हिंदी माध्यम नोट्स
आई बी आर डी क्या है ? आई बी आर डी उद्देश्य ibrd full form in hindi ibrd in hindi आई.बी.आर.डी कार्य
ibrd full form in hindi ibrd in hindi आई बी आर डी क्या है ? आई बी आर डी उद्देश्य क्या है ? किसे कहते है , कार्य , परिभाषा |
आई बी आर डी उद्देश्य
आई बी आर डी 1945 में स्थापित हुई थी। इससे दो अन्य संस्थाएँ भी जुड़ी हुई हैं। 1956 गठित अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आई एफ सी) तथा 1960 में गठित अंतर्राष्ट्रीय विकास एसोसियेशन (आई टी ए)। बैंक की सदस्यता के लिए आई एम एफ का सदस्य होना अनिवार्य है।
उद्देश्य
आर्टिकल ऑफ एग्रीमेंट में बैंक के उद्देश्यों को स्पष्ट किया गया है। ये हैं:
1) उत्पादन के उद्देश्य से आसान वित्तीय निवेश की सुविधा मुहैया कर सदस्य राज्यों का पुनर्निर्माण व विकास करना, युद्ध से बर्बाद और तहस-नहस कर दी गई अर्थव्यवस्थाओं को फिर से पटरी पर लाना उत्पादन को शांतिकाल की जरूरतों के मताबिक दिशा देना तथा अल्पविकसित देशों की उत्पादन क्षमता को प्रोत्साहित व विकसित करना।
2) गारंटी के जरिये विदेशी निवेश को बढावा देना अथवा निजी निवेशकों द्वारा मुहैया कराए जाने वाले निवेश व कर्ज के लेन-देन में शामिल होकर विदेशी निवेश को बढ़ावा देना और जब निजी वित्त उचित शर्तों पर उपलब्ध न हो तो निजी निवेश को अपने कोष से जो वह अपने नए व अन्य संसाधनों से जुटाता है, वित्त देकर पूरा करना। अलबत्ता, ये निवेश केवल उत्पादक गतिविधियों के लिए ही मुहैया कराए जाते हैं।
3) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के दीर्घकालिक संतुलित विकास को बढावा देना तथा भुगतान संतुलन में स्थायित्व कायम करना । इसके लिए वह सदस्य राज्यों के उत्पादक संसाधनों का अंतर्राष्ट्रीय निवेश का बदोबस्त करता है ताकि दुनिया के जरूरतमंद देशों की उत्पादकता, जीवन स्तर और भ्रम स्थिति को बेहतर बनाया जा सके।
आई बी आर डी के कार्य
आई बी आर ही जिसकी पूँजी का बड़ा हिस्सा सदस्य देशों के अंशदान पर निर्भर करता है, अपनी ऋणदेयता का संचालन मुख्य रूप विश्व पूँजी बाजार से कर्ज लेकर करता है । बैंक के कों पर पाँच साल की माफी अवधि दी जाती है। कर्ज की अदायगी के लिए 20 सालों या उससे कम का समय होता है । यह कर्ज उन विकासशील देशों के लिए उपलब्ध कराया जाता है जो आर्थिक व सामाजिक विकास की दृष्टि से बेहतर स्थिति में होते हैं।
बैंक को प्राप्त अधिकारों का उपभोग “बोर्ड ऑफ गवर्नर्स” द्वारा किया जाता है। इस बोर्ड में प्रत्येक सदस्य राज्य का एक प्रतिनिधि गवर्नर के रूप में शामिल होता है। बैंक के गवर्नर अपने अधिकारों को अधिशासी गवर्नरों को सौंप देते हैं क्योंकि वे ही पूर्णकालिक स्तर पर बैंक के कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं। अधिशासी गवर्नरों की संख्या 21 होती है जिनकी नियुक्ति उन पाँच सदस्यों द्वारा की जाती है जिनका बैंक के कैपिटल सटॉक में सबसे बड़ा हिस्सा होता है । अन्य सदस्य राज्यों के गवर्नर बाकि अधिशासी गवर्नरों का चयन करते हैं।
बैंक अपने कों की पुनः अदायगी का आकलन करता है और इसके लिए वह संबद्ध देश के प्राकृतिक संसाधनों व कर्ज अदायगी के उसके पुराने रिकार्ड का हिसाब किताब करता है। बैंक उन्हीं विशिष्ट परियोजनाओं के लिए कर्ज मुहैया कराता है जो आर्थिक और तकनीकी रूप से कारगर होती है जो बृहतर उद्देश्यों के संदर्भ व प्राथमिक महत्त्व की होती है। सामान्य नीति के तौर पर, यह उन्हीं परियोजनाओं के लिए कर्ज देता है जो सीधे रूप से आर्थिक उत्पादकता से जुड़ी होती है और अमुमन यह सामाजिक हित में जुड़ी परियोजनाओं यथा शिक्षा और आवास के लिए कर्ज नहीं देता। बैंक के कजों का निवेश बहुलांश में बुनियादी क्षेत्रों में हुआ है । ऊर्जा व यातायात के क्षेत्र ऐसे ही क्षेत्र हैं क्योंकि इनका विकास आर्थिक विकास की अनिवार्य शर्त है। बैंक की वित्तीय सहायता से चलने वाली परियोजनाओं में जिन मशीनों एवं वस्तुओं की जरूरत होती है, उनकी खरीददारी सस्ते से सस्ते बाजार दर पर हो सके, यह बैंक की अपेक्षा होती है। और अंत में वह परोक्ष रूप से स्थानीय निजी उद्यम के विकास को प्रोत्साहित करता है।
हाल के दिनों में बैंक ऊर्जा परियोजनाओं के लिए विशेष रूप से कर्ज मुहैया करा रहा है। बैंक द्वारा दिए जा रहे कजों में इस क्षेत्र का हिस्सा सबसे बड़ा है। गैस व तेल उत्पादन के क्षेत्र में भी बैंक की ऋणदेयता बढ़ी है। 8वें दशक में चूंकि तीसरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति बेहतर हो गई थी, अतः बैंक ने ऋण देने के मामले में ढाँचागत समायोजन कार्यक्रम की शुरुआत की। ऐसा कर्ज अल्पविकसित देशों में विशिष्ट नीतिगत परिवर्तन कार्यक्रमों व संस्थागत सुधारों का समर्थन करता है ताकि वे अपने संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल कर सके। 1983 में बैंक ने अपनी द्विवर्षीय विशेष कार्य योजना (सैंप) की शुरुआत की। यह योजना उन देशों के लिए इजाद की गयी थी जिन्हें वैश्विक मंदी के चलते गंभीर आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ रहा था। संबद्ध देश की ऋण अर्हता और विकास को दुरूस्त करने के उद्देश्य से इस योजना में नीतिगत परामर्श के साथ साथ वित्तीय उपायों को भी शामिल किया गया था।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…