बना दिया।
5. मुख्य प्रेरक तत्व – वाणिज्यवाद था जिसके तहत सोना-चांदी एकत्रित करने का दृष्टिकोण निहित था।
6. उत्तरी अमेरिका, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका एवं एशिया क्षेत्र में सीमित मात्रा में साम्राज्य स्थापित किए गए।
7. ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन व पुर्तगाल आदि यूरोपीय देशों के द्वारा ही प्रथम चरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई।
8. उपनिवेशवाद का धीमा विकास (लम्बे समयकाल में विकास हुआ) हुआ।
9. औपनिवेशिक दृष्टिकोण का विकास यद्यपि बाद के दिनों में हुआ। यह भी एक धीमा विकास था।
10. धन के निर्गमन की प्रक्रिया वस्तुतः भौतिक हस्तान्तरण का रूप थी।
11. दास व्यापार जो अटलांटिक पारीय था। (बाद के चरणों में हुआ।) मुख्यतः अफ्रीकी क्षेत्रों से यूरोप व अमेरिका क्षेत्र में दासों का स्थानान्तरण मख्य व्यापार था। जिसे विश्व इतिहास में जिंदा मालों का व्याप दी गई।
साम्राज्यवाद के प्रथम चरण का पतन
1. 18वीं शताब्दी का अन्तिम चरण और 19वीं शताब्दी के प्रारम्भिक दशक में साम्राज्यवाद के प्रथम चरण शुरू हुआ जिसमें साम्राज्यों के पतन की प्रक्रिया प्रारंभ हुई।
2. सर्वप्रथम अमेरिका क्षेत्र की स्वतंत्रता शुरु हुई तत्पश्चात् लैटिन अमेरिका क्षेत्र की स्वतंत्रता।
3. इस काल में पुर्तगाल, स्पेन और कुछ सीमाओं तक ब्रिटेन के साम्राज्यों का पतन हुआ।
प्रश्न: ‘‘साम्राज्यवाद का दूसरा चरण प्रथम चरण की तुलना में तीव्र और विस्तृत था‘‘। इसके कारणों एवं विस्तार को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: 1870 तक इटली व जर्मनी का एकीकरण होने तथा समस्त यूरोप में औद्योगिक क्रांति होने से 1875-76 के बाद लगभग समस्त यूरोपीय देशों में उपनिवेश स्थापित करने की गतिविधि बढ़ी जो पहले से कही अधिक तीव्र थी। इस दौड़ में न केवल बड़ी शक्तियाँ ही अपितु U.S.A., रूस, जापान एवं अन्य छोटी-छोटी शक्तियाँ भी शामिल हुई जिन्होंने कुछ ही समय में समस्त विश्व को अपने अधीन कर लिया। इस चरण को नव-साम्राज्यवाद कहा गया।
नव साम्राज्यवाद इसलिए शुरू हुआ कि सभी प्रतियोगी थे। औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप सभी देशों में कारखाने लग रहे थे। हर देश को कच्चे माल की जरूरत है जो सिर्फ बाहर से ही आ सकता है। सभी यूरोपीय देशों को बाजार की जरूरत है, जहां पर स्वयं का नियंत्रण हो, वहां पर स्वयं ही माल बेच सकें या कच्चा माल मंगा सके। युरोप में पंजी इकट्ठी हो जाती है। मजदूर महंगे, सामान (उत्पादित) को वहां ले जाओं इतनी परेशानी की बजाय उस कम्पनी को वहीं उपनिवेश स्थापित करने चाहिए। यूरोपीय पूँजी का अब कोलोनियों में निवेश होने लगता है। परिवहन व संचार के साधन विकसित हो गये जिससे कच्चा व उत्पादित माल दूर-दराज के क्षेत्रों से आदान-प्रदान होने में सुगमता हो गई। कम्पनी स्थापित करो, सामान वही बेचो, लाभ कमाओं और चले आओ। अतः नव साम्राज्यवाद को औद्योगिक क्रांति व उससे उत्पन्न शक्तियों ने तीव्रता प्रदान की।
1. इन्हीं परिस्थितियों में 1870 के दशक में साम्राज्यवाद को पुनः बल मिला।
2. बुर्जुआ आकांक्षाएं तीव्रतर हो गई।
3. आर्थिक उदारवाद।
4. मुक्त व्यापार के दृष्टिकोण का विकास हुआ जिससे व्यापारिक कम्पनियां समुद्रपारीय जाने लगी।
5. राष्ट्रीयता व उग्रराष्ट्रीयता का विकास।
6. ईसाई धर्म-प्रचारकों की भूमिका – धर्म के प्रचार-प्रसार का दृष्टिकोण साथ ही साम्राज्य स्थापना का दृष्टिकोण।
7. जिन क्षेत्रों में साम्राज्यवादी शासन की स्थापना हुई उन क्षेत्रों की परिस्थितियां इसके लिए अनूकुल थी।
ंण् इन क्षेत्रों की राजनीतिक व्यवस्था के स्वरूप में राष्ट्रीय राज्यों का अनुपस्थित होना था। (जैसे भारत में मुगल अवस्था अपने पतन की स्थिति में थी)
इण् तकनीक व औद्योगिक पिछड़ापन, उत्पादन के साधनों का पिछड़ा स्वरूप।
बण् सैनिक शक्ति का कमजोर स्वरूप जो कि प्रौद्योगिकी के कमजोर स्वरूप के कारण था।
8. महाद्वीप- पारीय लेकिन अपेक्षाकृत और अधिक विस्तृत था।
साम्राज्य का तीव्र व अपेक्षाकृत कम समयकाल में बृहद क्षेत्रों में विकास। औपनिवेशिक दृष्टि का प्रबल होना। (साम्राज्यवाद का आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक जीवन से जुड़ना व उस पर प्रभाव)। नवीन दृष्टिकोण साम्राज्यवाद व उपनिवेशवाट ही वैधता की स्थापना के नवीन दृष्टिकोण। औपनिवेशिक दृष्टिकोण का महत्वपूर्ण तत्व भौतिक स्थानान्तरण, संसाधनों का स्थानान्तरण व निर्गमन था। नवीन साम्राज्यवाद से बृहद क्षेत्र प्रभावित हुए। तुर्की क्षेत्र मे मुख्यतः रूस व इंग्लैण्ड का साम्राज्यवादी दृष्टिकोण। ईरान क्षेत्र मे मुख्यतः रूस व इंग्लैण्ड का साम्राज्यवादी दृष्टिकोण। अफगानिस्तान में इंग्लैण्ड का साम्राज्वादी दृष्टिकोण। चीन (तरबूज का बंटवारा) में इंग्लैण्ड, फ्रांस, जापान, यस ए., जर्मनी का प्रभाव। अफ्रीका क्षेत्र में विभिन्न साम्राज्वादी शक्तियों का प्रभाव एक अर्थ में अफ्रीका का बंटवारा। आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड में ब्रिटेन का प्रभुत्व। भारत पर इंग्लैण्ड का साम्राज्यवादी व औपनिवेशिक शासन। वियतनाम पर फ्रांसीसी प्रभाव, इण्डोनेशिया पर डच प्रभाव तथा फिलीपींस पर अमेरिकी प्रभुत्व आदि के संदर्भ में समझा जा सकता है। नवीन साम्राज्यवादर का मातृ-देश और उपनिवेशों दोनों पर व्यापाक प्रभाव। ऐसा प्रभाव आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक सांस्कृतिक क्षेत्रों में था। उपनिवेशों पर प्रभाव के दोनों पक्ष थे। नकारात्मक व सकारात्मक

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

18 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

18 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now