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p – n संधि का निर्माण समझाइये formation of pn junction in hindi
प्रश्न 1 : p – n संधि का निर्माण समझाइये। p-n संधि बनने में होने वाली दो क्रियाओं को समझाइये ह्यासी क्षेत्र और रोधी का विभव को परिभाषित कीजिए?
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उत्तर : p-n संधि का निर्माण (formation of pn junction):- यदि अर्द्ध चालक में एकल क्रिस्टल में एक तरफ n प्रकार का अर्द्धचालक बनाने के लिए पंच सयोजी अशुद्धि और दूसरी तरफ p प्रकार का अर्द्धचालक बनाने के लिए त्रिंसयोजी अशुद्धि को मिश्रित करत है। इस प्रकार p-n संधि के निर्माण में दो महत्वपूर्ण घटनायें घटित होती है।
1. विसरण
2. अपवाह
n भाग में स्वतंत्र e की सान्द्रता अधिक होती है जबकि p भाग में कोटरों की सान्द्रता अधिक होती है। इसलिए p के कोटर n भाग की ओर तथा n के इलेक्ट्रॉन p भाग कीओर विसरण गति करते है जिससे विसरण द्वारा बहती है। जब p भाग के कोटर n भाग की ओर जाते है तो निश्चल ऋणायन पिछे छोड़ते है इसी प्रकार n भाग के इलेक्ट्रॉन p भाग की ओर जाते है तो निश्चल धनायन पीछे छोड़ते है। इस प्रकार संधि तल पर एक ओर धनावेश और दूसरी ओर ऋणावेश उत्पन्न होते लगता है जिससे संधि तल पर n से p की ओर विद्युत क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। जिससे p भाग के अल्पसंख्यक electron n भाग की ओर तथा n भाग के कोटर p भाग की ओर अपवाह गति करते है। जिससे अपवाह धारा बहती है। विसरण धारा और अपवाह धारा दोनों एक दूसरे के विपरित होते है। प्रारम्भमें विसरण धारा अधिक होती है परन्तु बाद में अपवाह धारा के मान में तब तक वृद्वि होती है जब दोनों का मान समान हो जाये इस अवस्था में संधि तल पर कोई धारा नहीं बहती है इस प्रकार p-n संधि का निर्माण हो जाता है। संधि तल के दोनों ओर कुछ भाग में न तो स्वतंत्र इलेक्ट्रॉन होते है और न ही कोटर होते है। इस भाग को हासी क्षेत्र कहते है। संधि तल के एक ओर धनावेश और दूसरी ओर नहणवेश उत्पन्न होने से संधि तल पर एक विभव उत्पन्न हो जाता है जिसे रोधिका विभव कहते है। क्योंकि यह विभव p भाग के कोटर और n भाग के मप को संधि तल पर आने से रोकता है।
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