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आग्नेय शैलों का रूप Forms of igneous bodies in hindi , Description of igneous body
Forms of igneous bodies in hindi आग्नेय शैलों का रूप: आग्नेय शैल बॉडीज दो प्रकार की होती है –
1. बहिर्वेधी शैल रूप ( extrusive Igneous bodies )
2. अंतर्वेधी शैल रूप (intrusive Igneous bodies )
1. बहिर्वेधी शैल रूप ( extrusive Igneous bodies ) : बहिर्वेधी शैल रूप मैग्मा के भू पृष्ठ पर उद्गार के फलस्वरूप बनते है। इनका उदाहरण है – लावा प्रवाह
2. अंतर्वेधी शैल रूप (intrusive Igneous bodies ) : ये मैग्मा के भू पृष्ठ के नीचे कुछ गहराई पर कनसोलिडेशन से बनते है। इस प्रकार के शैल रूप उनकी आकृति , आकार में भिन्नता प्रकट करते है।
इनके उदाहरण – Batholith , stock , dyke , sill etc.
अन्तर्वेधी रूप दो प्रकार के होते है –
1. बहिर्वेधी शैल रूप ( extrusive Igneous bodies )
2. अंतर्वेधी शैल रूप (intrusive Igneous bodies )
1. बहिर्वेधी शैल रूप ( extrusive Igneous bodies ) : बहिर्वेधी शैल रूप मैग्मा के भू पृष्ठ पर उद्गार के फलस्वरूप बनते है। इनका उदाहरण है – लावा प्रवाह
2. अंतर्वेधी शैल रूप (intrusive Igneous bodies ) : ये मैग्मा के भू पृष्ठ के नीचे कुछ गहराई पर कनसोलिडेशन से बनते है। इस प्रकार के शैल रूप उनकी आकृति , आकार में भिन्नता प्रकट करते है।
इनके उदाहरण – Batholith , stock , dyke , sill etc.
अन्तर्वेधी रूप दो प्रकार के होते है –
- Discordant bodies (अननुस्तरी ) : अनुनस्तरी रूप में ये ऊपरी layer को काटकर ऊपर आ जाती है। इनके उदाहरण – batholith , stock and dykes
- अनुस्तरी (Cordant bodies) : अनुस्तरी आग्नेय रूप है जो शैल परतों के बीच में ही रह जाती है। इस प्रकार के रूपों के उदाहरण है – sills , lopoliths and laccoliths
Description of igneous bodies
Batholith : बैथोलिथ अंतर्वेधी आग्नेय शैलो की विशालतम राशि है। प्रो.आर.ए. डेली के अनुसार बैथोलिथ पर्वत रचना मण्डल में पाए जाने वाले भू-पर्पटी के अधोलग्न या अध:शायी अंतर्वेधी पुंज है। ये वलित मेखलाओ के अक्ष की दिशाओ में दीर्घत होते है। इनकी छत अनियमित एवं गुम्बदाकार होती है। इनके पाशर्व खड़े ढाल होते है तथा बैथोलिथ गहराई के साथ शैने: शैने: चौड़े ग्रेनाइटिक अथवा ग्रेनोडाईरोटिक होती है। इनका सामान्य व्यास लगभग 100 KM या उससे अधिक होता है।
Stock and Boss : बैथोलिथ के छत पर आक्रान्त शैलो से घिरे हुए अंतर्वेधी के भाग को स्कंध (stock) कहते है। ये छोटे होते है इनका व्यास लगभग 10 से 20km होता है। बोस टर्म उस स्कंध के लिए काम ली जाती जो लगभग पूर्णतया गोलीय सतह रखती है।
Lopolith : लोपोलिथ एक रकाबी (soucer) के आकार की अनुस्तरी अंतर्वेधी राशि है जो की एक बेसिन की आकृति में नीचे की ओर मुड़ी हुई होती है। इसका व्यास सामान्यत: इसकी मोटाई 10 से 20 गुना होता है। इस प्रकार लोपोलिथ , लोकोलिथ से बहुत अधिक बड़ा होता है। इसका कम्पोजिशन सामान्यत: बेसिक होता है।
Laccolith : एक लोकोलिथ लैंस के आकार की अन्तर्वेधि आग्नेय राशि है जो की ऊपर वाली परतों को एक गुम्बद के आकार के मेहराब के रूप में उठा देती है। एक तल समतल और शीर्ष गुम्बद होता है। एक लैकोलिक 2 से 3 km व्यास और कई सैकड़ो मीटर मोटाई का हो सकता है। ये बैथोलिथ की तुलना में बहुत छोटा होता है।
Phacolith : फैकोलिथ चन्द्रमा की प्रथम व अंतिम चौथाई आकार की आग्नेय शैल रूप है। वे फोल्डेड परतों के क्रिस्टस और ट्रफस में पाए जाते है। फेकोलिथ तब बनता है जब आग्नेय पदार्थ फोल्डेड क्षेत्र में घुस जाता है। आग्नेय पदार्थ क्रिस्टस और ट्रफस में पाया जाता है क्योंकि ये न्यूनतम तनाव वाले क्षेत्र होते है।
Sill : सिल एक आग्नेय राशि शीट है जो की पहले से निर्मित परतों के बेडिंग प्लेन्स के समान्तर बनी है। वे परतों के attitude के आधार पर उर्ध्वाधर अथवा क्षैतिज मुड़ी हुई हो सकती है। सिलस की मोटाई कुछ सेंटीमीटर से कई सैकड़ो मीटर तक हो सकती है। लेकिन इनकी मोटाई इनकी लम्बाई से बहुत कम होती है। सामान्यत: डोलेराइट्स और बेसाल्ट के सिल्स बनते है।
Dyke: डाइक एक दिवार होती है जैसे की आग्नेय राशि की। यदि पहले से निर्मित शैलो की परतों को काटते हुए बाहर निकली होती है। डाइक प्राय: उर्ध्वाधर या जीवा रेखाओ के रूप में हो सकती है। डाईक समूह के प्राप्त में प्राप्त की जाती है जहाँ वे एक दिशा के समान्तर अथवा एक केन्द्र से त्रिज्यीय रूप में गति करती हुई रहती है। एक डाईक बाह्य गोलाकार आवरण अथवा कोणीय रूप जैसे रिंग डाईक कहते है।
ये दोनों मिलकर एक कोण शीट कही जाती है। डाईक संभवत: एक क्रस्टल विभंग प्रदर्शित करती है जिसमे मैग्मा इन्जेक्टेड होते है।
Volcanic plug : वोल्केनिक प्लग एक उर्ध्वाधर सिलेंडरिकल आकृति की आग्नेय राशि है जो की एक खुरदरा अर्द्ध चंद्राकार या गोलाकार क्रोस सेक्शन होता है। यह एक उद्गरित ज्वालामुखी के नाल को प्रदर्शित करता है। वोल्केनिक प्लग का व्यास सैकड़ो मीटर से कई किलोमीटर या उससे भी अधिक होता है।
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