हिंदी माध्यम नोट्स
गौतम बुद्ध ने प्रथम उपदेश किसे दिया था , कहाँ दिया gautam buddha first sermon place in hindi
gautam buddha first sermon place in hindi गौतम बुद्ध ने प्रथम उपदेश किसे दिया था , कहाँ दिया ?
संघोल (30°47‘ उत्तर, 76°23‘ पूर्व)
संघोल चंडीगढ़ से 40 किमी. दूर स्थित है तथा वर्तमान समय में पंजाब राज्य के फतेहगढ़ साहब जिले का हिस्सा है। यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण बौद्ध स्थल है। यह स्थल परवर्ती हड़प्पा काल (2300-1750 ईसा पूर्व से छठी शताब्दी तक) से ही बौद्ध स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व के बौद्ध ग्रंथों में इस स्थान का उल्लेख प्राप्त होता है। अनुमान है कि चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इस स्थान की यात्रा की थी तथा यहां 10 बौद्ध मठों को देखा था। यहां से प्राप्त स्तूपों से तत्कालीन समय की वास्तुयोजना एवं भवनों के आकारों के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त होती हैं।
सन् 1985 में यहां एक स्तूप के समीप स्थित गड्ढे से बड़ी मात्रा में सुंदर कलात्मक वस्तुओं के अवशेष प्राप्त हुए हैं। यहां से सुंदर स्तंभ, तिरछे बार, नक्काशीयुक्त शैल टुकड़े इत्यादि भी मिले हैं, जो प्रारंभिक भारतीय वास्तुकला मुख्यतयाः प्रथम द्वितीय सदी के काल की वास्तुकला के सुंदर उदाहरण हैं। यहां से प्राप्त स्तंभों में जो चित्र उत्कीर्ण हैं, उनमें सबसे महत्वपूर्ण वे चित्र हैं, जिसमें नारियों की योनियों को उत्पादकता के स्रोत के रूप में दर्शाया गया है। पुरुष चित्रों का उत्कीर्णन अत्यंत कम हुआ है। संघोल की शैली अपनी विशेषताओं में मथुरा शैली से ज्यादा समानता दर्शाती हुई प्रतीत होती है। इस स्थान के उत्खनन से न केवल महत्वपूर्ण शासक वंशों एवं स्थानीय शासक वंशों के सिक्के मिले हैं, अपितु मध्य एशिया के हूण आक्रांताओं मिहिरकुल एवं तोरमाण के भी सिक्के पाए गए हैं। यहां से पांचवीं शताब्दी ईस्वी की मिट्टी की बनी एक मुहर मिली है, जिसमें एक ओर बैल की आकृति है तथा दूसरी ओर गुप्त-ब्राह्मी लिपि में एक लेख उत्कीर्ण है। यहां से कुषाणों एवं गुप्त शासक समुद्रगुप्त के सिक्के भी पाए गए हैं।
संघोल से प्राप्त एक तांबे के सिक्के में गुप्त शासक चंद्रगुप्त प्रथम का नाम लिखा हुआ है। इस सिक्के के प्रमाण से यह कहा जा सकता है कि गुप्त राजाओं में तांबे के सिक्कों का प्रचलन चंद्रगुप्त प्रथम ने प्रारंभ किया था न कि उसके उत्तराधिकारियों ने, जैसाकि प्रारंभ में इतिहासकारों द्वारा माना जाता था।
संकाश्य/संकिसा (27.33° उत्तर, 79.27° पूर्व)
संकाश्य या संकिसा नामक स्थल काली नदी के तट पर (यमुना की सहायक नदी) कन्नौज से उत्तर-पश्चिमी दिशा में 40 किमी. की दूरी पर उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में स्थित है।
मौर्य सम्राट अशोक ने इस पावन स्थल को चिन्हित करने हेतु एक स्तंभ लगवाया, जिसके शीर्ष एक हाथी है। संकिसा का हाथी देखने में धौली के हाथी के समकक्ष परंतु संघटन में उससे निम्न गुणवत्ता का है।
चीनी यात्री फा-हियान तथा ह्वेनसांग ने भी इस स्थल का ऐसे बौद्ध केंद्र के रूप में उल्लेख किया है, जहां अनेक मठ, स्तूप, एक पवित्र जलाशय, तथा अशोक का स्तंभ है।
परकोटे से घिरे हुए टीले आज भी देखे जा सकते हैं।
संकिसा हीनयान परंपरा या स्थैविरवदिन बौद्धों के सम्मितीय संप्रदाय के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित हुआ।
जैन धर्म में संकिसा को तीर्थंकर विमलनाथ की ज्ञान प्राप्ति का स्थान माना गया है।
यहां के उत्खनन से पुरातात्विक महत्व की कई वस्तुएं, जैसे-आहत सिक्के, टेराकोटा की बनी वस्तुएं, चित्रित धूसर मृदभाण्ड एवं उत्तरी काले ओपदार मृदभाण्ड इत्यादि भी पाए गए हैं।
सराय नाहर राय
(लगभग 25.8° उत्तर, 81.9° पूर्व)
सराय नाहर राय उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ़ से 15 किमी. दक्षिण-पश्चिम में स्थित है, यह एक मध्यपाषाणीय स्थल है। रेडियोकार्बन डेटिंग के अनुसार, यह लगभग 8400 से 150 ई.पू. के समय का है। इस स्थल पर, एक ज्यामितीय छोटे पत्थरों का व्यवसाय प्राप्त हुआ है, इसके साथ जंगली भैसे की हड्डियां, गैंडे, हिरण, मछली की हड्डियां प्रचुरता में मिले हैं। इनके साथ कछुए के खोल तथा 11 मानव शवाधान जिनमें 14 व्यक्ति प्राप्त हुए हैं, शामिल हैं। शवाधान निवास स्थान के क्षेत्र में ही पाए गए, तथा यह अग्नि-कुंड, फर्श तथा बाड़े में गड्डे, जो कि इसी क्षेत्र में प्राप्त हुए हैं, से स्पष्ट होता है। कब्रों में से एक कब्र में चार व्यक्तियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। ये कब्र अंडाकार गड्ढे हैं जहां पर ढीली मिट्टी को गद्दी की तरह शव रखने में पहले बिछा दिया गया है। शवों को फैलाकर पश्चिम-पूर्व उन्मुख (सर पश्चिम की ओर), दाएं या बाए हाथ को पेट के ऊपर (पुरुषों में दाएं तथा स्त्रियों में बाएं हाथ) रखा गया है।
छोटे पत्थर तथा सीपी कब्रों के अंदर रखे गए हैं। एक पाषाणीय तीर कंकाल की पसलियों में मिला है, जो कि संकेत करता है कि संभवतः तीर ही मृत्यु का कारण हो। कंकालीय शृंखला महत्वपूर्ण जीवाश्मीकरण दर्शाती है तथा यहां से नौ पुरुषों, चार स्त्रियों तथा एक बच्चे के अवशेष प्राप्त हुए हैं। उनकी बड़ी तथा मजबूत खोपड़ी थी।
सारनाथ (25.38° उत्तर, 83.02° पूर्व)
सारनाथ बनारस से लगभग 10 किमी. दूर उत्तर प्रदेश में स्थित है। सारनाथ (इसिपटना) ही वह स्थान है, जहां बुद्ध ने कैवल्य की प्राप्ति के उपरांत अपने पांच शिष्यों को सर्वप्रथम उपदेश दिया था। इसे श्धम्म चक्रप्रवर्तनश् के नाम से जाना जाता है। इसे ‘ऋषिपत्तनम‘ वह स्थान जहां ऋषियों का वास हो या मृगादय, मृगों का उद्यान (नाम की उत्पत्ति सारंगनाथ-मृगों के देवता से हुई) के नाम से भी जाना जाता है। मृत्यु से पहले दिन बुद्ध ने सारनाथ को लुम्बिनी, बोध गया तथा कुशीनगर के साथ जोड़ दिया, जिन्हें बुद्ध ने पवित्र स्थल माना। गौतम बुद्ध द्वारा सारनाथ में धर्म चक्रप्रवर्तन से यह स्थान बौद्ध धर्म के चार सबसे महत्वपूर्ण स्थानों-लुम्बिनी, सारनाथ, गया एवं कुशी नगर में सम्मिलित हो गया है।
मौर्य सम्राट अशोक ने 234 ई. पूर्व में सारनाथ की यात्रा की तथा इस स्थान पर एक स्तूप निर्मित करवाया। तृतीय शताब्दी ईसा पूर्व से 11वीं सदी ईस्वी के मध्य सारनाथ में बौद्ध धर्म से संबंधित कई और इमारतों का निर्माण भी हुआ। यद्यपि वर्तमान समय में इनमें से अनेक इमारतें नष्ट हो चुकी हैं।
इस क्षेत्र में बने विभिन्न स्तूपों में धमेख स्तूप सबसे बड़ा है। यह उस स्थान पर निर्मित है, जहां पर बुद्ध ने अपना विश्वास मत प्रकट किया था। इसका निर्माण वर्ष 500 ईस्वी माना जाता है। यहां का चैखंडी स्तूप गुप्त काल से संबंधित है। अकबर ने अपने पिता हुमायूं की इस स्थान की यात्रा की स्मृति में यहां एक स्तंभ बनवाया था।
जापान की सहायता से महाबोधि सभा द्वारा 1931 ई. में बनवाया गया मुलगंधा कुटी विहार एक अत्यंत सुंदर विहार है।
यद्यपि अपनी प्रारंभिक प्रसिद्धि के बाद 1834 तक सारनाथ पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, किंतु 1836 में जब यहां अंग्रेज पुरातत्ववेत्ताओं ने उत्खनन कार्य कराया तब यह स्थान पुनः प्रकाश में आया।
सासाराम (24.95° उत्तर, 84.03° पूर्व)
वर्तमान समय में सासाराम, बिहार के रोहतास जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। यहीं शेरशाह सूरी ने अपने बचपन के दिन गुजारे थे। बाद में 1540 में उसने हुमायूं को पराजित कर भारत में द्वितीय अफगान साम्राज्य की स्थापना की थी।
शेरशाह के पिता, हसन खान को सासाराम की जागीर मिली थी। अतः शेरशाह ने अपने बचपन के प्रारंभिक दिन यहीं गुजारे। यह नगर गंगा की सहायक नदी सोन के तट पर स्थित है तथा देखने में अत्यंत सुंदर प्रतीत होता है।
शेरशाह ने अपना स्वयं का मकबरा यहां निर्मित करवाया। यह मकबरा लाल बलुआ पत्थरों से बना है तथा भारतीय-इस्लामी वास्तुकला (जिस पर पठानी प्रभाव भी है) का एक सुंदर उदाहरण है। इस मकबरे की सबसे मुख्य विशेषता यह है कि यह एक झील के बीचोंबीच स्थित ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है। शेरशाह सूरी के मकबरे के समीप ही उसके पिता हसन खां सूरी का मकबरा भी स्थित है, जिसका निर्माण 1535 में हुआ था। यहीं पास ही शेरशाह के पुत्र सलीम शाह का मकबरा भी स्थित है।
सासाराम नगर के बाहरी क्षेत्र में शेरशाह सूरी के मुख्य वास्तुकार अलवल खान का मकबरा भी है।
सासाराम में सम्राट अशोक का एक शिलालेख भी पाया गया है।
ससपोल गुफाएं (34.25° उत्तर, 77.15° पूर्व)
ससपोल गुफाएं जम्मू व कश्मीर के लेह जिले में सिंधु घाटी में स्थित हैं। ये गुफाएं पत्थर को काटकर बनाए गए मंदिरों के लिए प्रसिद्ध हैं। ये मंदिर बड़े पैमाने पर बौद्ध चित्रों, भारतीय व तिब्बती कला के सम्मिश्रण, जो 13वीं शताब्दी से 15वीं शताब्दी ई. काल की है, द्वारा अलंकृत हैं। ये गुफाएं तिब्बती बौद्ध सम्प्रदाय, द्रीकुंग काग्यु द्वारा निर्मित की गई। इनका मुख्य बल ध्यान अभ्यास पर था। यह सम्प्रदाय लद्दाख में वर्तमान में भी प्रसिद्ध है।
गुफाओं का आंतरिक भाग साधारण-सा है तथा छतों को बिना काम के ऐसे ही छोड़ा गया है। परंतु गुफाओं की दीवारों पर मिट्टी का लेप किया गया है तथा उन पर चमकदार रंगों से चित्रकारी भी की गई है। इन चित्रकलाओं में बौद्ध देवताओं के काफी मात्रा में लघु चित्र हैं।
सतारा (17.68° उत्तर, 74.00° पूर्व)
वर्तमान समय में सतारा, महाराष्ट्र राज्य में स्थित है। कुमार गुप्त प्रथम के समय ही सतारा को गुप्त साम्राज्य में सम्मिलित किया गया था। जब बीजापुर के विरुद्ध शिवाजी ने अपनी शक्ति को संगठित किया तो सतारा शिवाजी का एक प्रमुख किला बन गया।
मुगल-मराठा संघर्ष के साथ ही सतारा विवाद का एक प्रमुख केंद्र बन गया। 1704 में मुगलों के नियंत्रण से मुक्त होने के उपरांत शिवाजी के पौत्र शाहू ने कोल्हापुर की ताराबाई के विरुद्ध संघर्ष में सतारा को अपना मुख्यालय बनाया। मराठों ने 1743 में कर्नाटक के नवाब के दामाद चंदा साहिब को यहीं रखा था।
1818 ई. में मराठा शक्ति के पतनोपरांत, जब अंग्रेजों ने भारत के लगभग अधिकांश भाग पर कब्जा कर लिया था, तब अंग्रेजों ने सतारा में अपना एक छोटा मुख्यालय स्थापित किया तथा इसे शिवाजी के एक वंशज प्रताप सिंह को दे दिया।
अब सतारा एक औद्योगिक नगर है।
शाहबाजगढ़ी (33°54‘ उत्तर, 72°29‘ पूर्व)
शाहबाजगढ़ी पेशावर के युसुफजई क्षेत्र में मर्दान के समीप, पाकिस्तान में स्थित है। इसकी पहचान एरियन के विवरण में उल्लिखित बजरिया या बाजिरा नामक स्थान से की जाती है, जो पाषाण निर्मित नगर था। ह्वेनसांग शाहबाजगढ़ी को ‘पो-लु-शा‘ कहता है। शाहबाजगढ़ी के आसपास का क्षेत्र अनुत्खनित है। ऐसी संभावना है कि इसी स्थान में अशोक के समय यह नगर विद्यमान रहा होगा। खरोष्ठी में लिखित अशोक का एक वृहद शिलालेख शाहबाजगढ़ी से प्राप्त किया गया है।
शारदा पीठ (34°47‘ उत्तर, 74°11‘ पूर्व)
शारदा पीठ कश्मीर (पाकिस्तान अधिपत्य वाले कश्मीर) में नील नदी के तट पर स्थित है। कभी यह स्थान बौद्ध एवं हिन्दू वैदिक पाठों के अध्ययन का प्रसिद्ध केंद्र था। बाद में इस क्षेत्र का इस्लामी शासकों तथा सूफियों द्वारा इस्लामीकरण हो गया। इस स्थान का नामकरण यहां स्थित एक मंदिर के आधार पर किया गया जो देवी सरस्वती (शारदा) को समर्पित है।
चीन के बौद्ध भिक्षु जुआनजेंग ने 632 ई. में इस अध्ययन के प्रसिद्ध केंद्र की यात्रा की और दो वर्षों तक यहां पर रहा। उसने यहां के पुजारियों व छात्रों के ज्ञान की प्रशंसा की थी। लगभग 1277-78 ई. में लिखी गई जैन ऐतिहासिक कृति प्रभावकचरित के अनुसार श्वेताम्वर विद्वान हेमचन्द्र ने शारदा पीठ के व्याकरण संबंधित मूलपाठों के संरक्षण का अनुरोध किया था ताकि वह स्वयं द्वारा रचित व्याकरण सिद्धहेमा का संकलन कर सके।
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…