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गुरुत्वीय विभव क्या है , गुरुत्व विभव परिभाषा , सूत्र , मात्रक , विमा , विमीय सूत्र (gravitational potential in hindi)
इसे V से प्रदर्शित किया जाता है।
माना पृथ्वी का द्रव्यमान M है , पृथ्वी से r दूरी पर एक बिन्दु P है जिस पर हमें गुरुत्वीय विभव का मान ज्ञात करना है।
मान लेते है कि पृथ्वी के केंद्र बिंदु O से x दूरी पर एक बिंदु स्थित है जिसे हमने चित्र में A द्वारा व्यक्त किया है। इस A बिंदु पर माना कोई इकाई द्रव्यमान रखा हुआ है तो पृथ्वी द्वारा इस इकाई द्रव्यमान पर कार्यरत बल का मान निम्न होगा –
इस गुरुत्वाकर्षण बल के कारण वस्तु पृथ्वी की तरफ गति करती है , मान लेते है पृथ्वी द्वारा अपने गुरुत्वाकर्षण बल के कारण इकाई द्रव्यमान को बिंदु A से dx दूरी तक अर्थात बिंदु B तक विस्थापित करने में किया गया कार्य निम्न होगा –
अत: इस इकाई द्रव्यमान को अन्नत से पृथ्वी के केंद्र बिंदु O तक अर्थात शून्य गुरुत्वाकर्षण बल बिंदु तक लाने में किया गया कार्य ज्ञात करने के लिए ऊपर वाली समीकरण को अन्नत से r तक समाकलित कर देंगे जिससे हमें इकाई द्रव्यमान को अन्नत बिंदु से उस बिंदु तक लाने में किया गया कार्य का मान ज्ञात हो जायेगा अर्थात गुरुत्वीय विभव का मान मिल जायेगा –
गुरुत्व विभव की परिभाषा के अनुसार यह किया गया कार्य का मान ही गुरुत्वीय विभव का कहलाता है।
अत: पृथ्वी के केन्द्र बिंदु O से r दूरी पर स्थित बिंदु P पर गुरुत्वीय विभव का मान निम्न होगा –
यहाँ G = सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक होता है तथा M पृथ्वी का द्रव्यमान कहलाता है।
जैसे जैसे वस्तु से दूर जाया जाता है उसके कारण गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता का मान कम होता जाता है तथा अन्नत पर गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता शून्य हो जाती है , अत: वस्तु का परिक्षण द्रव्यमान पर आकर्षण बल कम होता जाता है और अन्नत पर शून्य हो जाता है , जब किसी परिक्षण द्रव्यमान को अन्नत से वस्तु की तरफ लाया जाता है तो यह साफ़ है कि यह परिक्षण द्रव्यमान कम विभव से अधिक विभव की ओर गति कर रहा है और यही कारण है कि गुरुत्वीय विभव का मान ऋणात्मक होता है।
चूँकि गुरुत्व विभव का मान हमेशा ऋणात्मक होता है लेकिन एक बिंदु अर्थात अन्नत पर इसका मान शून्य हो जाता है और यह इसका अधिकतम मान होता है अन्यथा यह ऋणात्मक ही होता है।
गुरूत्वीय विभव एक अदिश राशि है और इसका SI मात्रक जूल/किलोग्राम होता है इसका विमीय सूत्र अर्थात विमा [M0L2T-2] होती है।
नोट : गुरुत्वीय विभव का अध्ययन विद्युत विभव के समान किया जा सकता है क्यूंकि जिस प्रकार विद्युत विभव उच्च विभव से निम्न विभव की ओर धारा को गति करवाता है उसी प्रकार उच्च गुरुत्वीय विभव निम्न गुरुत्व विभव की तरफ द्रव्यमान को गति करवाता है।
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