हिंदी माध्यम नोट्स
पांडिचेरी का इतिहास क्या है , history of puducherry in hindi , पुदुच्चेरी की हिस्ट्री बताइए
पढों पांडिचेरी का इतिहास क्या है , history of puducherry in hindi , पुदुच्चेरी की हिस्ट्री बताइए ?
पांडिचेरी (वर्तमान में पुदुचेरी) (11.93° उत्तर, 79.78° पूर्व)
वर्तमान समय में पुदुचेरी भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश है। पुदुचेरी का इतिहास रोमन काल तक प्राचीन है। इसकी पुष्टि यहां के पुरातात्विक उत्खनन से प्राप्त रोमन बस्तियों से होती है। पांडिचेरी के अरिकामेडु नामक स्थल से एक प्राचीन बंदरगाह की विद्यमानता के साक्ष्य मिले हैं, जहां से रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार किया जाता था। बाद के समय में, पांडिचेरी पल्लव एवं चोल साम्राज्य का हिस्सा बन गया। यहां के बंदरगाह के संबंध में यद्यपि ज्यादा जानकारी का अभाव है किंतु यहां से चतुर्थ-आठवीं शताब्दी ईस्वी काल के सिक्के की प्राप्ति से इसके एक प्रसिद्ध बंदरगाह नगर होने की पुष्टि हो जाती है।
वर्तमान पुदुचेरी का इतिहास 1674 से प्रारंभ होता है, जब यहां फ्रांसीसियों का आगमन हुआ। फ्रांसीसियों ने अपना एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र बनाया। फ्रैंको मार्टिन वह पहला प्रशासक था, जिसके शासनकाल में पांडिचेरी एक नगर के रूप में विकसित हुआ। 1742 ई. में, जे.एफ. डूप्ले फ्रांसीसी-भारत का गर्वनर बना। डूप्ले का सपना भारत में फ्रांसीसी साम्राज्य स्थापित करने का था। फ्रांसीसियों एवं अंग्रेजों के युद्ध का परिणाम यह हुआ कि 1761 में अंग्रेजों ने पांडिचेरी को नष्ट कर दिया। 1765 में, पांडिचेरी फ्रांसीसियों को पुनः प्राप्त हो गया तथा उन्होंने पांडिचेरी को पुनः बसाया। इसके पश्चात कुछ समय को छोड़कर पांडिचेरी सदैव फ्रांसीसियों के हाथों में रहा तथा वहां शांति बनी रही।
1947 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिलने के उपरांत भारत ने पांडिचेरी को प्राप्त करने के प्रयास प्रारंभ कर दिए। 1962 में यह भारतीय गणतंत्र का हिस्सा बन गया। वर्तमान में करिकाल, माहे एवं यनम के साथ पुदुचेरी भारत का एक प्रमुख संघ-शासित प्रदेश है।
पुलिकट (13.41° उत्तर, 80.31° पूर्व)
पुलिकट तमिलनाडु में चेन्नई के समीप तिरुवल्लूर जिले में स्थित एक नगर है। डचों ने 1610 ई. में यहां एक दुर्ग बनाया तथा लंबे समय तक यह कोरोमंडल तट पर डचों का मुख्य व्यापारिक केंद्र बना रहा। यद्यपि बाद में पुलिकट पर अंग्रेजों ने अधिकार कर लिया, किंतु यह 1825 तक ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य में सम्मिलित नहीं हो सका। पुलिकट का यह नाम यहां स्थित पुलिकट झील के नाम पर पड़ा। यह एक उथला जलाशय है, जिसका विस्तार तट के साथ-साथ 37 मी. लम्बा है।
यहीं समुद्र तट पर श्री हरिकोटा नामक प्रसिद्ध अंतरिक्ष केंद्र स्थित है।
पुणे (18°31‘ उत्तर, 73°51‘ पूर्व)
महाराष्ट्र में स्थित पुणे अथवा पूना को राज्य की सांस्कृतिक राजधानी माना जा सकता है। पुणे के निकट स्थित शिवनेर में ही शिवाजी का जन्म हुआ था। शिवाजी ने जब मुगल सम्राट औरंगजेब के गवर्नर शाइस्ता खान को पुणे के समीप पराजित किया तो पुणे सभी की नजर में आ गया।
आगे चलकर पूना पेशवा की शक्ति का केंद्र बन गया। पेशवा जैसे-बालाजी विश्वनाथ, बाजीराव प्रथम एवं बालाजी बाजीराव पूना से निकटता से संबंधित थे। पेशवाओं ने यहां कई सुंदर मंदिरों, बागों एवं शैक्षणिक संस्थाओं का निर्माण करवाया।
भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के समय बाल गंगाधर तिलक ने पूना में ही सर्वप्रथम ‘स्वदेशी‘ की अवधारणा का प्रतिपादन किया था। तथा शीघ्र ही पूना पश्चिमी भारत में राष्ट्रवादियों की गतिविधियों का सबसे मुख्य केंद्र बन गया।
प्रसिद्ध आगा खां महल पूना में ही है, जहां महात्मा गांधी को बंदी बनाकर रखा गया था तथा यहीं कस्तूरबा गांधी की समाधि है। यहां कई अन्य प्रसिद्ध स्थल भी हैं, जैसे-1867 में डेविड सैसन द्वारा निर्मित यहूदी सिनेगॉग ‘लाल देवल‘, ‘शनिवार वाड़ा‘ पेशवा का एक प्रमुख महल, पाषाण को काटकर बनाया गया ‘पंचेश्वर मंदिर‘। शिवाजी का प्रसिद्ध ‘सिंह गढ़ किला‘ भी पूना के समीप ही स्थित है। पूना के निकट स्थित जेजुरी ‘खांदोबा मंदिर‘ के लिए प्रसिद्ध है।
पुरंदर (18°17‘ उत्तर, 73°59‘ पूर्व)
महाराष्ट्र में स्थित पुरंदर में बीजापुर के सुल्तान के अधीन एक प्रसिद्ध एवं अभेद्य दुर्ग था, जिसे शिवाजी ने 1648 ई. में जीत लिया था। शिवाजी, बीजापुर के सुल्तान के सेनापति शाहजी भोंसले के पुत्र थे। बाद में पुरंदर के किले पर मुगलों ने अधिकार कर लिया तथा यहीं 1665 ई. में शिवाजी एवं मुगल सेनापति जयसिंह के मध्य पुरंदर की संधि संपन्न हुई थी।
पुरी/जगन्नाथपुरी
(19°48‘ उत्तर, 85°49‘ पूर्व)
पुरी या जगन्नाथपुरी हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है, जो उड़ीसा में बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। यहां भगवान जगन्नाथ या पुरुषोत्तम का प्रसिद्ध मंदिर है, जिसका अर्थ है-सम्पूर्ण सृष्टि के स्वामी या सृष्टि के सर्वाेच्च देवता। यह भारत के चार प्रसिद्ध तीर्थ धामों में से एक है, जबकि तीन अन्य धाम हैं-रामेश्वर, द्वारका एवं बद्रीनाथ। यहां आयोजित होने वाले विभिन्न उत्सवों में वार्षिक रथयात्रा महोत्सव सर्वाधिक प्रसिद्ध है। इस महोत्सव में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भाग लेने आते हैं
यहां स्थित विभिन्न मंदिर 12वीं सदी में निर्मित होने प्रारंभ हुए, जब गंग वंश के संस्थापक चोडगंग देव ने इन मंदिरों का निर्माण प्रारंभ करवाया। इन मंदिरों का निर्माण कार्य अनंगभीम देव के समय संपन्न हुआ।
यद्यपि ऐतिहासिक दस्तावेजों से इस तथ्य की पुष्टि होती है कि यहां मंदिर प्राचीन काल से ही विद्यमान थे, परंतु इनका स्वरूप ऐसा नहीं था। इन मंदिरों पर कई अफगानी एवं मुस्लिम आक्रांताओं ने आक्रमण किए तथा कई बार इन्हें नुकसान पहुंचाया। यद्यपि भक्तों की श्रद्धा कम नहीं हुई तथा वे निरंतर यहां पहुंचते रहे।
अद्वैतवाद के प्रतिपादक आदिशंकर ने यहां अपनी एक पीठ भी स्थापित की।
पुष्कलावती (34°09‘ उत्तर, 71°44‘ पूर्व)
वर्तमान समय में चरसद्दा नामक नगर के रूप में जाना जाने वाला प्राचीन पुष्कलावती नगर स्वात एवं काबुल नदियों के संगम पर स्थित था। पुष्कलावती, गांधार की प्रारंभिक राजधानी थी, जो सिंधु नदी के पश्चिम में स्थित थी। चतुर्थ सहस्राब्दी ईसा पूर्व में सिकंदर के भारत आक्रमण के समय हस्ती नामक एक भारतीय राजा यहां शासन कर रहा था। तीस दिनों के प्रतिरोध के उपरांत सिकंदर ने इस नगर पर अधिकार कर लिया तथा ऐसा माना जाता है कि इसे उसने तक्षशिला के शासक को दे दिया था। माउज (75 ईसा पूर्व) के शासनकाल के दौरान यह शकों के अधीन आ गया। इतिहासकार तारानाथ के मतानुसार, पुष्कलावती वैभव की देवी श्लक्ष्मीश् से संबंधित था।
पुष्कर (26.5° उत्तर, 74.55° पूर्व)
राजस्थान में अजमेर शहर से लगभग 11 किमी. दूर स्थित पुष्कर के संबंध में ऐसी मान्यता है कि यह विश्व का एकमात्र ऐसा स्थल है, जहां ब्रह्माजी का मंदिर है। गाथाओं के अनुसार, यह मंदिर उस स्थान पर निर्मित है, जहां भगवान ब्रह्मा ने एक कमल का पुष्प फेंका था। नाग पर्वत पुष्कर को अजमेर से पृथक करता है। यहां एक प्रसिद्ध सरोवर भी है, जो ‘पुष्कर झील‘ के नाम से प्रसिद्ध है। प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालु पुष्कर आकर इस पवित्र सरोवर में स्नान करते हैं। चीनी यात्री फाह्यान ने जब पुष्कर की यात्रा की थी तो उसने भी यहां हजारों श्रद्धालओं की भीड देखी थी।
यहां ब्रह्मा मंदिर के बगल में स्थित पहाड़ी में श्सावित्री मंदिरश् है, जो ब्रह्माजी की पत्नी को समर्पित है। इस मंदिर का समीपवर्ती दृश्य अत्यंत मनोहारी एवं चित्ताकर्षक है। यहां की एक अन्य प्रसिद्ध इमारत ‘मानमहल‘ है, जिसका निर्माण अजमेर के राजा मानसिंह प्रथम ने कराया था। यह महल पुष्कर झील के तट पर स्थित है।
पुष्कर में प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा (अक्टूबर-नवंबर) के अवसर पर एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला विश्व का सबसे बड़ा ऊंट बाजार भी होता है। यहां बड़ी मात्रा में अन्य पशुओं को भी लाया जाता है एवं उनकी खरीद-फरोख्त की जाती है। पशुओं की नीलामी और ऊंट दौड़ यहां के मुख्य आकर्षण है।
क्विलोन/कोल्लम (8.88° उत्तर, 76.60° पूर्व)
क्विलोन अरब सागर के तट पर स्थित एक प्राचीन तटीय नगर है। यह केरल का प्रमुख व्यापारिक केंद्र भी है। यह अष्टामुदी झील के किनारे बसा हुआ है। इस शहर का कई बार नाम परिवर्तन हुआ। इसे देसिंगनाडू, कोल्लम एवं क्विलोन इत्यादि विभिन्न नामों से जाना गया। यह प्राचीन काल (रोम से लेकर फोनीशिया तक) से ही वाणिज्यिक महत्व का एक प्रमुख केंद्र रहा।
इनबतूता ने इसे अपनी भारत यात्रा के दौरान देखे गए पांच प्रमुख बंदरगाहों में से एक बताया है। 14वीं शताब्दी में क्वीलोन के शासकों के चीन के शासकों के साथ कूटनीतिक संबंध थे तथा उन्होंने आपस में राजनयिक प्रतिनिधिमंडलों का आदान-प्रदान भी किया था। इस काल में क्विलोन में एक चीनी बस्ती भी थी, जो अत्यधिक समृद्ध थी। वेनिस के यात्री मार्काेपोलो ने 1275 में इस नगर की यात्रा की थी। वह यहां चीनी उच्चाधिकारी की हैसियत से आया था। 16वीं शताब्दी के प्रारंभ से ही यहां पुर्तगाली, डच एवं अंग्रेज व्यापारी आने लगे थे तथा सभी ने क्विलोन के व्यापारिक महत्व के कारण इस पर प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास किया। 18वीं शताब्दी में ट्रावणकोर एवं अंग्रेजों के मध्य संपन्न हुई एक संधि के अंतर्गत अंग्रेजों ने यहां एक सैन्य छावनी भी स्थापित की।
रायगढ़ (18°39‘ उत्तर, 72°52‘ पूर्व)
रायगढ़ शहर महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित है। इसे दुर्गदेश्वर या किलों के भगवान के नाम से भी जाना जाता है। इसका कारण यह है कि यहां का किला अभेद्य है।
शिवाजी, जो अपने गुरु के मंत्र ‘हिंद स्वराज‘ से राष्ट्रवादी भावनाओं से भर गए थे, उन्होंने रायगढ़ के किले को अपनी राजधानी बनाया। इस किले का वास्तविक नाम रायगिरी था। 6 जून, 1674 ई. को शिवाजी ने यहीं अपना राज्याभिषेक कराया था।
14वीं शताब्दी में यह किला विजयनगर के शासकों के अधीन था। बाद में अहमदनगर निजामशाही वंश के नियंत्रण में आ गया। तदोपरांत इस पर बीजापुर के शासकों का नियंत्रण हो गया, जिनसे इसे शिवाजी ने छीन लिया।
6 जून, 1974 को रायगढ़ में शिवाजी के राज्याभिषेक की तीन सौवीं वर्षगांठ के अवसर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यहां शिवाजी की नवस्थापित प्रतिमा का अनावरण किया था।
यहां शिवाजी का मकबरा एवं प्रिय कुत्ते वाघ्या की कब्र भी है। यहीं शिवाजी की माता रानी जीजाबाई की समाधि भी है।
राजगीर (25.03° उत्तर, 85.42° पूर्व)
वर्तमान समय में बिहार राज्य में स्थित राजगीर पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व (460-440बीसी) में मगध साम्राज्य की राजधानी थी। यह हिन्दुओं, बौद्धों एवं जैनों का एक प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र भी है। यह भारतीय इतिहास की प्रथम सात राजधानी के रूप में भी प्रसिद्ध है। राजगीर में महात्मा बुद्ध ने कुछ प्रसिद्ध धार्मिक उपदेश दिए थे तथा मगध नरेश बिम्बिसार को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया था। रामायण एवं महाभारत में भी राजगीर का उल्लेख प्राप्त होता है। यहीं की सप्तपर्णि गुफा में प्रथम बौद्ध संगिती आयोजित की गई थी। राजगीर की एक पहाड़ी में गर्म जल का एक झरना भी है, जो हिन्दू धर्म के श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र है। चीनी यात्री फाह्यान ने भी राजगीर की यात्रा की थी। यहां जापानियों द्वारा बनवाया गया, ‘विश्व शांति स्तूप‘ भी स्थित है।
महाभारत के अनुसार, पांडवों का एक प्रमुख प्रतिद्वंद्वी जरासंघ यहीं का शासक था, बाद में जिसकी भीम ने हत्या कर दी थी।
राजगीर में बहुत से महत्वपूर्ण स्थल हैं। इनमें प्रमुख हैंः वेणुवन (बांस का जंगल, जिसे बिम्बिसार ने भगवान बुद्ध को दान में दे दिया था); अमरवन या जीवक आम बाग (राजकीय वैद्य जीवक का औषधालय); अजातशत्रु का किला; स्वर्ण भंडार (दो अनुपम गुहा कक्ष जिन्हें एक ही विशाल चट्टान काट कर बनाया गया तथा जिनमें भित्ति पर उकेरी हुई शंख लिपि है, जिसे अब तक पढ़ा नहीं जा सका है) एवं कुंडलपुर। कुंडलपुर के संबंध में जैनों की दिगम्बर शाखा की मान्यता है कि भगवान महावीर का जन्म यहीं हुआ था।
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…