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fet and bjt difference in hindi BJT और FET के बीच अंतर क्या होता हैं परिभाषा किसे कहते हैं
BJT और FET के बीच अंतर क्या होता हैं परिभाषा किसे कहते हैं fet and bjt difference in hindi ?
धातु ऑक्साइड अर्ध चालक क्षेत्र प्रभाव ट्रांजिस्टर (METAL OXIDE SEMICONDUCTOR FIELD EFFECT TRANSISTOR, MOSFET) अर्ध चालक पटलिका (wafer) पर सुगमता से निर्माण किये जाने तथा कम मूल्य के कारण व्यापारिक दृष्टि से MOSFET, सन्धि क्षेत्र प्रभाव ट्रॉजिस्टर (JFET) की तुलना में ज्यादा अच्छा होता है। ये भी दो प्रकार के होते हैं। (a) N चैनल MOSFET (b) P-चैनल MOSFET | N- चैनल MOSFET की संरचना चित्र (7.2-1) में दर्शायी गई है। इसमें अल्प मादित P प्रकार की अवस्तर (substrate ) के सिरों पर अत्यधिक मादित N+ प्रकार के अर्ध चालक क्षेत्र विसरण तकनीक (diffusion technique) द्वारा बनाये जाते हैं। उनमें से एक क्षेत्र स्रोत (source) तथा दूसरा क्षेत्र निर्गम (drain) का कार्य करता है । P अवस्तर के शेष ऊपरी पृष्ठ पर अत्यल्प (thin) एक समान मोटाई की सिलीकॉन ऑक्साइड (SiO2) की रोधी (insulated) परत जमाई जाती है। इस पर एक धातु की पट्टिका रख दी जाती G द्वार है जो द्वार (gate) G का कार्य करती है। धातु पट्टिका तथा अवस्तर का ऊपरी पृष्ठ मिलकर एक समान्तर प्लेट संधारित्र का कार्य करते हैं जिसके मध्य में SiO2 परावैद्युत पट्टिका होती है। चूँकि धातु पट्टिका अर्थात् द्वार G अर्ध चालक
चैनल से SiO2 द्वारा पृथक् होती है अतः इसका निवेश प्रतिरोध अत्यधिक होता है और इस प्रकार के ट्रॉजिस्टर को रोधी गेट क्षेत्र प्रभाव ट्रॉजिस्टर (insulated gate field effect transistor या IGFET) भी कहते हैं।
P-चैनल MOSFET की संरचना भी इसी प्रकार होती है परन्तु P अवस्तर के स्थान पर N अवस्तर तथा N+ प्रकार के अत्यधिक मादित क्षेत्र के स्थान पर P+ प्रकार का अत्यधिक मादित क्षेत्र होता है। MOSFET का उपयोग दो विधाओं में होता है-
(a) संवृद्धि विद्या ( enhancement mode ) या E-MOSFET
(b) अवक्षय विधा (depletion mode ) या D-MOSFET
(a) संवृद्धि विधा MOSFET या E-MOSFET-
यदि N-चैनल MOSFET के P अवस्तर को भूसम्पर्कित (grounded) कर द्वार (gate) G पर धनात्मक वोल्टता दें तो धारिता क्रिया (capacitor action) द्वारा अवस्तर के ऊपरी पृष्ठ में ऋणात्मक आवेश प्रेरित हो जाता है। P अवस् में ये अल्पसंख्यक ऋणात्मक आवेश एक उत्क्रमित परत (inversion layer) बनाते हैं। द्वार G पर धनात्मक वोल्टता में वृद्धि करने से प्रेरित ऋणात्मक आवेशों की संख्या में वृद्धि होती है। यदि बैटरी के ऋणात्मक टर्मिनल को स्रोत S से
तथा धनात्मक टर्मिनल को निर्गम D से जोड़ दें तो प्रवाहित धारा में प्रेरित ऋणात्मक आवेशों के कारण वृद्धि हो जाती है अर्थात् गेट G में. धनात्मक वोल्टता में वृद्धि करने से चैनल में प्रवाहित धारा में वृद्धि होती है। इस कारण से MOSFET को संवृद्धि विधा MOSFET कहते हैं। संवृद्धि विधा में कार्यरत N तथा P चैनल E-MOSEFET के परिपथीय प्रतीकों को चित्र (7.2-2) में दिखाया गया है।
संवृद्धि विधा में कार्यरत N चैनल E-MOSFET के निर्गम (drain) तथा अन्तरण (transfer) अभिलाक्षणिकों को क्रमश: चित्र (7.2-3) तथा (7.2-4) में प्रदर्शित किया गया है। निर्गम अभिलाक्षणिक JFET के निर्गम अभिलाक्षणिकों के समान प्राप्त होते हैं परन्तु निर्गम स्रोत वोल्टता VDs के काफी अधिक मान पर निर्गत धारा ID संतृप्त होती है।
अन्तरित अभिलाक्षणिक वक्र से विदित होता है कि VGs≤0 अर्थात् द्वार-स्रोत वोल्टता का मान शून्य से कम होने पर निर्गत धारा ID अत्यल्प होती है तथा VGs के वोल्टता में वृद्धि होने पर धारा ID पहले धीरे-धीरे बढ़ती है और फिर तेजी से बढ़ती है।
(b) अवक्षय विधा MOSFET या D-MOSFET
यदि SiO2 परावैद्युत की परत P अवस्तर (substrate) के ऊपरी पृष्ठ पर चढ़ाने से पूर्व स्रोत S तथा निकास D) के मध्य अवस्तर में स्रोत S और निर्गम D के क्षेत्रों के समान प्रकार की अल्प अशुद्धि विसरित कर दी जाये तो MOSFET अवक्षय विधा प्रकार का बन जाता है। इस प्रकार स्रोत S व निर्गम D के मध्य एक चैनल बन जाती है। N चैनल D-MOSFET की संरचना चित्र (7.2-5) में दर्शायी गई है। N चैनल व P चैनल D-MOSFET के प्रतीक चित्र (7.2-6) से प्रदर्शित है।
जब द्वार (gate) G पर ऋणात्मक वोल्टता लगाई जाती है तो धारिता क्रिया (capacitor action) द्वारा विसरित N चैनल में धनात्मक आवेश प्रेरित हो जाते हैं। ये प्रेरित धनात्मक आवेश N चैनल की चालकता को कम कर देते हैं। इसका कारण है कि N चैनल में निर्गत धारा अधिसंख्य ऋणात्मक आवेश वाहक इलेक्ट्रॉनों के कारण होती है और प्रेरित
धन आवेशों के कारण इन आवेश वाहकों का क्षय (depletion) होता है। यदि द्वार पर ऋणात्मक वोल्टता में वृद्धि करें तो इससे निर्गत धारा के मान में कमी होती है। इस प्रकार निर्गत धारा के अवक्षय होने के कारण इसको अवक्षय विधा MOSFET या D-MOSFET कहते हैं। गेट वोल्टता Vos शून्य होने पर यथेष्ट निर्गत धारा प्राप्त होती है। यदि गेट G पर धनात्मक वोल्टता प्रयुक्त करें तो अवक्षय विधा MOSFET का संवृद्धि विधा में भी प्रचालन कर सकते हैं।
N चैनल MOSFET के निर्गम अभिलाक्षणिक तथा अन्तरण अभिलाक्षणिकों को क्रमशः चित्र (7.2-7) तथा (7.2-8) में दिखाया गया है जब यह दोनों विधाओं में कार्य करता है।
P प्रकार के MOSFET के अभिलाक्षणिक N चैनल MOSFET के समान होते हैं परन्तु धारा एवं वोल्टताओं की ध्रुवणता विपरित होती है।
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