JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: इतिहास

राजस्थान के लोक नृत्य कौन-कौन से हैं वर्णन करो | राजस्थान के लोक नृत्य याद करने की ट्रिक folk dance of rajasthan in hindi

folk dance of rajasthan in hindi राजस्थान के लोक नृत्य कौन-कौन से हैं वर्णन करो | राजस्थान के लोक नृत्य याद करने की ट्रिक प्रश्न और उत्तर ?

राजस्थान के लोक नृत्य

राजस्थान की संगीतजीवी जातियाँ
1 कलावन्त – इस जाति के लोग निपुण गायक व वादक होते हैं। मध्य काल से ही यह प्रमुख गायक वर्ग रहा है। ये अपना रिश्ता तानसेन के वंश से जोड़ते हैं। ध्रूपद व ख्याल गायकी में ये पारंगत हैं। जयपुर का डागर घराना इसी जाति का है।
2 कव्वाल – कव्वालों की उत्पत्ति कलावन्तों से ही मानी जाती है। अमीर खुसरों ने कव्वाली परम्परा प्रारम्भ की थी। राजस्थान में कव्वाल बच्चों का घराना प्रसिद्ध है। अजमेर के ख्वाजा की दरगाह में देश के मशहूर कव्वाल अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।
3 ढाढ़ी मुख्यत – पश्चिमी राजस्थान में पाई जाने वाली गायक-वादन जाति, जिनका मुख्य वाद्य सारंगी व रबाब हैं। ये अपने यजमानों की विरुदावली गाते हैं।
4 मिरासी – ये जाति से मुसलमान हैं। सारंगी वादन इनका मुख्य पेशा रहा है। मुख्यतः मारवाड़ क्षेत्र में पाये जाते हैं। इनकी स्त्रियाँ भी अच्छी गायक होती है।
5 मांगणियार – विशेष रूप से पश्चिमी रेगिस्तानी जिलों बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर आदि क्षेत्रों में पाई जाने वाली पारम्परिक पेशेवर जाति, जो हिन्दू व मुस्लिम दोनों धर्मों को मानती है। कमायचा, खड़ताल व सुरणाई इनके मुख्य वाद्य हैं। सद्दीक खाँ मांगणियार प्रसिद्ध खड़ताल वादक है।
6 भाट – इनका मुख्य कार्य अपने यजमानों की वंशावलियाँ लिखना तथा उनका बखान करना है। भाटों में कई विद्वान हुए हैं, जिन्होनें कई प्रसिद्ध ग्रन्थ व विरुदावलियाँ लिखी हैं।
7 डोम (डूम) – ये भाटों का ही उपवंश है जो मुस्लिम धर्म मानते हैं।
8 ढोली – ढोल वाद्य बजाने के कारण यह वर्ग ढोली कहलाया। अलग-अलग क्षेत्रों में पृथक-पृथक नामों से जाने जाते हैं जैसे- दमामी, नक्कारची, राणा आदि। ये अपनी उत्पत्ति गन्धवों से बताते हैं। विशेष अवसरों पर ढोल बजाना इनका मुख्य पेशा है।
9 राणा – इनका कार्य भी ढोल बजाना ही है। पूर्व में ये रणक्षेत्र में नगाड़े पर चोट मारते थे, अतः ये राणा कहलाये। जयपुर व शेखावाटी क्षेत्र में ये विशेष रूप से बसे हुए हैं। ये ख्याल लोक नाट्य में भी पारंगत हैं।
10 लंगा – ये राजस्थान के पश्चिमी मरु क्षेत्र- जैसलमेर व बाड़मेर जिलों में मुख्यतः पाये जाते हैं तथा मुस्लिम धर्म को मानते हैं। लोक वायों में कमायचा व सारंगी बजाते हैं। लंगा गायकी आज सम्पूर्ण देश में प्रसिद्ध है बल्कि कई कलाकारों ने विदेशों में भी अपनी कला की छाप छोड़ी है। माँड गायन में भी इनको महारत हासिल है। बाड़मेर का बड़वना गाँव इस जाति का मुख्य स्थान है।
11 भवई – नाचने-गाने वाली इस जाति की उत्पत्ति केकड़ी (अजमेर) के नागोजी जाट से मानी जाती है। वर्तमान में इस जाति का नृत्य ‘भवई‘ संसार भर में प्रसिद्ध है। यह नृत्य अत्यंत ही कलात्मक एवं चमत्कारिक है।
12 रावल – मुख्यतः मारवाड़ के सोजत-जैतारण क्षेत्र, बीकानेर तथा मेवाड़ के कुछ क्षेत्रों में पाई जाने वाली संगीतजीवी जाति जिसकी रम्मतें प्रसिद्ध हैं।
13 भगतण – राजस्थान में नाचने-गाने वाली वेश्याओं का यह अलग वर्ग है। ये नाचने-गाने में प्रवीण होती हैं तथा जोधपुर में अधिक पायी जाती हैं।
14 पातुर – जोधपुर, फलौदी, नागौर, पाली, जालौर आदि क्षेत्रों में नाचने-गाने व वेश्यावृत्ति का पेशा अपनाने वाली स्त्रियों को पातुर कहते हैं। इनके पुरुष जागरी कहलाते हैं।
15 कामड़ –
(कमर्या) रामदेवजी की परम भक्त कामड़ जाति मुख्यतः जैसलमेर, डीडवाना, पोकरण आदि
क्षेत्रों में पाई जाती है। इनकी स्त्रियाँ गाने एवं तेरहताली नृत्य में बड़ी कुशल होती हैं।
16 भोपा – ये अपने-अपने इष्ट देवताओं के गीत गा-गा कर सुनाते हैं। स्थान-स्थान पर भ्रमण कर लोक देवताओं की फड़ का वाचन कर अपनी जीविका चलाते हैं। अलग-अलग देवों के भोपे भी अलग-अलग होते हैं, जैसे पाबूजी के भोपे, देवजी के भोपे, रामदेवजी के भोपे आदि। भैरुजी के भोपे कमर में घुघरु बाँधते हैं। जीण माता एवं करणी माता के भोपे ‘माताजी के भोपे‘ कहलाते हैं।
17 सरगड़ा – ये ढोलियों की ही तरह हैं जो कच्छी घोड़ी नृत्य में कुशल होते हैं।
18 कानगूजरी – अधिकाशंतः मारवाड़ में पायी जाने वाली यह गायक जाति राधा-कृष्ण के भक्ति गीतों का गायन रावणहत्था के साथ करती है। ये जाति से गूजर होते हैं।
19 कंजर-साँसी – कंजर व साँसी जाति की स्त्रियाँ नृत्य में कुशल होती हैं। गीत व नृत्य इनका मुख्य पेशा है। ये अजमेर में अधिक हैं। हाड़ौती क्षेत्र की कंजर बालाएँ चकरी नृत्य करती हैं, जो वर्तमान में अत्यधिक लोकप्रिय हो गया है।
20 जोगी – नाथ पंथ के अनुयायी, जो मुख्यतः शेखावाटी, बीकानेर, जोधपुर आदि क्षेत्रों में बसे हुए हैं। ये गाने बजाने का काम करते हैं और इनका मुख्य वाद्य सारंगी है। ये भजन तथा गोपीचन्द, भर्तृहरी आदि के गीतों का गायन कर अपनी आजीविका चलाते हैं।
21 बैरागी – ये जाति से साधु हैं, जो राजस्थान में प्रचलित रासधारी शैली के लोक नाट्यों में बड़े निपुण होते हैं। ये सगुण भक्ति के भजन गाते हैं।
22 कालबेलिया – साँपों की पालक जाति, जो घूम-घूम कर साँपों का नृत्य दिखाकर अपनी आजीविका चलाती है। ये मख्यतः पंगी व खंजरी वाद्यों का प्रयोग करते हैं। साँप-बिच्छु आदि का जहर उतारने व दर्द दूर करने की जडी-बटियाँ देते हैं। इनकी स्त्रियाँ कई आकर्षक नृत्य करती हैं। वर्तमान में कालबेलिया नृत्यांगना श्गुलाबोश् ने इस नृत्य कला को विदेशों तक में पहुँचा दिया है।
23 कठपुतली नट – ये मारवाड, कचामन, परबतसर व मेवाड़ क्षेत्र में अधिक पाये जाते हैं जो घूम-घूम कर कठपतली प्रदर्शन द्वारा अपनी आजीविका कमाते हैं। अब इन्होंने स्थायी आवास भी बना लिये हैं। ये गायन कला में प्रवीण होते हैं।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

18 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

18 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now