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generation of computer in hindi कंप्यूटर की पीढ़ियां कौन कौनसी है , बताये कम्प्यूटर पीढ़ी , first , second
generation of computer in hindi first , second कंप्यूटर की पीढ़ियां कौन कौनसी है , बताये कम्प्यूटर पीढ़ी ?
कंप्यूटर की पीढ़ियां (generation of computer) बदलती गई और इन पीढ़ियों का विकास उस टेक्नोलॉजी के आधार पर हुआ जो टेक्नोलॉजी हम कंप्यूटर में उपयोग करते थे प्रारंभ में हार्डवेयर टेक्नोलॉजी में परिवर्तन के आधार पर इस जनरेशन का नाम रखा जाता था या बदला जाता था लेकिन वर्तमान में अगर कंप्यूटर की पीढ़ी की बात करें तो वह सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर दोनों को मिलाकर एक कंप्यूटर सिस्टम और उसकी पीढ़ी का निर्धारण करते हैं |
अभी तक कंप्यूटर की पांच जनरेशन ज्ञात है आगे इस पोस्ट में हम उन पांच पीढ़ियों के बारे में संक्षिप्त में चर्चा करेंगे और इन पीढ़ियों में क्या क्या परिवर्तन हुए और इनकी क्या क्या विशेषता थी यह सब चीजें विस्तार से पढ़ेंगे |
कंप्यूटर में 1940 से लेकर अभी तक बहुत डेवलपमेंट हुआ और इसी डेवलपमेंट के कारण आज कंप्यूटर बहुत ही छोटा , सत्ता और शक्तिशाली डिवाइस के रूप में हमारे सामने उपलब्ध है | अगर हम पीढ़ियों की बात कर रहे हैं तो यह स्वभाविक है कि हम प्रारंभ से लेकर अभी तक कंप्यूटर में डेवलपमेंट के बारे में ही इतिहास से अब तक का सफर तय कर रहे हैं और बात कर रहे हैं कि कंप्यूटर मे डेवलपमेंट किस प्रकार और क्या-क्या हुआ |
- प्रथम पीढ़ी (First generation) (1940 से 1956) : पहले कंप्यूटर में वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया गया तथा मेमोरी के लिए मैग्नेटिक drums इस्तेमाल की गई , यह कंप्यूटर आकार में बहुत बड़े लगभग कमरे के आकार के होते थे , इन को चलाने के लिए बिजली की अत्यधिक मात्रा की आवश्यकता होती थी तथा यह बहुत ही महंगे होते थे , इस प्रकार के कंप्यूटर बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करते थे , और इसी ऊष्मा की वजह से इन कंप्यूटरों में जल्दी ही खराबी का डर बना रहता था ,प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटरों में मशीन भाषा का उपयोग किया गया था जो कि प्रोग्रामिंग भाषा की सबसे छोटी भाषा मानी जाती है जिसे कंप्यूटर आसानी से समझ सकता है और उनको दिए गए टास्क को पूरा कर सकता है इनकी स्पीड बहुत ही कम थी यह किसी जटिल समस्या को सॉल्व करने में कई दिन या हफ्ते लगा सकते थे | इनपुट के लिए punched cards (पंच कार्ड) और paper tape ( पेपर टेप) तथा आउटपुट प्रिंटआउट के रूप में लिया जाता था |
उदाहरण : UNIVAC तथा ENIAC , इनमें से UNIVAC पहला कंप्यूटर था जो कमर्शियल काम के लिए एक बिजनेस ग्राहक को U.S census bureau को 1951 में दिया गया था |
- द्वितीय पीढ़ी (Second generation) (1956 से 1963) : कंप्यूटर की द्वितीय पीढ़ी में वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्रांजिस्टर का उपयोग किया गया , ट्रांजिस्टर का आविष्कार बैल लैब में 1947 में हुआ था लेकिन 1950 तक ट्रांजिस्टर का उपयोग कंप्यूटर में नहीं किया गया था , वैक्यूम ट्यूब के मुकाबले में ट्रांजिस्टर बहुत ही शक्तिशाली साबित हुआ और ट्रांजिस्टर उपयोग करने के बाद कंप्यूटर आकार में बहुत छोटा , फास्ट , सस्ता और प्रथम पीढ़ी की तुलना में ऊर्जा का भी कम इस्तेमाल करता था | हालांकि ट्रांजिस्टर भी अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करता है जिससे कंप्यूटर का खराब होने का खतरा बना रहता था ,कंप्यूटर की द्वितीय पीढ़ी में भी इनपुट के लिए पंच कार्ड का उपयोग किया जाता था तथा प्रिंटआउट के रूप में आउटपुट लिया जाता था |
कंप्यूटर की द्वितीय पीढ़ी criptic बायनरी मशीन लैंग्वेज से symbolicअथवा assembly भाषा का उपयोग जाने लगा जिससे प्रोग्रामर शब्दों के रूप में कंप्यूटर को दिशा निर्देश दे सकते थे , इसी समय में COBOL तथा FORTRAN जैसी हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज developed की गई , यह वह कंप्यूटर थे जो दिशा निर्देशों को अपनी मेमोरी में संग्रहित करते थे और इन कंप्यूटरों में मैग्नेटिक ड्रम के स्थान पर मैग्नेटिक core टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल मेमोरी के लिए किया गया |
- तृतीय पीढ़ी (Third generation) ( 1964 से 1971) : एकीकृत परिपथ ( integrated circuit) के डेवलपमेंट से कंप्यूटर की तृतीय पीढ़ी उत्पन्न हुई जिसमें ट्रांजिस्टर (Transistor)एक सिलिकॉन chip पर लगने लगे थे जिन्हें सेमीकंडक्टर कहा गया एकीकृत परिपथ इस्तेमाल करने के बाद कंप्यूटर की स्पीड और कार्य करने की क्षमता में बहुत अत्यधिक बढ़ावा देखने को मिला , पंच कार्ड के स्थान पर कीबोर्ड इस्तेमाल किया जाने लगा तथा प्रिंटआउट के स्थान पर मॉनिटर (Monitor) का इस्तेमाल होने लगा , प्रति पीढ़ी के कंप्यूटर एक ही समय में कई एप्लीकेशन Run करने की क्षमता रखते थे और इनका आकार भी काफी छोटा होने के कारण इनको आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता था पहले दो पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में यह काफी सस्ते थे |
- चतुर्थ पीढ़ी (Fourth generation) ( 1971 से 1985) : माइक्रोप्रोसेसर में कंप्यूटर की चौथी पीढ़ी में अपना योगदान दिया , जब हजारों एकीकृत परिपथ एक सिलिकॉन चिप (silicon chip) के रूप में समाहित हो गए तब कंप्यूटर का बहुत ही छोटा रूप देखने को मिला जो कंप्यूटर पहले कमरे के आकार के होते थे वह कंप्यूटर अब इतने छोटे हो गए थे कि कोई भी उंहें अपने हाथ में लेकर इस्तेमाल कर सकता था तथा एक स्थान से लेकर दूसरे स्थान पर अपनी जेब में लेकर घूम सकता था , 1971 में इंटेल 4004 चिप डेवलप की गई और उसे कंप्यूटर में लगाया गया CPU से लेकर इनपुट आउटपुट सभी एक चिप के रूप में दिखने लगे , इन कंप्यूटरों में VLSI ( वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेटेड सर्किट) तथा माइक्रोप्रोसेसर चिप का उपयोग किया गया था जिससे CPU महल एक chip के आकार का बन गया था |
- पंचम पीढ़ी (Fifth generation) ( 1985 से अब तक) : आज हम जो कंप्यूटर पीढ़ी इस्तेमाल कर रहे हैं वह कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ी है आजकल की कंप्यूटरों में कृत्रिम बुद्धिमता (Artificial intelligence) देखने को मिल रही है अर्थार्थ कंप्यूटर भी मानव की तरह सोचने और समझने की क्षमता रखें यह प्रयास किया जा रहा है , कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ी में ULSI (अल्ट्रा लार्ज स्केल इंटीग्रेटेड सर्किट) का इस्तेमाल किया जा रहा है , अर्थार्थ एक सिंगल सिलिकॉन चिप पर लाखों इंटीग्रेटेड सर्किट या ट्रांजिस्टर लगाए जा सकते हैं जिससे उसका आकार और भी छोटा हो गया है |
कंप्यूटर पीढियाँ (generation of computer in hindi)
कंप्यूटर के विकास के इतिहास को हम एक समय अंतराल में विकसित की गयी नयी तकनिकी के आधार पर पाँच पीढियों में समझ सकते है। प्रत्येक पीढ़ी में कंप्यूटर के मुलभुत सिद्धान्त और उसके किसी भाग में नयी तकनीक विकसित होने पर एक नयी पीढ़ी की शुरुआत होती है। गणना के लिए बने पहले उपकरण से लेकर आधुनिक कंप्यूटर के आविष्कार तक का समय पाँच भागो में विभाजित किया गया है जिसे कंप्यूटर की पीढ़ियाँ कहा जाता है।
- प्रथम पीढ़ी (First generation 1946-1955): कंप्यूटर की प्रथम पीढ़ी की शुरुआत 1946 में हुई। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर वैक्यूम ट्यूब (निर्वात नलिका) का प्रयोग आंतरिक ऑपरेशन के लिए करते थे। इस पीढ़ी के कम्पूटरों की प्रोग्रामिंग बहुत कठिन थी और ये “stored program” सिद्धान्त पर कार्य करते थे। इस पीढ़ी का मुख्य कम्प्यूटर इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इन्टीग्रेटर एंड कैलकुलेटर (ENIAC) (Electronic Numerical Integrator and Computer) था जो कि ECKERT और Mauchly के द्वारा 1946 में विकसित किया गया था।
- द्वितीय पीढ़ी (second generation 1956-1965): द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया जाता था। ट्रांजिस्टर का विकास John burdin and william B shockley आदि ने अमेरिका की बेल प्रयोगशाला में किया था। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में प्राथमिक मेमोरी के लिए “चुंबकीय कोर” का प्रयोग किया जाता था। इस पीढ़ी का मुख्य कंप्यूटर univac 1108 था। इस काल में कंप्यूटरों का प्रयोग बिज़नस और उद्योग में किया जाने लगा था।
- तृतीय पीढ़ी (Third generation 1966-1970): तृतीय पीढ़ी में कंप्यूटर क्षेत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ। इस पीढ़ी में कम्प्यूटरों में आंतरिक ऑपरेशन करने के लिए “एकीकृत परिपथ (integrated circuit) (IC) ” को प्रयोग में लिया गया। ट्रांजिस्टर , संधारित्र आदि को मिलाकर एक चिप बनाई गयी जिसे IC कहा गया। इस पीढ़ी का यह महत्वपूर्ण आविष्कार था। एकीकृत परिपथ (integrated circuit) के प्रयोग में लेने के कारण कंप्यूटर आकार में छोटे , गति में काफी तेज और काफी विश्वसनीय हो गए।
- चतुर्थ पीढ़ी (Fourth generation 1971-1985): चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटरों में very large scale integration (VLSI) और माइक्रोप्रोसेसर चिप का प्रयोग किया। माइक्रोप्रोसेसर का विकास सम्पूर्ण सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के सिंगल चिप पर डिजाइन होने पर संभव हुआ तथा इस कार्य को VLSI के विकास ने संभव बनाया। इंटेल कारपोरेशन ने 1971 में माइक्रोप्रोसेसर चिप का विकास किया और E.D. रोबर्ट्स द्वारा प्रथम माइक्रो कंप्यूटर डिजाइन किया गया।
- पंचम पीढ़ी (fifth generation 1985 – upto): आज पंचम पीढ़ी के कंप्यूटरों का ही प्रयोग किया जा रहा है। आज वैज्ञानिक कम्प्यूटरों में कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) डाल रहे है। अर्थात कंप्यूटर मानव की तरह सोच सके और समझ सके व मानव की तरह कार्य कर सके –
पीढ़ियाँ | काल | इलेक्ट्रॉनिक component |
i | 1946-1955 | वैक्यूम ट्यूब |
ii | 1956-1965 | ट्रांजिस्टर |
iii | 1966-1970 | इंटिग्रेटेड सर्किट |
Iv | 1971-1985 | माइक्रोप्रोसेसर चिप |
V | 1986. . . .. . . | VLSI |
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