हिंदी माध्यम नोट्स
गुरुत्वाकर्षण बल क्या है , परिभाषा , गुण , विशेषता , विमा , मात्रक , सूत्र (gravitational force in hindi)
दो पिंडो के मध्य लगने वाले आकर्षण बल का मान ज्ञात करने के लिए न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम काम में लिया जाता है , जिसके अनुसार यदि दो पिंडो का द्रव्यमान m1 तथा m2 हो और इन दोनों पिंडो के मध्य की दूरी r हो तो इन दोनों पिंडो के मध्य लगने वाले इस आकर्षण बल (गुरुत्वाकर्षण बल) का मान निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है –
यहाँ G = सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक है।
अब हम अध्ययन करते है कि इस आकर्षण बल अर्थात गुरुत्वाकर्षण बल के क्या क्या गुण अर्थात विशेषताएँ होती है।
गुरुत्वाकर्षण बल के गुण या विशेषतायें (properties of gravitational force)
- यह सार्वत्रिक आकर्षण का बल होता है अर्थात ब्रह्माण्ड में उपस्थित प्रत्येक दो पिंडो के मध्य पाया जाता है।
- इसका मान दोनों पिंडो के द्रव्यमानो के गुणनफल के समानुपाती व दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
- यह बल प्रकृति में पाए जाने वाले सभी बलों से दुर्बल होता है , दो इलेक्ट्रान के मध्य पाए जाने वाले विद्युत बल का मान गुरुत्वाकर्षण बल से लगभग 1043 गुना होता है। इस बात से हम अनुमान लगा सकते है कि गुरुत्वाकर्षण बल का मान कितना कम होता है या कितना दुर्बल होता है।
- यह बल हमेशा आकर्षण प्रकृति का होता है।
- यह बल बहुत कम दूरी पर स्थित पिंडो के मध्य भी कार्य करता है और हजारो किलोमीटर दूर स्थित पिंडो के मध्य भी कार्य करता है।
- दो पिंडो के मध्य लगने वाला यह बल अन्य पिण्डो की उपस्थिति या अनुपस्थिति से अप्रभावित रहता है।
- यह बल दोनों पिंडो के मध्य उपस्थित माध्यम पर निर्भर नहीं करता है।
- यह बल दोनों पिंडो को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करता है अत: हम कह सकते है कि यह एक केन्द्रीय बल होता है।
- इस बल के द्वारा किया गया कार्य का मान पथ या मार्ग पर निर्भर नहीं करता है साथ ही एक पूर्ण चक्कर में में किया गया कार्य का मान शून्य होता है अत: गुरुत्वाकर्षण बल संरक्षी बल होता है।
- इन बलों पर अध्यारोपण का सिद्धांत लागू होता है अर्थात किसी निकाय में उपस्थित सभी बलों का योग , अलग अलग बलों के योग के बराबर होता है।
गुरुत्वाकर्षण बल के उदाहरण
- ग्रहों या उपग्रहों को उनकी कक्षा में चक्कर लगाने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल , सूर्य के बिच कार्यरत गुरुत्वाकर्षण बल के द्वारा प्राप्त होता है।
- गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही चन्द्रमा , पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगता रहता है , इसे भी आवश्यक अभिकेंद्रिय बल का मान दोनों में उपस्थित आकर्षण बल द्वारा प्राप्त होता है।
- तारों के टूटने तथा बनने , आकाश गंगा के निर्माण में भी गुरुत्वाकर्षण बल का बहुत अधिक योगदान है।
सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियम (newton’s universal law of gravitation in hindi) : ग्रहों और चन्द्रमा की गतियों के अपने अध्ययन के दौरान , न्यूटन ने निष्कर्ष निकाला कि गुरुत्वीय आकर्षण न केवल पृथ्वी की ओर गिरते सेव की गति और पृथ्वी के चारो ओर घूर्णन करते चन्द्रमा की गति के लिए उत्तरदायी है बल्कि “ब्रह्माण्ड की प्रत्येक वस्तु प्रत्येक अन्य वस्तु को आकर्षित करती है ” के लिए भी उत्तरदायी है।
गति के अपने तीन नियमों के साथ , न्यूटन ने अपने उत्कृष्ट फिलोसोफिया नेच्युरेलिस प्रिन्सीपिया मेथमेटिका (जिसे सरल रूप में प्रिन्सिपिया कहा जाता है ) में 1687 में गुरुत्वाकर्षण के नियम को प्रकाशित किया। इस नियम के अनुसार –
ब्रह्माण्ड में पदार्थ का प्रत्येक कण बल द्वारा प्रत्येक अन्य कण को आकर्षित करता है जो कि कणों के द्रव्यमानों के गुणन के समानुपाती होता है और इनके मध्य की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
गणितीय रूप में –
F ∝ m1m2/r2
F = G m1m2/r2
यहाँ G समानुपाती नियतांक है , जिसे सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक कहा जाता है।
G के मान की यंत्र के उपयोग द्वारा प्रायोगिक रूप से गणना की जाती है , जिसे “केवेन्डिश एंठन तुला” कहा जाता है | वर्तमान स्वीकार्य मान G = 6.67 x 10-11 N.m2/Kg2 है |
यहाँ G का विमीय सूत्र [M-1L3T-2] है |
यदि F12 , m2 द्रव्यमान के कारण m1 द्रव्यमान पर गुरुत्वीय बल है और r12 , m2 के सापेक्ष m1 का स्थिति सदिश है , तब न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम का सदिश रूप –
F12 = -Gm1m2r12/|r12|3
F21 = -Gm1m2r21/|r21|3
यहाँ |r12| = |r21| = r , इसलिए r12 = -r21
अत: F12 = -F21
गुरुत्वाकर्षण से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी
- F12 और F21 क्रिया प्रतिक्रिया युग्म के रूप में है अर्थात परिमाण में समान लेकिन दिशा में विपरीत होते है।
- गुरुत्वाकर्षण बल मध्यवर्ती माध्यम , ताप , दाब आदि पर निर्भर नहीं करता है अर्थात दो वस्तुओं को चाहे वायु में रखा जाए अथवा कैरोसिन में एक दुसरे पर समान बल आरोपित करेंगी जबकि इनकी दूरी समान है।
- यदि माना दो वस्तुएं दो कणों के मध्य में स्थित है , तब F12 अथवा F21 बल अन्य वस्तुओं की उपस्थिति द्वारा परिवर्तित नहीं होते है।
- गुरुत्वाकर्षण नियतांक G सार्वत्रिक नियतांक कहलाता है क्योंकि इसका मान त्रिविम में कही भी स्थित किन्ही भी दो वस्तुओं के लिए समान होता है।
- गोलीय सममित वस्तुओं (ठोस गोला अथवा गोलीय कोश) के बाहर वस्तु पर गुरुत्वीय बल के लिए , गोलीय वस्तु का सम्पूर्ण द्रव्यमान इसके केंद्र पर केन्द्रित माना जाता है।
- दो अगोलीय वस्तुओं के मध्य गुरुत्वीय बल की गणना में , यदि इनके मध्य की दूरी इनके आकार की तुलना में अत्यधिक होती है , तब हम इनके द्रव्यमानों को द्रव्यमान केन्द्रों पर केन्द्रित मान सकते है। अत्यधिक दूरी के लिए , वस्तुओं को कणों के रूप में माना जा सकता है अर्थात यदि हमें परिमित दूरी पर गोले और वृत्तीय वलय के बीच गुरुत्वीय बल ज्ञात करना है , तब गोले के द्रव्यमान को इसके केंद्र पर संकेंद्रित माना जा सकता है परन्तु वलय के द्रव्यमान को इसके केंद्र पर संकेन्द्रित नहीं माना जा सकता है। (सामान्यतया अगोलीय वस्तुओं के बीच गुरुत्वीय बल वस्तुओं के साथ पृथक कणों पर पृथक बलों के योग द्वारा प्राप्त किया जाता है। )
- समरूप घनत्व के खोखले गोलीय कोश के कारण इसके अन्दर स्थित बिंदु द्रव्यमान पर गुरुत्वीय बल शून्य होता है।
- दो कणों के बीच गुरुत्वीय बल केन्द्रीय होता है परन्तु उच्च आकार की दो दृढ वस्तुओं के मध्य गुरुत्वीय बल का इनके द्रव्यमान केन्द्रों को जोड़ने वाली रेखा के अनुदिश होना आवश्यक नहीं है। गोलीय सममित वस्तु और कण (इसके बाहर) के मध्य बल इनके द्रव्यमान केन्द्रों को जोड़ने वाली रेखा के अनुदिश होता है।
- गुरुत्वाकर्षण के कारण चन्द्रमा , ग्रह एवं तारे लगभग गोलीय होते है। चूँकि वस्तु के सभी कण एक दुसरे को आकर्षित करते है इसलिए कण इनके मध्य की दूरी को न्यूनतम करने के लिए गति करते है। जिसके परिणाम स्वरूप , वस्तु गोलीय आकार प्राप्त करती है। यह प्रभाव निम्न द्रव्यमान की वस्तु में अत्यधिक समानित किया जाता है। चूँकि गुरुत्वाकर्षण खिंचाव कम होता है इसलिए खगोलीय वस्तुएं जैसे क्षुदग्रह (निम्न द्रव्यमान) गोलीय नहीं होते है।
- पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को एक बल द्वारा आकर्षित करती है , जिसे वस्तु का भार कहा जाता है। वस्तु समान परिमाण के बल द्वारा पृथ्वी को भी आकर्षित करती है लेकिन पृथ्वी वस्तु की ओर गति नहीं करती है। क्यों ? ऐसा इसलिए क्योंकि पृथ्वी का त्वरण इसके उच्च द्रव्यमान (आपके द्रव्यमान का 1023 गुना ) के कारण नगण्य होता है।
- अध्यारोपण का सिद्धान्त : प्रत्येक बल स्वतंत्र रूप से क्रियाशील होता है और अन्य वस्तुओं के द्वारा अप्रभावित रहता है।
यदि F1 , F2 . . . . .Fn क्रमशः द्रव्यमान m1 , m2 . . . . . mn के कारण कण पर क्रियाशील पृथक बल है , तब कण पर क्रियाशील कुल बल F = F1 + F2 + . . . . . . . + Fn होता है।
गुरूत्वाकर्षण बल– ब्रह्माण्ड में प्रत्येक कण दुसरे कण को केवल अपने द्रव्यमान के कारण ही आकर्षित करते है तथा किन्ही भी दो कणों के बीच इस प्रकार के आकर्षण को व्यापक रूप से गुरूत्वाकर्षण कहते है। जैसे- यदि एक-एक किलोग्राम के दो पिण्डों को 1 मीटर की दूरी पर रखा जाय, तो इनके मध्य 6.67ग10.11छ का बल लगेगा। यह बल बहुत ही कम है, इसका कोई भी प्रभाव दिखाई नहीं देगा। परन्तु विशाल खगोलीय पिण्डों के मध्य यह बल इतना अधिक होता है, कि इसी के कारण वे केन्द्र के चारों ओर घूमते रहते है और संतुलन में बने रहते हैं। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर और चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर गुरूत्वाकर्षण बल के कारण ही घूमते रहते है।
गुरूत्वाकर्षण
चार मौलिक बलों में गुरूत्वाकर्षण एक कमजोर अथवा क्षीण मौलिक बल है, जो ब्रह्मांड में प्रत्येक कण या पिण्ड के बीच उनके द्रव्यमान के कारण लगता है। इसे न्यूटन ने अपनी पुस्तक प्रिंसीपिया में प्रकाशित किया था।
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम- ब्रह्माड में किन्ही दो पिंडों के मध्य कार्य करने वाला आकर्षण बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके मध्य की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
माना कि उ1 एव उ2 द्रव्यमान के दो पिण्ड एक-दूसरों से त दूरी पर स्थित है, तो न्यूटन के नियमानुसार उनके साथ बीच लगने वाला आकर्षण बल थ् होगा-
, और या, , जहाँ ळ एक नियतांक है।
ळ को सार्वत्रिक गुरूत्वाकर्षण नियतांक कहते है, जिसका मान 6.67 ग 10-11 छउ2धह2 होता है।
गुरूत्व- न्यूटन के गुरूत्वाकर्षण क नियम में गुरूत्वाकर्षण वह आकर्षण बल है, जो किन्ही दो वस्तुओं के बीच कार्य करता है। यदि इन वस्तुओं में एक पृथ्वी हो, तो गुरूत्वाकर्षण को गुरूत्व कहते है। अतः गुरूत्व वह आकर्षण बल है। जिससे पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केन्द्र की ओर खींचती है। अतः गुरूत्व गुरूत्वाकर्षण का एक उदाहरण है। गुरूत्व बल के कारण ही पृथ्वी की सतह से मुक्त रूप से फेंकी गयी वस्तु वापस पृथ्वी की सतह पर आकर गिरती है।
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…