मानव जनन कक्षा 12 जीव विज्ञान प्रश्न उत्तर हल नोट्स pdf human reproduction class 12 ncert pdf questions and answers in hindi
human reproduction class 12 ncert pdf questions and answers in hindi मानव जनन कक्षा 12 जीव विज्ञान प्रश्न उत्तर हल नोट्स ?
मानव जनन संबंधित है जब एक मानव शरीर में नये जीवात्मा का आविर्भाव होता है और उसे जन्म दिया जाता है। मानव जनन योनि में बीजाणु और गर्भाशय के मिलने से शुरू होता है और उसके बाद गर्भावस्था के दौरान जन्मांग के विकास के माध्यम से जन्म लेता है।
योनि में बीजाणु एक पुरुषीय जननांग द्वारा निर्मित होता है और गर्भाशय में स्थानांतरित होता है। यहां वह बीजाणु गर्भ को निर्मित करने के लिए एक जीवाणु के साथ मिलता है और गर्भावस्था आरम्भ होती है। इसके बाद गर्भ में बच्चे का विकास होता है जो कि अंडकोष, आंत, ह्रदय, ऊतक और इंद्रियों के विकास के माध्यम से होता है। इसके बाद जन्म देने के लिए आवश्यक शरीरिक प्रक्रिया शुरू होती है और नया मानव जन्म लेता है।
मानव जनन विज्ञान और रोगी विज्ञान के अध्ययन के अधीन है और इसे प्रभावित करने वाले अनेक कारक हो सकते हैं, जैसे कि जीवाणुओं की संख्या और क्षमता, गर्भावस्था में आहार और पर्यावरण की गुणवत्ता, जीवाणु संक्रमण और वायरल इंफेक्शन, और व्यक्तिगत आरोग्य और आंतरजालिक परिवार के कारक।
मानव जनन एक महत्वपूर्ण विषय है जिसका अध्ययन न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह धार्मिक, सामाजिक और नैतिक पहलुओं को भी प्रभावित करता है। मानव जनन के माध्यम से नए जीवों का आविर्भाव होता है और यह मानवीय जीवन के आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
शुक्राणु
शुक्राणु (स्पर्म) पुरुषों में पाया जाने वाला जीवाणु है जो प्रजनन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शुक्राणु पुरुषों के जननांगों में उत्पन्न होते हैं, जो वृषण (यानि अंडकोष) में उत्पन्न होने वाले वीर्य (सेमेन) के भाग होते हैं।
शुक्राणु एक अत्यंत सूक्ष्म जीवाणु होता है जिसका आकार करीब 50 माइक्रोमीटर होता है। यह जीवाणु पुरुषों के योनि में चला जाता है और जब योनि के अंदरीभूत मांसपेशियों के साथ मिलता है, तो यह गर्भाशय में प्रवेश करता है।
शुक्राणु जीवाणु के रूप में विशिष्ट गुणधर्म रखता है, जिनमें उसकी गतिशीलता, दिशा-निर्देशन क्षमता, और उत्तेजना प्रतिक्रिया शामिल हैं। जब शुक्राणु योनि में मिलता है, तो यह एक शुक्राणु के साथ अंडा (अंडाशय से निर्मित गर्भ) को प्रारंभिक रूप से परिवर्तित करता है। इस प्रक्रिया को ऐसा जीवाणु संगम (फर्टिलाइजेशन) कहा जाता है।
शुक्राणु में एक य लिंग क्रोमोजोम वाला जीन्स होता है, जो लड़कों के बनने और विकास को निर्धारित करता है। यदि शुक्राणु अंडे के साथ मिलने के बाद एक य लिंग क्रोमोजोम वाला शुक्राणु अंडे के साथ मिलता है, तो गर्भ में लड़का विकसित होता है। इसके विपरीत, अगर शुक्राणु अंडे के साथ एक एक्स लिंग क्रोमोजोम वाले शुक्राणु के साथ मिलता है, तो गर्भ में लड़की विकसित होती है।
एक्रोसोम
मानव जीवन में एक्रोसोम (Autosome) एक नॉन-सेक्स क्रोमोसोम होता है, जिसमें शुक्राणु के अलावा शरीर के अन्य गुणों के विकास के लिए ज़रूरी जीनेटिक सामग्री होती है। एक्रोसोम बाहरी दिखने वाले शरीरीय विशेषताओं (जैसे रंग, बाल, आकार, ऊंचाई आदि) को निर्धारित करते हैं।
मानव शरीर में 22 पेयर्ड एक्रोसोम होते हैं, जिन्हें नंबर 1 से 22 तक संख्याओं से प्रदर्शित किया जाता है। इन एक्रोसोमों का प्रत्येक पेयर दो बराबर आकार और आकार के एक्रोसोम से मिलकर बनता है।
एक्रोसोमों के संरचना में आपसी अनुक्रमणिका होती है जो उन्हें अद्यतित करती है। इसके अलावा, एक्रोसोमों में हजारों जीनेटिक गोलमज़दूरियाँ (जीन्स) होती हैं जो विभिन्न शारीरिक और मानसिक विशेषताओं को निर्धारित करती हैं। ये जीन्स उन्हीं एक्रोसोमों पर स्थित होते हैं और शरीरीय विकास, रोग संबंधी स्थितियाँ, और विभिन्न विशेषताओं पर प्रभाव डालते हैं।
एक्रोसोमों के बाहर, जीनेटिक सामग्री के दो प्रकार क्रोमोसोम पाए जाते हैं – सेक्स क्रोमोसोम (लिंगानुसारी क्रोमोसोम) और गैर-सेक्स क्रोमोसोम (एक्रोसोम)। सेक्स क्रोमोसोम लिंग की निर्धारित करते हैं, जबकि एक्रोसोम बाकी शारीरीक विशेषताओं को निर्धारित करते हैं।
अगुणणत केन्द्रक
अगुणणता केंद्रक (Centromere) एक क्रोमोसोम का वह संयोजन बिंदु होता है जहाँ क्रोमोसोम के दो भागों को आपस में जोड़ने वाली रेखा या निरंतरता (Kinetochores) बांधी होती है। अगुणणता केंद्रक, जो विशेष जीनेटिक संरचना और प्रोटीनों से मिलकर बना होता है, क्रोमोसोम के स्थानिकी और विभाजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अगुणणता केंद्रक की मुख्य विशेषताएँ निम्नानुसार हैं:
1. अगुणणता केंद्रक, क्रोमोसोम के दो भागों को आपस में जोड़े रखने के लिए मध्यम का कार्य करता है। यह रेखा या निरंतरता व्यापक बांधन तंत्र के द्वारा क्रोमोसोम को विभाजित करने वाले प्रोसेस को प्रभावित करती है।
2. अगुणणता केंद्रक क्रोमोसोम की स्थानिकी को सुनिश्चित करता है और इसके माध्यम से क्रोमोसोम को सही रूप से सभी दौरों में विभाजित करने में मदद मिलती है।
3. अगुणणता केंद्रक, क्रोमोसोम के विभाजन के दौरान सही जीनेटिक सामग्री को सही भागों में वितरित करने में मदद करता है।
4. अगुणणता केंद्रक का स्थान, क्रोमोसोम की शारीरिक विशेषताओं और जीनेटिक सामग्री के निर्धारित होने में महत्वपूर्ण होता है।
अगुणणता केंद्रक की स्थिति और उसके विशेष गुणधर्म क्रोमोसोम की विभिन्न श्रेणियों (मेटासेंट्रिक, सबमेटासेंट्रिक आदि) के आधार पर भिन्न होती है। इसके अलावा, अगुणणता केंद्रक का स्थान और उसका रूप क्रोमोसोम के बांधन के प्रकार के आधार पर भी भिन्न हो सकता है।
ग्रीवा
ग्रीवा (Greva) संस्कृत शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ “गरदन” होता है। ग्रीवा या गरदन मानव शरीर का भाग होता है जो ह्रदय (ह्रदय क्षेत्र), मस्तिष्क (मस्तिष्क क्षेत्र), शिरा (शिरा क्षेत्र), कंधा (कंधे क्षेत्र), और नीचे की ओर नेत्रपट (नेत्रपट क्षेत्र) से सम्बंधित होता है।
ग्रीवा एक महत्वपूर्ण शरीरी भाग है जो मानव शरीर की संरचना, फिरावट, गतिविधियों, और आंतरिक अंगों के साथ जुड़ा होता है। इसका मुख्य कार्य होंसला और स्थैतिक रखरखाव प्रदान करना है। ग्रीवा शरीर की संरचना के साथ संबंधित शिरासन (प्रमुखतः माथे से पेट और पीठ तक के बीच चारों ओर सुंदरता से बनी हुई लकीरें) को भी सुरक्षित रखने में मदद करती है।
ग्रीवा क्षेत्र में अलग-अलग अंगों के साथ जुड़े मांसपेशियाँ, हड्डियाँ, नसें, और संघटित अंगसंयोजन (स्नायुजोड़) मौजूद होते हैं। ग्रीवा क्षेत्र में स्थित होने वाले कुछ महत्वपूर्ण संरचनाएँ हैं, जैसे कि कंधे की हड्डी (क्लेविकल हड्डी), स्कैपुला (कंधे की हड्डी), ह्रदय, शिरा, वेतरब्रांचिअल आर्टरी, तत्कालिक नसें, मांसपेशियाँ, और नसीय संयोजन।
ग्रीवा और इसके अंगसंयोजन मानव शरीर की संरचना और कार्यों के प्रभाव को समझने में महत्वपूर्ण है, और यह शरीर के अन्य अंगों के साथ संघटित रूप से काम करके सही तरीके से संभव होता है।
शुक्राणु के प्रकार
शुक्राणु (Sperm) पुरुषों में उत्पन्न होने वाले जीवाणु होते हैं जो प्रजनन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शुक्राणु कई प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं:
1. योनिज शुक्राणु (Spermatozoa): यह सबसे सामान्य प्रकार का शुक्राणु है जो पुरुष के जनन अंगों में उत्पन्न होता है। यह लंबी टेल (ताला) और एक शिरा होती है जिसके माध्यम से शुक्राणु की गति और चलने की क्षमता होती है।
2. अनुशीक्षित शुक्राणु (Immature Spermatozoa): ये शुक्राणु अपरिपक्व होते हैं और जननांगों में बनते हैं, लेकिन पूरी रूप से विकसित नहीं हो पाते हैं।
3. नुकलेयटेड शुक्राणु (Nucleated Sperm): ये शुक्राणु अपरिपक्व होते हैं और एक या एक से अधिक नुकलियों (यानी अंडाकार शरीर के अंदर शामिल नहीं होने वाले नकली नुकलियों) के साथ पाए जा सकते हैं। इन शुक्राणुओं का सामान्य रूप से गर्भाशय या उत्रस्राव के रास्ते से पारित होना चाहिए और इसे सामान्यतः प्रजनन प्रक्रिया के लिए अवांछित माना जाता है।
4. अबाधित शुक्राणु (Non-Motile Sperm): ये शुक्राणु सामान्य गतिशीलता नहीं रखते हैं और स्थानिक होते हैं। इनमें चालाने की क्षमता नहीं होती है और इसलिए प्रजनन प्रक्रिया में सामरिक नहीं होते हैं।
ये प्रकार विभिन्न विकास और प्रजनन स्थितियों में शुक्राणुओं की विभाजन को दर्शाते हैं। प्रजनन प्रक्रिया के दौरान, योनिज शुक्राणु महिला के अंडाकार शरीर के साथ मिलकर गर्भनिर्माण और गर्भावस्था को संभव करते हैं।
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