भारत में मछलियों का शिकार क्या है | मछली का शिकार कैसे करते हैं आवश्यकता प्रकार fish catching in hindi

fish catching in hindi भारत में मछलियों का शिकार क्या है | मछली का शिकार कैसे करते हैं आवश्यकता प्रकार ?
भारत में मछलियों का शिकार
भारत की व्यापारिक मछलियां भारत में स्थानीय निवासियों द्वारा भोजन के लिए पकड़ी जानेवाली बहुत-सी ताजे पानी की मछलियां हैं। इनमें पहले उल्लेख की गयी मेशियर और कार्प जाति की कई अन्य मछलियां शामिल हैं। शीट-मछली ताजे पानी की एक व्यापारिक मछली भी है।
भारत के किनारे के पास गरम पानीवाला हिंद महासागर मछलियों से समृद्ध है। व्यापारिक समुद्री मछलियों में बम्बई डक या बंबइया मछली सबसे प्रधान है। इसकी वार्षिक पकड़ १,००, ००० टन से अधिक है। बड़े बड़े झुंडों में घूमनेवाली सारडिन और अंकोवी नाम छोटी छोटी मछलियां भी बड़ी मात्राओं में पकड़ी जाती हैं । एक और व्यापारिक मछली है उड़न-मछली (आकृति ८७)। यह पानी से वाहर उछलकर उसकी सतह पर दूर दूर तक उड़ सकती है।
मक्रेली , तून्त्सी (आकृति ८७),स्त्सियेनी भी कीमती मछलियां हैं। वयस्क तून्सी इनमें सबसे बड़ी होती हैं। ये ३-४ मीटर तक लंबी और ३०० किलोग्राम तक वजनी हो सकती हैं। इनका मांस नरम और स्वादिष्ट होता है।
सर्पमीन जैसी समुद्री मछलियों और विशेषकर शिकारभक्षी मोरे (आकृति ८७) मछली का मांस बड़ा कीमती माना जाता है। साधारण मोरे के एकदम नंगा , लंबा और नाग का सा शरीर होता है और उसके कोई सयुग्म मीन-पक्ष नहीं होते। शरीर के अगले हिस्से के तले का रंग चमकीला पीला और पीछे का पीला लिये खाकी होता है। शरीर का ऊपरवाला पूरा हिस्सा गहरे संगमरमर जैसा दिखाई देता है। इसके दांत बहुत ही तेज होते हैं।
आज तक भारतीय मछुए किनारे से मछलियां पकड़ने के मछली पकड़ने लिए मकड़ी के जालनुमा जालों ( आकृति ८८) का के उपकरण उपयोग करते हैं। ये जाल गांठदार धागों के बने होते हैं जो लंबी रस्सी के सहारे पानी के तल में फेंके जाते हैं। रस्सी का निचला सिरा आम तौर पर चार लचीले डंडों से जुड़ा रहता है। इन डंडों के सिरे मकड़ी के आठ सयुग्म पैरों जैसे लगते हैं। डंडों के सिरे जाल के घेरे में गुंथे रहते हैं। इससे जाल आसानी से ऊपर खींचा जा सकता है, जैसे पकड़ी गयी मछलियों से भरा बड़ा-सा थाल ऊपर उठाया जा रहा हो।
यद्यपि यह तरीका सुविधाजनक और सुरक्षित है फिर भी इसका उपयोग केवल किनारे के पास से तैरनेवाली मछलियों के शिकार में ही हो सकता है।
इन कारण श्बुले सागर में मछलियों के शिकार के ज्यादा असरदार तरीके अपनाये जा रहे हैं। किनारे से दूर मछलियों की बस्तियों वाली आम जगहों में स्टीम और मोटर बोटों से ट्राल और तैरते जाल फेंके जाते हैं।
प्रश्न – १. भारत की कौनसी मछलियों को व्यापारिक कहा जा सकता है ? भारत में मछलियां किस प्रकार पकड़ी जाती हैं ?

सोवियत संघ में मछलियों का शिकार
मछलियों का शिकार सोवियत संघ का अधिकांश भाग ऐसे समुद्रों से घिरा हुआ है जो असीम मत्स्य-संपदा से भरपूर हैं। सोवियत संघ की अनगिनत झीलों और देश की विभिन्न दिशाओं में बहनेवाली छोटी-बड़ी नदियों में भी मछलियों की कमी नहीं। बड़ी बड़ी मात्राओं में पकड़ी जानेवाली मछलियों को व्यापारिक मछलियां कहते हैं। प्रधान व्यापारिक मछलियां इस प्रकार हैं – हेरिंग, काड, स्टर्जन , और सफेद स्टर्जन , सामन , ब्रीम , जेंडर , इत्यादि (प्राकृति ८५)।
मछलियों के शिकार की सफलता मुख्यतया उनके जीवन संबंधी ज्ञान पर निर्भर है। जैसा कि स्टर्जन के उदाहरण से स्पष्ट है, सभी मछलियां सब समय एक ही स्थान पर नहीं रहतीं। बहुत-सी समुद्री मछलियां खास मौसमों में बड़े बड़े झुंडों में इकट्ठी होती हैं। वे अंडे देने के लिए समुद्र-तट के पासवाले छिछले हिस्सों या नदियों में चली जाती हैं।
मछलियों के इस आवागमन या प्रवसन का संबंध केवल उनके जनन से ही नहीं बल्कि भोजन में भी है। उदाहरणार्थ , काड-मछलियां गरमियों के उत्तरार्द्ध में बहुत बड़ी संख्यानों में बरेल्म सागर में इकट्ठी होती हैं। यहां वे नार्वे के किनारों मे उन मछलियों के पीछे आती हैं जो उनका भोजन हैं।
कुछ मछलियां जाड़े बिताने के लिए दूसरी जगहों को जाती हैं। इस प्रकार अजीब सागर की छोटी-सी खममा-मछली जाड़े विताने के लिए केर्च जलडमरूमध्य से होती हुई काले मागर को जाती है।
मछलियों के प्रवसन संबंधी जानकारी से हमें उनके शिकार की दृष्टि से बड़ी महायता मिलती है। हम उन स्थानों में उनका शिकार आयोजित कर सकते हैं जहां वे बड़े बड़े झुंडों में इकट्ठी होती हैं ।
मछलियों की आदतों के अनुसार उनके शिकार के लिए भिन्न भिन्न औजारों का उपयोग किया जाता है। गहरे पानी की मछली ट्रालों यानी गहरे पानी के जालों (आकृति ८६) की सहायता से पकड़ी जाती है। पानी की सतह के पास तैरनेवाली मछलियों को पकड़ने के लिए सीन और तैरते जाल इस्तेमाल किये जाते हैं। स्प्रैट जैसी कुछ मछलियां बिजली की रोशनी की मदद से पकड़ी जाती हैं । बिजली के लैंपों वाले जाल समुद्र में डाले जाते हैं, और स्प्रैट-मछलियां रोशनी की ओर खिंच आती हैं।
खुले समुद्र में मछलियों के झुंड हवाई जहाजों की मदद से ढूंढे जाते हैं।
मत्स्य-स्रोतों की रक्षा और वृद्धि सोवियत संघ में पकड़ी जानेवाली मछलियों की मात्रा वर्ष प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है। पर इससे मत्स्य-स्रोतों के समाप्त हो जाने की नौबत नहीं आती क्योंकि उनकी रक्षा और वृद्धि के लिए विशेष कदम उठाये जाते हैं। उदाहरणार्थ , ऐसे विशेष क्षेत्र सुरक्षित हैं जहां मछलियां पकड़ने की इजाजत नहीं है य जालों के छेदों का आकार सीमित किया गया है ताकि नन्हीं नन्हीं मछलियां न पकड़ी जायें य विस्फोटक द्रव्यों की सहायता से मछलियों के शिकार की मनाही है इत्यादि।
मछलियों की मात्रा बढ़ाने की दृष्टि से खास मछली पालन केंद्रों का निर्माण किया गया है। यहां कृत्रिम रीति से अंड-समूहों को संसेचित किया जाता है और उनसे निकलनेवाले डिंभों को नदियों और झीलों में छोड़ दिया जाता है। इस प्रयोजन से , नरों और अंडे देने के लिए तैयार मादाओं को पकड़कर उनके अंड-समूह और पित्ते बड़ी सावधानी से एक विशेप वरतन में निचोड़ लिये जाते हैं। अंड-समूहों को थोड़े-से पानी समेत पित्तों के साथ मिला दिया जाता है और इस प्रकार उनका संसेचन किया जाता है। संसेचित अंड-समूहों को विशेष उपकरणों में रखा जाता है जहां वे डिंभों में परिवर्दि्धत होते हैं। कृत्रिम संसेचन की यह मूखी या रूसी पद्धति उत्कृष्ट फल देती है।
मत्स्य-संवर्द्धन का विशेष महत्त्व इस कारण है कि पन-विजलीघरों के बांध मछलियों के प्रवसन में रुकावट डालते हैं और अंडे देने के लिए वे नदियों के प्रवाह की उल्टी दिशा में नहीं जा सकतीं।
मत्स्य-संवर्द्धन का एक और तरीका है कीमती मछलियों का एक जलाशय से दूसरे जलाशय में स्थानांतरण। इस प्रकार काले सागर की भरी मुलेट-मछली को कास्पीयन सागर में स्थानांतरित किया गया। वहां उसकी मात्रा इतनी बढ़ गयी कि अब उसे व्यापारिक मछली के रूप में पकड़ा जाता है। मछली के भोजन के रूप में काम आनेवाले प्राणियों को भी स्थानांतरित किया जाता है। इस प्रकार अजोव सागर के समुद्री कृमियों ( नेरेइस ) को कास्पीयन में स्थानांतरित किया गया।
प्रश्न – १. सोवियत संघ के सागरों और नदियों की कौनसी मछलियां आर्थिक दृष्टि से सबसे महत्त्वपूर्ण हैं ? २. मछलियों के शिकार में मछलियों के जीवन की जानकारी क्यों आवश्यक है ? ३. जलाशयों में मछलियों की संख्या बढ़ाने की दृष्टि से सोवियत संघ में कौनसे कदम उठाये जाते हैं।