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feedback techniques amplifier in hindi , पुनर्निवेश तकनीक क्या है समझाइए परिभाषा दीजिये

पुनर्निवेश तकनीक क्या है समझाइए परिभाषा दीजिये feedback techniques amplifier in hindi ?

पुनर्निवेश तकनीक ( FEED BACK TECHNIQUES )

पुनर्निवेश प्रवर्धक में प्रतिदर्शी नेटवर्क (sampling network) S द्वारा वोल्टता या धारा का प्रतिचयन करते हैं और इसे पुनर्निवेश नेटवर्क B तथा मिश्रक नेटवर्क 2 (mixing network) द्वारा निविष्ट वोल्टता या धारा के साथ मिश्रित करते हैं, जैसा कि चित्र (5.6-1) में दिखाया गया है। सभी प्रवर्धकों में पुनर्निवेश के लिये संकेत का प्रतिचयन दो प्रकार से कर सकते हैं।

(i) वोल्टता पुनर्निवेश (Voltage feed back)- इसमें प्रवर्धक के निर्गम पर स्थित लोड प्रतिरोध के सिरों से पुनर्निवेश नेटवर्क को समान्तर क्रम में जोड़ा जाता है चित्र (5.6-2) तथा चित्र (5.6-3) इस प्रकार से प्रतिचयन करने पर पुनर्निवेश वोल्टता Vf या धारा If प्रवर्धक के लोड प्रतिरोध के सिरों पर उत्पन्न निर्गत संकेत वोल्टता Vo के अनुक्रमानुपाती होती है। अर्थात्

पुनर्निवेश वोल्टता Vf = BVoया पुनर्निवेश धारा Ir = BVo यहाँ B व B ‘ पुनर्निवेश अनुपात हैं।

(ii) धारा पुनर्निवेश (Current feed back) – इसमें प्रवर्धक के निर्गम पर स्थित लोड प्रतिरोध से पुनर्निवेश नेटवर्क को श्रेणीक्रम (series) में जोड़ा जाता है। इस प्रकार के प्रतिचयन को चित्र (5.6-4) व (5.6-5) में दर्शाया गया है। इसमें पुनर्निवेश धारा या वोल्टता ( feed back current or voltage) लोड प्रतिरोध में से प्रवाहित धारा Io के अनुक्रमानुपाती होती है।

यहाँ Bo व B’ पुनर्निवेश अनुपात है।

पुनर्निवेशी संकेत को प्रवर्धक में दो प्रकार से निविष्ट किया जा सकता है।

(i) श्रेणी निवेश (Series input)- इसमें पुनर्निवेशी संकेत का प्रवर्धक के निवेश पर निविष्ट संकेत वोल्टता के श्रेणी क्रम में निवेश करते हैं। जैसा कि चित्र (5.6-2) व (5.6-4) में दर्शाया गया है।

(ii) पार्श्व पथ निवेश (Shunt input)- इसमें पुनर्निवेशी धारा का प्रवर्धक के निवेश पर निविष्ट संकेत धारा में मिश्रण करते हैं। इस प्रकार के निवेश को चित्र (5.6-3) तथा (5.6 – 5 ) में दिखाया गया है।

अतः सभी पुनर्निवेश परिपथ (feed back circuit) मुख्यत: चार वर्गों में वर्गीकृत किये जा सकते हैं-

(i) वोल्टता पुनर्निवेश श्रेणी निवेश (Voltage-feed back series input) : ब्लॉक परिपथ चित्र (5.6–2)

(ii) वोल्टता पुनर्निवेश पार्श्व पथ निवेश (Voltage-feed back shunt input) : ब्लॉक परिपथ चित्र (5.6-3)

(iii) धारा – पुनर्निवेश श्रेणी निवेश (Current-feed back series input) : ब्लॉक परिपथ चित्र (5.6-4)

(iv) धारा- पुनर्निवेश पार्श्व पथ निवेश (Current-feed back shunt input) : ब्लॉक परिपथ चित्र (5.6-5)

 निर्गम प्रतिरोध पर पुनर्निवेश का प्रभाव (EFFECT OF FEED BACK ON OUPUT RESISTANCE)

किसी प्रवर्धक का निर्गम प्रतिरोध (व्यापक रूप में प्रतिबाधा ) निर्गम टर्मिनलों के मध्य, प्रवर्धक की ओर देखते हुए तथा निविष्ट संकेत शून्य मानते हुए, प्रतिरोध होता है। निविष्ट संकेत शून्य मानने के लिये वोल्टता स्रोत को लघुपति तथा धारा स्रोत को खुला माना जाता है। पुनर्निवेशी प्रवर्धकों में निर्गम प्रतिरोध निर्गम पर पुनर्निवेश के लिये प्रतिचयन (sampling) की विधि पर निर्भर होता है अर्थात् वोल्टता पुनर्निवेश व धारा पुनर्निवेश के लिये निर्गम प्रतिरोध भिन्न होता है। निर्गम प्रतिरोध निवेश पर मिश्रण विधि ( श्रेणी निवेश या पार्श्व पथ निवेश) पर निर्भर नहीं होता है।

यहाँ हम ऋणात्मक पुनर्निवेश लेकर निर्गम प्रतिरोध पर उसके प्रभाव का अध्ययन करेंगे क्योंकि ऋणात्मक पुनर्निवेश का ही प्रवर्धकों में व्यापक उपयोग होता है।

ऋणात्मक वोल्टता पुनर्निवेश का निर्गम प्रतिरोध पर प्रभाव-

चित्र (5.7-1 ) में एक प्रवर्धक प्रदर्शित किया गया है जिसकी वोल्टता लब्धि A है तथा निर्गम प्रतिरोध R है। निर्गम प्रतिबाधा ज्ञात करने के लिये हम निविष्ट संकेत वोल्टता को शून्य मानकर, निर्गम टर्मिनलों पर वोल्टता V प्रयुक्त करते हैं व उसके कारण निर्गम धारा I’ का मान ज्ञात करते हैं, जिससे निर्गम प्रतिरोध ( या प्रतिबाधा ) Ro =V’o /I’o जैसा कि चित्र (5.7-2 ) में प्रदर्शित है।

अब यदि निविष्ट संकेत शून्य रखते हुए निर्गम टर्मिनलों पर वोल्टता V के अनुक्रमानुपाती अंश – BV: का ऋणात्मक पुनर्निवेश किया जाये तो प्रवर्धक पर निविष्ट वोल्टता होगी।

Vi = Vf = -BVo …………(1)

इस निविष्ट वोल्टता के कारण निर्गम पाश में वोल्टता – ABVo प्राप्त होगी जैसा कि चित्र (5.7-3) में दिखाया गया है।

अतः Vo  = Io Ro – ABVo …………………..(2)

उपरोक्त समीकरण में यह कल्पना निहित है कि पुनर्निवेशी परिपथ (B) के कारण निर्गम परिपथ पर अतिरिक्त लोड नहीं लगता है अर्थात् B परिपथ द्वारा प्राप्त धारा नगण्य है।

इस प्रकार समीकरण (2) से

Vo ‘(1 + AB) = Io’ Ro

जिससे ऋणात्मक वोल्टता पुनर्निवेश के साथ निर्गम प्रतिरोध

ऋणात्मक धारा पुनर्निवेश का निर्गम प्रतिरोध पर प्रभाव

धारा पुनर्निवेश के प्रभाव का अध्ययन करने के लिये हम प्रवर्धक को एक धारा स्रोत ( नोर्टन प्रमेय के अनुसार) के रूप में मानते हैं। निर्गत धारा के अनुक्रमानुपाती पुनर्निवेशी संकेत प्राप्त करने के लिये निर्गम परिपथ में एक प्रतिरोध Rf लोड के श्रेणी क्रम में प्रयुक्त किया जा सकता है। इस BIO प्रतिरोध पर प्राप्त वोल्टता पुनर्निवेशी परिपथ के लिये निवेशी संकेत का कार्य करती है। प्रतिरोध Rf का मान लोड प्रतिरोध की तुलना में अत्यल्प लिया जाता है (R << RL) जिससे प्रवर्धक की निर्गम धारा पर Rf का प्रभाव नगण्य रहे । बाह्य संकेत स्रोत Vi को लघुपस्थित करने पर पुनर्निवेश धारा के रूप में होगा।

मान लीजिये कि पुनर्निवेशी धारा = -BIo ( पुनर्निवेश ऋणात्मक है )

यदि प्रवर्धक की धारा लब्धि A है तो निर्गम पाश में चित्र (5.7-4) के अनुसार – ABIo मान का धारा स्रोत प्रतिरोध R, के समांतर प्राप्त होगा । Ro पुनर्निवेश रहित मूल प्रवर्धक का निर्गम प्रतिरोध है। ऋणात्मक चिन्ह के कारण धारा ABIo व Io प्रतिरोध Ro में एक ही दिशा में प्रवाहित होगी। अत: ( Rf को अत्यल्प मानते हुए ) –

अर्थात् ऋणात्मक धारा पुनर्निवेश से प्रवर्धक का निर्गम प्रतिरोध बढ़ जायेगा (Ro> Ro) |

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