मार्शा प जॉनसन Marsha P. Johnson in hindi

Marsha P. Johnson in hindi , मार्शा प जॉनसन कौन थे जाने उनके बारे में सम्पूर्ण जानकारी |

आज हम जिस हस्ती के बारे में पढने जा रहे है वे बहुत ही खास है जिनके बारे में गूगल ने अपने डूडल के माध्यम से पूरी दुनिया को बताया है।

मार्शा प जॉनसन का जन्म 24 अगस्त 1945 को अमेरिका के एलिजाबेथ शहर में हुआ था और इनकी मृत्यु 6 जुलाई 1992 को अमेरिका के न्यूयार्क शहर में महज 46 वर्ष की उम्र में हो गयी थी।

1960 के अंत से लगभग 1980 के मध्य के दशक में समलैंगिकों को अपने अधिकारों की मांगो को लेकर एक आन्दोलन हुआ था उस आन्दोलन में ये एक प्रमुख कार्यकर्ता रहे और इस आन्दोलन में अपनी प्रमुख भूमिका निभाई।

इस सामाजिक और राजनैतिक आन्दोलन को “समलैंगिक मुक्ति” नाम दिया गया था , इस आन्दोलन का प्रमुख उद्देश्य यही था कि समलैंगिको के भी आम नागरिकों की तरह अधिकार होने चाहिए , उन्हें भी सम्मान की नजरो से देखा जाना चाहिए , समाज की नजर उन पर उसी प्रकार की होनी चाहीये जैसी अन्य आम नागरिकों पर होती है , उन पर हो रहे अत्याचारों और उत्पीड़नों को रोकने के लिए कानुनी प्रावधान होने चाहिए।

समलैंगिक व्यक्ति भी अपनी इच्छा से किसी अन्य समलैंगिक व्यक्ति के साथ रह सके और अपना जीवन यापन कर सके और इसे क़ानूनी रूप से प्रावधान किया जाए और इसे क़ानूनी रूप से सही घोषित किया जाए।

ऐसी कई मांगो को लेकर मार्शा प जॉनसन और उनके कई साथी अमेरिका में एक आन्दोलन चला रहे थे और यह आन्दोलन काफी लम्बे समय तक चला और आज इसी आन्दोलन और मार्शा प जॉनसन के सही नेतृत्व के कारण ही समलैंगिकों को विशेष प्रकार के अधिकार दिए गए है जो पहले उनके पास नहीं थे , पहले समलैंगिकों को इस बात को छुपाकर रखना पड़ता था कि वह समलैंगिक है क्योंकि पहले समाज की नजर में यह सही न था लेकिन अब इन्हें कानून ने कई अधिकार प्रदान किये है जिससे इन्हें अब इस बात में कोई शर्म या हिचकिचाहट नहीं होती है वह दुसरो को बता सके कि वह समलैंगिक है और वह अब अपनी मर्जी से किसी अन्य समलैंगिक के साथ रह सकता है , शादी भी करके अपना जीवन यापन एक आम नागरिक की तरह बिता सकता है।

मार्शा प जॉनसन एक वकील भी थे जो समलैंगिक अधिकारों के लिए लड़ रहे थे।

ये एक एड्स कार्यकर्त्ता भी थे , पहले एड्स को अलग ही नजर से देखा जा सकता था और एड्स के मरीज को हीन भावना से देखा जाता था इसलिए इन्होने इसके खिलाफ भी कार्य किया और लोगो में यह जागरूकता फैलाई की एड्स जैसी बीमारी किसी भी हो सकती है , जिसे एड्स हुआ है उसे लोगो के सपोर्ट की आवश्यकता होती है ताकि उसमे उससे लड़ने की अधिक क्षमता विकसित हो। लेकिन समाज के लोग इस बात को समझने को तैयार न थे और इसलिए उस समय यदि किसी को गलती से या किसी कारणवश एड्स जैसी बीमारी हो भी जाती थी तो वह समाज में बताने से भी डरता था क्योंकि लोग उस समय ऐसी व्यक्ति का बहिष्कार कर देते थे। तो इसलिए इन्होने एड्स कार्यकर्ता के रूप में कार्य किया और लोगो को जागरूक करने का प्रयास किया।

प्रारंभ में ये खुद को “ब्लैक मार्शा” जैसी उपनाम के द्वारा बुलाते थे लेकिन बाद में इन्होने अपना उपनाम बदल लिया और खुद को “ड्रैग क्वीन” जैसे उपनाम के द्वारा सम्बोधित करने लगे। और खुद को ड्रैग क्वीन घोषित करने के बाद उन्होंने अपना नाम “मार्शा प जॉनसन” रख लिया और तब से उन्हें इसी नाम से जाना जाता है।

इनका मूल नाम जॉनसन बताया जाता है लेकिन इन्हें खुद को अपने उपनाम से बुलवाना अच्छा लगता था इसलिए सब इन्हें इनके उपनाम के द्वारा ही सम्बोधित करते है। जब जॉनसन को इनके लिंग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कभी इसका सीधा उत्तर नहीं दिया। वे यह प्रश्न पूछे जाने पर इस पर तंग कस देते है , इसका कारण यह भी माना जा सकता है कि वे दुनिया को यह सन्देश देना चाहते थे कि व्यक्ति को उसके लिंग के आधार पर नहीं पहचाना जाना चाहिए या किसी भी व्यक्ति को लिंग के आधार पर भेदभाव नही करना चाहिए , सभी को स्वतंत्र रूप से जीने का अधिकार होना चाहिए चाहे उसका लिंग कुछ भी , यह केवल पुरुष प्रधान समाज में ही होता है कि महिला रात्री में अकेली कही नहीं जा सकती , इसलिए इस तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए।

ऐसा माना जाता है कि जॉनसन स्वम समलैंगिक थे , और वे यह देख रहे थे कि समाज उन्हें अलग नजर से देखता है इसलिए अपने अधिकारों के लिए वे लड़े और अंत में जीत उनके विश्वास की और उनके इस क्षेत्र में किये गए कार्य की ही हुई।

जॉनसन सामान्यतया अपने बालों में फूल लगाते थे और उनके चहरे पर हमेशा हँसी रहती थी।

इनके पिता का नाम मैल्कम माइकल्स जूनियर था और इनकी माता का नाम अलबर्टा क्लिबोर्न थी। उनके पिता एक फैक्ट्री में कार्य करते थे जो पुर्जो को जोड़कर विभिन्न प्रकार के औजारों का निर्माण करती थी तथा उनकी माता गृहणी थी , अत: हम कह सकते है कि इनका जन्म एक मध्य परिवार में हुआ था जिनके माता पिता मजदूरी करते थे और अपना जीवन यापन करते थे , इनके कुल छ: भाई बहन थे और इनका पूरा परिवार एक साथ अमेरिका के एलिजाबेथ, न्यू जर्सी में रहते थे।

बचपन में इनकी अपने इसाई धर्म में काफी रुची थी और इसलिए ये बचपन में चर्च में काफी समय व्यतीत करते थे। उन्होंने लगभग 5 वर्ष की आयु में अपनी रूचि के अनुसार कपडे पहनने शुरू कर दिए थे लेकिन अपने आस पड़ोस के बच्चो द्वारा उनको छेड़ा जाता था और उनकी मजाक उड़ाई जाती थी।

उन्होंने 1992 में दिए उनके एक इंटरव्यू में बताया कि संभवतः वे सबसे कम उम्र वाले छेड़े जाने वाले यौन उत्पीडन के शिकार हुए बालक थे जिन्हें समाज के दंडी बालकों और युवकों ने परेशान किया।

कथित तौर पर एक बार उनकी माता ने भी उनसे कहा था कि समलैंगिक होना कुत्ते से भी गया गुजरा माना जाता है समाज में।

इन्होने अपनी शिक्षा एडिसन नामक उच्च विद्यालय से 1963 में प्राप्त की और यह स्कुल एलिजाबेथ में ही थी लेकिन अब इस स्कुल का नाम “थॉमस ए. एडिसन करियर और टेक्निकल एकेडेमी” बदल गया है। अपनी स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद उन्होंने अपना घर महज 15 डॉलर और एक कपड़ो का भरा बस्ता साथ में रखकर छोड़ दिया और यहाँ से वे न्यूयॉर्क के एक गाँव में चले गए थे जिसका नाम “ग्रीनविच” था। 1966 में इस गाँव में पहुंचकर वे कई समलैंगिक व्यक्तियों से मिले और उनके अनुभवों को जाना कि समाज उन्हें किस नजर से देखता है और उन्हें किसी भी प्रकार का कोई अधिकार नहीं है न किसी के साथ रहने का , न शादी का आदि। ऐसा जानने के बाद उन्होंने समलैंगिकों के अधिकारों की मांगो के साथ आन्दोलन शुरू किया और अनंत: आज समलैंगिको को विशेष अधिकार प्राप्त है , वे अपनी मर्जी से अन्य समलैंगिक व्यक्ति के साथ शादी और सम्बन्ध आदि भी स्थापित कर सकते है और उनके प्रयासों के फलस्वरूप ही आज समाज ने भी उनके प्रति नजरिये को बदला है।