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वन संरक्षण किसे कहते हैं | वन संरक्षण के उपाय क्या है बताइये के उपायों पर प्रकाश डालिए , forest protection in hindi
forest protection in hindi , वन संरक्षण किसे कहते हैं | वन संरक्षण के उपाय क्या है बताइये के उपायों पर प्रकाश डालिए ? भारतीय सन्दर्भ में वन संरक्षण निबन्ध लिखिए |
वन संरक्षण :-
स्थानीय तथा विश्व के स्तर पर मौसम के नियमन में ऊष्ण कटिबन्धीय वनों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उनके विनाश से केवल विश्व के वर्षा चक्र में गड़बड़ी पैदा होने का भय ही नहीं होता जबकि इससे भी अधिक गंभीर खतरा धरती के आन्तरिक वायुमंडल की नाजुक रासायनिकी के टूटने का है।
वन विनाश रोकने के लिए विश्व संस्थान ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम तथा विश्व बैंक के साथ मिलकर 800 करोड़ डॉलर की एक पंचवर्षीय योजना बनाई है। इस योजना का उद्देश्य निम्नलिखित है –
- इंधन की उपलब्धि
- कृषि वानिकी को प्रोत्साहन
- जल ग्रहण का नवीकरण
- ऊष्ण कटिबंधीय वन प्रणाली का संरक्षण
- अनुसन्धान प्रशिक्षण
- प्रसार के लिए संस्थाओं को मजबूत बनाना।
इस योजना को स्वतंत्र पर्यावरणविदों ने चुनौती दी है , क्योंकि उनके अनुसार यह योजना वन विनाश का सारा दोष गरीबों के मत्थे मढती है। उनके अनुसार वास्तविकता तो यह है कि वन विनाश के लिए तो मुख्य रूप से वनों के व्यापारिक विकास , बाँध निर्माण तथा माँस निर्यात के लिए पशुपालन उत्तरदायी रहा है। रहे सहे वन तो उन्ही क्षेत्रों में है , जहाँ आदिवासी परंपरागत पद्धति से जीवन यापन कर रहे है। मलेशिया के साचावक क्षेत्र में तो वे चिपको जैसा आन्दोलन भी चला रहे है।
विश्व में विकास की योजनाओं में सर्वाधिक प्राथमिकता पर्यावरण के पुनर्वास को दी जानी चाहिए। इसलिए लिए वनीकरण एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम होना चाहिए। वृक्षारोपण में प्रजातियों का चुनाव उनकी बाजार कीमत के बजाय उनके पारिस्थितिकीय लाभों के आधार पर होना चाहिए। उन पेड़ों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जो मिट्टी तथा पानी का संरक्षण करने के साथ खाद्य , चारा इंधन , जैविक खाद , वनीकरण से भी अधिक आवश्यक है , वनों का विनाश करने वाली विशाल योजनाओं पर पुनर्विचार कर यह कहा जा सकता है कि क्या खनन तथा बाँध निर्माण जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं को रोका जाए। निश्चित रूप से इनकी प्राथमिकताएं पुनः निर्धारित की जा सकती है। राष्ट्रीय आवश्यकतायें न्यूनतम अनिवार्य आवश्यक हो , धातुओं का खनन प्राथमिकता के आधार पर पहले उन क्षेत्रों में किया जाना चाहिए जो पर्यावरण की दृष्टि से कम से कम संवेदनशील हो। लकड़ी के खर्चो में किफ़ायत बरतनी होगी तथा उसके विकल्प ढूंढने होंगे। मांसाहार को त्यागे बिना वनों का बचाना कठिन है। दक्षिण अमेरिका के वन तो केवल माँस निर्यात के लिए पशुपालन के लिए उजाड़े जा रहे है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त “विकास और पर्यावरण आयोग” ने स्वीकार किया है कि अमीर देशों की जीवन प्रणाली तथा विकास की कल्पना के रहते हुए पर्यावरण की रक्षा नहीं हो सकती। विकास की अवधारणा में इस प्रकार का परिवर्तन किये बिना जिसमे संयम , सादगी तथा किफ़ायत को सर्वाधिक महत्व दिए जाए , वन तथा दुसरे प्राकृतिक साधनों का संरक्षण असंभव है।
भारतीय सन्दर्भ में वन संरक्षण : वन संरक्षण के लिए आज से लगभग 2600 वर्ष पूर्व भगवान बुद्ध ने कहा था कि प्रत्येक नर तथा नारी को प्रतिवर्ष एक पेड़ लगाना चाहिए। आधुनिक पारिस्थितिकी विज्ञान ने वन चेतना का प्रसार करके लोगों को वन संरक्षण तथा विकास की प्रेरणा दी है। उत्तर प्रदेश में हिमालय पर वन संरक्षण के लिए श्री सुन्दरलाल बहुगुणा ने “चिपको” नामक आन्दोलन के माध्यम से देश व्यापी वन संरक्षण चेतना जागृत कर दी है। श्री बहुगुणा के चिपको आन्दोलन के फलस्वरूप केन्द्रीय और राज्य सरकारों ने अनेक कानून बनाकर वनों के विनाश को रोका है। इसी प्रकार बाँसवाड़ा (राजस्थान) में श्रीमती लाडकी नामक आदिवासी महिला ने रुख भाईला आन्दोलन चलाकर इस क्षेत्र में वन विकास का कार्य आगे बढाया है। वन संरक्षण और विकास के लिए वर्षा ऋतु में प्रत्येक वर्ष वन महोत्सव मनाया जाता है तथा सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं उचित स्थानों पर पौधे लगाकर वन विकास में भाग लेती है। हाल ही में अनेकों राज्य सरकारों ने सामाजिक वानिकी नामक कार्यक्रम चलाया है , जिसके माध्यम से समाज में वनों के महत्व तथा विकास की चेतना की नियमित प्रचार तथा प्रसार किया जा रहा है।
वन संरक्षण के उपाय
- वनों की अंधाधुंध कटाई तथा आर्थिक दोहन को प्रभावी कानून से रोका जाए तथा उल्लंघन करने वालो को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।
- प्राकृतिक वन प्रदेशों में आधुनिक उद्योगों को लगाने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लागू किया जाए।
- वन प्रदेशों में गृह निर्माण योजनायें पूर्णतया प्रतिबंधित की जाए।
- वन विकास कार्यक्रमों को प्राथमिकता तथा संरक्षण दिया जाए।
- वन संरक्षण तथा विकास को अनिवार्य पाठ्यक्रम के रूप में पढाया जाए।
- वन चेतना , संरक्षण तथा विकास के लिए उत्तर प्रदेश की भांति सभी जिला मुख्यालयों पर वन चेतना केन्द्रों की स्थापना पूरे देश में की जाए।
- वन महोत्सव को राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में मनाया जाए , जिसमे सभी विभागीय कर्मचारियों , शिक्षकों तथा विद्यार्थियों को अनिवार्य रूप में सम्मिलित किया जाए।
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