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Categories: 12th geography

वन संसाधन की परिभाषा क्या है , forest resources in hindi , जल संसाधन, मत्स्य पालन – मछली पालन

(forest resources in hindi) वन संसाधन की परिभाषा क्या है , वन संसाधन किसे कहते है , पीडीऍफ़ जल संसाधन, मत्स्य पालन – मछली पालन का महत्व लिखिए |

वन संसाधन : प्राकृतिक वनस्पति

प्राकृतिक वनस्पति : किसी निश्चित क्षेत्र में जलवायु के कारण वनस्पति का स्वत: ही उत्पन्न हो जाना प्राकृतिक वनस्पति कहते है।

महत्व :

प्रत्यक्ष महत्व :

  • लकड़ी
  • ऑक्सीजन
  • ईंधन
  • चारा
  • कागज
  • औषधियां

अप्रत्यक्ष :

  • वर्षा के लिए आवश्यक
  • मनोरंजन
  • स्वास्थ्य
  • मृदा अपर्दंकी रोकथाम

वर्गीकरण :

  1. संरक्षित
  2. रक्षित
  3. अवर्गीकृत

भारत में 2015 के अनुसार 21.561 क्षेत्रफल वाला राज्य है मध्यप्रदेश।

प्रतिशत में आगे आने वाला राज्य है –

  1. अरुणाचल प्रदेश
  2. नागालैंड
प्रश्न : वन संसाधन किसे कहते है ? वनों के विभिन्न प्रकार वनों का महत्व वर्गीकरण वनों के विनाश के कारण वन संरक्षण के विभिन्न उपाय बताइए।
उत्तर : वन संसाधन : प्राकृतिक संसाधनों में वन संसाधन महत्वपूर्ण है , मानव अधिकाल से ही वनों पर निर्भर/आश्रित रहा है।
वनों के विनाश के कारण :
  • कृषि हेतु भूमि के भाग में निरंतर वृद्धि।
  • अत्यधिक औद्योगिकरण व शहरीकरण
  • अनियंत्रित चराई
  • स्थानान्तरित कृषि प्रणाली
  • बढ़ता खनन क्षेत्र
वनों का महत्व :
  1. प्रत्यक्ष लाभ
  2. अप्रत्यक्ष लाभ
प्रत्यक्ष लाभ : लकड़ी , ऑक्सीजन , इंधन , चारा , फल-फूल , कागज , दिया सलाई आदि।
अप्रत्यक्ष लाभ : वर्षा के लिए , स्वास्थ्य के लिए , मनोरंजन के लिए , मृदा अपरदन की रोकथाम , वायु व ध्वनी प्रदूषण के रोकथाम , वन हरित गृह प्रभाव को रोकते है।
संरक्षण : भारतीय संस्कृति में वनों का महत्व सदैव से रहा है।  यह वृक्ष काटना तो दूर कोई उनका पत्ता भी नहीं तोड़ सकता है इसलिए सभी जाति समूहों के अपने अपने पारम्परिक वृक्ष को देवता माना जाता है।  उनमे ईश्वर का निवास बताया गया है।
वर्तमान में अशोक भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है।

मत्स्य पालन – मछली पालन

मछली पालन : यह प्राथमिक क्रियाकलाप है , मनुष्य अपने लाभ के लिए मछली पालन करता है।
महत्व :
  • अनाज (खाद्य) का विकल्प
  • प्रोटीन की उपलब्धता
  • व्यापार : राष्टीय – भू-भाग , अन्तराष्ट्रीय – विदेशी मुद्रा
  • रोजगार का साधन – नाव बनाना आदि।
उपयुक्त दशाएं :
1. एक तरह से मछली का चारा पैलेकटोन जीव होता है।
2. ठंडी व गर्म जलधारा का मिलने वाली बिंदु पर ज्यादा मछलियाँ होती है।
3. नदियों के मुहाने पर सागर में मिलने वाले बिंदु पर भी अधिक मछलियाँ होती है।
4. महाद्वीपो के पश्चिम तटीय क्षेत्रो में जहाँ ठंडी जलधारा मिलती है।
5. समुद्र के किनारे तटीय भू-भाग पर जहाँ गहराई 100 कैदम होती है यानी 600 फिट।  वहां भी मछली पालन आसानी से कर सकते है।
A. महासागरीय या खारे पानी वाली मछलियाँ :
  1. मेकरेल
  2. एकाकी
  3. सारझइन
  4. हेरिंग
  5. टुना
  6. झींगा
B. नदी के मुहाने पर मछली पालन :
  1. अप
  2. पर्च , कार्क , कटपिश
तटीय क्षेत्रो पर रेतीली व दलदली मिटटी का क्षेत्र होता है , शंख युक्त मछलियाँ पायी जाती है।
मछली पालन का विकास :
  • बंदरगाहो को उन्नत व प्रोद्योगिकी युक्त किया जाना चाहिए।
  • गहरे समुद्र में भी अब मछली पालन हो सकता है , ट्रोलरो उपकरण के कारण।
  • मछुआरो के लिए प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करना चाहिए , इन जगहों पर कोद्रव है।
1. तमिलनाडु – तू तू कुड़ी
2. महाराष्ट्र – सतवारी
3. केरल – कोची
4. आंध्रप्रदेश – विशाखापत्तनम
5. गुजरात – बेरावल
  • मछलियाँ पकड़ने के लिए बड़ी बड़ी नोकाओ को विकसित किया गया है।
  • तटीय बंदरगाहो को व आंतरिक नगरो को तीव्र गति से चलने वाली रेलों से जोड़ा गया है।
उत्पादन : चीन के बाद भारत का द्वितीय स्थान है और भारत के राज्यों में देखे तो आंध्रप्रदेश , केरल , पश्चिम बंगाल , गुजरात।
प्रश्न : भारत में मत्सय पालन पर विस्तृत लेख लिखिए।
उत्तर : मत्स्य पालन : भारत में अनेक नदियाँ , नहरे , झीले , बाँध , तालाब , जलाशय और सदा खुले रहने वाले विशाल समुद्र एवं भौगोलिक कारको के कारण मत्स्य संसाधन के विकास की प्रबल संभावनाएं है।  देश के सभी भागो में लगभग 1800 प्रजातियों की मछलियाँ पायी जाती है।  इनमे से कुछ किस्मो की मछलियाँ व्यावसायिक स्तर पर पकड़ी जाती है।
भारत में मत्स्य उत्पादन योग्य संभावित क्षेत्र के केवल 25 प्रतिशत भाग पर ही मछलियाँ पकड़ी जाती है।  यहाँ कुल मत्स्य उत्पादन का 60 प्रतिशत महासागरो से तथा 10 प्रतिशत आंतरिक जलाशयों से प्राप्त किया जाता है।  महासागरो से प्राप्त होने वाली कुछ मछलियों का 70 प्रतिशत पश्चिमी समुद्री तट से प्राप्त होता है , भारत में मछली की खपत और बढ़ते निर्यात से डेयरी विकास एवं मुर्गी पालन की तरह मत्स्य व्यवसाय भी वैज्ञानिक पद्धतियों से किया जाने लगा है।

अजैविक

1. जल
2. खनिज
1. जल संसाधन : मानवीय क्रियाकलापों में जल का उपयोग।
महत्व :
  1. पानी को सिंचाई में उपयोग
  2. मानवीय क्रियाओ में उपयोग
  3. दैनिक क्रिया कलापों में उपयोग
  4. निर्माण कार्यो में उपयोग
स्रोत :
वर्षा के दो रूप है –
  1. धरातलीय जल
  2. भूमिगत
धरातलीय जल : नदी नालो में , तालाबो में , झीलों में , बावडियो में आदि।
भूमिगत जल : कुओ में , नल कुपो में , हैण्डपप में।
वर्षण प्रकार :
  1. वर्षा पानी की बुँदे
  2. हिमपात – बर्फ के रूप में
वर्षण के रूप :
  1. वाष्पीकरण – 1341 घन , किलोमीटर
  2. धरातलीय – 1869 घन , किलोमीटर
  3. भूमिगत जल – 790 घन , किलोमीटर
वर्षण – 4000 घन किलोमीटर
सिन्धु – सतलज , व्यास , राती , चैनाव , झेलम
गंगा – यमुना , चम्बल , सिंध , वेतवा , केन , सोन , रिहन्द , पुनपुन , हुगली , दामोदर , वराकर , गोमती , काली , गंडक , कोशी .
प्रश्न : भारत में जल संसाधन पर एक विस्तृत लेख लिखिए .
उत्तर : जल संसाधन : मानव जल का उपयोग पेयजल , दैनिक कार्यो , निर्माण कार्यो , सिंचाई उद्योग और परिवहन आदि कार्यो में करता है .
जल का महत्व इस बात से और अधिक बढ़ जाता है कि यह एक अनिवार्य सिमित और अति संवेदनशील संसाधन है . मानव का कोई भी कार्य या पर्यावरण की कोई भी प्रक्रिया जल के बिना संभव नहीं है . जल का कोई भी किसी प्रकार का कोई विकल्प नहीं है .
मानव के लिए आवश्यक जीवनदायी संसाधनों में वायु के बाद जल बिना जीवन असंभव है . जल प्राप्ति का मुख्य स्रोत वर्षा ही है जो धरातलीय एवं भूमिगत जल के रूप में प्राप्त किया जाता है . भारत में मुख्यतः दक्षिणी-पश्चिमी मानसून द्वारा जून से सितम्बर 3-4 महीने ही ये वर्षा होती है . उत्तर पूर्वी मानसून द्वारा केवल तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश के कुछ भागो में ही वर्षा होती है .
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