घर्षण क्या है , परिभाषा , प्रकार , स्थैतिक और गतिज घर्षण में अन्तर friction in hindi , लाभ , सूत्र , सवाल

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घर्षण की परिभाषा  : “घर्षण एक प्रकार का विरोधी बल है जो वस्तु के गति का विरोध करता है। ”

“जब दो वस्तुएं आपस में सम्पर्क में आती है तो उनके सम्पर्क पृष्ठ पर घर्षण बल कार्य करता है।
यह बल वस्तु के समान्तर या सम्पर्क पृष्ठ के समान्तर कार्य करता है। “
explanation : जब एक वस्तु को चित्रानुसार मेजर पर रखते है तो मेज पर वस्तु द्वारा द्रव्यमान के कारण एक बल F = mg  लगाया जाता है। परिणाम स्वरूप मेज भी वस्तु पर प्रतिक्रिया के रूप में उतना ही बल विपरीत दिशा में लगाती है।

 

जिससे गुरुत्वीय बल F = mg और अभिकेन्द्रीय बल F = -mg दोनों आपस में निरस्त हो जाते है। और वस्तु पर परिणामी बल का मान शून्य हो जाता है , जिससे वस्तु मेज पर विराम अवस्था में पड़ी रहती है।
अब हम इस वस्तु पर कम परिणाम का बल क्षैतिज में आरोपित करते है लेकिन हम देखते है कि कम परिणाम का बल लगाने पर यह गति नहीं करती है , इसका तात्पर्य यह हुआ कि आरोपित बल का कोई विरोध कर रहा है . यह बल कौनसा है ?
जब वस्तु को मेज पर रखा गया तो मेज व वस्तु के सम्पर्क पृष्ठ पर चुम्बकीय बल कार्य करता है जो सतहों के आवेशित कणों के मध्य लगता है जिससे दोनों वस्तुएं एक दूसरे पर सम्पर्क बल लगाती है।
इस सम्पर्क बल को यदि घटकों के रूप में वियोजित किया जाये तो एक घटक स्पर्श सतह के लम्बवत होता है और दूसरा सम्पर्क सतह के समान्तर हो जाता है।  सम्पर्क बल का जो घटक लम्बवत होता है वह अभिलम्ब बल कहलाता है और जो बल सम्पर्क सतह के समान्तर कार्य करता है उसे ही घर्षण बल कहते है।

घर्षण बल हमेशा गति का विरोध करता है अर्थात जब किसी वस्तु पर बाह्य बल आरोपित किया जाता है तो घर्षण बल इस बाह्य बल के विपरीत कार्य करता है।
घर्षण बल दो प्रकार का होता है –
1. स्थैतिक घर्षण (static friction)
2. सर्पी अथवा गतिज घर्षण (kinetic friction)

1. स्थैतिक घर्षण (static friction)

जब किसी वस्तु पर बाह्य बल कार्य करता है लेकिन फिर भी वस्तु गति नहीं करती है तो बल के विपरीत जो घर्षण बल कार्य करता है उसे स्थैतिक घर्षण बल कहते है।
याद रखे यदि बल का मान धीरे धीरे बढाया जाये और जब तक वस्तु गति शुरू नहीं कर दे तब तक उस पर स्थैतिक घर्षण बल कार्यरत रहता है।

2. सर्पी अथवा गतिज घर्षण (kinetic friction)

अब यदि बाह्य बल को धीरे धीरे बढाया जाए तो वह धीरे धीरे गति करने लगती है , जब वस्तु गति करना शुरू कर दे तो उसकी सतहों के मध्य जो घर्षण बल कार्य करता है उसको गतिज घर्षण कहते है।

स्थैतिक और गतिज घर्षण में अन्तर

  • स्थैतिक घर्षण तब कार्य करता है जब वस्तु विराम में हो , गतिज घर्षण तब कार्य करता है जब वस्तु गतिशील अवस्था में हो।
  • स्थैतिक घर्षण का मान , गतिज घर्षण मान से कुछ होता है।

घर्षण : परस्पर सम्पर्क में स्थित किन्ही दो वस्तुओं के सम्पर्क तल के समान्तर एक बल कार्य करता है जो उनकी सापेक्ष गति का विरोध करता है। यह बल ही , घर्षण बल कहलाता है।

घर्षण के प्रकार

घर्षण दो प्रकार का होता है –
  1. स्थैतिक घर्षण
  2. गतिक घर्षण
1. स्थैतिक घर्षण (static friction) : दो तलों के मध्य घर्षण बल जिनके मध्य कोई सापेक्ष गति नहीं है , स्थैतिक घर्षण कहलाता है। स्थैतिक घर्षण प्रकृति में स्वयं व्यवस्थित हो जाता है। यह परिमाण को इस प्रकार व्यवस्थित करता है कि वस्तु पर कार्यरत अन्य बलों के साथ यह दो तलों के मध्य सापेक्ष विश्राम अवस्था बनाये रखता है।
स्थैतिक घर्षण का मान 0 और usN के मध्य है अर्थात 0 < fs < usN जहाँ us स्थैतिक घर्षण का गुणांक है तथा N अभिलम्ब बल है।
स्थैतिक घर्षण के कारण कोई ऊर्जा हानि नहीं होती है। हम स्थैतिक घर्षण के विरुद्ध कार्य कर सकते है या स्थैतिक घर्षण कार्य कर सकता है।
सीमान्त घर्षण : यदि आरोपित बल को निरंतर धीरे धीरे बढाये तो स्थैतिक घर्षण बल स्वयं परिवर्तित होकर उसे संतुलित करता है। अनन्त: एक स्थिति ऐसी आती है कि वस्तु ठीक गति प्रारम्भ करने वाली होती है। इस समय वस्तु पर अधिकतम स्थैतिक घर्षण कार्य करता है , जिसे सीमांत घर्षण कहते है।
परस्पर सम्पर्क में रखी दो वस्तुओं के मध्य कार्यरत सीमांत घर्षण –
fs = usR
जहाँ us स्थैतिक घर्षण गुणांक तथा R अभिलम्ब प्रतिक्रिया है।
सीमांत घर्षण बल का परिमाण सम्पर्क तलों की प्रकृति और उनके खुरदरेपन या चिकनेपन पर निर्भर करता है। यह सम्पर्क तलों के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है।

2. गतिक घर्षण (dynamic friction)

सापेक्ष गति वाले दो तलों के बीच घर्षण बल गतिक घर्षण कहलाता है। गतिक घर्षण का परिमाण दो तलों के मध्य कार्यरत अभिलम्ब बल के समानुपाती है।

अर्थात fs ∝ N

fk = ukNजहाँ uk गतिक घर्षण का गुणांक है।

गतिक घर्षण का वह बल सदैव गति की दिशा के विपरीत कार्य करता है। गतिक घर्षण के विरुद्ध किया गया कार्य संरक्षी है अर्थात ऊष्मा में परिवर्तित हो जाता है अत: गतिक घर्षण की स्थिति में हमेशा ऊर्जा की हानि होती है।

घर्षण बल– सम्पर्क में रखी दो वस्तुओं के मध्य एक प्रकार का बल कार्य करता है, जो गति करने में वस्तु का विरोध करता है, यह बल ही घर्षण बल कहलाता है। इसकी दिशा सदैव वस्तु की गति की दिशा के विपरीत होती है।

घर्षण बल तीन प्रकार के होते है-

(1) स्थैतिक घर्षण बल।

( 2) सी घर्षण बल।

(3) लोटनिक घर्षण बल।

(1) स्थैतिक घर्षण बल– जब किसी वस्तु को किसी सतह पर खिसकाने के लिए बल लगाया जाए और यदि वस्तु अपने स्थान से नही खिसके, तो ऐसे दोनों सतहों के मध्य लगने वाले घर्षण बल को स्थैतिक घर्षण बल कहते हैं। इसका परिमाण लगाए गए बल के बराबर तथा दिशा बल की दिशा के विपरीत होती है।

( 2)  सी घर्षण बल – जब कोई वस्तु किसी सतह पर सरकती है, तो सरकने वाली वस्तु तथा उस सतह के बीच लगने वाला घर्षण बल सी घर्षण बल कहलाता है।

(3)  लोटनिक घर्षण बल– जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु के सतह पर लुढकती है, तो इन दोनों वस्तुओं के सतहों के बीच लगने वाला बल लोटनिक घर्षण बल कहलाता है।

घर्षण बल की विशेषताएँ 

– दो सतहो के मध्य लगने वाला घर्षण बल उनके सम्पर्क क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है। यह केवल सतहों की प्रकृति पर निर्भर करता है।

– लोटनिक घर्षण बल का मान सबसे कम और स्थैतिक घर्षण बल का मान सबसे अधिक है।

–  घर्षण बल या घर्षण को कम करने के लिए मशीनों मे स्नेहक तथा बॉल बियरिंग लगाए जाते है, जो सी घर्षण को लोटनिक घर्षण में बदल देते है।

–  ठोस-ठोस सतहों के मध्य घर्षण अधिक, द्रव-द्रव सतहों के मध्य उससे कम और वायु ठोस सतहों के बीच घर्षण सबसे कम होता है।

घर्षण बल से लाभ

–  घर्षण बल के कारण ही मनुष्य सीधा खड़ा रह पाता है तथा चल पाता है।

–  घर्षण बल न होने पर हम केले के छिलके तथा बरसात में चिकनी सड़क पर फिसल जाते हैं।

–  यदि सड़कों पर घर्षण न हो तो पहिए फिसलने लगते है।

–  यदि पट्टे तथा पुली के बीच घर्षण न हो तो पट्टा मोटर के पहिए नहीं घुमा सकेगा।

घर्षण बल से हानि

– मशीनों में घर्षण के कारण ऊर्जा का अपव्यय होता है और टूट-फूट अधिक होती है।

– मशीनों के पुजों के बीच अत्यधिक घर्षण से काफी ऊष्मा पैदा होती है और मशीन को क्षति पहुँचती है।