गाउस का नियम क्या है , गॉस की प्रमेय gauss law in hindi , गौस की प्रमेय की परिभाषा ,सिद्धांत

सूत्र क्या है ? गाउस का नियम क्या है , गॉस की प्रमेय gauss law in hindi , गौस की प्रमेय की परिभाषा ,सिद्धांत ? gauss’s law in hindi –
गाउस का नियम (gauss law) : हमने पहले पढ़ा था की कूलॉम का नियम पढ़ा था , जो स्थिर वैद्युत बल पर आधारित था , गाउस का नियम भी स्थिर वैधुत बल के संदर्भ में कुलाम के नियम का ही दूसरा रूप है।
गाउस का नियम किसी स्थिर विद्युत क्षेत्र में उपस्थित बंद पृष्ठ से गुजरने वाले विद्युत फ्लक्स तथा पृष्ठ के अंदर उपस्थित कुल आवेश में एक संबंध स्थापित करता है इसी सम्बन्ध को गाउस का नियम तथा इस बंद पृष्ठ को गॉउसी पृष्ठ कहते है।
गाउस के नियम का उपयोग कर आवेशित वस्तुओ के विद्युत क्षेत्र की गणना आसानी से की जा सकती है।
गाउस के नियम का कथन :
“किसी विद्युत क्षेत्र में उपस्थित काल्पनिक या स्वेच्छा गृहीत बन्द पृष्ठ से अभिलंबवत बाहर निकलने वाला कुल विद्युत फ्लक्स उस बंद पृष्ठ द्वारा परिबद्ध कुल आवेश का 1/ε0K गुना होता है।
गाउसीय नियम का गणितीय निरूपण :

यहाँ
ε0 = निर्वात (वायु) की विद्युत शीलता
qin = पृष्ठ द्वारा परिबद्ध कुल आवेश
k = माध्यम का परावैद्युतांक
Φ = कुल फ्लक्स
यदि बंद पृष्ठ द्वारा परिबद्ध कुल आवेश शून्य है अर्थात यदि बंद पृष्ठ के भीतर कोई आवेश विधमान न हो या आवेश पृष्ठ के अंदर न होकर पृष्ठ के बाहर स्थित हो तो बंद पृष्ठ से अभिलंबवत निकलने वाला विद्युत फ्लक्स का मान भी शून्य होता है।
नोट : जब आवेश विविक्त रूप में विधमान हो तो अध्यारोपण के सिद्धान्त की सहायता से कुल आवेश ज्ञात किया जाता है लेकिन जब आवेश का वितरण संतत है तो पृष्ठ के लिए किसी अल्पांश द्वारा किसी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र ज्ञात करके समाकलन विधि द्वारा समस्त आवेश वितरण कारण उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र का मान ज्ञात किया जाता है।

गाउस के नियम के महत्वपूर्ण तथ्य (Important facts about Gauss’s law):

1. विद्युत क्षेत्र में रखे पृष्ठ के कुल विद्युत फ्लक्स का मान ज्ञात करने के लिए पृष्ठ से निर्गत (निकलने वाले ) विद्युत फ्लक्स को धनात्मक चिन्ह के साथ लिखते है तथा पृष्ठ में प्रवेश करने वाले विद्युत फ्लक्स को ऋणात्मक चिन्ह के लिखकर उनका बीजगणितीय योग किया जाता है।
2. गाउसियन पृष्ठ का आकार कुछ भी हो सकता है , गोलीय , बेलनाकार या घनाकार इत्यादि।
बशर्ते उस आकृति में आवेश वितरण में सममितता पायी जानी चाहिए।
3. गाउस का नियम  गाउसियन पृष्ठ के आकार पर निर्भर नहीं करता है यह बंद पृष्ठ द्वारा परिबद्ध आवेश की मात्रा आवेश की प्रकृति तथा उस माध्यम पर निर्भर करता है जिसमे वह स्थित है।
कूलॉम का नियम के केवल स्थिर आवेशों के लिए लागू होता है लेकिन गाउस का नियम आवेश की स्थिरता तथा गतिशीलता पर निर्भर नहीं करता है।
4. गाउस नियम उन्ही सदिश क्षेत्रों के लिए मान्य है जो विद्युत क्षेत्र व्युत्क्रम नियम का पालन करते है।
5. यदि कोई आवेश बन्द पृष्ठ से बाहर स्थित है तो पृष्ठ से निर्गत विद्युत फ्लक्स में इस आवेश का कोई योगदान नहीं होगा।
गाउस का नियम या गाउस की प्रमेय (स्थिर वैद्युतिकी में) : यह नियम carl f gauss (कार्ल ऍफ़ गॉस) द्वारा दिया गया था। गाउस का नियम किसी बंद पृष्ठ पर स्थित बिंदु पर विद्युत क्षेत्र तथा बंद पृष्ठ से परिबद्ध कुल आवेश के मध्य सम्बन्ध बताता है। इस सतह को गाउसीय पृष्ठ कहते है।
गाउसीय पृष्ठ एक काल्पनिक बंद पृष्ठ होता है। इसकी वैधता प्रयोगों द्वारा सिद्ध की जा सकती है। इसका उपयोग सममित आवेश वितरण के कारण विद्युत क्षेत्र ज्ञात करने के लिए किया जाता है।

गाउस के नियम का कथन एवं विवरण

गाउस का नियम निम्न प्रकार से लिखा जाता है –

किसी बंद काल्पनिक पृष्ठ या गाउसीय पृष्ठ से गुजरने वाले विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का पृष्ठीय समाकलन , निर्वात में उस बंद  पृष्ठ से परिबद्ध आवेश का 1/ε0K गुना होता है। यहाँ पर ε0 मुक्त आकाश (निर्वात) की विद्युतशीलता है।

यदि S गाउसीय पृष्ठ है और Σq , गाउसीय पृष्ठ के अन्दर कुल आवेश है तो गाउस के नियम के अनुसार –

Φ = ∮ E.dS = Σq/ε0K

समाकलन चिन्ह यह व्यक्त करता है कि सम्पूर्ण बंद पृष्ठ का समाकलन किया गया है।

गाउस के नियम से सम्बंधित महत्वपूर्ण बिंदु

  • गाउसीय पृष्ठ से गुजरने वाला फ्लक्स इसकी आकृति पर निर्भर नही करता है।
  • गाउसीय पृष्ठ से गुजरने वाला फ्लक्स गाउसीय पृष्ठ के अन्दर आवेश की स्थिति पर निर्भर नहीं करता है।
  • गाउसीय पृष्ठ से गुजरने वाला फ्लक्स केवल पृष्ठ के अन्दर कुल आवेश पर निर्भर करता है।
  • किसी बंद पृष्ठ में आने वाले फ्लक्स को ऋणात्मक और बाहर जाने वाले फ्लक्स को धनात्मक माना जाता है क्योंकि n को बाहर की दिशा में धनात्मक लिया जाता है।
  • गाउसीय पृष्ठ पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता गाउसीय पृष्ठ के अन्दर और बाहर उपस्थित सभी आवेशो के कारण होती है।
  • किसी गाउसीय पृष्ठ में Φ = 0 का अर्थ यह नहीं है कि प्रत्येक बिंदु पर E = 0 है लेकिन प्रत्येक बिंदु पर E = 0 का अर्थ Φ = 0 होता है।

गाउस के नियम या प्रमेय से विद्युत क्षेत्र की गणना कैसे करते है ?

गाउस प्रमेय से , हम कह सकते है –
कुल Φ = ∫E.dS = qin /ε0
E , Φ में दिया है लेकिन यह अदिश गुणनफल और समाकलन में बाध्य है इसलिए E को ज्ञात करने के लिए हम इसे इन बद्धताओं से मुक्त कर सकते है।
(1) सर्वप्रथम हम E को अदिश गुणनफल से मुक्त करना चाहेंगे , इसके लिए एक सतह का चुनाव करते है जो कि E के लम्बवत है इसलिए E , dS , E.dS  बन जाता है।
(2) इस प्रकार की सतह का चुनाव करते है कि E का मान उस पर स्थिर बना रहे जिससे  ∫E.dS = EdS

गॉस का नियम अथवा गॉस की प्रमेय

गाउस का नियम स्थिर वैद्युत बलों के सम्बन्ध में कूलाम नियम का दूसरा रूप है। यह प्रमेय किसी स्थिर वैद्युत क्षेत्र में स्थित किसी काल्पनिक एवं स्वेच्छागृहीत बंद पृष्ठ से सम्बद्ध गुजरने वाले सम्पूर्ण वैद्युत फ्लक्स या सम्पूर्ण अभिलम्बवत वैद्युत प्रेरण तथा सतह के अन्दर विद्यमान कुल आवेश में सम्बन्ध प्रदर्शित करती है। यह काल्पनिक तथा स्वेच्छ बंद पृष्ठ गाउसीय पृष्ठ (गाउसियन पृष्ठ) कहलाता है। गॉस प्रमेय की सहायता से आवेशित वस्तुओं के विद्युत क्षेत्रों की गणना सरलतापूर्वक की जा सकती है।
गॉस के नियम या प्रमेय का कथन : गॉस की प्रमेय या नियम के अनुसार “विद्युत क्षेत्र में स्थित किसी स्वेच्छगृहित बंद पृष्ठ से अभिलम्बवत बाहर निकलने वाला कुल वैद्युत फ्लक्स उस बंद पृष्ठ द्वारा परिबद्ध कुल आवेश का 1/ε0K गुना होता है।  “
इसे निम्न सूत्र द्वारा लिखा जाता है –

Φ = ∮ E.dS = Σq/ε0K

जहाँ ε0 निर्वात या वायु की विद्युतशीलता एवं Σq पृष्ठ द्वारा परिबद्ध कुल आवेश है और K माध्यम का परावैद्युतांक है।
यदि बंद पृष्ठ द्वारा परिबद्ध कुल आवेश शून्य है या बंद पृष्ठ के भीतर कोई आवेश न हो या आवेश बंद पृष्ठ के बाहर हो तो पृष्ठ से बाहर निकलने वाला कुल अभिलम्बवत फ्लक्स शून्य होता है अर्थात  Φ = ∮ E.dS =  0
गाउस का नियम (gauss law in hindi) : यह किसी बन्द [पृष्ठ में परिबद्ध कुल आवेश तथा उस पृष्ठ से निर्गमित कुल वैद्युत फ्लक्स के मध्य सम्बन्ध व्यक्त करता है। इसके अनुसार किसी बंद पृष्ठ से निर्गमित कुल वैद्युत फ्लक्स उस सतह में परिबद्ध कुल आवेश और 1/ε0 के गुणनफल के तुल्य होता है।
गणितीय रूप में गाउस के नियम को निम्न प्रकार व्यक्त किया जाता है –
∮ E.dS = q/ε0