JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Biology

प्रतिरक्षा परिभाषा क्या है , immunity in hindi के प्रकार अर्जित सक्रिय निष्क्रिय प्रतिरक्षा टीकाकरण

immunity definition types in hindi प्रतिरक्षा परिभाषा क्या है , immunity के प्रकार अर्जित सक्रिय निष्क्रिय प्रतिरक्षा टीकाकरण , प्रतिरक्षा विज्ञान किसे कहते है जनक ? तंत्र अर्थ क्या होता है ? उपार्जित प्रतिरक्षा बूस्टर खाद्य पदार्थ कौन कौन से खाने चाहिए |

प्रतिरक्षा (immunity) – हमारे शरीर में रोगजनकों से लडने की शक्ति होती  है। जिसे प्रतिरक्षा कहते है। यह हमें प्रतिरक्षा तंत्र के  द्वारा प्राप्त होती है।

 प्रतिरक्षा के प्रकार:-

1- सहज प्रतिरक्षा/प्राकृतिक आनुवाँशिक या जन्मजाति प्रतिरक्षा;प्ददंजम पउउनदपजलद्ध रू- प्रत्येक व्यक्ति में जन्म से ही पायी जानी वाली प्रतिरक्षा को सहज प्रतिरक्षा कहते है। ये विभिन्न प्रकार के अवरोध (वैरियर) उत्पन्न करके हमारे शरीर की रोगाणुओं से रक्षा करते है। सहज प्रतिरक्षा चार प्रकार की होती है।

1 शारीरिक रोध:- ये रोगाणुओं के शरीर में प्रवेश को रोकते है।

उदाहरण- त्वचा एवं जनन तथा पाचन तंत्र को आस्तरित करने वाली श्लेष्मा

2 कार्यकीय अवरोध:- ये शरीर में रोगाणुओं की वृद्धि को रोकते है ।

उदाहरण- मुंह में लार, आँख में आँसू, आमाश्य मंे अम्ल आदि।

3 कोशिकीय अवरोध:- ये रोगाणुओं का भक्षण करके उन्हें नष्ट कर देती हैं।

उदाहरणः WBC- जैसे-लिम्फीसाइट

1 साइसोकाइन अवरोध:-

शरीर में वायरस का संक्रमण होने पर विशेषप्रकारके प्रतिरक्षी बनते है जिन्हे इन्टरफेरान कहते है जो भविष्य में विषाणु के संक्रमण एवं अन्य को शिकाओं को विषाणु संक्रमण से बचाते है।

2  अर्जित प्रतिरक्षा (acquired immunity)-

जब हमारा शरीर प्रथम बार रोगजनकों का सामना करता है तो कम शक्ति की अनुक्रियाहोती है जिसे प्रथम अनुक्रिया कहते है। जब रोग जनकों से दूसरी बार सामना होता है तो उच्च तीव्रता की अनुक्रिया होती है जिसे द्वितीय अनुक्रिया कहते है। प्रथम अनुक्रिया एवं द्वितीयक अनुक्रिया को सम्मिलित रूप से अर्जित प्रतिरक्षा कहते है। स्मृति उसका एक अभिलक्षण है यह प्रथम मुठभेड की स्मृति पर आधारित होती है तथा रोगजनक विशिष्ट होती है।

प्रथम अनुक्रिया $  द्वितीयक अनुक्रिया अर्जित प्रतिरक्षा

निम्न तीव्रता उच्च तीव्रता प्रथम मुठभेड की स्मृति पर आधारित

अर्जित प्रतिरक्षा के कारक:-

अर्जित प्रतिरक्षा के दो कारक:-

1 B-कोशिका:- ये रोग जनकों का सामना करने वाले विशेष प्रकार के प्रोटीन की सेवा तैयार करते है जिन्हें प्रति रक्षी कहते है।

2 T-cells:- ये प्रतिरक्षी निर्माण नहीं करती है किन्तु प्रतिरक्षा बनाने में ठ. कोशिकाओं की मदद करती है। ठ. कोशिका और ज्. कोशिका लिम्फोसाइट होती है।

3 प्रतिरक्षी अणु की सरंचना एवं प्रकार:-

चित्र

प्रतिरक्षी अणु पोलीपेप्टाइड का बना होता है जिसमें दो दीर्घ श्रृंखला एवं दो लघु श्रृंखला होती है जो आपस में डाइसल्फाइड बंधके द्वारा जुडी होती है इन्हें H2L2 भी कहते है।

प्रकार- मुख्य पाँच प्रकार के होते है।

1.IgD

2 IgA

3 IgM

4 IgE

5 IgG

4 अर्जित प्रतिरक्षा के प्रकार-

1- तरल मध्यित अर्जित प्रतिरक्षा HIR -यह B- कोशिकाओं द्वारा प्रदान की जाती है। तथा इसकी स्मृति कम होती है अतः यह प्रतिरक्षा कम अवधि की होती है इसके प्रतिरक्षी रक्त में पाए जाते है।

2- कोशिका माध्यित अर्जित प्रतिरक्षा-

यह ज् कोशिकाओं कें द्वारा प्रदान की जाती है। इसकी अवधि अधिक होती है हय अंग प्रत्यारोपण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

 सक्रिय निष्क्रिय प्रतिरक्षा:-

जब रोगजनकों से सामना करने हेतु मृत या कमजोर रोगाणु या प्रोटीन प्रवेश करवाई जाती है तो शरीर में बने वाले प्रतिरक्षा सक्रिय प्रतिरक्षी कहलाते है।

जब शरीर में टीकों के द्वारा बने बनाये प्रतिरक्षी प्रवेश करवाये जाते है तो उन्हें निष्क्रिय प्रतिरक्षा कहते है।

उदाहरण:- साँप के काटने पर लगाया जाने वाला इंजेक्शन, टिटनेस का टीका।

 प्रतिरक्षी टीकाकरण:-

इंजेक्शनके द्वारा शरीर के द्वारा शरीर में प्रतिरक्षी प्रवेश करवाने की क्रिया को टीकारकण कहते है इसके द्वारा अर्जित प्रतिरक्षा प्रापत होती है। हमारा प्रतिरक्षी तंत्र रोगजनकों से हमारी सुरक्षा करता है।

 स्व-प्रतिरक्षा:- 

उच्च कशेरूकी जीवों में अर्जित प्रतिरक्षा तंत्र स्व पर में भेद करने मे ंसमक्षम हाता है। ये विजातीय तत्वों को प्रतिरक्षी के द्वारा नष्ट कर देते है किन्तु कभी-2 आनुवांशिक एवं अज्ञात कारणों से प्रतिरक्षी कोशिकाओं स्वयं की कोशिकाों को नष्ट कर देती है इसे स्व-प्रतिरक्षा कहते है तथा इस प्रकार होने वाले रोगों को स्व-प्रतिरक्षा की रोग कहते है।

उदाहरण:- आमावती संधिशोध र्यूमेटाइड आर्याइटिस।

 अंग प्रत्यारोपण में प्रतिरक्षी तंत्र की भूमिका/महत्व:-

नेत्र, वृक्क, यकृत, हृदय आदि अंगों के खराब होने पर अंग प्रत्यारोपण की एकमात्र उपाय है प्रतिरक्षी तंत्र स्व एवं पर में भेद करने मे ंसक्षम होता है। अंग प्रत्यारोपण में दाता एवं ग्राही की जिनीय संरचना एवं उतरक एवं रक्त समूह समान होने चाहिए। उतक मिलान एवं रक्त मिलानके बावजूद प्रतिरक्षा तंत्र सक्रिय हो जाता है एवं प्रत्यारोपित अंग का विरोध करता है अत प्रतिरक्षी संदमक का प्रयोग किया जाता है। इसके कारण प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है। एवं रोगाणु आसानी से शरीर में प्रवेश कर जाते है।

प्रतिरक्षा विज्ञान

प्रतिरक्षा प्रणाली के अध्ययन को प्रतिरक्षा विज्ञान (इम्म्यूनोलॉजी) का नाम दिया गया है। इसके अध्ययन में प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी सभी बड़े-छोटे कारणों की जांच की जाती है। इसमें प्रणाली पर आधारित स्वास्थ्य के लाभदायक और हानिकारक कारणों का ज्ञान किया जाता है। प्रतिरक्षा प्रणाली के कई प्रतिरोधक (बैरियर) जीवों को बीमारियों से बचाते हैं, इनमें यांत्रिक, रसायन और जैव प्रतिरोधक होते हैं।

प्रतिरक्षा प्रणाली किसी जीव के भीतर होने वाली उन जैविक प्रक्रियाओं का एक संग्रह है, जो रोगजनकों और अर्बुद कोशिकाओं को पहले पहचान और फिर मार कर उस जीव की रोगों से रक्षा करती है। यह विषाणुओं से लेकर परजीवी कृमियों जैसे विभिन्न प्रकार के एजेंट की पहचान करने में सक्षम होती है, साथ ही यह इन एजेंटों को जीव की स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों से अलग पहचान सकती है, ताकि यह उन के विरुद्ध प्रतिक्रिया ना करे और पूरी प्रणाली सुचारु रूप से कार्य करे।

एंटीजनः सक्रिय प्रतिरक्षा उत्पन्न करने के लिये रोगों के जीवाणुओं को शरीर में प्रविष्ट किया जाता है। किसी एक रोग के जीवाणुओं द्वारा केवल उसी रोग के विरुद्ध प्रतिरक्षा उत्पन्न होती है। जिन वस्तुओं को प्रविष्ट किया जाता है, वे प्रतिजन कहलाती हैं और उनसे रक्त में प्रतिपिंड बनते हैं। सक्रिय प्रतिरक्षा को उत्पन्न करने के लिये जीवाणुओं के जिस विलयन को शरीर में प्रविष्ट किया जाता है उसको साधारणतया वैक्सीन कहते हैं। इस प्रकार की प्रतिरक्षा चिरस्थायी भी होती है।

एंटीबॉडीःशरीर में एंटीजन्स अणुओं के प्रकटन के प्रतिक्रिया स्वरूप ऊत्तकों द्वारा प्रोटीन अणुओं का संश्लेषण होता है, जो विशेषतया एंटीजन से संयुक्त हो जाते है अथवा उस पर अभिक्रिया करते हैं द्य शरीर में संश्लेषित इस दूसरे प्रकार के प्रोटीन को एंटीबॉडी कहते है। एंटीबॉडी श्वेत रक्त कणिकाओं में संश्लेषित गामा ग्लोब्यूलिन प्रोटीन के रूपांतरण के फलस्वरूप संश्लेषित होता है।

एंटीजन-एंटीबॉडी अभिक्रियाः जब कोई बाहरी एंटीजन शरीर में प्रवेश करता है, तो यह प्रतिरक्षा अभिक्रिया को प्रारंभ कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप एंटीबॉडी मुक्त होते हैं जो विशेष एंटीजन से संयुक्त हो जाते हैं।

औषधियां

औषधियां रोगों के इलाज में काम आती हैं। प्रारंभ में औषधियां पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं से प्राप्त की जाती थीं, लेकिन नए-नए तत्वों की खोज हुई तथा उनसे नई-नई औषधियां कृत्रिम विधि से तैयार की जाने लगी है।

औषधियों के प्रकार

* अंतःस्रावी औषधियांः ये औषधियां मानव शरीर में प्राकृतिक हार्मोनों के कम या ज्यादा उत्पादन को संतुलित करती हैं। उदाहरण-इंसुलिन का प्रयोग डायबिटीज के इलाज के लिए किया जाता है।

* एंटीइंफेक्टिव औषधियांः एंटी-इंफेक्टिव औषधियों को एंटी-बैक्टीरियल, एंटी वायरल अथवा एंटीफंगल भी कहा जाता है। इनका वर्गीकरण रोगजनक सूक्ष्मजीवियों के प्रकार पर निर्भर करता है। ये औषधियां सूक्ष्मजीवियों की कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप करके उन्हें समाप्त कर देती हैं।

* एंटीबायोटिक्सः एंटीबायोटिक्स औषधियां अत्यन्त छोटे सूक्ष्मजीवियों, मोल्ड्स, फन्जाई (निदहप) आदि से बनाई जाती हैं। पेनिसिलीन, ट्रेटासाइक्लिन, सेफोलोस्प्रिन्स, स्ट्रेप्टोमाइसिन, जेन्टामाइसिन आदि प्रमुख एंटीबायोटिक औषधियां हैं।

* एंटी-वायरल औषधियांः ये औषधियां मेहमान कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश को रोककर उसके जीवन चक्र को प्रभावित करती हैं। ये औषधियां अधिकांशतः रोगों को दबाती ही हैं।

* वैक्सीनः वैक्सीन का प्रयोग कनफोड़ा, छोटी माता, पोलियो और इंफ्लूएंजा जैसे रोगों में, एंटी-वायरल औषधि के रूप में किया जाता है। वैक्सीनों का निर्माण जीवित अथवा मृत वायरसों से किया जाता है। वैक्सीन से मानव शरीर में एंडीबॉडीज का निर्माण होता है। ये एंटीबॉडीज शरीर को समान प्रकार के वायरस के संक्रमण से बचाती हैं।

* एंटी-फंगल औषधियाःं एंटी फंगल औषधियां कोशिका भित्ति में फेरबदल करके फंगल कोशिकाओं को चुनकर नष्ट कर देती हैं। कोशिका के जीव पदार्थ का स्राव हो जाता है और वह मृत हो जाती है।

* कार्डियोवैस्कुलर औषधियांः ये औषधियां हृदय और रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करती हैं। इनका वर्गीकरण उनकी क्रिया के आधार पर किया जाता है। एंटीहाइपरटेन्सिव औषधियां रक्त वाहिकाओं को फैला कर रक्तचाप पैदा कर देती हैं। इस तरह से संवहन प्रणाली में हृदय से पंप करके भेजे गए रक्त की मात्रा कम हो जाती है।

* एंटीअरिमिक औषधियांः हृदय स्पंदनों को नियमित करके हृदयाघात से मानव शरीर को बचाती हैं।

रक्त को प्रभावित करने वाली औषधियां

* एंटी-एनीमिक औषधियों में कुछ विटामिन अथवा आयरन शामिल होते हैं जो लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण को बढ़ावा देते हैं।

* एंटीकोएगुलेंट औषधियां रक्त जमने की प्रक्रिया को घटाकर रक्त संचरण को सुचारू करती हैं।

* थ्रॉम्बोलिटिक औषधियां रक्त के थक्कों को घोल देती हैं जिनसे रक्त वाहिकाओं के जाम होने का खतरा होता है। रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज की वजह से हृदय व मस्तिष्क को रक्त व ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पाती है।

केंद्रीय स्नायु तंत्र की औषधियां

ये वे औषधियां हैं जो मेरूदण्ड और मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं। इनका प्रयोग तंत्रिकीय और मानसिक रोगों के इलाज में किया जाता है। उदाहरण के लिए एंटी-एपीलेप्टिक औषधियां मिर्गी के दौरों को समाप्त कर देती हैं। एंटी-साइकोटिक औषधियां सीजोफ्रेनिया जैसे मानसिक रोगों के इलाज में काम आती हैं। एंटी-डिप्रेसेंट औषधियां मानसिक अवसाद की स्थिति को समाप्त करती हैं।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

14 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

14 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now