हिंदी माध्यम नोट्स
गुरुत्वीय क्षेत्र क्या है , परिभाषा , सूत्र , उदाहरण (gravitational field in hindi) , गुरूत्वीय क्षेत्र का विमीय सूत्र
गुरुत्वीय क्षेत्र की इकाई बल/द्रव्यमान अर्थात इसका मापन न्यूटन/किलोग्राम होता है।
गुरुत्वीय क्षेत्र भी एक तरह का बल क्षेत्र है जैसे आवेश के लिए विद्युत क्षेत्र , चुम्बक के लिए चुम्बकीय क्षेत्र होता है।
गुरुत्वीय क्षेत्र को निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है –
परिभाषा : किसी पिण्ड के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमे अन्य पिण्डो द्वारा उसके गुरुत्वाकर्षण बल का अनुभव किया जा सकता है उस क्षेत्र को गुरुत्वीय क्षेत्र कहा जाता है।
प्रत्येक पिण्ड अपने चारों तरफ एक बल क्षेत्र उत्पन्न करता है जो सभी दिशाओं में होता है , जब इस बल क्षेत्र में कोई अन्य पिण्ड आता है तो वे उस पिण्ड के कारण गुरुत्वाकर्षण बल महसूस करते है जिसका यह बल क्षेत्र होता है। किसी पिंड के इस क्षेत्र को दो प्रकार से प्रदर्शित किया जा सकता है , तीर द्वारा या फिल्ड लाइनो द्वारा जैसा चित्र में दर्शाया गया है –
किसी पिण्ड के चारो ओर के गुरुत्वीय क्षेत्र को प्रदर्शित करने वाली तीर उस पिंड के क्षेत्र का परिमाण व दिशा दोनों को प्रदर्शित करते है , जब दो पिंडो के गुरुत्वीय क्षेत्र को लाइन द्वारा दर्शाया जाता है लेकिन एक पिंड के लिए लाइन छोटी बनायीं जाती है और दुसरे के लिए लाइन बड़ी बनाई जाती है तो इसका तात्पर्य है कि जिस पिंड के लिए क्षेत्र की लाइन बड़ी बनाई गयी है उस पिंड का गुरुत्वीय क्षेत्र का मान अधिक है , लाइन जितनी अधिक बड़ी बनाई जाती है , क्षेत्र का मान उतना ही अधिक होता है।
पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र या गुरुत्वीय क्षेत्र
पृथ्वी भी अपने चारों ओर एक क्षेत्र उत्पन्न करती है जिसे पृथ्वी का गुरुत्वीय क्षेत्र कहते है , जब कोई वस्तु इस क्षेत्र में उपस्थित रहती है तो वह पृथ्वी द्वारा गुरुत्वाकर्षण बल का अनुभव करती है। यही कारण है कि चाहे किसी वस्तु को आप कितनी भी तेज ऊपर की ओर फेंक दीजिये लेकिन वस्तु लौटकर वापस आ जाती है क्यूंकि आप इसे पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र से बाहर फेकने में असफल होते है लेकिन जब किसी उपग्रह या सैटेलाईट को पृथ्वी से बाहर भेजा जाता है तो इसके लिए इस पर अतिरिक्त कार्य करना पड़ता है और जब ये इस गुरुत्वीय क्षेत्र से बाहर चली जाती है तो वहां वे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल का अनुभव नहीं करते है।
पृथ्वी की सतह पर भी गुरुत्वीय क्षेत्र का मान अलग अलग हो सकता है , पृथ्वी की सतह के अन्दर जहाँ लेड होती है वहां गुरुत्वीय क्षेत्र का मान तुलनात्मक अधिक होती है।
तथा जहाँ वायु भरी हुई रहती है उन स्थानों पर गुरुत्वीय क्षेत्र का मान अपेक्षाकृत कम होता है।
इसी के आधार पर भू वैज्ञानिक इस बात का पता लगाते है कि पृथ्वी की सतह के अन्दर कहा क्या धातु या पदार्थ उपस्थित है।
गुरुत्वीय क्षेत्र (gravitational field)
जब रिक्त त्रिविम में दो द्रव्यमान एक दुसरे को आकर्षित करते है , तब भौतिक रूप से बिना एक दुसरे को स्पर्श किये एक द्रव्यमान दुसरे पर किस प्रकार बल आरोपित करता है ?
“किसी दूरी पर क्रिया” के प्रश्न का उत्तर यह है कि द्रव्यमान m1 इसके चारों के त्रिविम के प्रगुणों को संशोधित करता है। तब m1 के परिवेश में अन्य द्रव्यमान m2 बल अनुभव करता है। द्रव्यमान के परिवेश में त्रिविम के प्रगुणों के इस संशोधन की उस द्रव्यमान द्वारा स्थापित गुरुत्वीय क्षेत्र के रूप में व्याख्या की जाती है। हालाँकि जब किसी बिंदु P पर कोई द्रव्यमान नहीं होता है , तब इस बिंदु P पर किसी द्रव्यमान पर बल , अन्य द्रव्यमान अथवा द्रव्यमानों के कारण केवल गुरूत्वीय क्षेत्र की उपस्थिति को दर्शाता है।
याद रखिये कि द्रव्यमान स्वयं के गुरुत्वीय क्षेत्र के कारण बल अनुभव कभी नहीं करेगा। वस्तु पर गुरुत्वीय बल अन्य वस्तुओं द्वारा निर्मित गुरुत्वीय क्षेत्र द्वारा आरोपित किया जाता है।
किसी बिंदु P पर गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता को उस बिंदु पर प्रति इकाई द्रव्यमान गुरुत्वीय बल के रूप में परिभाषित किया जाता है।
I = F/m
गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता को सरलतम “गुरुत्वीय क्षेत्र” कहा जाता है। इसका SI मात्रक न्यूटन प्रति किलोग्राम (N/Kg) और विमीय सूत्र [LT-2] है।
कक्षा 12 में आप समान विषय विद्युत क्षेत्र तीव्रता और आवेश वितरण के अलग अलग प्रकार के लिए इसकी व्युत्पत्ति का अध्ययन करेंगे परन्तु 11 वीं कक्षा में आपको इन परिणामों को याद रखना होगा। इन परिणामों की व्युत्पत्ति और विस्तार का आप कक्षा 12 वीं में अध्ययन करेंगे।
1. r दूरी पर बिंदु द्रव्यमान की गुरुत्वीय क्षेत्र तीव्रता –
I = Gm/r2
2. समरूप गोलीय कोश के केंद्र से r दूरी पर गुरुत्वीय क्षेत्र तीव्रता –
(a) यदि r < R [जहाँ R कोश की त्रिज्या है। ]
I = 0
(b) यदि r ≥ R
I = Gm/r2
3. समरूप ठोस गोले के केंद्र से r दूरी पर गुरुत्वीय क्षेत्र तीव्रता –
(a) यदि r < R
I = GMr/R3
(b) यदि r ≥ R
I = Gm/r2
Recent Posts
सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ
कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…
रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?
अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…