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Categories: hindi grammer

लिंग हिंदी व्याकरण में परिभाषा क्या है ? स्त्रीलिंग और पुल्लिंग शब्द पीडीऍफ़ लिस्ट उदाहरण किसे कहते है ?

gender in hindi लिंग हिंदी व्याकरण में परिभाषा क्या है ? स्त्रीलिंग और पुल्लिंग शब्द पीडीऍफ़ लिस्ट उदाहरण किसे कहते है ? अंतर |

लिंग (gender)

लिंग संस्कृत भाषा का शब्द है। इसका अर्थ होता है- चिह्न या निशान। किसी संज्ञा का ही चिह्न या निशान होता है। अतः संज्ञा के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु की जाति का बोध हो उसे व्याकरण में ‘लिंग’ कहते हैं । हिन्दी में दो ही लिंग होते हैं-पुल्लिंग और स्त्रीलिंग । यों संस्कृत में तीन लिंग होते हैं-पुल्लिंग, स्त्रीलिंग, नपुसंकलिंग ।

लिंग-निर्णय

(क) निम्नलिखित अवस्थाओं में संस्कृत के तत्सम शब्द पुलिंग होते है-

(1) जिन संज्ञाओं के अन्त में ‘त्र’ होता है, जैसे-पात्र, क्षेत्र, चित्र, नेत्र, शस्त्र, चरित्र आदि।

(2) नान्त संज्ञाएँ पु० होती हैं, जैसेकृवचन, नयन, पालन, पोषण, शमन-दमन आदि। अपवाद-पवन उभयलिंग है।

(3) ‘ज’- प्रत्ययांत संज्ञाएँ पु० होती हैं-पिण्डज, सरोज, जलज, स्वेदज, ऊष्मज।

(4) जिन भाववाचक संज्ञाओं के अन्त में त्व, त्य, व, र्य होता है, जैसे-बहुत्व, सतीत्व,

पत्नीत्व, कृत्य, नित्य, गौरव, लाघव, धैर्य, माधुर्य आदि ।

(5) जिन शब्दों के अन्त में ‘आर’, ‘आय’ या ‘आस’ होय जैसे-विस्तार, संसार, विकार, समुदाय, अध्याय, उपाय, उल्लास, विकास, हास आदि।

अपवाद-सहाय (उभयलिंग), आय (स्त्रीलिंग)

(6) ‘अ’- प्रत्ययान्त संज्ञाएँ पुल्लिंग होती हैं-त्याग, पाक, क्रोध, मोह, दोष आदि।

अपवाद- जय (स्त्री), विनय (उभयलिंग)।

(7) ‘त’ – प्रत्ययान्त संज्ञाएँ पु० होती हैं, जैसे-मत, गीत, गणित, चरित, स्वागत आदि ।

(8) जिनके अन्त में ‘ख’ होता है वे पु० होते हैं जैसे- सुख, दुख, नख, लेख, मुख, मख, शंख आदि ।

(ख) निम्नलिखित अवस्थाओं में संस्कृत के तत्सम शब्द स्त्रीलिंग होते हैंय जैसे-

(1) आकारान्त संज्ञाएँ स्त्री० होती हैं.-कृपा, लज्जा, माया, दया, क्षमा, शोभा आदि।

(2) नाकारान्त संज्ञाएँ स्त्री० होती हैं, जैसे-रचना, वेदना, प्रस्तावना, प्रार्थना, घटना आदि।

(3) उकारान्त संज्ञाएँ स्त्री० होती हैं, जैसे-मृत्यु, आयु, वायु, रेणु, रज्जु, वस्तु, धातु, ऋतु, आदि ।

अपवाद- मधु, अश्रु, तालु, मेरु, हेतु, सेतु आदि ।

(4) जिनके अन्त में ‘ति’ अथवा ‘नि’ हो तो वे स्त्री० होती हैं । जैसे-जाति, रीति, गति, मति, हानि, योनि, ग्लानि, बुद्धि, सिद्धि, ऋद्धि (सिध् $ ति = सिद्धि) आदि ।

(5) ‘ता’ प्रत्ययान्त’ भाववाचक संज्ञाएँ स्त्री० होती हैं । जैसे- सुन्दरता, प्रभुता, लघुता, नम्रता आदि ।

(6) ‘इमा’ – ‘प्रत्ययान्त’ शब्द स्त्री० होते हैं – कालिमा, लालिमा, महिमा, गरिमा ।

(7) इकारान्त संज्ञाएँ स्त्री० होती हैं-राशि, अग्नि, छवि, केलि, विधि, निधि ।

अपवाद- गिरि, बलि, वारि, जलधि, पाणि, अद्रि इत्यादि ।

हिन्दी के तद्भव शब्दों का लिंग निर्णय

तद्भव पुल्लिंग शब्द –

(1) ऊनवाचक संज्ञाओं को छोड़कर शेष आकारान्त संज्ञाएँ पुल्लिंग होती हैं जैसे-चमड़ा, पहिया, कपड़ा, गन्ना, आटा, पैसा आदि।

(2) जिन भाववाचक संज्ञाओं के अन्त में ना, आव, पन, वा, पा होता है, वे पु० होती हैं। जैसे-गाना, आना, बहाव, चढ़ाव, बड़प्पन, बुढ़ापा, बढ़ापा आदि ।

(3) कृदन्त की आनान्त संज्ञाएँ पु० होती हैं जैसे-खान, पान, नहान, उठान, मिलान, लगान आदि।

तद्भव स्त्रीलिंग शब्द –

(1) ईकारान्त संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे-रोटी, टोपी, चिट्ठी, नदी, उदासी आदि।

अपवाद- पानी, घी, दही, मही, मोती, जी आदि शब्द पुल्लिंग होते हैं।

(2) तकारान्त संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती हैं । जैसे- लात, बात, छत, भीत, रात, पत आदि ।

अपवाद-सूत, खेत, गात, दाँत, भात आदि शब्द पुल्लिंग होते हैं ।

(3) ऊनवाचक याकारान्त संज्ञाएँ स्त्री० होती हैं । जैसे-पुड़िया, डिबिया, फुड़िया, खटिया, ठिलिया आदि। (4) ऊकारान्त संज्ञाएँ स्त्री० होती हैं । जैसेकृबालू, लू, दारू, व्यालू, झाडू, गेरू आदि ।

अपवाद-आलू, आँसू, रतालू, टेसू आदि शब्द पुल्लिंग होते हैं।

(5) अनुस्वारान्त संज्ञाएँ स्त्री० होती हैं । जैसे-सरसों, खड़ाऊँ, भौं, चूँ आदि ।

अपवाद-कोदों, गेहूँ आदि ।

(6) सकारान्त संज्ञाएँ स्त्री० होती हैं । जैसे-प्यास, वास, साँस, मिठास, रास (लगाम) आदि ।

अपवाद-दृरास (नृत्य), विकास, काँस आदि शब्द पुल्लिंग होते हैं ।

(7) कृदन्त की नकारान्त संज्ञाएँ जिनका उपान्त्य वर्ण अकारान्त हो अथवा जिनकी धातु नकारान्त हो। जैसे-सूजन, रहन, जलन, उलझन, पहचान आदि ।

अपवाद  -चलन ।

(8) कृदन्त की अकारान्त संज्ञाएँ स्त्री० होती हैं । जैसे-लूट, मार, समझ, दौड़, सँभाल, रगड़, चमक, छाप, पुकार आदि।

अपवाद-खेल, नाच, मेल, बिगाड़, बोल, उतार आदि ।

(9) जिन भाववाचक संज्ञाओं के अन्त में ट, वट, हट होता है वे स्त्री० होती हैं। जैसे- सजावट, घबराहट, चिकनाहट, आहट, झंझट आदि।

(10) जिन संज्ञाओं के अन्त में ख होता है वे स्त्री० होती हैं। जैसे-राख, चीख, भूख, ईख, काँख, कोख, साख, देखरेख आदि ।

अपवाद – पाख, रुख ।

अप्राणिवाचक हिन्दी पुल्लिंग शब्द

(1) शरीर के अवयवों के नाम पुल्लिंग होते हैं । जैसे–हाथ, पाँव, कान, मुँह, दाँत, ओठ,गाल, मस्तक, तालु, बाल, अँगूठा, नाखून आदि ।

अपवाद- नाक, आँख, जीभ, कोहनी, कलाई, ठोड़ी, खाल, बाँह, नस, हड्डी, इन्द्रिय, काँख ।

(2) रत्नों के नाम पुल्लिंग होते हैं । जैसे-मोती, माणिक, पन्ना, जवाहर, मूंगा, नीलम, पुखराज, लाल आदि।

अपवाद-चुन्नी, लालड़ी, मणि आदि ।

(3) अनाज के नाम पुल्लिंग होते हैं । जैसे- बाजरा, चना, मटर, जौ, गेहूं, चावल, तिल, आदि ।

अपवाद- अरहर, मूंग, खेसारी, मकई, जुआर आदि ।

(4) धातुओं के नाम पुल्लिंग होते हैं । जैसे–सोना, सीसा, काँसा, ताँबा, लोहा, राँगा, पीतल, टीन, रूपा आदि ।

अपवाद-चाँदी।

(5) पेड़ों के नाम पुल्लिंग होते हैं । जैसे-आम, शीशम, बड़, पीपल, देवदारु, चीड़, सागौन, कटहल, अमरूद, नीबू, शरीफा, सेव, तमाल, अशोक, अखरोट आदि ।

(6) द्रव पदार्थों के नाम पुल्लिंग होते हैं । जैसे-पानी, घी, तेल, सिरका, आसव, काढ़ा, रायता, अर्क, शर्बत, इत्र आदि ।

(7) भौगोलिक जल और स्थल आदि अंशों के नाम प्रायः पुल्लिंग होते हैं । जैसे-द्वीप, पर्वत, समुद्र, रेगिस्तान, नगर, देश, प्रान्त, वायुमण्डल, नभोमण्डल, सरोवर, पाताल आदि।

अपवाद-पृथ्वी, झील, घाटी आदि ।

अप्राणिवाचक हिन्दी स्त्रीलिंग शब्द

(1) खाने-पीने की चीजें स्त्रीलिंग होती हैं । जैसे-पकौड़ी, रोटी, दाल, कचैड़ी, पूड़ी, खीर, खिचड़ी, सब्जी, तरकारी, चपाती आदि।

अपवाद-दही, रायता, पराठा, हलुआ, भात आदि ।

(2) नक्षत्रों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं । जैसे-भरणी, अश्विनी, रोहिणी आदि ।

अपवाद-मंगल, बुध आदि ।

(3) नदियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं । जैसे-गंगा, गोदावरी, यमुना, महानदी, सतलज, रावी, व्यास, झेलम इत्यादि।

अपवाद-सिंधु, ब्रह्मपुत्र, शोण नद हैं, इसलिए पुल्लिंग हैं।

(4) बनिए की दूकान की चीजें स्त्रीलिंग होती हैं । जैसे-लौंग, इलायची, दालचीनी, मिर्च, चिरौंजी, हल्दी, जावित्री, सुपारी, हींग आदि ।

अपवाद -धनिया, जीरा, गर्ममसाला, नमक, तेजपत्ता, केसर, कपूर इत्यादि ।

हिन्दी के उभयलिंगी शब्द

हिन्दी के कुछ ऐसे शब्द होते हैं जो स्त्रीलिंग और पुल्लिंग दोनों में प्रयुक्त होते हैं। अर्थ के अनुसार इनका लिंग बदल जाता है । जैसे-

(1) कल-पु० आगामी दिन, स्त्री० चैन, आराम ।

(2) यदि-पु० संन्यासी, स्त्री० विराम ।

(3) कोटि-पु० करोड़, स्त्री० श्रेणी ।

(4) टीका-पु० तिलक, स्त्री० टिप्पणी, अर्थ ।

(5) पीठ-पु० पीढ़ा, स्थान, स्त्री० पृष्ठभाग ।

(6) विधि-पु० बह्मा, स्त्री० ढंग, प्रणाली ।

(7) बाट-पु० बटखरा, स्त्री० मार्ग, इन्तजार ।

(8) शान-पु० औजार तेज करने का पत्थर, स्त्री० ठाट-बाट, प्रभुत्व ।

(9) दाद-पु० चर्मरोग, स्त्री० प्रशंसा ।

(10) ताक-पु० ताखा, स्त्री० खोज, टोह ।

(11) धूप-पु० सुगन्धित धुआँ, स्त्री० सूर्य का प्रकाश ।

(12) हार-पु० माला, स्त्री० पराजय ।

(13) शाल-पु० वृक्ष विशेष, स्त्री० दुशाला ।

इसी प्रकार अन्य शब्दों के लिंगभेद दिए जा रहे हैं-

शब्द                              पुल्लिंग होने पर अर्थ                                   स्त्री० होने पर अर्थ

काँच                                     शीशा                                         धोती का छोर, अथवा गुदा-अंग ।

कुशल                                  प्रवीण                                                              खैरियत

खराद                                       यन्त्र                                             खरादने की क्रिया

खूंट                                       छोर                                                  कान का मैल

खान                                        पठान                                                     खनि

गज                                              फैन                                                            बिजली, ठनका

घाव                                                चोट                                                           दाँव-पेंच

चटक                                          पक्षी                                                                  चमक-दमक

चाप                                              धनुष                                                        दबाव, पैरों की आहट

चिक                                          बूचर                                                           खपाचियों से बना पर्दा

चूड़ा                                             कंगन, चिउड़ा                                                            चोटी

छाजन                                              आच्छादन                                                        छाने का काम, ढंग

झाल                                                          बाजा                                                               लहर

झाड़                                                        झाड़ी                                                    झड़ने की क्रिया

ताख                                             ताखा                                                               ताकने की क्रिया

दून                                                             घाटी, तराई                                               दुगुना

धातु                                                                 शब्द का मूल                                      खनिज, वीर्य

नस                                                                नस्य, सुँघनी                                         स्नायु, रग

पाल                                                         नाव उड़ाने वाला कपड़ा                                  कगार

बटन                                                 काज में लगने वाली चकती                                     बँटने की क्रिया

बेर                                                             फलवृक्ष                                                       दफा या बार

बेल                                                       फलवृक्ष मच्छर                                               लता या बूटाकारी

मसक                                                          मच्छर                                                        मसकना

मेह                                                               वर्षा                                                      दवनी का खूंटा

मोट                                                             चरस                                                      थोक, मोटरी

रज                                                             स्त्रियों का प्रस्राव                                              धूलि

रेत                                                                  वीर्य                                                            बालू

संवार                                                    उच्चारण का बाह्य प्रयत्न                               सजाने की क्रिया

साल                                                         वृक्ष                                                        सालने की क्रिया

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