हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
मौलिक अधिकार क्या है | भारत में मौलिक अधिकार किसे कहते है , कौन कौनसे है fundamental rights in hindi
fundamental rights in hindi in india मौलिक अधिकार क्या है | भारत में मौलिक अधिकार किसे कहते है , कौन कौनसे है ?
भारतः मौलिक अधिकार
1) विधि के समक्ष का अधिकार (अनुच्छेद 4)
2) अत्याचारों (शोषण) से मुक्ति को अधिकार (अनुच्छेद 15)
3) सार्वजनिक रोजगार प्राप्त करने में समान अवसरों का अधिकार (अनुच्छेद 16)
4) भाषण तथा विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19)
5) बिना सशस्त्र के शांतिपूर्वक एकत्रित होने का अधिकार (अनुच्छेद 19)
6) एसोशिएशन या संघ (बनाने) निर्माण करने का अधिकार (अनुच्छेद 19)
7) मुक्त आवागमन का अधिकार (अनुच्छेद 19)
8) देश में कहीं भी किसी भी स्थान पर स्थापित तथा रहने का अधिकार (अनुच्छेद 19)
9) किसी व्यवसाय, कार्य (काम धन्धा) व्यापार या वाणिज्य करने का अधिकार (अनुच्छेद 19)
10) अपराध स्वीकार किए बिना या प्रमाणित हुए बिना अपराधी को दंडित न करने का अधिकार(अनुच्छेद 20)
11) जीवन तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
12) कारण बताए बिना या उसकी सूचना दिए बिना बंदी या गिरफ्तार न करने का अधिकार (अनुच्छेद 22)
13) गिरफ्तार करने या बंदी बनाने से पहले और बाद में सलाह मशविरा लेने, उसका प्रतिवाद करने एवं वकील करने का अधिकार (अनुच्छेद 22)
14) मानवता से संबंधित अवैध व्यापार तथा जबरन बेगार लेने के विरूद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23)
15) कारखानों, खानों-खदानों या खतरनाक कामों वे धंधों में बच्चों (14 वर्ष तक के बच्चे) को
रोजगार देने के विरूद्ध अधिकार (अनुच्छेद 24)
16) अपने विवेक के प्रयोग का अधिकार तथा धर्म का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
17) अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक अधिकारों के संरक्षण का अधिकार (अनुच्छेद 29)
18) अल्पसंख्यकों के शैक्षिक अधिकारों के संरक्षण का अधिकार (अनुच्छेद 30)
19) यदि अधिकारों का उल्लंघन होता है तो उच्चतम न्यायालय में जाने का अधिकार या याचिका दायर करने का अधिकार (अनुच्छेद 31)
20.9.3 भारतः राज्य के नीति निदेशक तत्व
1) सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक न्याय (अनुच्छेद 38)
2) जीवन यापन के साधन (अनुच्छेद 39)
3) संसाधनों का स्वामित्व एवं नियंत्रण का उचित वितरण (अनुच्छेद 39)
4) समान काम के लिए समान भुगतान (अनुच्छेद 39)
5) श्रमिकों एवं बच्चों के स्वास्थ्य और शक्ति का संरक्षण (अनुच्छेद 39)
6) बच्चों और युवाओं का स्वास्थ्य, निशुल्क और प्रतिष्ठित विकास (अनुच्छेद 39)
7) समान न्याय एवं निशुल्क कानूनी सहायता (अनुच्छेद 39 क)
8) काम, शिक्षा तथा सार्वजनिक सहायता का अधिकार (अनुच्छेद 41)
9) काम की न्यायोचित एवं मानवीय स्थिति तथा प्रसूती सहायता (अनुच्छेद 42)
10) जीवन के लिए जीवनयापन भुगतान तथा उत्कृष्ठ जीवन स्तर (अनुच्छेद 43)
11) सुखद अवकाश, सामाजिक और सांस्कृतिक अवसरों का पूर्ण मनोरंजन (अनुच्छेद 43)
12) उद्यमों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी (अनुच्छेद 43 क)
13) बच्चों के लिए निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा (अनुच्छेद 45)
14) अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति तथा अन्य पिछड़े वर्गो के लिए शैक्षिक आर्थिक हितों को उन्नत करना (अनुच्छेद 46)
15) पोषण, जीवन तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य के स्तर को उन्नत करना (अनुच्छेद 47)
16) पर्यावरण, वनों तथा जंगली जानवरों के जीवन का संरक्षण (अनुच्छेद 48)
17) स्मारकों, एवं राष्ट्रीय महत्व के स्थानों तथा वस्तुओं का संरक्षण (अनुच्छेद 49)
18) कार्यपालिका से न्यायपालिका को अलग करना (अनुच्छेद 50)।
परिशिष्ट-II
यहां पर यह जानना आवश्यक है कि बहुत सारे मानव अधिकार साधन या उपाय हैं तथा संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणाएं उपलब्ध हैं जिनको राज्य मानव अधिकारों के हितों के लिए पालन करते हैं और उनका उपयोग करते है। इनमें से कुछ प्रमुख अधिकार नीचे दिए गए हैं:
1) प्रथम, द्वितीय, तृतीय तथा चतुर्थ जिनेवा सम्मेलन (यह सम्मेलन युद्ध का संचालन, कैदियों के साथ व्यवहार, और युद्ध के समय नागरिकों का संरक्षण व सुरक्षा से संबंधित थे)।
2) जातिसंहार के अपराधों को रोकने अपराधियों को दण्ड देने के संबंध में सम्मेलन का आयोजन।
3) महिलाओं के राजनीतिक अधिकारों पर सम्मेलन।
4) जातिय शोषण के सभी स्वरूपों को समाप्त करने पर सम्मेलन (सी ई आर डी)
5) महिलाओं के विरूद्ध शोषण के सभी स्वरूपों को समाप्त करने के संबंध में सम्मेलन। (सी.ई.डी.ए. डब्ल्यू )
6) यातना तथा अन्य क्रूर अमानवीय तथा अपमानपूर्ण व्यवहार या दण्ड दिए जाने के विरोध पर सम्मेलन।
7) बाल अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (सी ए टी)।
8) राज्यविहीन व्यक्तियों के स्तर व स्थिति से संबंधित सम्मेलन ।
9) शरणार्थियों की स्थिति एवं स्तर से संबंधित सम्मेलन ।
10) 1926 का दास्ता (गुलामी) के विरूद्ध सम्मेलन और इसके पूरक में 1956 का सम्मेलन।
इन उपायों के अतिरिक्त बहुतसारी संधिया, अनेक संकल्प तथा घोषणाएं की गई (संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा और आर्थिक एवं सामाजिक परिषद द्वारा आयोजित) जिनके माध्यम से संपूर्ण विश्व में मानव अधिकारों के अनुपालन के अंतर्राष्ट्रीय स्तर स्थापित करने में सहयोग प्रदान किया। इन घोषणाओं ने मानव अधिकारों के विशिष्ट क्षेत्रों को अपने में समेटा है। इनमें से प्रमुख अधिकतर निम्न प्रकार से हैः
ऽ बंदियों के साथ व्यवहार के लिए मानक नियम (1957)
ऽ मानसिक रूप से मन्दबुद्धि व्यक्तियों के अधिकारों पर घोषणा (1971)
ऽ धर्म या विश्वास व्यक्त करने पर आधारित अत्याचार एवं समी प्रकार की असहिष्णुता को समाप्त करने के संबंध में घोषणा (1981)।
ऽ न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर बुनियादी सिद्धांतों की घोषणा (1985)।
ऽ जबरन लुप्त या गायब किये जाने वाले सभी व्यक्तियों के संरक्षण पर घोषणा (1992)
ऽ राष्ट्रीय या जातीय, धार्मिक तथा भाषायी अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्तियों के संरक्षण पर घोषणा (1992)
ऽ विकास के अधिकार पर घोषणा (1986)
इसी तरह के निर्देशों तथा संबंधित व्यक्तियों के मानव अधिकारों के संरक्षण करने के उद्देश्य को लक्ष्य मानकर अंतर्राष्ट्रीय संगठन (आई एल ओ) ने समा संगठनों की स्वतंत्रता को संरक्षित करने के लिए भी कुछ घोषणाओं को स्वीकृत किया गया था। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
ऽ ऐसोसिएशन की स्वतंत्रता तथा संगठनों के अधिकारों का संरक्षण (आई ओ एल सम्मेलन सं. 87)
ऽ श्रम संबंधों (सार्वजनिक सेवा) पर सम्मेलन (आई एल ओ सम्मेलन संख्या 151)
ऽ स्वतंत्र देशों में देशज लोगों एवं जनजातिय लोगों से संबंधित सम्मेलन (आई एल ओ सम्मेलन संख्या 169)।
सारांश
मानव अधिकार और मौलिक स्वतंत्रता दोनों ही एक साथ मानव के व्यक्तित्व को विकसित करने में योगदान देते हैं। मानव की प्रतिष्ठा को किसी भी तरह से इससे नीचे समझौता नहीं किया जा सकता है। मानव अधिकारों के अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष को सफल बनाने में संप्रभु राष्ट्रों की जिम्मेदारी आती हैं। यह उत्तरदायित्व न केवल उनके अधिकार क्षेत्रों में सीमित है बल्कि सामाजिक क्षेत्रों में भी उसी तरह से लागू होता है।
एक सामान्य विद्यार्थी के मस्तिष्क में यह बैठा होता है कि मानव अधिकारों की चिंता अमरीका के राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर के नेतृत्व में आरंभ हुई है अर्थात् मानव अधिकारों की सोच अमरीका से शुरू हुई है। विद्यार्थियों को यह जानलेना आवश्यक है कि गहरी छानबीन करने पर यह तथ्य उभर कर आया है कि यह संकल्पना के चित्र को प्रदर्शित करना पूर्वाग्रहों से ग्रसित है। इसके साथ ही यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि उसकी भूमिका को कहीं काठ का घोड़ा ही न मान लिया जाए क्योंकि उसने लोकतंत्र और मानव अधिकारों को विदेशी नीति के रूप में प्रयोग किया है। इस तरह से एक आलोचनात्मक तर्क यह भी हो सकता है कि आज मानव अधिकारों की चर्चा करना दृढ़ता या उत्साहित करने की नीति बन गया है जो शीतयुद्ध के आदर्शों के विपरीत उभर कर सामने आई है।
इस तरह से विचारने के लिए अनेक कारण दिए जाते हैं जैसे कि अमरीका ने मानव अधिकारों को बहुत विलम्ब से स्वीकार किया है और वह भी बहुत ही धीमी गति से जिसका उदाहरण है कि उसने अभी तक केवल पांच ही प्रमुख संधियों को स्वीकार किया है। परन्त इतना सब होने पर भी 1993 में वियना में आयोजित मानव अधिकारों पर विश्व सम्मेलन ने चार महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करने की उपलब्धियां हासिल की हैं जो निम्न प्रकार है:
1) मानव अधिकारों की सार्वभौमिकता की अभिपुष्टि की।
2) नागरिक एवं राजनीति अधिकारों तथा विकास के अधिकार सहित सामाजिक एवं आर्थिक अधिकारों को समान विधि मान्यता स्थापित करने का संकल्प लिया।
3) संप्रभु राज्यों की उत्तरदायित्व के क्षेत्र को विस्तृत किया गया। यह दायित्व सौपा गया कि वह मानव अधिकारों का संरक्षण केवल अपने घेरलू अधिकार क्षेत्र में ही नहीं करेगा बल्कि अब से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी दखल रख सकेंगे और जिसका रूप बहु पक्षीय होगा।
4) अंत में, मानव अधिकार, लोकतंत्र तथा विकास अब एक साथ निर्मित किए गए हैं जिनसे आंतरिक संबंध स्थापित हो रहे हैं। किंतु तत्वों को यह कह कर आलोचना भी की जा रही है कि विकास के लिए सहायता प्राप्त करने वाले देश पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से अपना प्रभाव डालता है। इन सब जिम्मेदारियों की निगरानी रखने व जांच परख करने के लिए मानव अधिकार आयोग की स्थापना की गई है। मानव अधिकारों में विश्व व्यापी शिक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय दशक की घोषणा पहले ही की जा चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय सरकारों को भी इस सूची में शामिल किया गया है।
सभी तरह की कार्यालयी प्रयासों को प्रस्तुत किया गया है परन्तु यह एक तरफ का ही चित्र है। तथापि यह कम महत्व का विषय नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के नेतृत्व में व्यक्तिगत, और गैर सरकारी संगठनों के सहयोगी वातावरण में मानवाधिकारों का विस्तार कार्य सम्पन्न होने की आशा बंधी हुई है। सामूहिक, संयुक्त तथा सहयोग से नियोजित कार्यकलापों के माध्यम से विश्व पर आवश्यक दबाव बनेगा जिससे लोकतंत्र, मानव अधिकार और विकास की स्थितियां पैदा होगी और उनके उचित महत्व एवं आदर प्राप्त होगा। सरकारी तथा संस्थागत सुधारों के माध्यम से आशापूर्वक संपति होगी और मानव अधिकार संरक्षण तथा संवद्धन के व्यक्तिगत प्रयासों को गति मिलेगी। अतः इस विषय के विद्यार्थी को निष्पक्ष रूप से तथ्यों को विश्लेषित करते हुए वास्तविकता तक पहुंचने के लिए गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है।
कुछ उपयोगी पुस्तकें
एमेन्स्टी इंटरनेशनल (लंदन), हयूमैन राइटस इन इंडिया (1993) ह्यूमैन राइटस और वूमैनस राइटस।
रिचर्ड रिऑक, ह्यूमैन राइटस – दि न्यू कॉनसेन्सस (लंदन)।
फरीद काजमी: ह्यूमैन राइटस 1994 – माईथ एंड रीयल्टी, न्यू दिल्ली, 1987।
ए बी कलौएह: हयुमैन राइटस इन इंटरनेशल लॉ, नई दिल्ली, 1986।
के पी सक्सेना: टीचिंग ह्यूमन राइटस: ए मैन्युअल फार अडल्ट एजुकेशन, नई दिल्ली, 1996
आर जे विनसेंट: हयूमैन राइटस एंड इंटरनेशनल रिलेशन्स (कैम्ब्रीज) 1986।
मानव अधिकार साप्ताहिकी के अनेक अंक।
Recent Posts
नियत वेग से गतिशील बिन्दुवत आवेश का विद्युत क्षेत्र ELECTRIC FIELD OF A POINT CHARGE MOVING WITH CONSTANT VELOCITY in hindi
ELECTRIC FIELD OF A POINT CHARGE MOVING WITH CONSTANT VELOCITY in hindi नियत वेग से…
four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं
चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…
Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा
आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…
pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए
युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…
THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा
देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…
elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है
दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…