JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

भूमंडलीकरण क्या है | भूमंडलीकरण किसे कहते हैं , महत्व , विशेषता , अर्थ निबन्ध globalism in hindi

globalism in hindi भूमंडलीकरण क्या है | भूमंडलीकरण किसे कहते हैं , महत्व , विशेषता , अर्थ निबन्ध की परिभाषा लिखिए |

भूमंडलीकरण-अर्थ एवं संरचना
हमें यहां अंतर्राष्टीय अर्थव्यवस्था और भमंडलीकत अर्थव्यवस्था के अवधारणात्मक अंतर की स्पष्ट पहचान कर लेनी चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पद से सामूहिकता की ध्वनि निकलती है। दूसरे शब्दों में यह एक ऐसी अर्थव्यवस्था होती है जिसमें विविध राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं की प्रक्रिया एवं उनके प्रतिफल की अभिव्यक्ति अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होती है। अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था राष्ट्रीय रूप स निर्धारित प्रकार्यों का कुल योग होता है। राष्ट्रीय रूप से निर्धारित आर्थिक क्रियाओं के लिए तरह तरह की अनेक अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक अंतक्रियाएँ या तो अवसर प्रदान करती है या फिर बाधा उपस्थित करती है। इस संदर्भ में वित्तीय बाजार और उत्पादित वस्तुओं के व्यापार के उदाहरण दिये जा सकते हैं। भूमंडलीकृत अर्थव्यवस्था में चूंकि बाजार व उत्पादन दोनों ही वैश्विक और आत्मनिर्भर हो जाते हैं, अंतः घरेलू नीतियों का निर्माण करते समय, चाहे वे निजी प्रतिष्ठानों से संबंधित हों या संप्रभु राज्यों से, बहुलांश में राष्ट्रीययेत्तर निर्धारकों का ध्यान रखना पड़ता है। विश्वस्तर पर उत्पादन एवं बाजार का जिस तेजी से अंतर्गुथन हो रहा है, उसे देखते हुए राज्य को ऐसी नीतियों का निर्माण करना होगा जिनके आधार पर उक्त चुनौती का सामना किया जा सके। जैसे-जैसे उत्पादन का साधन, खासकर वित्त, अंतर्राष्ट्रीय होता जाएगा तथा बाजार विश्व स्तर पर फैलता जाएगा, वैसे वैसे संप्रभु राज्यों की भूमिका विश्व बाजार के इशारों के अधीन होती जाएगी। भूमंडलीकरण का दूसरा महत्त्वपूर्ण परिणाम यह निकला है कि बहुद्देशीय निगम (एस एन सीज) आज अंतर्राष्ट्रीय निगमों में तब्दील हो गये हैं। अंतर्राष्ट्रीय वित्त की कोई राष्ट्रीय पहचान नहीं होती। फिर चूंकि आज प्रबंधन का भी अंतर्राष्ट्रीयकरण हो गया है, अतः नि़िचत लाभ अथवा उच्च लाभ के लिए इस वित्त की कहीं भी निवेश या पुनर्निदेश किया जा सकता है। संचार क्षेत्र में आई क्रांति की वजह से आज वित्त, खासकर वित्तीय क्षेत्र का निवेश बटन दबाते ही कहीं से कहीं संभव हो गया है। पूरी तरह से मूंडलीकृत अर्थव्यवस्था में वित्त का निवेश केवल बाजार की शक्तियों से निर्धारित होता है, राष्ट्रीय मौद्रिक नीतियों का हवाला देना कतई जरूरी नहीं होता। रणनीति एवं जरूरत के मुताबिक, अंतराष्ट्रीय निगम विश्व स्तर पर अपना उत्पादन तथा मार्केटिंग कर सकता है। अंतर्राष्ट्रीय निगम का उत्पादन आधार किसी खास राष्ट्रीय सीमा में केन्द्रित नहीं रहता। जैसा कि बहुराष्ट्रीय निगमों के साथ होता है, अपितु यह विश्व बाजार की जरूरतें पूरी करता है क्योंकि इसके क्रियाकलाप दुनिया भर में फैला होता है। और यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय निगम की नीतियां, बहुराष्ट्रीय निगम की नीतियों के विपरीत, किसी खास राष्ट्रीय राज्य की नीतियों से नियंत्रित अथवा प्रभावित नहीं होती। यह प्रक्रिया राज्य संप्रभुता की पुरानी धारणा का जड़मूल से नाश करने की कोशिश करती है।

 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद का दौर ब्रिटेन वुड व्यवस्था से संचालित था। तीसरे दशक की अत्यधिक मंदी तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा व्यवस्था की असफलता के लिए आर्थिक राष्ट्रवाद, प्रतियोगी विनिमय दर, अवमूल्यन, स्पर्धी मौद्रिक खेमों के गठन तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के अभाव को जिम्मेदार माना गया था । जुलाई 1944 में, जब मित्र शक्तियाँ फ्रांस से बाहर जा रही थी, चालीस देशों के प्रतिनिधि नई अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा प्रणाली के निर्माण के लिए व्यू हैम्पशायर के ब्रिटेन वुड नामक स्थान पर एकत्र हुए थे। सर्वानुमति की राय थी कि पुरानी मौद्रिक व्यवस्था जो मुख्यतया बाजार की ताकतों पर निर्भर थी, अब अपर्याप्त साबित हो चुकी है। आगे सभी सरकारों को मिलजुलकर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा व्यवस्था के प्रबंधन की जिम्मेदारी लेनी होगी। संयुक्त राज्य अमरीका से जो उस दौर में प्रमुख आर्थिक एवं सैनिक शक्ति में आगे था.ने युद्धोत्तर काल में नयी मौद्रिक व्यवस्था स्थापित करने की प्राथमिक जिम्मेदारी ली थी। इसके गठन का उद्देश्य आर्थिक राष्ट्रवाद की रोकथाम तथा बढ़ते हुए अंतर्राष्ट्रीय मेलजोल के संदर्भ में मुक्त व्यापार को प्रोत्साहित करना था। माना गया कि एक उदार आर्थिक प्रणाली,जो अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर आधारित होगी, ही टिकाऊ शांति की गारंटी दे सकती है। संयुक्त राज्य अमेरीका और युनाइटेड किंग्डम द्वारा अंतर्राष्ट्रीय । मौद्रिक प्रबंधन की नयी प्रणाली की योजना दुनिया की पहली सामुहिक अंतराष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली बन गयी। इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के संवर्द्धन, आर्थिक विकास और दुनिया के विकसित बाजार अर्थव्यवाणाओं के बीच राजनीतिक संगति का मार्ग प्रशस्त हुआ। 27 सालों बाद 15 अगस्त 1971 को अमरीकी राष्ट्रपति निक्सन ने टेलीविजन के जरिये ब्रिटेन वुडस व्यवस्था के अंत की घोषणा कर दी। साथ ही उन्होंने यह घोषणा भी कि संयुक्त राज्य अमरीका अब अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्था के नियमों एवं प्रक्रियाओं का अनुपालन नहीं करेगा। क्रमिक तेल संकट,बाजार व्यवस्था का बढ़ता असंतुलन, औद्योगिक देशों की विकास दर में ह्रास-ये ही वे कारण रहे, जिनसे 9वे दशक में भूमंडलीकरण की शुरुआत हुई। इसके पहले कि हम भूमंडलीकरण की व्याख्या प्रस्तुत करें,बेहतर यह होगा कि हम ब्रिटेन वुड्स व्यवस्था और उसके तहत स्थापित संस्थाओं खासकर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और अंतर्राष्ट्रीय पुनर्गठन तथा विकास बैंक (आई बी आर डी) के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें।

 भूमंडलीकरण का प्रभाव
पिछले दो दशकों में प्रौद्योगिकी के विकास और यातायात के क्षेत्र में क्रांति आ गयी है। नतीजतन बाजार और राष्ट्र-राज्य की सीमाएँ टूटी हैं। संचार, उत्पादन, व्यापार व वित्त जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में, आर्थिक गतिविधियाँ तेजी से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुई है। नई प्रौद्योगिकी से आर्थिक इकाइयों की गतिशीलता में भी इजाफा हुआ है तथा बाजार एवं समाज एक दूसरे के प्रति ज्यादा संवेदनशील हुए हैं। इन्ही सब बातों से दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं का भूमंडलीकरण संभव हो सका है। इससे मुक्त विश्व व्यापार के आदर्श को हासिल करने का, विश्व व्यापार संगठन की अगुआई में, मार्ग भी प्रशस्त हुआ है।

भूमंडलीकरण से उत्पादन प्रकिया में क्रांतिकारी बदलाव आया है। नतीजतन उत्पादन का केन्द्र धनी देशों, जहाँ श्रम मूल्य काफी है, से हटकर गरीब देशों, में स्थापित हो रहा है जहाँ सस्ते श्रम की प्रचुर उपलबधता है। पहले जहाँ श्रम उत्पादन का महत्वपूर्ण कारक था, उसे प्रौद्योगिकी विकास ने फालतू बना दिया है। इससे बेरोजगारी और अर्द्धरोजगार में इजाफा हुआ है। ऐतिहासिक रूप से इन, दबावों का मुकाबला करने के लिए राज्य हस्तक्षेप करते थे, संरक्षणवाद की अवधारणा का इस्तेमाल था। लेकिन मुक्त व्यापार की विचारधारा से अनुप्रमाणित भूमंडलीकरण की प्रकिया ने राज्य हस्तक्षेप की संभावना को खत्म कर दिया था उसे कमजोर कर दिया है, चाहे सब्सिडी का मामला हो अथवा उनके आंतरिक बाजार के संरक्षण का मामला हो। विकसित देशों के श्रमिकों को जहाँ नौकरी खोने का खतरा पैदा हो गया है, वहीं तीसरी दुनिया के देश आस लगाए बैठे हैं कि इससे रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।लेकिन यह छिपी हुई बात नहीं है कि जब मुक्त व्यापार की विचारधारा पश्चिम के देशों खासकर तीसरी दुनिया के देशों को सामाजिक सुरक्षा एवं सार्वजनिक कल्याण के मदों में कटौती करने के लिए बाध्य करती है, तब रोजगार में भारी कमी आती है तथा समाज में कई तबकों को हाशिए पर जाना पड़ता है। दरअसल ऐसा हो भी रहा है। भूमंडलीकरण के ऐसे सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव के विश्वव्यापी हो जाने की संभावना है। यह अलग बात है कि तीसरी दुनिया के देशों में इसका ज्यादा गहरा असर होगा।

श्रम शक्ति का प्रव्रजन भी भूमंडलीकरण का एक महत्वपूर्ण नतीजा है। जब रोजगार की तलाश कोई श्रमिक पश्चिम के औद्योगिक देशों अथवा खाडी के तेल उत्पादक देशों में प्रवजन करता है तब वहाँ सामाजिक तनाव में वृद्धि की संभावना पैदा हो जाती है। जर्मनी और दूसरे पश्चिमी देशों में प्रवजन करता है तब वहां जर्मनी और दूसरे पश्चिमी देशों में नस्लवाद तथा खाड़ी देशों में प्रव्रजकों के खिलाफ स्थानीय लोगों का असंतोष इस बात के सबूत है । सही है कि संचार क्रांति से दुनिया सिमटकर छोटी हो गई है, तथापि यह अपने आप में विश्व समुदाय के गठन का पर्याप्त कारण नहीं है। भूमंडलीकरण का एक महत्वपूर्ण परिणाम यह भी रहा है इससे समाजों में अलगाववादी प्रवृत्ति और अस्मिता की पहचान की लड़ाई तेज हो गयी है। चाहे वह नृजातीय, राष्ट्रीय अथवा धामिक ही क्यों न हो । मुक्त व्यापार और विश्व व्यापार संगठन की मौजूदगी से राष्ट्रीय हितों में स्वतः ही संगति पैदा नहीं हो सकती । दूरसंचार, उपग्रह टी वी कार्यक्रम इलेक्ट्रोनिक उद्योग आदि के मसलों, अमरीका एवं यूरोपीय देशों के बीच जैसी ठनी हुई है, उससे भी यह स्पष्ट होता है। आर्थिक भूमंडलीकरण और राष्ट्र के रूप में विश्व समुदाय का उदय एक ही चीज नहीं है । विश्व हितों के ऊपर राज्य चाहे उसकी संप्रभुता सीमित ही क्यों न हो। अपनी प्राथमिकताओं और अपने हितों को तरजीह देने से आज भी बाज नहीं आ रहे । ये झगड़े विश्व असुरक्षा और अंतर्राज्यीय तनावों को बढ़ाते हैं।

बोध प्रश्न 2
टिप्पणी क) अपने उत्तर के लिए नीचे दिए गए स्थान का प्रयोग कीजिए।
ख) इस इकाई के अंत में दिए गए उत्तरों से अपने उत्तर की तुलना कीजिए।
1) उत्तर ब्रिटेनवुड्स काल में अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में कौन-कौन से महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं?

बोध प्रश्नों के उत्तर

बोध प्रश्न 2
क) आर्थिक उपव्यवस्था का उदय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों का विकास सबसे महत्वपूर्ण विकास है।
ख) महसूस किया गया कि भूमंडलीकरण का प्रभाव खासकर विकासशील देशों पर अच्छा नहीं हो सकता है।

सारांश
भूमंडलीकरण दुनिया के राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के बीच अंतर्सत्रता एवं अन्तः र्निभरता में तेजी लाने की प्रक्रिया का नाम है। यह राज्यों के अर्थव्यवस्था के संचालित करने के अधिकार में कटौती करती है। भूमंडलीकरण एक ऐतिहासिक क्रिया रही है। उस द्वितीय विश्वयुद्ध काल में, ऐसी संस्थाएँ अस्तित्व में आयी जो अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक एवं व्यापार संबंधों को नियंत्रित करने का प्रयास करती थी। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक तथा गैट ऐसी ही संस्थाएँ थी। यह व्यवस्था ब्रिटेनवुड्स व्यवस्था के नाम जानी जाती थी। तथापि यह व्यवस्था सातवें दशक में अमरीकी वर्चस्व के तले ध्वस्त हो गयी क्योंकि अमरीका ने एक तरफ घोषणा कर दी कि वह इसके नियमों और प्रकियाओं का अनुपालन नहीं करेगा। तदुपरान्त तेल संकट पैदा हआ। औद्योगिक उत्पादन के क्षेत्र में परिष्कृत कंप्यूटर तकनीक का इस्तेमाल बढा। अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था पर इनका गहरा प्रभाव पड़ा। पश्चिमी देशों की संसाधनों की जरूरत, तथा इन देशों के आर्थिक संकट तथा उनमें आए प्रगतिरोध का नतीजा अंततः यह हुआ कि अमरीकी वर्चस्व तले उनका भूमंडलीकरण हो गया। भूमंडलीकरण से राष्ट्र राज्यों के बीच न तो बराबरी बढ़ी है और न ही उससे अनिवार्य रुप से तीसरी दुनिया के देशों का विकास हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय निगम और औद्योगिक देश आज भी एक साथ मिलकर विश्व अर्थव्यवस्था का शोषण कर रहे है। आज भी उनकी दमदार स्थिति कायम है। गैट के उरूग्वे चक्र वार्ता के परिणामस्वरूप विश्व व्यापार संगठन की स्थापना हुई है।

शब्दावली
मित्रशक्तियाँ ः द्वितीय विश्वयुद्ध दो शक्ति केन्द्रों-मित्र शक्तियों एवं ध्रुव शक्तियों के बीच लड़ा गया था। मित्र शक्तियों की अगुआई ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमरीका,फ्रांस तथा भूतपूर्व सोवियत संघ के हाथ में थी।
डंकल मसौदा ः उरुग्वे चक्र वार्ता में आये गतिरोध को दूर करने की गरज से गैट के डायरेक्टर जनरल आर्थर डंकल ने कुछ खास प्रस्ताव तैयार किये थे। बाद में यही प्रस्ताव “डंकल मसौदा’’ के रूप में जाना गया।
सेवा क्षेत्र ः किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में दो क्षेत्र होते हैं-सप्राथमिक क्षेत्र और द्वितीयक क्षेत्र । प्राथमिक क्षेत्र वस्तुओं के उत्पादन से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ रहता है द्वितीयक क्षेत्र सेवा मुहैया कराता है और इसी लिए यह सेवा क्षेत्र भी कहलाता है।

कुछ उपयोगी पुस्तकें
जोन एडेलमैन स्पेरों. 1977 रूदि पॉलिटिक्स आव इंटरनेशनल इकोनोमिक रिलेशन्स.जॉर्ज लेन एण्ड अन्वित।
होल्ड रिनेरार्ट एण्ड विंस्टन, 1975, इंटरनेशनल इकोनोमिक इंस्टीट्युशन्स, नंदन,
चेरनुलम एफ, टाटा मेग्रा हिल, 1988 इंटरनेशनल इकोनोमिकज, नई दिल्ली।

Sbistudy

Recent Posts

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

22 hours ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

3 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

5 days ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

5 days ago

elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है

दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…

5 days ago

FOURIER SERIES OF SAWTOOTH WAVE in hindi आरादंती तरंग की फूरिये श्रेणी क्या है चित्र सहित

आरादंती तरंग की फूरिये श्रेणी क्या है चित्र सहित FOURIER SERIES OF SAWTOOTH WAVE in…

1 week ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now