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आदर्श गैस किसे कहते हैं ? ideal gas definition in hindi आदर्श गैस और वास्तविक गैस में अंतर क्या है

विस्तार से पढ़िए कि आदर्श गैस किसे कहते हैं ? ideal gas definition in hindi आदर्श गैस और वास्तविक गैस में अंतर क्या है गैसों का विभेद कीजिये ?

पदार्थ मुख्य रूप से तीन प्रकार की अवस्थाओं में रहते हैं—ठोस, द्रव व गैस। इनमें से ठोस व द्रव के अण एक-दूसरे के बहुत निकट होते हैं अतः इनका आयतन निश्चित होता है जबकि गैस के अण इतने अधिक दूर-दूर होते हैं कि इनका कोई आयतन निश्चित नहीं होता। समस्त पदार्थों के कण गति में तो रहते हैं लेकिन अन्तराण्विक दूरी कम होने के कारण ठोस व द्रव में ये मुक्त गति नहीं कर पाते, जबकि गैसों में इनके मध्य अधिक दूरी होने के कारण ये मुक्त विचरण करते हैं और जितना स्थान उपलब्ध होता है ये उस सारे स्थान में फैल जाते हैं। गैसों की इन विशेषताओं के कारण ही गैसों की प्रकृति चाहे कुछ भी हो कछ सामान्य नियम इन सब गैसों पर लागू होते हैं। इस तथ्य के आधार पर गैसें दो प्रकार की होती हैं

  • आदर्श गैसें, (ii) वास्तविक गैसें।

आदर्श गैस समीकरण (IDEAL GAS EQUATION)

आदर्श गैसें उन गैसों को कहते हैं जो समस्त ताप व समस्त दाब पर आदर्श गैस समीकरण का पालन करती हैं जबकि वास्तविक गैसें आदर्श गैस समीकरण का पालन केवल निम्न दाब व उच्च ताप पर ही करती हैं। वस्तुतः समस्त गैसें निम्न दाब व उच्च ताप पर आदर्श गैसें होती हैं जबकि उच्च दाब व निम्न ताप पर वास्तविक होजाती हैं। आदर्श गैस समीकरण निम्न गैसीय नियमों के संयोग से बनती है।

बॉयल का नियम (Boyle’s Laws )

सन् 1660 में रॉबर्ट बॉयल ने गैसों के सन्दर्भ में कुछ प्रयोग किए तथा एक नियम दिया, जिसके अनुसार, स्थिर ताप (temperature) पर किसी गैस की निश्चित N संहति का आयतन उसके दाब (pressure) के व्युत्क्रमानुपाती Fuckinversely proportional) होता है, अर्थात् V/T/P

अथवा PV = K या P V = P. V2 …(1)

यहां K एक स्थिरांक (constant) है। यदि दाब (P) तथा आयतन (V) के मध्य किसी 24 6 8 10 12 14 निश्चित ताप पर वक्र खींचा जाए तो हाइपरबोलीय (Hyperbolic) वक्र प्राप्त होता है। ऐसे वक्र को समतापी किसी गैस का समतापी वक्र (isotherm curve) कहते हैं

(2) चार्ल्स गै-लूसाक का नियम (Charle’s Gay-Lussac’s Law) : पहले सन 1787 में जे. चार्ल्स ने और फिर 1800 मेंगळसाक ने गैसों के आयतन का ताप से सीधा सम्बमा बताया। उनके अनुसार, स्थिर दाब पर किसी गैस ही निश्चित संहति का आयतन उसके परम ताप (T) समानुपाती (directly proportional) होता है। (T.. 1+273, जहां C मे और T केल्विन में ताप है। अतः V = T

अथवा V/T = K या V (3) संयक्त गैस समीकरण (Combined Gas Equation) यदि बॉयल तथा चार्ल्स दोनों नियमों को मिला। दिया जाए तो संयुक्त गैस समीकरण प्राप्त होता है। अत : V – 1/p (जब T स्थिर हो-बॉयल का नियम)

V – T/T (जब P स्थिर हो—चार्ल्स गै-लूसाक का नियम)

V/T/P (जब T व P दोनों में से कोई भी स्थिर न हो)

V = KT / P यहां K एक स्थिरांक (constant) है। PV = KT या P V /T = P /V /T यह संयुक्त गैस समीकरण (combined gas equation) कहलाता हो।

(4) ऐवोगैड्रो का नियम (Avogadro’s Law)

सन् 1812 में ऐयोगैडो (Amadeo Avouadro ने गैसों की मात्रा व अणुओं की संख्या में सम्बन्ध बताते हुए अपना एक नियम दिया, जिसके अनुसार, “ताप व दाब की समान परिस्थितियों में समस्त गैसों के समान आयतन में उपस्थित अणुओं की संख्या सदैव समान होती है। किसी गैस के एक मोल में विद्यमान अणुओं की संख्या को ऐवोगैड्रो संख्या (Avogadro’s number) का अथवा

“विभिन्न गैसों के नमूनों में यदि अणुओं की संख्या बराबर है (उनकी आकृति व आकार चाहे कुछ भी हो) तो समान ताप व दाब पर वे समान आयतन को घेरेंगी।” अथवा

“किसी गैस के एक मोल का आयतन उतना ही होगा जितना ताप व दाब की समान परिस्थितियों में किसी भी अन्य गैस के एक मोल का आयतन हो।” मोल (Mole) – किसी गैस के एक मोल से तात्पर्य है उस गैस का एक ग्राम अणु भार, जब अणु भार को ग्रामों में प्रदर्शित किया जाए तो उसे एक ग्राम अणु भार कहते हैं। मोल की आधनिकतम परिभाषा के अनुसार, “एक मोल (mole) किसी पदार्थ की वह मात्रा है जिसमें अणुओं अथवा परमाणुओं की संख्या उतनी है जितनी cl2 के 0.012 किग्रा में कार्बन परमाणओं की है।”

0°C तथा एक वायुमण्डलीय दाब पर समस्त गैसो के 1 ग्राम अणु भार या एक मोल का आयतन सदैव 22.4 लिटर होता है। 0°C ताप व एक वायुमण्डल दाब को ताप व दाब की सामान्य परिस्थिति NTP (Normal Temperature and Pressure) कहा जाता है, अतः एवगिड्रो के नियम को इस प्रकार कहा जा सकता है कि “NTP पर समस्त गैसों के 1 मोल का आयतन 22.4 लिटर होता है।”

 

आधुनिक गणनाओं में NTP का स्थान STP ने लिया है। STP से तात्पर्य है Stand Tamnerature and Pressure’ ‘मानक ताप व दाब | 0 C ताप व 1 वायमण्डल टावर है और STP पर एक पूर्ण आदर्श गैस का आयतन 22.414 dm mor’ होता है। अब इससे भी जनम सिद्धान्त यह है कि STP के स्थान पर SATP (Standard Ambient Temperature and ……. मानक वातावरण ताप व दाब को मानक स्थिति माना जाए। 25°C या 298.15K ताप व 1 बार bar) दाब को SATP मानते हैं। एक ‘बार’ दाब 75 सेमी पारे के तल के बराबर होता है जबकि एक वायुमण्डलीय दाब 76 सेमी पारे के तल के बराबर होता है। वोगैडो का नियम इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि SATP पर किसी गैस के का आयतन 24.789dm’ (लिटर) होता है। सरलता की दृष्टि से इसे 24.8 लिटर मान लिया जाता है। गणितीय रूप में हम कह सकते हैं कि स्थिर ताप व दाब पर V= n, जहां n गैस के मोलों की संख्या है। (5) आदर्श गैस समीकरण (Ideal Gas Equation) ऐवोगैड्रो नियम तथा संयुक्त गैस समीकरण को मिलाने पर निम्न समीकरण प्राप्त होती है V = nT /P

V = RnT/P

PV = nRT अथवा PV = RT (:.n=1) …(5)

उपयुक्त समाकरण का एक आदर्श गैस समीकरण (Ideal gas eauation) अथवा आदर्श गसा का अवस्था समीकरण (Equation of state for ideal gases) कहते है। यहां R को गैस स्थिरांक (Gas constant) कहते हैं और इसका मान समस्त गैसों के लिए समान होता है, लेकिन ताप व दाब तथा आयतन की अलग-अलग इकाइयों के आधार पर भिन्न-भिन्न इकाइयों में R के मान भिन्न-भिन्न होते हैं। R की विमाएं ज्ञात करना (Determination of Dimensions of R) आदर्श गैस समीकरण PV= nRT के अनुसार,

R – PV /nT दाबर X आयतन मोल / बल X ताप बलआयतन बल / क्षेत्रफल X आयतन /मोल x ताप [दाब = क्षेत्रफलमोल x ताप]

बल / (लम्बाई) (लम्बाई) मोल x ताप

बल X लम्बाई / मोल x ताप

कार्य /मोल X ताप [कार्य = बल र लम्बाई] मोल x ताप अतः R= कार्य (या ऊर्जा) प्रति मोल प्रति केल्विन | [.. कार्य की वही विमाएं होती हैं जो ऊर्जा की होती है]

विभिन्न इकाइयों में R का मान (Value of R in Various Units) (i) R का मान लिटर ऐटमॉस्फियर में (The value of R in litre atmosphere)_NIF पर किसा गैस के 1 मोल का आयतन 22.4 लिटर होता है, अत: आदर्श गैस समीकरण (PV = nRT) में P = 1 atm, V = 22.4 L, T = 273.15 K,n = 1 mol/

tag : आदर्श गैस और वास्तविक गैस में अंतर स्पष्ट कीजिए वान्डर वाल्स समीकरण द्वारा वास्तविक गैसों का ?

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