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Categories: chemistry

स्वर्ण संख्या (Gold number) , कोलाइडो के उपयोग , डेल्टा निर्माण में , चर्मशोधन में , रक्तस्त्राव को रोकने

स्वर्ण संख्या (Gold number) : द्रव स्नेही कोलाइड (रक्षी कोलाइड) की मिलीग्राम में वह मात्रा जो 10 ml सोने के कोलाइडी विलयन का 10% NaCl के 1 ml से होने वाले स्कंदन को रोक दे , स्वर्ण संख्या कहलाती है।

कुछ रक्षी कोलाइडो की स्वर्ण संख्या निम्न प्रकार है –

1. जिलेटिन – 0.005-0.31

2. केसिन – 0.01-0.02

3. एलब्युमिन , अरेबिक गोंद – 0.15-0.25

4. डेक्सट्रिन – 6.0-20.0

5. आलू का स्टार्च – 20.0-25.0

कोलाइडो के उपयोग

1. आहार के रूप में : दूध , दही , मक्खन , हलवा , आइसक्रीम आदि कोलाइडो का उपयोग आहार के रूप में करते है।

2. जल के शुद्धिकरण : अशुद्ध जल मिट्टी के कणों से बना ऋणावेशित कोलाइडी विलयन होता है , इसे शुद्ध करने के लिए इसमें फिटकरी डालते है।  फिटकरी में उपस्थित धनायन (Al3+) मिट्टी के ऋणावेशित कणों को उदासीन करके स्कंदित कर देते है।  इस प्रकार जल शुद्ध हो जाता है।

3. वाहित मल के निस्तारण में : शहर की गन्दी नालियों का पानी वाहित मल कहलाता है।  यह गंदगी से बना ऋण आवेशित कोलाइड होता है , इसके निस्तारण के लिए इसे एक कुण्ड में एकत्रित करके इसमें इलेक्ट्रोड लगाकर विद्युत धारा प्रावाहित करते है इससे गंदगी के ऋणावेशित कण एनोड (+ve) द्वारा उदासीन होकर स्कंदित हो जाते है तथा जल साफ़ हो जाता है।  इस जल का उपयोग सिंचाई के रूप में एवं कचरे का उपयोग खाद के रूप में किया जाता है।

4. चर्मशोधन में : चमड़ा प्रोटीन के कणों से बना धनावेशित कोलाइड होता है , इसके शोधन के लिए इस पर टेनिन नामक ऋण आवेशित कोलाइड डाला जाता है , इससे पारस्परिक स्कन्दन के कारण चमड़े की प्रोटीन स्कंदित हो जाती है।  इससे चमड़े पर कठोर परत का निर्माण हो जाता है तथा इसमें दुर्गन्ध भी नही आती है।

5. औषधियों में : कोलाइडो की अधिशोषण क्षमता अधिक होने के कारण इनका उपयोग औषधि उद्योग में किया जाता है।

जैसे :

  • आर्जिरोल एवं प्रोटार्जीरोल चांदी (Ag)के रक्षित कोलाइडी विलयन है।  इनका उपयोग आँखों की पलकों के रोगों के उपचार में किया जाता है।
  • एंटीमनी कोलाइड का उपयोग कालाजार रोग के उपचार में किया जाता है।
  • Au , Cu , Fe , Ca , Mn आदि धातुओ के कोलाइडो का उपयोग स्वास्थ्य वर्धक टॉनिक में किया जाता है।
  • कोलाइडी गंधक का उपयोग कीटाणुनाशक के रूप में किया जाता है।
6. रक्तस्त्राव को रोकने में : रक्त एल्ब्युमिन से बना कोलाइडी विलयन होता है इसमें ऋण आवेशित कण होते है।  रक्त स्त्राव को रोकने के लिए FeCl3 विलयन या फिटकरी का ताजा विलयन काम में लेते है।  इनमे उपस्थित धनायन (Fe3+ Al3+) रक्त के ऋण आवेशित कणों को उदासीन कर स्कंदित कर देते है।  इस प्रकार रक्त का धक्का बनने के कारण रक्तस्त्राव रुक जाता है।
7. धूम्र अवक्षेपण में :

फैक्ट्रियो से निकलने वाला धुआं कार्बन व धुल कणों से बना ऋण आवेशित कोलाइडी विलयन होता है।  यह प्रदुषण युक्त होता है अत: इसे प्रदुषण रहित बनाने के लिए इसे एक विशेष प्रकार के यन्त्र से गुजारा जाता है जिसे कोंट्रेल धूम्र अवक्षेपक कहते है।
इस यन्त्र में प्रबल एनोड (+) लगा होता है।  उच्च वोल्टता की विद्युत धारा प्रवाहित करने पर धुंए में उपस्थित कार्बन व धुल के ऋण आवेशित कण एनोड (+) द्वारा उदासीन होकर स्कंदित हो जाते है। इस प्रकार प्रदुषण रहित धुआं बाहर निकलता है।
8. डेल्टा निर्माण में : नदी का जल मिट्टी के कणों से बना ऋण आवेशित कोलाइडी विलयन होता है।  जब नदियाँ समुद्र में मिलती है तथा नदी के जल में उपस्थित मिट्टी के ऋण आवेशित कण समुद्री जल में उपस्थित विद्युत अपघट्य के धनायनो (Na+ , K+ , Mg2+) द्वारा स्कंदित हो जाते है इस प्रकार नदी के मिलने के स्थान पर मिट्टी का ढेर लग जाता है , इससे नदी का जल दो भागो में बट जाता है जिसके फलस्वरूप मिट्टी के ढेर से त्रिकोणी संरचना का निर्माण होता है , इसे ही डेल्टा कहते है।
9. रबर उद्योग में : रबर , रबर कणों का जल में बना ऋण आवेशित कोलाइड होता है , इसको उबालने से इसके कणों पर उपस्थित प्रोटीन की रक्षक परत टूट जाती है और विलयन में यह रबर अवक्षेपित हो जाता है।  इस अवक्षेपित रबर में सल्फर (S) मिलाकर वल्कनीकृत रबर प्राप्त करते है , इस रबर की प्रत्यास्थता अधिक होती है।
यदि किसी वस्तु पर रबर की परत चढ़ानी हो तो उस वस्तु का एनोड बनाकर उसे रबर के ऋण आवेशित कोलाइडी विलयन में डाल देते है।  विद्युत धारा प्रवाहित करने पर रबर के ऋण आवेशित कण एनोड रुपी वस्तु पर स्कंदित होकर परत का निर्माण कर लेते है।
10. फोटोग्राफी में : फोटोग्राफी में जिलेटिन युक्त सिल्वर ब्रोमाइड का कोलाइडी विलयन काम में लेते है।  इसमें जिलेटिन रक्षी कोलाइड का कार्य करता है।  जिलेटिन युक्त सिल्वर ब्रोमाइड को सेलुलोइड की परत पर लेपित करके फोटोग्राफी फिल्क तैयार की जाती है।
11. बारिश में : बादलो में परिक्षिप्त प्रावस्था द्रव व परिक्षेपण माध्यम गैस होती है।  शीतल वायु में बादलों में उपस्थित जल वाष्प के कण संघनित होकर छोटे छोटे जल बिंदुको का रूप धारण कर लेते है।  यह जल बिन्दुक आपस में टकराकर बड़े हो जाते है इस प्रकार जल बिंदु के रूप में धरती पर गिरने लगता है।
कभी कभी धनावेशित व ऋण आवेशित कोलाइडी बादलो के आपस में टकराने से भी पारस्परिक स्कंदन द्वारा बारिश होती है।
इन बादलो पर वायुयानों द्वारा विद्युत अपघट्यो का छिडकाव करके भी कृत्रिम बारिश की जा सकती है।
12. आकाश का रंग नीला दिखाई देना : वायुमंडल में उपस्थित धुल एवं जल के कण निरंतर उड़ते रहते है , यह कण प्रकाश के नीले भाग को प्रकिर्णित करते है जब यह प्रकाश हमारी आँखों तक पहुचता है तो हमें आकाश का रंग नीला दिखाई देता है क्योंकि नीले प्रकाश की तरंग दैर्ध्य सबसे कम होती है अत: यह घटना प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण होती है।
प्रश्न 1 : कांसीयस पर्पल क्या है ?
उत्तर : सोने के बैंगनी रंग के कोलाइडी विलयन को कॉसियस पर्पल कहते है।
प्रश्न 2 : एंजाइम उत्प्रेरण की क्रियाविधि किस परिकल्पना पर आधारित है ? यह परिकल्पना किस वैज्ञानिक ने दी ?
उत्तर : ताला चाबी परिकल्पना।
वैज्ञानिक का नाम : एमिल फिशर
प्रश्न 3 : निम्नलिखित में कौनसी घटना होगी ?
उत्तर :
1. जब धनावेशित व ऋण आवेशित कोलाइडी बादल आपस में टकराते है : पारस्परिक स्कन्दन।
2. जब कोलाइड विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है : विद्युत कण संचलन प्रभाव।
3. जब कोलाइडी विलयन में प्रकाश किरण पुंज गमन करती है – टिंडल प्रभाव
4. जब As2O3 पर आधिक्य में H2S गैस प्रवाहित की जाती है – द्विक अपघटन।
5. जब ताजा बने अवक्षेप पर समान आयन वाला विद्युत अपघट्य गिराया जाता है : पेप्टिकरण
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