JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: sociology

रूढ़िवाद किसे कहते है | रूढ़िवाद की परिभाषा क्या है अर्थ मतलब Fundamentalism in hindi meaning

Fundamentalism in hindi meaning definition रूढ़िवाद किसे कहते है | रूढ़िवाद की परिभाषा क्या है अर्थ मतलब मीनिंग इन इंग्लिश ?

रूढ़िवाद (Fundamentalism)
सबसे पहले रूढ़िवाद का अर्थ समझें। रूढ़िवाद का अर्थ है धार्मिक ग्रंथों (जैसे बाइबिल, श्री गुरु ग्रंथ साहिब, गीता) की मान्यताओं और सिद्धांतों को अविवाद्ध मानना । अनुयायी इसे ऐतिहासिक सत्य के रूप में देखते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि अनुयायी कट्टर दृष्टिकोण अपनाते हैं, वे अक्सर अपने स्वतंत्र राष्ट्र की मांग भी करते हैं। इसे भी ग्रंथों की भविष्यवाणी के रूप में देखा जाता है। इस प्रकार रूढ़िवाद के कारण एक विशिष्ट समुदाय समाज की मुख्य धारा से अलग हो जाता है। पुलिस, सेना आदि की मदद से शेष समाज इन्हें दबाने या खत्म करने की कोशिश करता है, खासतौर पर तब जब ये कानून का उल्लंघन करने लगते हैं। सांप्रदायिकता, हिंसा और दंगे फैलाती है। रूढ़िवाद और साम्प्रदायिकता के बीच अंतर यह है कि सामुदायिक आधिपत्य के अलावा साम्प्रदायिक दंगों का और कोई विशेष उद्देश्य नहीं होता है। रूढ़िवाद एक संगठित आंदोलन है जिसका उददेश्य विशेष रूप से धार्मिक प्रष्ठिता के दृष्टिगत सामाजिक लक्ष्यों को बढ़ावा देना है। कार्यात्मक रणनीति में शांतिपूर्ण और युद्ध जैसे प्रयोग और आंदोलन शामिल हैं।

रूढ़िवाद के पहलू (Aspects of Fundamentalism)
अवधारणा के रूप में ‘‘रूढ़िवाद‘‘ का प्रयोग सर्वप्रथम 1910-1915 में किया गया था जब अज्ञात लेखकों ने साहित्य के 12 खण्ड प्रकाशित किए जो ‘‘फंडामेंटल्स‘‘ कहलाए। 20वीं शताब्दी के आंरभ में मुद्रण जगत ने इस शब्द का प्रयोग उत्तरी अमेरिका में रूढ़िवादी प्रोटेस्टैंट समूहों के संदर्भ में किया। ये समूह बाइबिल की उदार व्याख्याओं के बारे में चिंतित थे। इससे चिंतत होकर रूढ़िवादियों ने विश्वास (आस्था) के कुछ ‘‘मूल सिद्धांतों‘‘ पर जोर दिया । इसमें ईसा मसीह का जन्म, दैवत्य और पुनर्जीवन और धार्मिक ग्रंथ की विश्वसनीयता शामिल थी। ये और अन्य मूल सिद्धांत 12 पुस्तिकाओं में 1910-1915 के बीच प्रकाशित हुए जो ‘‘दि फन्डामैंटल्स‘‘ (मूल सिद्धांत) कहलाए। इस प्रकार ‘‘रूढ़िवाद‘‘ की अवधारणा के विशिष्ट प्रयोग की शुरुआत हुई। बुनियादी आंदोलन वह आंदोलन है जो किसी धर्म ग्रंथ को बुनियादी मुद्दे के रूप में मानता है और जीवन का मार्गदर्शक समझता है। कुछ रूढ़िवादी यह मानते हैं कि धर्म ग्रंथ की व्याख्या करना आवश्यक नहीं हैं क्योंकि इसमें अर्थ स्वतः स्पष्ट होता है। इससे प्रायरू किसी भी प्रकार की असहमति के प्रति असहनशीलता पैदा हो जाती है। इसलिए यह आशंका होती है रूढ़िवादी संकीर्ण और धर्मांध होते हैं।

टी. एन. मदान (1993) ने कहा है कि रूढ़िवादी शब्द समकालीन विश्व में लोकप्रियता प्राप्त कर चुका है। उनके अनुसार इसका अभिप्राय विभिन्न मानदंडों, मूल्यों और मनोवृत्तियों से है जो या तो रूढ़िवादियों की आलोचना करते हैं या उनकी भर्त्सना करते है, इस शब्द का प्रयोग अधिकतर सांप्रदायिकता के स्थान पर भी किया जाता है। वास्तव में रूढ़िवाद शब्द आवरण शब्द (ठसंदामज जमतउ) हो गया है। इसका अर्थ यह है कि संसार में होने वाले विभिन्न रूढ़िवाद आंदोलन वास्तव में एकसमान नहीं होते परंतु वे कई प्रकार से एक दूसरे से अलग होते हैं। परंतु वे ष्परिवारष् की समरूपता में जुड़े होते हैं। रूढ़िवादी आंदोलन सामूहिक चरित्र के होते हैं। इन आंदोलनों का चमत्कारी नेताओं द्वारा प्रायः नेतृत्व किया जाता है जो सामान्यतया मनुष्य होते हैं। 1979 के इरानी आंदोलन का नेतृत्व अयातुल्लाह खुमैनी ने किया था और हाल ही में सिक्ख रूढ़िवाद की लहर संत भिंडरावाले ने चलाई थी (मदान)। रूढ़िवादी नेता धार्मिक नेता नहीं होते। मौलाना मौदूदी जो भारत में जमाते इस्लामी के संस्थापक थे एक पत्रकार थे और के.बी. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक के.बी. हेडगेवार एक चिकित्सक थे।

रूढ़िवादी वे व्यावहारिक लोग हैं जो सभी अशुद्ध जीवन शैलियों को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं, वे सभी भ्रष्ट जीवन शैलियों को अस्वीकार करते हैं। इसका एक उदाहरण है परंपरागत और अंधविश्वास भरी जीवन शैली का आलोचक दयानंद मार्गी (इस संबंध में जानकारी के लिए खंड 6 की इकाई 26 देखें)। इस प्रकार मौदूदी ने वर्तमान मुस्लिम जीवन पद्धति को ‘‘अज्ञानी‘‘ कहा और भिंडरावाले ने “पतित‘‘ सिक्खों का उल्लेख श्किया जो अपनी दाढ़ी बनाते हैं, अपने बाल काटते हैं और परंपरागत सिक्ख जीवन पद्धति का पालन नहीं करते। इसलिए रूढ़िवाद आंदोलन न केवल धार्मिक विश्वासों और प्रथाओं के बारे में होते हैं बल्कि वे आमतौर पर जीवन पद्धतियों के बारे में भी होते हैं।

रूढ़िवादी आंदोलन उन व्यक्तियों के लिए प्रतिक्रियाशील होते हैं जो इनमें भाग लेते हैं जैसे नेता और उसमें भाग लेने वाले लोग। इसका अर्थ है वे पुनः परिभाषित मूल सिद्धांत जिनमें आज की जरूरतें शामिल हैं। इसमें आमतौर पर परंपरा का सुधार निहित होता है। यह परंपरा की एक खोज भी कही जा सकती हैं। दयानंद प्रकरण (अधिक जानकारी के लिए ई एस ओ-15 की इकाई 26 देखें) में इसे बहुत अच्छी तरह समझाया गया है। ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मान्तरण की चुनौती के प्रत्युत्तर में स्वामी ने हिंदू धर्म विकसित करने का प्रयास किया। (मदान, वही) उन्होंने दावा किया कि वेद ही हिंदू धर्म का एक मात्र सत्य रूप है और उन्होंने वेदों के लिए आह्वान किया।

‘ईरान में खुमैनी ने इस्लामी राज्य विकसित किया जो काजियों के संरक्षण पर आधारित था। फिर भिंडरावाले ने अपने तात्कालिक उत्तराधिकारियों की शिक्षाओं की अपेक्षा श्री गुरु गोविंद सिंह की शिक्षाओं पर जोर दिया । धार्मिक प्राधिकार का दावा और संस्कृति की आलोचना रूढ़िवाद के दो पहलू हैं। राजनीतिक शक्ति का अनुसरण रूढ़िवाद के लिए अत्यंत आवश्यक है। उत्तर भारत में आर्यसमाजी प्रबल राष्ट्रवादी थे और उनके आंदोलन में राजनीतिक स्वर था। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जिसे सांस्कृतिक संगठन कहा गया है, उसके घनिष्ठ संबंध राजनीतिक दलों और विशेषरूप से संघ परिवार से रहे हैं। इसमें हिंदू राष्ट्रवाद के सांस्कृतिक और राजनीतिक दोनों पहलू शामिल हैं। इससे पता चलता है कि रूढ़िवादी आंदोलन प्रायः हिंसक क्यों हो जाते हैं और धर्मनिरपेक्षता की विचारधारा को क्यों अस्वीकार कर दिया जाता है। वे सर्वसत्तावादी हैं और विरोध सहन नहीं कर सकते। हालांकि ये आंदोलन आधुनिक समाज में एक विशेष भूमिका भी निभाते हैं जिसे नकारा नहीं जा सकता।

इसलिए उद्देश्यपरक बौद्धिक विश्लेषण में रूढ़िवाद को एक विशिष्ट श्रेणी के रूप में माना. जाना चाहिए। यह धर्म तंत्र नहीं है।

Sbistudy

Recent Posts

सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ

कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें  - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…

4 weeks ago

रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?

अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…

4 weeks ago

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

2 months ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

2 months ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

3 months ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now