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बल क्या है , (force in hindi) फोर्स की परिभाषा , उदाहरण , प्रकार , परिणामी बल का सूत्र , प्रभाव विमीय सूत्र
(force in hindi) बल क्या है , फोर्स की परिभाषा , उदाहरण , प्रकार , परिणामी बल का सूत्र , प्रभाव किसे कहते है ? मात्रक क्या है ? विमीय सूत्र या विमा :-
बल (force) : ” बल वह कारक है जो किसी भी वस्तु की स्थिति में परिवर्तन ला सकता है। ”
बल की संकल्पना : हम दैनिक जीवन में सुबह से शाम तक होने वाली क्रियाओं पर यदि ध्यान दे तो हमें ज्ञात होता है कि वस्तुओं को एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान तक ले जाने , उनमे गति उत्पन्न करने , गति करती वस्तुओं को रोकने और वस्तुओं के आकार में परिवर्तन करने के लिए बल लगाने की आवश्यकता पड़ती है।
बल के प्रकार
- लम्ब प्रतिक्रिया N
- घर्षण बल f
बल (Force)
धकेलना या खींचना जो कि वस्तु की स्थिर अवस्था या एक समान गति की दिशा को बदलने का प्रयास करता है या परिवर्तित कर देता है , बल कहलाता है। बल वस्तु और स्रोत के बीच अन्योन्य प्रभाव है (जो कि वस्तु में धक्का या खिंचाव उत्पन्न करता है। )
- चाल बदल सकता है।
- गति की दिशा बदल सकता है।
- वस्तु की गति की दिशा और चाल दोनों बदल सकता है।
- वस्तु का आकार और आकृति बदल सकता है।
मूल बल
संपर्को के आधार पर बलों का वर्गीकरण
1. क्षेत्रीय बल : किसी वस्तु के द्वारा उत्पन्न क्षेत्र में कुछ दूरी पर रखी अन्य वस्तु पर क्षेत्र के अन्योन्य प्रभाव के कारण बल को क्षेत्रीय बल कहते है है।
उदाहरण : गुरुत्वाकर्षण बल , विद्युत चुम्बकीय बल
2. सम्पर्क बल : दो वस्तुओं के मध्य स्थानांतरित वह बल जो कि अल्प परास की आण्विक परमाण्विक अन्योन्य क्रियाओं के कारण उत्पन्न होते है। सम्पर्क बल कहलाते है। जब दो वस्तुएं आपस में सम्पर्क में आती है तो वह एक दुसरे पर सम्पर्क बल आरोपित करती है।
उदाहरण :
अभिलम्ब बल : यह बल , सम्पर्क बल का सतह के लम्बवत घटक है। यह मापता है कि प्रत्येक सतह एक दुसरे को कितनी प्रबलता से दबा रही है। यह बल विद्युत चुम्बकीय बल होते है।
जब पृथ्वी पर एक मेज रखी जाती है इस स्थिति में मेज पृथ्वी को दबाती है इसलिए मेज की चारों टाँगे पृथ्वी पर अभिलम्ब बल लगाती है।
इसी प्रकार जब एक लड़का घर्षण रहित सतह पर रखे ब्लॉक को धकेलता है , इस स्थिति में लड़के द्वारा ब्लॉक पर आरोपित बल विद्युत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया है जो कि अंगुलियों और सम्पर्क सतह पर समान आवेश उत्पन्न होने के कारण उत्पन्न होती है। यह अभिलम्ब बल कहलाता है।
जब एक ब्लॉक को नत तल पर रखते है तो ब्लॉक के भार का एक घटक नत तल की झुकी हुई सतह को लम्बवत दबाता है जिसके कारण सतह और ब्लॉक के मध्य सम्पर्क बल कार्य करने लगते है।
तनाव बल : रस्सी में तनाव एक विद्युत चुम्बकीय बल है। यह रस्सी को खींचने पर उत्पन्न होता है। यदि द्रव्यमानहीन रस्सी को नहीं खिंचा जाए तो इसमें तनाव शून्य होता है। यदि रस्सी को दृढ आधार से बाँधकर एक बल F द्वारा खिंचा जाए तो रस्सी में तनाव उत्पन्न हो जाता है।
रस्सी को छोटे छोटे अंशो या भागो से मिलकर मानते है जो एक दुसरे को विद्युत चुम्बकीय बलों के द्वारा आकर्षित करते है। दो अंशो के मध्य आकर्षण बल न्यूटन के तृतीय नियम के अनुसार बराबर और विपरीत होता है।
किसी अंश में तनाव ज्ञात करने के लिए सम्पूर्ण निकाय के दो से अधिक भागो की कल्पना करते है।
यहाँ अंशो के बीच अन्योन्य क्रिया को आंतरिक बल मानते है इसलिए इनको मुक्त वस्तु रेखाचित्र में नहीं दर्शाते है।
घर्षण बल : यह बल सम्पर्क बल का सतह के समान्तर घटक होता है। यह बल सम्पर्कित दो सतहों के बीच सापेक्ष गति (अथवा सापेक्ष गति के प्रयास) के विरोध करता है।
प्रश्न : चित्रानुसार दो ब्लॉक एक दूसरे के सम्पर्क में चिकनी सतह पर रखे है तो A और B पर लगाया गया अभिलम्ब बल प्रदर्शित करो।
उत्तर : उपरोक्त प्रश्न में ब्लॉक A , ब्लॉक B पर कोई दबाव नहीं डालता है इसलिए A और B के मध्य कोई भी आण्विक अन्योन्य क्रिया नहीं होगी। अत: A , B पर कोई भी अभिलम्ब बल नहीं लगाएगा।
नोट : अभिलम्ब बल एक स्वतंत्र बल नहीं है , यह तब उत्पन्न होता है जब दो सतह आपस में एक दुसरे पर दाब लगाती है।
बल
बल वह बाहरी कारक हैं, जो किसी वस्तु की प्रारंभिक अवस्था यानी विराम की अवस्था या एक सरल रेखा में एक समान गति की अवस्था को परिवर्तित कर सकता है, या परिवर्तित करने का प्रयास करता है। बल का ैप् मात्रक न्यूटन है। इसका ब्ळै मात्रक डाइन है। प्छत्र105 कलदम होता है।
बलो के प्रकार- प्रकृति मे मूलतः बल चार प्रकार के होते है-
1. गुरूत्वाकर्षण बल।
2. विद्युत चुम्बकीय बल।
3. दुर्बल या क्षीण बल।
4. प्रबल बल।
विद्यूत चुम्बकीय बल– यह बल दो प्रकार का होता है-
ं स्थिर-वैद्युत बल
इ. चुम्बकीय बल
ं स्थिर-वैद्युत बल- दो स्थिर बिन्दु आवेशों के बीच लगने वाला बल स्थिर-वैद्युत बल कहतलाता है।
इ. चुम्बकीय बल- दो चुम्बकीय ध्रुवों के मध्य लगने वाला बल चुम्बकीय बल कहलाता है। विद्युत एवं चुम्बकीय बल मिलकर विद्युत-चुम्बकीय बल की रचना करते है। यह ‘फोटॉन‘ नामक कण के माध्यम से कार्य करता है। विद्युत चुम्बकीय बल, गुरूत्वाकर्षण बल से 10 गुना अधिक शक्तिशाली होता है। किसी रस्सी मे तनाव, दो गतिमान सतह के मध्य घर्षण सम्पर्क में रखी दो वस्तुओं के मध्य सम्पर्क बल पृष्ठ तनाव आदि सभी विद्युत चुम्बकीय बल है।
3. दुर्बल बल– रेडियों सक्रियता के दौरान निकलने वाल कण (इलेक्ट्रॉन), नाभिक के अन्दर एक न्यूट्रॉन का प्रोटॉन, इलेक्ट्रॉन एवं ऐन्टिन्यूट्रिनों के रूप में विघटन के फस्वरूप निकलता है-
इलेक्ट्रॉन व ऐन्टिन्यूट्रिनो के बीच पारस्परिक क्रिया क्षीण बलो के माध्यम से ही होता है। ये बल दुर्बल या क्षीण इसीलिए कहलाते है कि इनका परिमाण प्रबल बल का लगभग 10-13 गुना (अर्थात बहुत कम) होता है और इनके द्वारा संचालित क्षय प्रक्रियाएँ अपेक्षाकृत बहुत धीमी गति से चलती हैं। ऐसा समझा जाता है कि ये बल,ू-बोसॉन नामक कण के आदान-प्रदान द्वारा अपना प्रभाव दिखलाते है। यह अत्यन्त ही लघु परास वाला बल है। इसका परास प्रोटॉन और न्यूटॉन के आकार से भी कम होता है, अतः इनका प्रभाव इन कणों के अन्दर तक ही सीमित रहता है।
4. प्रबल बल– नाभिक के अन्दर दो प्रोटॉन व प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन पास-पास शक्तिशाली आकर्षण बल के कारण होते है, इसे ही प्रबल बल कहते है। इस बल का आकर्षण प्रभाव, वैद्युत बल के प्रतिकर्षण प्रभाव से बहुत ही अधिक होता है। यह बल कण के आवेश पर निर्भर नहीं करता है। यह बल अति लघु परास बल है, इसका परास 10-15 मी. की कोटि का होता है, अर्थात दो प्रोटॉनों के बीच की दूरी इससे अधिक होगी, तो यह बल नगण्य होगा। ऐसा माना जाता है कि प्रबल बल दो क्वार्को की पारस्परिक क्रिया से उत्पन्न होते है।
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