द्रव्य या पदार्थ की अवस्था परिवर्तन पर ताप का प्रभाव समझाइए। effect of temperature on states of matter

प्रश्न 26 : द्रव्य या पदार्थ की अवस्था परिवर्तन पर ताप का प्रभाव समझाइए।

उत्तर : प्रत्येक द्रव्य या पदार्थ अणुओं या परमाणुओं से मिलकर बनता है , यह पदार्थ ठोस , द्रव , गैस या प्लाज्मा , किसी भी अवस्था में पाया जा सकता है।

किसी भी द्रव्य की अवस्था इस बात पर निर्भर करती है कि इसके अणु किस प्रकार गति करते है , इसके अणुओं के मध्य की दूरी , आकर्षण बल , अणुओं की स्थिति और व्यवस्था और ये अणु द्रव्य के आकार , आयतन और आकृति को किस प्रकार बनाये रखते है।

किसी भी ठोस पदार्थ में अणु पास पास व्यवस्थित रहते है और गति नही करते है , द्रव में अणु ठोस की तुलना में दूर रहते है और कुछ हद तक गति करते है , जबकि किसी गैस के अणु पूर्ण रूप से गति करने के लिए स्वतंत्र होते है और इनके अणुओं के मध्य बहुत अधिक दूरी होती है।

जब किसी ठोस को गर्म किया जाता है अर्थात ताप का मान बढाया जाता है तो इस ठोस के अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है जिसके कारण ये अणु कम्पन्न करने लगते है और गति करने की कोशिश करते है , जिसके कारण ये अणु एक दूसरे से दूर जाने का प्रयास करते है और अपना वास्तविक स्थान छोड़कर नए स्थान ग्रहण करने लगते है और इस प्रकार ठोस पदार्थ फैलने का प्रयास करता है , एक निश्चित ताप पर इस ठोस के अणु आकर्षण बंधन से मुक्त हो जाते है और स्वतंत्र विचरण करने लगते है , ऐसी स्थिति में अणुओं के मध्य की गति नहीं बढती है बल्कि उन कणों की व्यवस्था और क्रम बदल जाता है तब यह ठोस पदार्थ , द्रव में बदल जाता है।

अब यदि इस द्रव को भी गर्म किया जाये अर्थात ताप का मान अभी भी लगातार बढाया जाए तो द्रव के अणुओं का वेग और गतिज ऊर्जा भी बढ़ जाती है , जिन अणुओं का संवेग का मान उन अणुओं पर भीतर की तरफ लग रहे बल से अधिक बढ़ जाता है तो वे वाष्प अवस्था में बदल जाते है।

उदाहरण : जब बर्फ पर ताप आरोपित किया जाता है तो यह पिघलकर द्रव में बदल जाती है और यदि अभी भी लगातार ताप का मान बढाया जाए तो यह द्रव , वाष्प अवस्था में परिवर्तित हो जाता है , इस प्रकार ताप बढ़ने से ठोस पदार्थ द्रव में बदलता है और अधिक ताप बढ़ाने पर यह द्रव भी वाष्प अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।

अब बात करते है जब ताप का मान घटाया जाए या कम किया जाए तब द्रव्य/पदार्थ की अवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

जब वाष्प अवस्था की स्थिति में ताप को कम किया जाता है तो यह वाष्प पदार्थ , द्रव पदार्थ में परिवर्तित होने लगता है अर्थात यह पदार्थ वाष्प (गैस) अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तित होने लगता है।

जब ताप का मान लगातार कम किया जाए अर्थात ताप का मान और अधिक कम किया जाए तो यह द्रव पदार्थ , ठोस पदार्थ में परिवर्तित होने लगता है अर्थात पदार्थ द्रव अवस्था से ठोस अवस्था में बदलने लगते है।

इस प्रकार ताप कम करने से गैस , द्रव में परिवर्तित हो जाता है और अधिक ताप करने पर यह पदार्थ द्रव अवस्था से ठोस अवस्था में परिवर्तित होने लगता है।

उदाहरण : जल वाष्प (गैस) को ठंडा करने पर अर्थात ताप का मान कम करने पर यह द्रव में बदल जाता है और जब ताप का मान और अधिक कम किया जाए अर्थात और अधिक ठंडा किया जाए तो यह जल (द्रव) , बर्फ (ठोस) में परिवर्तित होने लगता है , इस प्रकार ताप का मान कम करने से पदार्थ गैस अवस्था से द्रव अवस्था में बदलता है और अधिक ताप कम करने से पदार्थ द्रव अवस्था से ठोस अवस्था में बदल जाता है।

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