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आई एम एफ क्या है | अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की परिभाषा किसे कहते है , कार्य , उद्देश्य imf full form in hindi
imf full form in hindi आई एम एफ क्या है | अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की परिभाषा किसे कहते है , कार्य , उद्देश्य international monetary fund definition in hindi ?
आई एम एफ : संरचना व कार्य
अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग के जरिये आई एम एफ व्यापार के विस्तार को बढ़ावा देता है ताकि रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो सके तथा आर्थिक स्थिति बेहतर बन सके। इसके सदस्य देशों की संख्या 153 है। कुल विश्व व्यापार में इनका हिस्सा 80प्रतिशत है। विश्व बैंक की सदस्यता हासिल करने के लिए आई एम एफ का सदस्य होना अनिवार्य है। ये दोनों संगठन आपस में गहरे जुड़े होते हैं। आई एम एफ एवं गैट की बीच भी निकट का संबंध होता है । संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था के तहत आई एम एफ एक विशेषज्ञ एजेंसी है।
कार्य
आई एम एफ के महत्त्वपूर्ण कार्य निम्नांकित हैंः
1) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के विस्तार एवं उसके संतुलित विकास को सरल बनाना और हम प्रक्रिया में रोजगार और धाय के उच्चस्तर को कायम रखना तथा उनका संवर्द्धन करना ।
2) विनियम स्थायित्व का संवर्द्धन करना, सदस्य देशों के बीच नियमित विनियम व्यवस्था कायम करना और स्पर्धी विनियम अवमूल्यन को दूर करना ।
3) विदेशी विनियम प्रतिबंधों को खत्म करना क्योंकि इससे विश्व व्यापार का विकास बाधित होता है। आई एम एफ अपने सदस्यों को भुगतान संतुलन ठीक करने के लिए कर्ज भी मुहैया कराता है। ऐसा करते समय वह उन हथकंडों का इस्तेमाल नहीं करता जिनसे राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय समृद्धि पर बुरा असर पड़ता हो। इस तरह स्पष्ट है कि आई एम एफ के तीन मुख्य कार्य हैं।
आई एम एफ के पास विशाल वित्तीय संसाधन होता है जो वह अपने सदस्य देशों को भुगताने घाटे से निपटने के लिए मुहैया कराता है। ये ऋण अस्थायी तौर पर और खास शर्तों पर दिए जाते हैं ताकि संबद्ध देश भुगतान घाटा कम करने के उपायों को अंजाम दे सके। मुद्रा कोष के इस्तेमाल के शिवाय सदस्य देश अपनी नीतियों का जिस तरह सामंजस्य करते हैं उससे उनकी समर्थन ऋण देयता बढ़ती है। यानी दूसरे स्रोतों एवं निजी वित्तीय बाजार से कर्ज लेना उनके लिए आसान हो जाता है । चूँकि कोष अपना ध्यान किन्हीं खास देशों की निजी समस्याओं पर ही नहीं केन्द्रित करता है, अपितु अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्था की संरचना पर भी करता है, अतएव आई एम एफ राष्ट्रीय आर्थिक नीतियों का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समन्वयन करने का काम भी करता है। कभी-कभी आई एम एफ के इन दुहरे सरोकारों में टक्कर भी हो जाती है और इससे दुनिया के गरीब मुल्कों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है।
संरचना
आई एम एफ अपने कार्यों का निष्पादन बोर्ड ऑव गवर्नर्स अधिशासी बोर्ड, प्रबंध निदेशक एवं सहायक कर्मचारियों के जरिये करता है। बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में प्रत्येक सदस्य देश का प्रतिनिधि गवर्नर के रूप में शामिल होता है। यह कोष का सर्वाधिक शक्तिशाली सत्ता केन्द्र है और साथ में एक बार इसकी बैठक होती है। सदस्य देश के मतदान की ताकत उसके द्वारा कोश के वित्तीय संसाधन में किए गए अंशदान पर निर्भर करता है और यह अंशदान इस बात पर निर्भर करता है कि विश्व अर्थव्यवस्था की तुलना में उस देश की अर्थव्यवस्था का कितना बड़ा हिस्सा है। बोर्ड ऑफ गवर्नर्स अपने अधिकांश अधिकार अधिशासी बोर्ड को सुपुर्द कर देता जो शेष के कार्य व्यापार से संचालन के लिए जिम्मेवार होता है। प्रबंध निदेशक अधिशासी बोर्ड की अध्यक्षता करता है ।
संसाधन
आई एम एफ संसाधन के मुख्य स्रोत दो हैं-सदस्यों से प्राप्त चंदे और कर्ज । प्रत्येक देश को अपने निर्धारित कोटे के अनुरूप कोष में अंशदान करना होता है। प्रत्येक सदस्य के लिए कोटा निर्धारित है और यह स्पेशल ड्राविंग राइट्स (एस डी आर) के रूप में व्यक्त होता है। कोटे के आधार पर सदस्यों के वोटिंग पावर, कोष के संसाधनों में उनके अंशदान, इन संसाधनों को निर्धारित करने के उनके अधिकार और एस डी आर के आबंटन में उनके हिस्से तय किए जाते हैं। किसी सदस्य का कोटा कोष की कुल सदस्यता की तुलना में उसके आर्थिक आकार को अभिव्यक्त करता है । आई एम एफ को यह अधिकार है कि वह अपने संसाधनों को पूरा करने के लिए कर्ज ले सकता है ताकि अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्था की शक्ति पर आये किसी खतरे को टाला जा सके। 11 अतिविकसित औद्योगिक देशों ने संकल्प लिया है कि जरूरत पड़ने पर वे कोश को कर्ज देंगे।
अनेक नीतियों व सुविधाओं के तहत, राज्य अपने भुगतान संतुलन की जरूरतों को पूरा करने के लिए आई एम एफ से कर्ज ले सकते हैं। जो देश कोष से कर्ज लेते हैं उन्हें इस तरह के नीतिगत आर्थिक कार्यक्रम चलाना होता है जिससे उचित कालवधि में उनके भुगतान संतलन की स्थिति ठीक हो जाये । यह व्यवस्था प्रतिबंध के रूप में जानी जाती है और यह उस सिद्धान्त की अभिव्यक्ति है जो कहता है कि वित्तीय निवेश व उसका संजन साथ-साथ किया जाना चाहिए । आई एम एफ के प्रतिबंध और उसके समंजक कार्यरूप को लेकर विकासशील देशों में तीखी बहस चल रही है। इन प्रतिबंधों और संरचनात्मक समन्वयन कार्यक्रमों/नीतियों को विकासशील देशों के ऊपर थोप दिया गया है जिनकी वजह से उन्हें सब्सिडी खत्म करने, मुद्रा का अवमूल्यन करने तथा अर्थव्यवस्था का निजीकरण करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। इन नीतियोंध्कार्यक्रमों की वजह से बेरोजगारी में इजाफा हुआ है तथा समाज के गरीब तबको पर बुरा असर हुआ है। उदारीकरण की आर्थिक नीतियों व सब्सिडी समाप्ति को लेकर जो बहस आज भारत में चल रही है, वह आई एम एफ की विवादास्पद नीतियों का खुलासा करती है।
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