हिंदी माध्यम नोट्स
उपान्त प्रभाव किसे कहते है ? , उपांत प्रभाव , fringe effect in capacitor in hindi , उभयनिष्ठ विभव
fringe effect in capacitor in hindi , उपान्त प्रभाव किसे कहते है ? , उपांत प्रभाव , उभयनिष्ठ विभव :-
चालकों के संयोजन से आवेशों का पुनर्वितरण एवं ऊर्जा हानि : दर्शाए गए चित्र में दो चालक गोले A व B को कुचालक स्टैंड पर व्यवस्थित करते है। इनके पृष्ठों पर वितरित आवेश q1 , q2 तथा विभव V1 , V2 है। चालक गोले A व B की धारिता क्रमशः C1 , C2 है , यदि दोनों चालक को न्यून धारिता के किसी चालक तार के द्वारा संयोजित करे तो इलेक्ट्रॉन का प्रवाह निम्न विभव V2 से अर्थात चालक B से उच्च विभव V1 अर्थात चालक A की ओर तब तक होता रहता है जबतक की दोनों के विभव V समान न हो जाए इसे उभयनिष्ठ विभव कहते है। इस घटना को आवेशो का पुनर्वितरण कहते है।
संयोजन से पूर्व चालक A पर आवेश –
q1 ∝ V1
q1 = C1V1 समीकरण-1
संयोजन से पूर्व चालक B पर आवेश –
q2 ∝ V2
q2 = C2V2 समीकरण-2
संयोजन के पश्चात् चालक A पर आवेश –
q1’ ∝ V
q1’ = C1V समीकरण-3
संयोजन के पश्चात् चालक B पर आवेश –
q2’ ∝ V
q2’ = C2V समीकरण-4
समीकरण-3 में समीकरण-4 का भाग देने पर –
q’1/q’2 = C1/C2 समीकरण-5
संयोजन के पश्चात् चालकों पर वितरित आवेशो का अनुपात इनकी धरिताओ के अनुपात के बराबर होता है।
आवेश संरक्षण नियम से –
q1 + q2 = q’1 + q’2
C1V1 + C2V2 = C1V + C2V
C1V1 + C2V2 = V(C1 + C2)
चूँकि V1 > V > V2
V = [C1V1 + C2V2]/[C1 + C2] समीकरण-6
इसे उभयनिष्ठ विभव कहते है।
चालक A पर विभव में परिवर्तन
ΔVA = V1 – V
ΔVA = V1 – [C1V1 + C2V2]/[C1 + C2]
हल करने पर –
ΔVA = C2(V1 – V2)/(C1 + C2) समीकरण-7
इसी प्रकार चालक B के विभव में परिवर्तन –
ΔVB = V – V2
ΔVB = [C1V1 + C2V2]/[C1 + C2] – V2
हल करने पर –
ΔVB = C1V1 – C1V2/(C1 + C2) समीकरण-8
समीकरण-7 में समीकरण-8 का भाग देने पर –
ΔVA/ΔVB = C2/C1
ऊर्जा हानि
भिन्न भिन्न विभव वाले किन्ही दो चालक गोलों को परस्पर न्यून धारिता के तार द्वारा संयोजित करते है तो इलेक्ट्रॉन के प्रवाह के दौरान तार के प्रतिरोध के कारण यह गर्म होकर ऊर्जा का उत्सर्जन करता है।
यह ऊष्मा या ऊर्जा निकाय की ऊर्जा हानि के बराबर होती है अर्थात संयोजन से पूर्व निकाय की स्थितिज ऊर्जा व संयोजन के बाद निकाय की स्थितिज ऊर्जा दोनों का अंतर ऊर्जा हानि (ΔV) के बराबर होता है।
संयोजन से पूर्व निकाय की स्थितिज ऊर्जा –
U1 = C1V12/2 + C2V22/2
संयोजन के बाद निकाय की स्थितिज ऊर्जा –
U2 = V2(C1 + C2)/2
ऊर्जा हानि (ΔU) = U1 – U2
हल करने पर –
ΔU = C1C2(V1 – V2)2/2(C1 + C2)
प्रश्न : उपान्त प्रभाव किसे कहते है ?
उत्तर : किसी संधारित्र की आवेशित प्लेटों के किनारों पर पृष्ठीय आवेश घनत्व अधिक होने के कारण यहाँ विद्युत क्षेत्र असमान होता है और विद्युत बल रेखाएँ सरल रेखीय न रहकर वक्राकर रह जाती है। इस प्रभाव को उपांत प्रभाव कहते है।
इसकी सामान्यत: उपेक्षा की जाती है।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…