हिंदी माध्यम नोट्स
हरित शान्ति आन्दोलन क्या है | 21 वीं सदी में ग्रीनपीस आंदोलन संस्था किससे संबंधित है green peace movement in hindi
green peace movement in hindi हरित शान्ति आन्दोलन क्या है | 21 वीं सदी में ग्रीनपीस आंदोलन संस्था किससे संबंधित है किसे कहते है परिभाषा बताइए |
हरित शान्ति आन्दोलन
यूरोप में प्रारंभ हुआ हरित शान्ति आन्दोलन अन्य आन्दोलनों की अपेक्षा अधिक यथार्थपरक है। इसमें व्यावहारिकता एवं प्रत्यक्षता अधिक है। इसके सदस्यों ने विविध उपायों से मानवीय पर्यावरण की रक्षा में बढ़-चढ़कर कार्य किया है। विविध स्तरीय सफलता के साथ उनके द्वारा चलाए गए कुछ प्रमुख आन्दोलन इस प्रकार हैं — जापान द्वारा हवेलों के शिकार के विरुद्ध आन्दोलन, फ्रांस कृत नाभिकीय परीक्षण का विरोध, ब्राजील के वर्षा-वनों में ताँबें के खनन का विरोध तथा सामान्य रूप से निरस्त्रीकरण का सर्वत्र समर्थन और विकिरण संकट का सदैव विरोध। अन्यत्र चलने वाले आन्दोलनों के लिए यह आन्दोलन एक आदर्श माना जा सकता है।
पर्यावरण आन्दोलन में अन्य योगदान
वर्ल्ड वाच इंस्टीट्यूट, वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट, फ्रेण्ड्रज आफ दी अर्थ तथा यूरोप और अमेरिका में चल रही इसी प्रकार की बहुत सी संस्थाएँ है जो या तो परिवर्तन प्रारंभ करने की दिशा में सहायता देने के लिए सूचना एकत्र करने का अभियान चला रही हैं या पर्यावरण आन्दोलन चला रही हैं। रोजली बैट्रेल, वंदना शिवा, हैरिसन न्गाओ, आदि लोग जिन्हें वैकल्पिक नोबल पुरस्कार कहे जाने वाले उपयुक्त जीविका पुरस्कार (राइट लाइवलीहुड एवार्ड्स) प्रदान किए गए हैं, सब के सब पर्यावरण-रक्षा-कार्य में जुटे हुए सक्रिय व्यक्ति थे।
बोध प्रश्न 2
नोटः क) अपने उत्तरों के लिए नीचे दिए गए स्थान का प्रयोग कीजिए।
ख) इस इकाई के अंत में दिए गए उत्तरों से अपने उत्तर मिलाइए।
1) पर्यावरण आन्दोलनों का उदय क्यों और कैसे हुआ?
2) जर्मनी के ग्रीन्स का क्या महत्व है?
बोध प्रश्नों के उत्तर
बोध प्रश्न 1
1) पारिस्थितिकी – पृथ्वी नामक ग्रह के सभी अवयवों की पारस्परिक निर्भरता एवं पुनः पूर्ति की निरंतर चलने वाली चक्रीय व्यवस्था।
2) पर्यावरण – मानव जाति द्वारा पारिस्थितिकी के अन्य अवयवों को केवल अपने लाभ की दृष्टि से उपयोग में लाना।
3) पारिस्थितिक तंत्र – पर्यावरण संसाधनों का विभिन्न तंत्रोंय जैसे, वन-प्रदेश, मरुभूमि और आर्द्र भूमि आदि में वितरण।
ऐतिहासिक अन्तर्दृष्टि
हमारे ग्रह (पृथ्वी) की दशा नौ विश्वों के पैबंदों से बनी एक रजाई के समान है। ये पैबंद चार विश्व युद्धों द्वारा लगाए गए थे जबकि पाँचवा युद्ध अभी चल रहा है। वर्तमान विश्व में उच्च, मध्यम, एवं निम्न वर्ग के लोगों का अनुपात 2 रू 3 रू 5 है जो इतिहास के समस्त युद्धों की अंतिम परिणति है। इन युद्धों का सबसे बड़ा शिकार, संपूर्ण साधनों की जननी पृथ्वी हुई है जब कि सबसे बड़ी खलनायिका, समस्त समस्याओं की माता, उपभोक्तावादी संस्कृति रही है। इस सबका एकमात्र समाधान, पर्यावरण रक्षा संबंधी आन्दोलनों को निरंतर चलाते हुए पारिस्थितिकी को प्रकृतिस्थ रखना है।
इस तथ्य को अनेक लेखकों ने लिखा है जिनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैंरू हक्सले वॉट, ऐर्लिच, कॉमनर, लियोपोल्ड, बॉल्डिंग, मीड, क्लब ऑव रोम, ग्रीन्स, गांधी, डब्ल्यू. डब्ल्यू. एफ. ऑडुबोर्न सोसायटी, सियरा क्लब, ज्योग्रेफिकल इंटरनेशनल आदि। इन सबसे पूर्व भारत के वैदिक, जैन और बौद्ध चिंतकों ने इस दिशा में कार्य किया था जिसे डायसन थॉमस एवं ऐलन गिंसबर्ग जैसे बीट कवियों, इस्कॉन तथा इसी प्रकार के अन्य भारतीय दार्शनिकों, जैसेय राधाकमल मुखर्जी, शिशिर कुमार दास, कृष्ण चैतन्य तथा गांधीवादियों ने, जिनकी जड़ें पाश्चात्य भौतिकतावाद से जुड़ी हुई नहीं थी, इसी प्रकार के विचार व्यक्त किए हैं। इनमें सबसे रोचक नाम चीफ बाल्टीमार का है जिसने यूरोपियनों को अपनी जमीनों के अधिग्रहण के लिए चेतावनी दी थी और आज के पारिस्थितिक सक्रियतावादियों के लिए इंद्रधनुषीय योद्धा (रेन बो वारियज) पद का प्रयोग किया था। कालान्तर में इसी पद का प्रयोग हरित शान्ति आन्दोलन में अणुवीक्षक लथा गुप्तचर ध्वज पोत के लिए किया गया।
पर्यावरण रक्षक आन्दोलन न दक्षिणपंथी होते हैं और न वामपंथी। उनमें केवल आगा-पीछा होता है अर्थात वे होते स्थानीय है किंतु उनके प्रभाव विश्वव्यापी होते हैं।
पर्यावरण
इकाई की रूपरेखा
उद्देश्य
प्रस्तावना
परिभाषाएँ
ऐतिहासिक अन्तर्दृष्टि
अनिवार्यताएँ
विभिन्न देशों में हुए आन्दोलन
सरवाक जनजातीय आन्दोलन
ब्राजील में उष्ण कटिबंधीय वनों का सरंक्षण
चीन में वृक्षारोपण का माओवादी आन्दोलन
मैक्सिको में जनजातीय प्रतिरोध
फिलीपीन्स में शाइको आन्दोलन
दक्षिणी नाइजीरिया का प्रतिरोध आन्दोलन
जर्मनी का ग्रीन आन्दोलन
हरित शान्ति आन्दोलन
पर्यावरण आन्दोलन में अन्य योगदान
भारत में हुए आन्दोलन
चिपको आन्दोलन
प्रशान्त घाटी बचाओ आन्दोलन
ताज बचाओ अभियान
मिट्टी बचाओ अभियान
थाई बेशेट अभियान
बेडथी अभियान
भोपाल पतनम् – इंचमपाल बाँधों पर रोक
दून-खनन
कर्नाटक के निम्नीकृत वन
काझ्गा अभियान
गंध मर्दन बॉक्साइट – खनन
नर्मदा बचाओ अभियान
पश्चिमी घाट बचाओ पदयात्रा
टिहरी बाँध अभियान
रेयन कारखाने द्वारा प्रदूषण
चिल्का बचाओं आन्दोलन
विज्ञान एवं पर्यावरण संघ
छत्तीसगढ़ आन्दोलन
महाराष्ट्र, पालामऊ तथा सुखमोजोरी के जल संकरण आन्दोलन
ऑरोविले आन्दोलन
विश्नोइयों की परंपरा
भारतीय परिदृश्य: एक परिप्रेक्ष्य
सारांश
शब्दावली
कुछ उपयोगी पुस्तकें
बोध प्रश्नों के उत्तर
उद्देश्य
इस इकाई में यह स्पष्ट करने का प्रयत्न किया गया है कि लोग, अपने पर्यावरण में होते हुए परिवर्तनों के प्रति अपनी अवक्रियाएँ, संगठित होकर अथवा अन्यथा, राजनीतिक दलों या निर्वाचित प्रतिनिधियों के परंपरागत साधनों के बजाय असहमति, विरोध एवं प्रतिरोध के द्वारा भी अभिव्यक्त किया करते हैं।
इस इकाई में जिन विषयों को शामिल किया गया है वे इस प्रकार हैं – पारिस्थितिकी, पर्यावरण, संसाधन, विकास, समाज पर विकास के प्रभाव तथा इन चुनौतियों के प्रति लोगों की अनुक्रियाएँ। इस इकाई के अध्ययन करने के पश्चात, आप समझ सकेंगे किः
ऽ पारिस्थितिकी तथा पर्यावरण का निर्माण किस के द्वारा होता है,
ऽ पर्यावरण संबंधी आन्दोलनों का अर्थ और उनकी प्रकृति,
ऽ विभिन्न देशों में हुए पर्यावरण संबंधी कुछ आन्दोलनों के प्रकार, और
ऽ भारत में पर्यावरण-आंदोलनों की प्रकृति और उनका महत्व।
प्रस्तावना
शताब्दियों से, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, आर्थिक संवृद्धि एवं सामाजिक विकास के माध्यम से मानव जाति के रहन-सहन की दशाओं में निरंतर सुधार होता रहा है। फिर भी रोम के क्लब ने, इस प्रगति को, निम्नलिखित पाँच प्रमुख कारणों के आधार पर, अत्यंत सीमित माना हैः
ऽ निर्बाध जनसंख्या वृद्धि
ऽ अपर्याप्त ऊर्जा
ऽ संसाधनों का अवक्षय
ऽ स्वास्थ्य विज्ञान एवं स्वच्छता
ऽ प्रदूषण
इसी निष्कर्ष का समर्थन ‘विश्व 2000 प्रतिवेदन‘ (त्मचवतज) में भी किया गया है। प्रदूषण विकास का एक परिणाम भी है और स्वस्थ मानव जीवन के लिए खतरा भी। प्रदूषण की रोकथाम के लिए ही पर्यावरण संरक्षण आन्दोलन विकसित हुए हैं।
इसे समझने के लिए कि पर्यावरण-संरक्षण के लिए सामाजिक आन्दोलन क्यों होते हैं, पारिस्थितिकी, पर्यावरण, संसाधनों, उनके तंत्रों, विकास तथा परिणामों का ज्ञान अपेक्षित है। सर्वप्रथम कुछ परिभाषाओं को समझना आवश्यक है।
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…