JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Physicsphysics

ग्राफ किसे कहते हैं | ग्राफ कैसे बनाते हैं अर्थ का उपयोग क्या हैं ? graph definition in graph theory

graph definition in graph theory in hindi meaning ग्राफ किसे कहते हैं | ग्राफ कैसे बनाते हैं अर्थ का उपयोग क्या हैं ?

 ग्राफ तथा उसका प्रयोग (Graph and its use)
प्रयोगशाला में विद्यार्थियों को बहुत से नियमों का सत्यापन करना होता है। ग्राफ हमेशा किन्हीं दो चर राशियों (Variable Quantities) में सम्बन्ध प्रदर्शित करने के लिए खींचा जाता है। इसमें एक राशि स्वतंत्र रूप से परिवर्तित होती है। यह राशि स्वतंत्र चर राशि (Independent Variable) कहलाती है। दूसरी राशि जो स्वतंत्र चर राशि के बदलने से बदलती है आश्रित चर राशि (Dependent Variable) कहलाती है। ग्राफ खींचते समय स्वतंत्र चर राशि को ग्-अक्ष पर तथा आश्रित चर राशि को ल्-अक्ष पर प्रदर्शित करते हैं। उदाहरण के लिए हक के नियम का सत्यापन करने के लिए भार को बदलने से लम्बाई में होने वाली वृद्धि भी बदल जाती है तथा भार को इच्छानुसार बदला जा सकता है इसलिए भार स्वतंत्र चर राशि है तथा लम्बाई में वृद्धि आश्रित चर राशि है। इसलिए भार को X-अक्ष पर तथा लम्बाई में होने वाली वृद्धि को Y-अक्ष पर लेते हैं।


ग्राफ बनाने के नियम – अच्छा ग्राफ बनाने के लिए सावधानी की आवश्यकता है। इसके लिए मूल बिन्दु (Origin) तथा मापदण्ड (Scale) का ठीक-ठीक चुनाव बहुत आवश्यक है। यदि प्रारम्भ में मूल बिन्दु तथा मापदण्ड का चुनाव गलत रहा तो ग्राफ ठीक नहीं आयेगा। ग्राफ बहुत छोटा अथवा बड़ा भी नहीं होना चाहिए। ग्राफ खींचने में निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-
1. मूल बिन्द तथा अक्षों का चुनाव- मूल बिन्दु तथा अक्षा का चुनाव इस प्रकार होना चाहिये जिससे ग्राफ के लिए माफ के कागज का अधिक से अधिक उपयोग हो सके। मूल बिन्दु तथा अक्षों के चुनाव में निम्न बात ध्यान में रखना आवश्यक है।
(ं) यदि स्वतंत्र तथा आधित दोनों चर राशियों के भान धनात्मक हो तो इस दशा में (Origin) मूल बिन्दू ग्राफ पेपर पर बाई तरफ वाले नीचे के कोने के पास लेते हैं जिससे पूरा ग्राफ प्रथम पाद में प्राप्त हो। जैसा कि चित्र (ं) में दिखलाया गया है, इस पेपर पर मूल बिन्दु O है।
(इ) यदि किसी ग्राफ में X-अक्ष वाली सभी राशियाँ धनात्मक तथा Y-अक्ष वाली सभी राशियाँ ऋणात्मक हो तो ग्राफ का अधिकतर भाग चतुर्थ पाद में आयेगा। इस अवस्था में व् मूल बिन्दु बाई तरफ ग्राफ के ऊपर के कोने पर लेते हैं जैसा चित्र (इ) में दिखलाया गया है।
(ब) यदि X-अक्ष की कुछ राशियाँ धनात्मक और कुछ ऋणात्मक हो तो O मूल बिन्दु कागज के मध्य में होगा। जैसा चित्र (ब) में दिखलाया गया है।
(क) यदि X-अक्ष की सब राशियाँ ऋणात्मक तथा Y-अक्ष की सब धनात्मक हों तो मूल बिन्दु O कागज के दाई तरफ वाले नीचे के कोने पर लेना पड़ेगा। जैसा चित्र (क) में दिखलाया गया है।
(म) यदि X-अक्ष की सब राशियाँ धनात्मक तथा Y-अक्ष की कुछ राशियाँ धनात्मक एवं कुछ ऋणात्मक हो तो मूल बिन्दु चित्र (e) के अनुसार लेंगे।
()ि यदि X-अक्ष की राशियाँ धनात्मक एवं ऋणात्मक हो साथ ही Y-अक्ष की राशियाँ भी धनात्मक एवं ऋणात्मक हो तो मूल बिन्दु ग्राफ पेपर के मध्य में (चित्र) होना चाहिए।
2. ग्राफ में मापदण्ड (Scale) का चुनाव – मापदण्ड (पैमाने) का चुनाव बहुत ही आवश्यक है। यह आवश्यक नहीं है कि दोनो अक्षा के लिए मूल-बिन्दु के निर्देशांक (coordinates) एक ही से (समान) हों। प्रत्येक अक्ष पर मूल-बिन्दु के निर्देशंाक उस पाठयांक से कुछ कम पाठ के लेना चाहिये जो सबसे कम का पाठयांक है। जैसे यदि X-अक्ष पर सबसे कम पाठयांक है तथा 21.5 है तथा Y-अक्ष पर 10.7 है तब मूल बिन्द के निर्देशांक 20 तथा 10 लेना आवश्यक है।
पैमाने की लम्बाई के लिए X-अक्ष तथा Y-अक्ष दोनों तरफ की चर राशियों का विस्तार देखना चाहिये तथा प्रत्येक अक्ष पर कम से कम तथा अधिक से अधिक मानों को ज्ञात करके तथा दोनों अक्षों पर अलग-अलग मापदण्ड (पैमाना) मान लेना चाहिए।
यदि X-अक्ष पर चर राशि का विस्तार 6.8 से 32.5 तक है तो इस अक्ष पर मूल-बिन्दु का निर्देशांक 5 मानना चाहिये तथा अक्ष के दूसरे सिरे पर 35 मानना चाहिए। इस प्रकार 5 से लेकर 35 तक के लिए ऐसा पैमाना चुनना चाहिए जो X-अक्ष पर आ सके तथा इन सब राशियों के लिए पूरा-पूरा ग्राफ काम में आ सके। इसी प्रकार यदि Y-अक्ष पर चर राशि का विस्तार 22.2 से 71.5 तक है तो इस अक्ष पर मूल-बिन्दु का निर्देशांक 20 मानना चाहिये तथा अक्ष के दूसरे सिरे पर 75 मानना चाहिए। अब 20 तथा 75 के बीच के लिए Y-अक्ष पर उचित पैमाना चुनना चाहिए जो पूरे ग्राफ पर आ सके।
उदाहरण के लिए यदि X-अक्ष पर 7 बड़े खाने हैं या 7 सेमी. है और 5 से 35 के लिए ग्राफ बनाना है तो पैमाने के लिए एक बड़ा खाना अर्थात एक सेमी. 5 के बराबर होगा। इसी प्रकार यदि Y-अक्ष पर भी 7 बड़े खाने हैं (अर्थात 7 सेमी. है) तो एक बड़ा खाना अर्थात् एक सेमी. 10 के बराबर होगा। ग्राफ के ऊपर दोनों अक्षों के पैमाने दाईं तरफ लिखने चाहिए।
जैसे X-अक्ष पर एक बड़ा खाना या एक सेमी. = 5 (मात्रक)
Y-अक्ष पर एक बड़ा खाना या एक सेमी. = 10 (मात्रक)
ग्राफ बनाना- प्राप्त पाठ्यांकों को ग्राफ पर (पैमानों को उचित चुनाव करके) अंकित करना आरम्भ करते हैं। अभीष्ट बिन्दु को प्रदर्शित करने के लिए X या O चिन्ह का प्रयोग करते हैं। सब बिन्दुओं को ग्राफ पेपर पर अंकित करने के पश्चात् अधिकतर बिन्दुओं से जाने वाला चिकना वक्र अथवा सरल रेखा खींचनी चाहिए।
3. ग्राफ पेपर पर निशान लगाकर उनसे सरल रेखा अथवा चिकना वक्र खींचना
सरल रेखा खींचना- ग्राफ पर सरल रेखा खींचने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि ग्राफ की सरल रेखा ग्राफ पर प्राप्त सभी बिन्दुओं से होकर जाये। ग्राफ की सरल रेखा यदि अधिक से अधिक बिन्दुओं से होकर जाये तो अच्छा रहता है। परन्तु यह ध्यान में रखना होता है कि वे बिन्दु जो ग्राफ की सरल रेखा पर नहीं आते, रेखा के एक ही तरफ न रहें। ग्राफ की रेखा से बचे हये बिन्दु रेखा के दोनों तरफ लगभग बराबर दूरी पर रह जाने चाहिए। ग्राफ की रेखा पर चाहे कितने ही कम बिन्दु हो परन्तु रेखा के दोनों तरफ बिन्दु लगभग बराबर दूरी पर होने चाहिए।
सही वक्र खींचना- ग्राफ पर प्राप्त बिन्दुओं से जाने वाले वक्र के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वक्र सभी बिन्दुओं से होकर जाये। यदि कोई बिन्दु वक्र पर नहीं आता है तो उसको छोड़ देना चाहिए। विद्यार्थी अंकित सभी बिन्दुओं को मिलाकर टेढा-मेढा वक्र बना देते हैं। उनको ऐसा नहीं करना चाहिए, उनको वक्र सभी बिन्दुओं को मिला कर नहीं बनाना चाहिए। झाडू की सींक से वक्र खींचने चाहिये। इससे बहुत अच्छा वक्र प्राप्त हो जाता है। झाडू की नई (New) सींक का प्रयोग करना चाहिये। नई सींक लेकर उसे ब्लैड से बेलनाकार कर लेना चाहिये और सींक को अंगुलियों की. सहायता से बिन्दुओं पर वक्र के आकार में ऐसे सुव्यवस्थित करना चाहिये कि अधिक से अधिक बिन्दु इस सींक पर पड़े। अब नुकीली पैन्सिल से सींक के सहारे निष्कोण वक्र खींच लेना चाहिए।

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now