JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Physics

उत्तल दर्पण से प्रतिबिम्ब बनना , उत्तल दर्पण से बनने वाले प्रतिबिंब कैसा बनता है , image formation by convex mirror in hindi

image formation by convex mirror in hindi , उत्तल दर्पण से प्रतिबिम्ब बनना , उत्तल दर्पण से बनने वाले प्रतिबिंब कैसा बनता है :-

उत्तल दर्पण से प्रतिबिम्ब बनना :

(i) यदि वस्तु दर्पण के सामने स्थित हो :- यदि वस्तु उत्तल दर्पण के सामने स्थित हो तब वस्तु AB के B बिन्दु से चलने वाली प्रथम किरण मुख्य अक्ष के समान्तर होती है अत: यह परावर्तन के पश्चात् मुख्य फोकस से आती हुई प्रतीत होती है।

बिंदु B से चलने वाली दूसरी प्रकाश किरण वक्रता केन्द्र से आती हुई प्रतीत होती है तथा प्रथम परावर्तित प्रकाश किरण को बिन्दु B’ पर प्रतिच्छेद करती है जिससे वस्तु AB का प्रतिबिम्ब A’B’ बनता है।

  • प्रतिबिम्ब सीधा बनेगा।
  • प्रतिबिम्ब आभासी होगा।
  • प्रतिबिम्ब वस्तु के आकार से छोटा।

(ii) यदि वस्तु अनन्त पर स्थित हो :- यदि वस्तु AB को अनन्त पर रखा जाता है तब वस्तु AB के B बिंदु से चलने वाली प्रथम प्रकाश किरण परावर्तन के पश्चात् मुख्य फोकस से आती हुई प्रतीत होती है तथा बिंदु B से चलने वाली दूसरी प्रकाश किरण परावर्तन के पश्चात् वक्रता केंद्र से आती हुई प्रतीत होती है तथा प्रथम परावर्तित प्रकाश किरण को बिंदु B’ पर प्रतिच्छेद करती है। इस प्रकार वस्तु AB का प्रतिबिम्ब A’B’ बनता है जो आभासी , सीधा तथा वस्तु से बहुत छोटा बिन्दुवत होता है।

गोलीय दर्पण की फोकस दूरी

△ANC

tanθ = AN/NC

यदि θ बहुत छोटा हो –

tanθ = θ

θ = AN/NC  समीकरण-1

△ANF में –

tan2θ = AN/NF

चूँकि tan2θ = 2θ

2θ = AN/NF = 2 x (AN/NC) = AN/NF

अत:

R = 2f

2/R = 1/f

f = R/2

चित्र में दर्शाए अनुसार उत्तल दर्पण के लिए बिम्ब से आने वाली प्रथम प्रकाश किरण मुख्य अक्ष के समान्तर होती है जिससे यह परावर्तन के पश्चात् मुख्य फोकस से आती हुई प्रतीत होती है। बिम्ब से चलने वाली दूसरी प्रकाश किरण वक्रता केंद्र से गुजरती है अत: यह परावर्तन के पश्चात् उसी पथ पर लौट आती है। परावर्तन नियम से प्रथम आपतित प्रकाश किरण तथा परावर्तित प्रकाश किरण में आपतन कोण व परावर्तित कोण समान होंगे।

अवतल दर्पण की फोकस दूरी

△ANC में

tanθ = AN/NC  समीकरण-1

△AFN में

tan2θ = AN/NF   समीकरण-2

यदि दर्पण का द्वारक बहुत छोटा हो तथा N व P सम्पाती तो θ का मान बहुत छोटा होगा –

tanθ = θ ; tan2θ = 2θ

समीकरण-1 व समीकरण-2 से –

θ = AN/NC  समीकरण-3

2θ = AN/NF  समीकरण-4

चुंकि θ = AN/NC

2(AN/NC) = AN/NF

2/-R = 1/f

2f = R

R/2 = f

दर्पण सूत्र या V , u व f में सम्बन्ध

समकोण △ABC व समकोण △A’B’C से –

∟ACB = ∟A’CB’ (शीर्षाभिमुख)

∟BAC = ∟B’A’C (समकोण)

समकोण △ABC व समकोण △A’B’C एक दूसरे के समरूप त्रिभुज है।

AB/A’B’ = AC/A’C समीकरण-1

समकोण △MNF व समकोण △A’B’F से –

∟A’FB’ = ∟MFN  (शीर्षाभिमुख)

∟FA’B’ = ∟MNF (समकोण)

समकोण △MNF व समकोण △A’B’F एक दुसरे के समरूप त्रिभुज है।

MN/A’B’ = NF/A’F  समीकरण-2

AB/A’B’ = NF/A’F  समीकरण-3

चूँकि MN = AB

समीकरण-1 व समीकरण-3 की तुलना करने पर –

AC/A’C = NF/A’F  समीकरण-4

AC = AP – CF

A’C = CP – A’P

A’F = A’P – FP

यदि द्वारक छोटा हो तो बिंदु N , बिंदु P पर सम्पाती होगा।

NF = FP

(AP-CP)/(CP-A’P) = FB/(A’P – FP)

[(-u) – (-2f)]/[(-2f ) – (-v) = -f/[(-v) – (f)]

हल करने पर –

uv = 4f + vf

दोनों तरफ uvf का भाग करने पर –

uv.uvf = uf/uvf + vf/uvf

1/f = 1/v + 1/u

उत्तल दर्पण के मुख्य अक्ष पर दर्पण के सामने बिंदु AB को रखा गया है। बिम्ब के बिंदु B से चलने वाली प्रथम प्रकाश किरण मुख्य अक्ष के समान्तर होती है तथा परावर्तन के पश्चात् यह मुख्य फोकस से आती प्रतीत होती है तथा बिंदु B से चलने वाली दूसरी प्रकाश किरण वक्रता केंद्र मे से गुजरती है तथा यह प्रकाश किरण परावर्तन के पश्चात् वक्रता केन्द्र से आती प्रतीत होती है तथा प्रथम परावर्तित प्रकाश किरण को बिंदु B’ पर प्रतिच्छेद करती है , इस प्रकार प्रतिबिम्ब A’B’ की रचना होती है।

△ABC व △A’B’C से –

AB/A’B’ = AC/A’C

AB/A’B’ = (AP-PC)/(PC – PA’)

AB/A’B’ = (-u + R)/(R-v)

AB/A’B’ = (-u + 2f)/(2f – v) समीकरण-1

△A’B’F तथा ENF से –

EN/A’B’ = NF/A’F

AB/AB’ = f/fv  समीकरण-2

समीकरण-1 व 4 से –

-uf + uv + 2f2 = 2fv

f2 = fv

uv = fv + uf

uv = f(v + u)

1/f = (v + u)/(uv + uv)

1/f = 1/u + 1/v

आवर्धन (m)

किसी दर्पण की आवर्धन क्षमता प्रतिबिम्ब की ऊँचाई व बिम्ब की ऊँचाई के अनुपात के बराबर होती है अर्थात दर्पण से बने प्रतिबिम्ब की ऊँचाई तथा बिम्ब की ऊंचाई के अनुपात को ही दर्पण की आवर्धन क्षमता कहलाती है।
दर्पण का आवर्धन (m) = प्रतिबिम्ब की ऊँचाई (A’B’)/ बिम्ब की ऊंचाई (AB)
m = A’B’/AB  समीकरण-1
समकोण △ABP व समकोण △A’PB’ से –
∟APB = ∟A’PB’ (परावर्तन के नियम से)
∟BAP = ∟B’A’P (90 डिग्री के कोण)
अत: समकोण △ABP = समकोण △A’B’P (समरूप है )
इसलिए ,
A’B’/AB = A’P/AP  समीकरण-2
चिन्ह परिपाटी के अनुसार –
AB = +h
A’B’ = -h
A’P = -v
AP = -v
समीकरण-1 व 2 से –
m = A’B’/AB = A’P/AP
m = -h’/+h
m = -v/-u
m = h’/h = -v/u
यहाँ m का धनात्मक चिन्ह आभासी व सीधा प्रतिबिम्ब को प्रदर्शित करता है।
तथा m का ऋणात्मक चिन्ह वास्तविक व उल्टा प्रतिबिम्ब का प्रदर्शित करता है।
यदि m>1 तो प्रतिबिम्ब बड़ा होगा।
यदि m=1 हो तो प्रतिबिम्ब समान होगा।
यदि m<1 हो तो प्रतिबिम्ब छोटा होगा।
Sbistudy

Recent Posts

सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ

कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें  - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…

4 weeks ago

रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?

अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…

4 weeks ago

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

2 months ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

2 months ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

3 months ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now