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गैल्वनी सेल : गेल्वनी सैल क्या है , उपयोग , सिद्धांत , कार्यविधि , गैल्वेनिक सेल (galvanic cell in hindi)
(galvanic cell in hindi) गैल्वनी सेल : गेल्वनी सैल क्या है , उपयोग , सिद्धांत , कार्यविधि , गैल्वेनिक सेल : हमारे दैनिक जीवन में सेलों का और बैटरियों का योगदान बहुत अधिक है और इसलिए हम विभिन्न प्रकार के सेल के बारे में अध्ययन करते है , यहाँ हम गैल्वनी सेल के बारे में अध्ययन करेंगे कि यह कैसे कार्य करता है , इसमें क्या अभिक्रियाएँ होती है इत्यादि।
गैल्वनी सेल (galvanic cell)
विद्युत रासायनिक सेल को सबसे पहले ल्युगी गैल्वेनी और वोल्टा ने बनाया था इसलिए इसे गैल्वेनी सेल या वोल्टीय सेल कहते है।
यह वैद्युत रासायनिक सेल का एक प्रकार है अर्थात अर्थात यह विद्युत रासायनिक सेल के वर्ग में ही आता है , इस सेल में उपापचयी अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन के स्थानान्तरण द्वारा विद्युत धारा उत्पन्न की जाती है , इस सेल में कुछ तत्वों या पदार्थों के मध्य अभिक्रिया करवाई जाती है और इन अभिक्रियाओं के फलस्वरूप विद्युत ऊर्जा उत्पन्न होती है।
यह एक ऐसी युक्ति है जिसमें ऑक्सीकरण और अपचयन , दोनों प्रकार की अभिक्रियाएँ एक साथ संपन्न होती है और परिणामस्वरूप विद्युत ऊर्जा उत्पन्न होती है , कैसे ? यह हम आगे अध्ययन करेंगे।
अर्थात यह एक ऐसी युक्ति है जिसकी सहायता से रासायनिक ऊर्जा को वैद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
गैल्वेनिक सेल एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा स्वत: प्रवर्तित उपापचयन अभिक्रिया की मुक्त ऊर्जा में कमी , विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है अर्थात स्वत: प्रवर्तित उपापचयन अभिक्रिया द्वारा रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में इस सेल द्वारा बदल दिया जाता है।
गैल्वनी सेल में दो इलेक्ट्रोड होते है जो अलग अलग पात्र में रखे जाते है , इसमें एक इलेक्ट्रोड का ऑक्सीकरण होता है और दूसरे इलेक्ट्रोड का अपचयन होता है , जिस इलेक्ट्रोड का ऑक्सीकरण होता है उसे एनोड कहते है और जिस इलेक्ट्रोड पर अपचयन होता है उसे कैथोड कहते है।
इन दोनों इलेक्ट्रोड को अर्द्ध सेल कहते है तथा दोनों इलेक्ट्रोड मिलकर पूर्ण सेल कहलाता है और एक इलेक्ट्रोड पर घटित रासायनिक अभिक्रिया को अर्द्ध सेल अभिक्रिया कहते है और दोनों पर मिलकर संपन्न अभिक्रियाओं को पूर्ण सेल अभिक्रिया कहते है।
इन दोनों इलेक्ट्रोडो के मध्य लवण सेतु जुडा रहता है जो दोनों अर्द्ध सेलों में विद्युत अपघट्य की उदासीनता को बनाये रखता है।
डेनियल सेल एक गैल्वेनी सेल है , सेल का चित्र निचे दर्शाया गया है –
इस सेल में होने वाली अभिक्रियाएँ निम्न है –
एनोड पर होने वाली अभिक्रिया –
Zn → Zn2+ + 2e (ऑक्सीकरण)
कैथोड पर होने वाली अभिक्रिया निम्न है –
Cu2+ + 2e → Cu (अपचयन)
दोनों अर्द्ध सेलों पर या सेल में सम्पूर्ण रूप से संपन्न होने वाली अभिक्रियाएँ निम्न है –
Zn + Cu2+ → Cu + Zn2+
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