हिंदी माध्यम नोट्स
Categories: history
गांधीजी के पांचवें पुत्र का क्या नाम था | गाँधीजी के पाँचवें पुत्र किसे कहते है नाम बताइए fifth son of mahatma gandhi in hindi
who is fifth son of mahatma gandhi in hindi name ? गांधीजी के पांचवें पुत्र का क्या नाम था | गाँधीजी के पाँचवें पुत्र किसे कहते है नाम बताइए ?
प्रश्न : गांधीजी के पांचवें पुत्र का क्या नाम था ?
उत्तर : सेठ जमनालाल बजाज को गाँधीजी के पाँचवें पुत्र के नाम से प्रसिद्ध है।
प्रश्न : सेठ जमनालाल बजाज के बारे में जानकारी दीजिये।
उत्तर : सेठ जमनालाल बजाज (सीकर) में देशप्रेम और सार्वजनिक सेवा कूट-कूट कर भरी हुई थी। स्वदेशी आन्दोलन के प्रबल पक्षधर और जेल की कई बार यात्रा करने वाले स्वतंत्रता सेनानी ने अंग्रेजों को उनकी प्रदत्त ‘रायबहादुर’ की उपाधि 1918 ईस्वीं में लौटा कर देशप्रेम का परिचय दिया। गांधीजी के पाँचवें पुत्र के रूप में विख्यात इस ‘भामाशाह’ ने अपनी सारी संपत्ति देशहित में लगा दी। जयपुर और सीकर प्रजामण्डल को गति देने के साथ साथ वर्धा में ‘सत्याग्रह आश्रम’ की स्थापना की तथा सम्पूर्ण देश में शोषित और पीड़ितों के अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया। वे जीवनपर्यन्त ‘मारवाड़ी शिक्षा मण्डल’ , ‘गौ सेवा संघ’ , ग्रामोद्योग , खादी , ‘देशी राज्य’ , ‘राष्ट्रभाषा’ , ‘महिला और हरिजनोत्थान , ‘गाँधी सेवा संघ’ , सत्याग्रह और ग्राम सेवा में संलग्न रहे। इस महान मनीषी का देहावसान 1942 ईस्वीं को हुआ।
प्रश्न : राजस्थान में ब्रिटिश आधिपत्य का सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रभाव था सामाजिक जीवन में परिवर्तन। विवेचना कीजिये।
या
राजस्थान में स्वतंत्रता पूर्व व्याप्त सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन के लिए किये गए प्रयासों का संक्षिप्त विवरण दीजिये।
या
ब्रिटिश आधिपत्य काल (स्वतंत्रतापूर्व) में राजस्थान में हुए सामाजिक सुधारों की विवेचना कीजिये।
उत्तर : 19 वीं शताब्दी के प्रारंभ में राजस्थान में सामाजिक ढाँचा परम्परागत था। जन्माधारित जाति व्यवस्था में छुआछूत , सती प्रथा , डाकन प्रथा , बाल-विवाह , बहुपत्नी प्रथा , बेमेल विवाह , त्याग प्रथा आदि अनेक कुप्रथाओं को धर्म से सम्बद्ध कर इन्हें महत्वपूर्ण बना दिया गया था। ब्रिटिश सरकार द्वारा राजनितिक प्रशासनिक और आर्थिक ढांचे में किये गए परिवर्तनों और दबाव के फलस्वरूप राजपूत शासकों ने कुछ कुप्रथाओं को गैर क़ानूनी घोषित कर समाप्त कर किया। परम्परागत जातीय व्यावसायों में परिवर्तनों राजस्थान में ब्रिटिश आधिपत्य के बाद यहाँ सैन्य विघटन , व्यापार – वाणिज्य पर अंग्रेजी नियंत्रण , यातायात – संचार के साधनों और शिक्षा में वृद्धि आदि से सभी जातियों ने अपने व्यवसाय बदल लिए। परम्परागत समाज में एक क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ।
सती प्रथा का अंत : राजपूत शासकों , सामन्तों और ऊँची जातियों में मृत पति के साथ जीवित पत्नी का चिता में जलना एक धार्मिक कार्य हो गया था। हालाँकि यह प्रथा स्वत: ही कम होती जा रही थी , साथ ही ब्रिटिश अधिकारीयों ने इसे समाप्त करने हेतु राजस्थानी शासकों पर दबाव डाला तो वे धीरे धीरे तैयार होते गए। सर्वप्रथम 1822 ईस्वीं में बूंदी में इसे गैर क़ानूनी घोषित किया गया तो उसके बाद अन्य रियासतों ने भी ऐसा ही किया। 19 वीं सदी के अंत तक यह प्रथा अपवाद मात्र रह गयी।
त्याग प्रथा का निवारण : राजपूतों में लड़की की शादी पर चारण , भाटादि मुंह मांगी दान दक्षिणा (त्याग) लेते थे जो कन्या वध के लिए उत्तरदायी थी। सर्वप्रथम 1841 ईस्वीं में जोधपुर में तथा बाद में अन्य राज्यों ने भी अंग्रेज अधिकारियों के सहयोग से नियम बनाकर इसे सिमित कर दिया। अब यह प्रथा विद्यमान नहीं है।
कन्या वध का अन्त : यह कुप्रथा मुख्यतः राजपूतों में प्रचलित थी। दहेज़ , त्याग , टीका आदि इसके प्रमुख कारण थे। सर्वप्रथम कोटा राज्य ने 1834 ईस्वीं में , तत्पश्चात अन्य राज्यों ने इसे गैर कानूनी घोषित कर दिया।
डाकन प्रथा का अंत : विशेषकर भील , मीणा जनजाति में स्त्रियों पर डाकन का आरोप लगाकर उन्हें मार दिया जाता था। सर्वप्रथम ए.जी.जी. के निर्देश से 1853 ईस्वीं में उदयपुर ने तत्पश्चात अन्य राज्यों ने भी गैर क़ानूनी घोषित किया। 20 वीं सदी में अंग्रेजी शिक्षा के प्रसार से ही यह प्रथा समाप्त हो स्की। फिर भी यदा कदा यह प्रथा अभी भी देखी जा सकती है।
मानव व्यापार का अंत : 19 वीं सदी में राजस्थान में लड़के-लडकियों और औरतों का व्यापार सामान्य था। सर्वप्रथम जयपुर राज्य ने 1847 ईस्वीं में , तत्पश्चात अन्य राज्यों ने भी , इस पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया। हालाँकि कोटा ने 1831 ईस्वीं में रोक लगाई परन्तु यह बेअसर रही , बाद में 1862 ईस्वीं के आदेशों से यह सिमित हो पायी।
बाल विवाह : यह राजस्थानी समाज की एक सामान्य प्रथा रही है। हालाँकि 1929 ईस्वीं में शारदा एक्ट के अनुसार लड़के-लड़की की विवाह की आयु क्रमशः 18 वर्ष और 14 वर्ष और 1956 में 21 वर्ष और 18 वर्ष की गयी है परन्तु इस दिशा में और सामान्य उपाय करना अपेक्षित है।
दास प्रथा : दास प्रथा भी एक सामान्य प्रथा थी। अंग्रेजों प्रभाव से सर्वप्रथम 1832 ईस्वीं में कोटा और बूंदी राज्य ने इस पर रोक लगाई। ब्रिटिश अधिकारियों ने इन कुप्रथाओं और अन्य कुरीतियों जैसे बहुविवाद , दहेज़ प्रथा , टीका , रीत , नुक्ता आदि को मिटाने के लिए सरकारी कानूनों के साथ साथ देश हितैषनी सभा (1877 ईस्वीं) और वाटर हितकारिणी सभा (1889 ईस्वीं) जैसी संस्थाएँ भी स्थापित की। जिनके प्रयास सराहनीय रहे।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
4 weeks ago
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
4 weeks ago
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
4 weeks ago
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
4 weeks ago
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
1 month ago
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…
1 month ago