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स्वर्ण मंदिर का निर्माण किसने करवाया था , स्वर्ण मंदिर की नींव कब और किसने रखी golden temple built by whom in hindi
golden temple built by whom in hindi स्वर्ण मंदिर का निर्माण किसने करवाया था , स्वर्ण मंदिर की नींव कब और किसने रखी ?
उत्तर : स्वर्ण मन्दिर का निर्माण गुरु राम दास जी ने 1577 में आरंभ करवाया था और 1764 में इसे अर्जुन देव जी द्वारा पूरा करवाया गया था।
सिख शैली
वास्तुकला की सिख शैली का विकास आधुनिक पंजाब क्षेत्र में हुआ। यह वास्तुकला की मुगल शैली से काफी प्रभावित थी। सिख शैली की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैंः
ऽ निर्माण के शीर्ष पर कई छतरियों या कियोस्क का उपयोग।
ऽ उथले कार्निस का उपयोग।
ऽ भवनों के गुंबद लंबे धारीदार थे। गुंबदों पर अलंकरण और सहारे के लिए सामान्यतः पीतल और तांबे की परत चढ़ाई गई थी।
ऽ मेहराबों का अलंकरण अनेकानेक पत्रकों का उपयोग करके किया गया था।
उदाहरणः हरमिंदर साहिब या स्वर्ण मंदिर। इसका निर्माण गुरु राम दास ने आरंभ करवाया था और 1764 में इसे अर्जुन देव द्वारा पूरा करवाया गया था।
अकबर
अकबर ने अपने शासनकाल के दौरान कला और स्थापत्य कला के विकास में गहरी रुचि ली। अकबर के शासनकाल के दौरान निर्माण कार्यों की प्रमुख विशेषता लाल बलुआ प्रस्तर का उपयोग था। उसने ‘ट्यूडर आर्क‘ ‘चतुष्काणाय मेहराब‘‘ के उपयोग का भी प्रचलन किया। अकबर के शासनकाल के दौरान किए गए कुछ प्रमुख निर्माण कार्य इस प्रकार वर्णित हैंः
आगरा का किला
यह अकबर के शासनकाल के दौरान आरंभ किए गए पहले निर्माण कार्यों में से एक था। हालांकि, इस किले के अंदर अब भी वर्तमान अधिकांश संरचनाएं शाहजहां के शासनकाल के दौरान बनवाई गईं थीं। यहां के कुछ प्रमुख भवन हैं:
ऽ शाहजहां द्वारा बनवाई गई मोती मस्जिद।
ऽ दीवान-ए-आम।
ऽ दीवान-ए-खास।
ऽ जहांगीरी महल (शाहजहां को यहीं पर नजरबंदी में डाला गया था)।
किले के अंदर बगीचों को चार बाग शैली के अनुसार बनवाया गया था। अकबर इस किले के परिसर का उपयोग अपने हरम में 5000 से भी अधिक स्त्रियों के निवास स्थल के रूप में करता था।
फतेहपुर सीकरी
इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का एक मुख्य आकर्षण अकबर द्वारा फतेहपुर सीकरी में एक नई राजधानी का निर्माण था। यहां पर बने भवन हिंदू और फारसी शैलियों के अनूठे मिश्रण का प्रतिनिधित्व करते हैं। नगर के अंदर स्थित कुछ महत्वपूर्ण भवन इस प्रकार हैंः
ऽ बुलंद दरवाजा
ऽ पंच महल
ऽ जोधा बाई का महल
ऽ सलीम चिश्ती का मकबरा (अकबर सूफी संत सलीम चिश्ती का शिष्य था)
ऽ इबादत खाना (यहां पर अकबर विभिन्न धर्मों के नेताओं से मुलाकात किया करता था)
बुलंद दरवाजा मुगल काल के दौरान बनीं सबसे भव्य संरचनाओं में से एक है जबकि सलीम चिश्ती के मकबरे में कुछ सबसे उत्तम जाली कार्य किया गया है।
अकबर ने वृंदावन में गोविंद देव का मंदिर भी बनवाया था।
जहांगीर
जहांगीर के शासनकाल के दौरान, वास्तुकला की अवनति हुई क्योंकि उसने चित्रकला और कला के अन्य रूपों पर अधिक ध्यान दिया। हालांकि, उसने सिकंदरा में अकबर के मकबरा सहित कुछ उल्लेखनीय स्मारकों के निर्माण की देख-रेख की। उसने लाहौर में अपने मकबरे का भी निर्माण करवाया था और अपने शासनकाल के दौरान कश्मीर में शालीमार बाग जैसे अनेक उद्यानों का भी विकास करवाया था। उसने लाहौर में मोती मस्जिद का भी निर्माण करवाया था।
जहांगीर के शासनकाल के दौरान उसकी पत्नी नूरजहां ने भी कुछ प्रमुख निर्माण परियोजनाओं को अपने हाथ में लिया। नरजहां के पिता एतमाद-उद्-दौला का मकबरा इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। तब तक प्रयुक्त किए जा रहे लाल बलुआ प्रस्तर के स्थान पर उसके शासनकाल के दौरान सफेद संगमरमर प्रमुख निर्माण सामग्री बन गया। एतमाद-उद्-दौला का मकबरा पूर्ण रूप से श्वेत संगमरमर से बना पहला मुगल निर्माण था। इसमें कुछ पित्रा-दूरा के सर्वश्रेष्ठ कार्य भी है।
शाहजहां
शाहजहां के शासनकाल में मुगल वास्तुकला अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच गयी। उसके कुछ प्रमुख निर्माण कार्य नीचे वर्णित हैं।
ताजमहल
ताजमहल मुगल वास्तुकला का सर्वश्रेष्ठ नमूना है। यह भव्यता और ऐश्वर्य की प्रचुरता का प्रदर्शन करता है। इसका निर्माण अर्जुमन बानो बेगम या मुमताज महल की स्मृति में करवाया गया था। इसमें अलंकरण के लिए सुलेखन, पित्रा-दूरा के काम, अग्रदृश्य तकनीक, चार बाग शैली के उद्यान के उपयोग और परिसर में पानी के उपयोग सहित मुगल स्थापत्य कला की सभी विशेषताएं विद्यमान हैं। इसके अतिरिक्त, ताजमहल की कुछ अनूठी विशेषताएं इस प्रकार हैंः
ऽ ताजमहल में जाली का काम बहुत सर्वश्रेष्ठ है।
ऽ संगमरमर पर नक्काशियां कम उभार वाली हैं।
ताजमहल के अतिरिक्त, शाहजहां ने अनेक अन्य स्मारकों, उद्यानों और भवनों का निर्माण करवाया था, जैसेः
ऽ दिल्ली का लाल किला
ऽ दिल्ली की जामा मस्जिद
ऽ लाहौर का शालीमार बाग
ऽ शाहजहांनाबाद का नगर।
इस प्रकार के बड़े पैमाने पर निर्माण कार्यों के अतिरिक्त, उसकी सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक मयूर सिंहासन का निर्माण था। मयूर सिंहासन इस अवधि के धातुकर्म के सर्वश्रेष्ठ उदाहरणों में से एक है।
औरंगजेब
औरंगजेब के शासनकाल के दौरान, मुगल वास्तुकला की अवनति हुई। कट्टरतावादी होने के नाते, उसने कला और स्थापत्य के विकास में कोई सक्रिय रुचि नहीं ली।
मोहम्मद आजमशाह
बहादुर शाह जफर वास्तु निर्माण करवाने वाला अंतिम मुगल बादशाह था। उसने अपनी मां व औरंगजेब की पत्नी बेगम राबिया दुर्रानी की स्मृति में बीवी-का-मकबरा बनवाया। यह औरंगाबाद में स्थित है और इसे ताजमहल की फूहड़ नकल के रूप में वर्णित किया जाता है। उसने अपनी पत्नी की स्मृति में दिल्ली में जीनत महल का भी निर्माण करवाया था।
मुगल काल के दौरान, राजस्थान और पंजाब क्षेत्र में वास्तुकला की दो शैलियां विकसित हुईं।
राजपूत शैली
इस अवधि के राजपूत निर्माण भी मुगल शैली से प्रभावित थे, लेकिन निर्माण के अपने आकार और क्षेत्र में अद्वितीय थे। राजपूतों ने सामान्यतः भव्य महलों और किलों का निर्माण करवाया। राजपूत स्थापत्य कला की कुछ अनूठी विशेषताएं इस प्रकार हैं:
ऽ राजपूतों ने लटकती हुई बालकनी की अवधारणा प्रचलित की। इन्हें सभी आकृतियों और आकारों में बनवाया गया था।
ऽ कार्निस को मेहराब के आकार में इस प्रकार बनवाया गया था कि छाया धनुष का आकार ग्रहण कर लेती थी।
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