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गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए | प्रस्तुत उपयुक्त गद्यांश का उचित शीर्षक बताइए उपरोक्त अपठित gadyansh ka upyukt shirshak likhiye
gadyansh ka upyukt shirshak likhiye ? गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए | प्रस्तुत उपयुक्त गद्यांश का उचित शीर्षक बताइए उपरोक्त अपठित ?
निर्देशः (प्रश्न संख्या 6 से 10): निम्नलिखित गद्यांश को भली-भॉति पढ़ें। इससे संबद्ध प्रश्नों में प्रत्येक के चार वैकल्पिक उत्तर दिये गये
हैं। इनमें से सही उत्तर का चयन कर उसे चिन्हित करें।
क्या हम बिना क्रोध किए, शांत रह सकते हैं? बात तो क्रोध करने की हो, पर अपने को शांत रखना ही योग है। इस महायोग की प्रवृत्ति हम स्वयं पैदा कर सकते हैं। महत्वपूर्ण है कि हम एकांत में बैठे -आस्था रखें कि हाँ मुझे शांत रहना है। मुझे किसी भी परिस्थिति में, उत्तेजित नहीं होना है- और मैं ऐसा कर सकता हूँ। अतरू ऋ एकाग्रचित होकर दृढ़ संकल्प शक्ति द्वारा हम शांत रहने की प्रवृत्ति अपना कर क्रोध कर काबू पा सकते हैं। शांत रहने का मार्ग अपनाने पर, हमारी दुनिया बदल जाएगी और जीवन अधिक आनंदमय । लगेगा। हमारे चेहरे पर नई चमक, कार्य में नया उत्साह, हृदय में निर्मलता एवं शीतलता का स्वयं अनुभव होने लगेगा। बिना श्रम के, बिना किसी खर्च के और किसी उपचार के बिना ही पाचनक्रिया स्वतः ठीक होने पर, छोटे-मोटे रोग दूर भाग जाएँगे। खीजना, गुस्सा करना, चीखना-चिल्लाना और बड़बड़ाते रहना, हमारे मन के गुब्बार – को ही परिलक्षित करते हैं। इनसे हमारी पहचान पर धब्बा लग जाता है और हमारे ओजस्वी चेहरे पर चिंता की रेखाएँ उभर आती हैं। अगर हम कुछ समय निकाल कर, पूर्ण समर्पण के साथ शांत रहने की आदत डालें तो निश्चय ही सफलता हमारे कदम चूमेगी। शांत रहने की प्रक्रिया में, यदि हम रात्रि को शयनकक्ष में जाने से पूर्व, अपनी व्यक्तिगत दैनन्दिनी (डायरी) में दिन भर की वे घटनाएँ लिखते रहें जब हम शांत नहीं रह सके कुछ दिनों बाद वही दैनन्दिनी पढ़ने पर आप अपनी तब की कमजोरी पर स्वयं हँस पड़ेंगे। कितनी छोटी बात । पर हम क्रोध करने लगते हैं। आओ हम गुस्सा व उत्तेजना को फेंक दें और शांत रहना शुरू करें।
6. उपर्युक्त गद्यांश का सही शीर्षक है
(अ) एकाग्रचित बनो (ब) क्रोध में अमंगल
(स) शांत रहो – सुखी रहो (द) सफलता का उपाय
उत्तर-(स)
7. क्रोध आने की स्थिति में शांत रहने की प्रवृत्ति को क्या नाम दिया गया है?
(अ) महायोग (ब) शांति
(स) सुख का मार्ग (द) क्रोध पर विजय
उत्तर-(अ)
8. क्रोध को काबू में रखने से मुख्यतः कौन-से रोग दूर होते हैं?
(अ) अशांत रहना (ब) चीखना-चिल्लाना
(स) मन के गुब्बार (द) पाचनक्रिया से जुड़े
उत्तर-(द)
9. चिंता की रेखाएँ कहाँ उभर आती हैं?
(अ) सारे शरीर पर (ब) ओजस्वी चेहरे पर
(स) गालों पर (द) मस्तक पर
उत्तर-(ब)
10. शांत रहने की प्रक्रिया में आगे बढ़ने के लिए रात को क्या करें?
(अ) क्रोध के अनुभव डायरी पर लिखें
(ब) विश्वासपूर्वक प्रभु से प्रार्थना करें
(स) डायरी पर लिखे हुए अनुभव पढ़ें
(द) शांत वातावरण में सोने जाएँ
उत्तर-(अ)
निर्देश – निम्नलिखित को ध्यान से पढ़िए और इसके आधार पर प्रश्न- संख्या 11 से 12 तक उत्तर दीजिए। गद्यांश – साहित्य का आधार जीवन है। इसी नींव पर साहित्य की दीवार खड़ी है। उस पर अटारियाँ-मीनार-गुम्बद बनते हैं। उन्हें देखने को भी जी नहीं चाहेगा। जीवन परमात्मा की सृष्टि है इसलिए सुबोध, सुगम तथा मर्यादाओं से परिमित है। जीवन, परमात्मा को अपने कार्यों का जवाबदेह है या नहीं? हमें नहीं मालूम लेकिन साहित्य तो मनुष्य के सामने जवाबदेह है। इसके लिए कानून है, जिनसे वह इधर-उधर नहीं हो सकता। जीवन उद्देश्य ही आनन्द मनुष्य जीवन पर्यन्त आनन्द की खोज में लगा रहता है। किसी को वह रत्न द्रव्य में मिलता हैय किसी को भरे-पूरे परिवार मेंय किसी को लम्बे-चैड़े भवन में तथा किसी को ऐश्वर्य में किन्तु साहित्य का आनन्द इस आनन्द से ऊँचा हैय उसका आधार सुन्दर और सत्य वास्तव में, सच्चा आनन्द सुन्दर और सत्य से मिलता है। उसी आनन्द को प्रकट करना, वहीं आनन्द को प्रकट करना, वहीं आनन्द उत्पन्न करना साहित्य का उद्देश्य है। ऐश्वर्य अथवा भोग के
आनन्द में ग्लानि छुपी होती हैय पश्चाताप भी होता है। दूसरी ओर सुन्दर से आनन्द प्राप्त है, वह अखण्ड हैय अमर है।
11. सबसे ऊँचा आनन्द वह होता है, जो-
(अ) भौतिक साधनों से प्राप्त होता है
(ब) सत्य से प्राप्त होता है
(स) साहित्य से प्राप्त होता है
(द) परमात्मा से प्राप्त होता है
उत्तर-(स)
12. सच्चा आनन्द किससे मिलता है
(अ) साहित्य से (ब) परमात्मा से
(स) सुन्दर और सत्य से (द) भोग और ऐश्वर्य से
उत्तर-(स)
निर्देश प्र.सं. (13-17): निम्नलिखित काव्यांश को पढ़िए और उनके नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर विकल्पों में से चुनकर लिखिए।
कुछ भी बन, बस कायर मत बन
ठोकर मार, पटक मत माथा
तेरी राह रोकते पाहन
कुछ भी बन, बस कायर मत बन
ले-देकर जीना, क्या जीना?
कब तक गम के आँस पीना?
मानवता ने तुझको सींचा
बहा युगों तक खन पसीना
13. कवि क्या करने की प्रेरणा दे रहा है?
(अ) गम के आँसू पीने की (ब) आत्म समर्पण की
(स) रुकावटों को ठोकर मारने की (द) कुछ भी न बनने की
उत्तर-(स)
14. इन पंक्तियों में कायर का अर्थ है
(अ) सहज (ब) समझौतावादी (स) चालाक (द) दुष्ट
उत्तर-(ब)
15. ‘‘कुछ भी बन बस कायर मत बन’’ कवि ने क्यों कहा है?
(अ) कुछ भी बनना आसान है
(ब) कुछ भी बनना मुशकिल है
(स) कायर मनुष्य का जीवन व्यर्थ है
(द) कायर मनुष्य अच्छा नहीं होता
उत्तर- (स)
16. पाहन शब्द का पर्यायवाची है
(अ) मेहमान (ब) पैर (स) पत्थर (द) पर्वत
उत्तर-(स)
17. कवि के अनुसार किस प्रकार का जीवन व्यर्थ है?
(अ) आदर्शवादी (ब) समझौतावादी
(स) खून-पसीना बहाकर (द) रुकावटों को ठोकर मारना
उत्तर-(ब)
निर्देश प्र.सं. (18-22): निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिये दिये गये चार विकल्पों में से उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए-
वैज्ञानिक प्रयोग की सफलता ने मनुष्य की बुद्धि का अपूर्व विकास कर दिया है। द्वितीय महायुद्ध में एटम बम की शक्ति ने कुछ क्षणों में ही जापान की अजेय शक्ति को पराजित कर दिया। इस शक्ति की युद्धकालीन सफलता ने अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस आदि सभी देशों को ऐसे शधांधी के निर्माण की प्रेरणा दी कि सभी भयंकर और सर्वविनाशकारी शधं बनाने लगे। अब सेना को पराजित करने तथा शत्रु देश पर पैदल सेना द्वारा आक्रमण करने के लिए शध निर्माण स्थान पर देश के विनाश करने की दिशा में शधींधं बनने लगे हैं। इन हथियारों का प्रयोग होने पर शत्रु देशों की अधिकांश जनता और सम्पत्ति थोडे समय में ही नष्ट की जा सकेगी। चूँकि ऐसे शधीं प्रायरू सभी स्वतंत्र देशों के संग्राहलयों में कुछ-न-कुछ आ गए हैं। अतरू युद्ध की स्थिति में उनका प्रयोग भी अनिवार्य हो जायेगा, जिससे बड़ी जनसंख्या प्रभावित हो सकती है। इसलिए निशधीकरण की योजनाएँ बन रही हैं। शधांधी के निर्माण की जो प्रक्रिया अपनायी गई, उसी के कारण आज इतने उन्नत शधांध बन गए हैं, जिनके प्रयोग से व्यापक विनाश आसन्न दिखाई पड़ता है। अब भी परीक्षणों की रोकथाम तथा बने शधी का प्रयोग रोकने के मार्ग खोजे जा रहे हैं। इन प्रयासों के मूल में भयंकर आतंक और विश्व-विनाश का भय कार्य कर रहा है।
18. इस गद्यांश का मूल कथ्य क्या है?
(अ) आतंक और सर्वनाश का भय
(ब) विश्व में शस्त्राधी की होड
(स) द्वितीय विश्वयुद्ध की विभीषिका
(द) निशीकरण और विश्वशान्ति
उत्तर-(द)
19. भयंकर विनाशकारी आधुनिक शस्त्रास्त्रों को बनाने की प्रेरणा किसने दी?
(अ) अमेरिका ने
(ब) अमेरिका की विजय ने
(स) जापान पर गिराये गए “अणु बम‘‘ ने
(द) बड़े देशों की प्रतिस्पर्धी ने
उत्तर-(स)
20. एटम बम की अपार शक्ति का प्रथम अनुभव कैसे हुआ?
(अ) जापान में हुई भयंकर विनाशलीला से
(ब) जापान की अजेय शक्ति की पराजय से
(स) अमेरिका, रुस, ब्रिटेन और फ्रांस की प्रतिस्पर्धा से
(द) अमेरिका की विजय से
उत्तर-(अ)
21. बड़े-बड़े देश आधुनिक विनाशकारी शस्त्र क्यों बना रहे हैं?
(अ) अपनी-अपनी सेनाओं में कमी करने के उद्देश्य से
(ब) अपने संसाधनों का प्रयोग करने के उद्देश्य से
(स) अपना-अपना सामरिक व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से
(द) पारस्परिक भय के कारण
उत्तर-(द)
22. आधुनिक युग भयंकर व विनाशकारी होते हैं, क्योंकि
(अ) दोनों देशों के शस्त्रास्त्र इन युद्धों में समाप्त हो जाते हैं।
(ब) अधिकांश जनता और उनकी सम्पत्ति नष्ट हो जाती है।
(स) दोनों देशों में महामारी और भुखमरी फैल जाती है।
(द) दोनों देशों की सेनाएँ इन युद्धों में मारी जाती हैं।
उत्तर- (ब)
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