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Categories: Biology

जीवाश्मीय प्रमाण (पोलिओटोजाॅनिकरण ईवीडेन्स) Fossil evidence in hindi

Fossil evidence in hindi 2.  जीवाश्मीय प्रमाण (पोलिओटोजाॅनिकरण ईवीडेन्स):-
मृत जीवों अथवा उनके कठोर अवषेषों को जो चट्टानों में दब गये उनके जीवाष्म कहते है।
पृथ्वी का निर्माण चट्टानों के द्वारा हुआ है। ये चट्टाने अवसाद या तलछट की बनी होती है जो एक के उपर एक पायी जाती है पृथ्वी की काट में चट्टानों की विभिन्न परते पायी जाती है चट्टाने निष्चित समय में बनी होती है तथा उनकी आमुकी गणना की जा सकती है इस प्रकार चट्टाने पृथ्वी की आयु की गवाह है चट्टान के निर्माण के दौरान कोई जीव पाया जाता था। तथा उनकी मृत्यु होने के कारण वह चट्टानों के बीच दब गया इस प्रकार अनेक जीवो के स्पश्ट जीवाष्म पाये गये है जो उनके वर्तमान जीव रूपों से अत्यधिक समानता रखते है जैसे:- आर्कियोप्टोरिबस डायनोसोर एवं घोडों के जीवाष्म
चित्र
3- जैव रसायन से प्राप्त प्रमाण:-
1 गुणसूत्रोंएवं जीवों की समान कार्य क्षमताएं
2 जीवों की समान क्रियाषीलता
3 जैनेटिक कोड की सार्वभौमिकता
4- अनुकूली विकिरण भौगोलिक क्षेत्र वितरण से प्राप्त प्रमाण:-
किसी निष्चित भू-भौगोलिक क्षेत्रमें विभिन्न प्राजीतियों का विकास एक बिन्दु से प्रारंभ होकर अन्य क्षेत्रों तक प्रसारित होने की क्रिया को अनुकूली विकिरण कहते है।
उदाहरण:-डार्विन फिंच
डार्विन अपनी यात्रा के दौरान पोलेपेगोदिप पर गया इस द्धिप् पर उसने एक काली छोटी चिडिया को आष्चर्यजनक विविध के साथ देखा। डार्विन ने इनसे डार्विन फिंच नाम दिया। ये सभी मूलतः बीजभक्षी थी। किन्तु चोंच के कमषः ऊपर उठने के कारण वे षाकाहारी एवं माँस भक्षी बन गयी । इन सभी का विकास उसी द्विप् पर हुआ था।
चित्र
यदि एक से अधिक अनुकूली विकिरण विभिन्न भू-भौगोलिक क्षेत्रों में हो तो उसे अभिसारी विकास कहते है।
उदाहरण:-
1 चूंजा एवं षिषुधानी चूहा
2 अपरा स्तनी भेडिया, तस्मानियाई मास्र्यूपियन पुल्फ
5 अवषेषी अंग प्रमाण ।ककपजपवदंस ;।प्च्डज्द्ध:- मनुष्य में 100 से अधिक अवषेशी अंग पाये जाते है जेसे:- बाल्य कर्ण पेषिया, निमेषक पटल,  दड, अकल डाड,षरीर पर बल ऐपेण्डिक्स।
6 योजक कडी प्रमाण:-जिनसे दो वर्गो के लक्ष्ण पाये जाते है जैसे-आर्किप्योटोनिक्स साँप व पक्षी वर्ग
7 भौतिकी से प्राप्त प्रमाण:-मछली, पक्ष्ज्ञी, खरगोष और मनुष्य के भूणों की विषेश व्यवस्था में अतयधिक समानता होना
8 वर्गिकी प्रमाण:- वंषवृक्ष एवं वर्गीकी सहायता साधनों द्वारा — उपरोक्त सभी प्रमाणों से सिद्ध होता है कि जीवों का विकास सरल से जटिल की ओर हुआ है।
9 जीव रूपों में समाना पायी जाती है।
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