हिंदी माध्यम नोट्स
कव्वाली का जनक कौन थे ? कव्वाली का इतिहास क्या है ? father of qawwali in india in hindi
father of qawwali in india in hindi कव्वाली का जनक कौन थे ? कव्वाली का इतिहास क्या है ?
कव्वाली
सामान्यतः कव्वालियां ईश्वर की प्रशंसा में गाई जाती थीं। भारत में कव्वाली का आगमन तेरहवीं शताब्दी के आस-पास फारस से हुआ है और सूफियों ने अपने संदेश का प्रसार करने के लिए अपनी सेवाएं प्रदान की। अमीर खसरो (1254-1325), एक सूफी संत तथा एक प्रवर्तक ने, कव्वाली के विकास में योगदान किया। यह संरचना के एक स्वरूप की बजाए गायन की एक विधि है। कव्वाली एकल और सामूहिक विधियों का एक मोहक एवं परस्पर बदलता उपयोग है।
लमन, हिमाचल प्रदेश
“लमन” में बालिकाओं का एक समूह, एक छन्द गाता है और लड़कों का एक समूह गीत के जरिए उत्तर देता है। यह घन्टों तक चलता है। यह रुचिकर इसलिए है कि इसमें लड़कियां पहाड़ की चोटी पर गाते हुए शायद ही दुसरी चोटी पर गाने वाले लडकों का मख देखती हैं। बीच में पहाड़ होता है जहाँ प्रेम गीत गूंजता है। इनमें से अधिकांश गीत विशेष रूप से कुल्लू घाटी में गाए जाते हैं।
कजरी, उत्तर प्रदेश
कजरी वर्षा ऋत के दौरान उत्तर प्रदेश और निकटवर्ती क्षेत्र में महिलाओं द्वारा गाया जाने वाला एक लोक गीत है। भाद्र के द्वितीय पक्ष में तीसरे दिन महिलाएं, एक अर्ध-गोलाकार में नृत्य करते हुए पूरी रात गाती हैं।
टप्पा, पंजाब
टप्पा. पंजाब क्षेत्र में ऊँटों पर सवारी कर विचरने वालों द्वारा प्रेरित अर्ध-शस्त्रीय कठंगीत का स्वरूप है। टप्पाए पंजाबी और प्रश्तो भाषा में रागों में गाया जाता है जिसका सामान्यतः उपयोग अर्ध-शास्त्रीय स्वरूप के लिए किया जाता है। लयबद्ध और द्रुतगीत स्वर के साथ तेजी से ऊपर उठना इसकी विशेषता है।
पोवाडा, महाराष्ट्र
पावाडा, महाराष्ट्र की एक पारम्परिक लोक कला शैली है। पोवाडा शब्द का अर्थ, श्शानदार शब्दों में एक कप वृतान्त है। वृतान्त सदैव किसी वीर अथवा घटना अथवा स्थान की प्रशंसा में सुनाया जाता है। मुख्य वृतान्तकर्ता को के नाम से जाना जाता है जो लय बनाए रखने के लिए डफ बजाता है। गीत तीव्र होता है और मुख्य गायक द्वारा किया होता है जिसका समर्थन मंडली के अन्य सदस्यों द्वारा किया जाता है। प्राचीनतम उल्लेखनीय पोवाडा अग्निदास द्वारा रचित अफजल खानचा वध (अफजल खाँ का वध ) (1659) था , अफजल खाँ के साथ शिवाजी के संघर्ष का वर्णन किया था।
तीज गीत, राजस्थान
तीज, राजस्थान की महिलाओं की बडी भागीदारी के साथ मनाई जाती है। सह श्रावण मास के नए चन्द्र अथवा अपात के बाद तीसरे दिन मनाई जाती है। त्योहार के दौरान गाए जाने वाले …जों का विषय शिव और पार्वती का मिलन. मा. की मनमोहक छठा, हरियाला मौसम, मयूर नृत्य आदि के इर्द-गिर्द होता है।
बुर्राकथा, आन्ध्र प्रदेश
बुर्राकथा, गाथा रूप में एक उच्च कोटि की नाटक शैली है। इसमें मुख्य कलाकार द्वारा गाथा वर्णन के दौरान बोतल आकार का एक ड्रम (तम्बूरा) बजाया जाता है। गाथा गायक, मंच नायक की तरह अत्यंत बनी बनाई आकर्षक पोशाक पहनता है।
भाखा, जम्मू और कश्मीर
लोक संगीत की भाखा शैली जम्मू क्षेत्र में लोकप्रिय है। भाखा का गायन ग्रामवासियों द्वारा फसल काटने के समय किया जाता है। इसे सर्वाधिक मोहक और सुरीला क्षेत्रीय संगीत समझा जाता है। यह, हारमोनियम जैसे वाद्यों के साथ गाया जाता है।
भूता गीत, केरल
भूता गीत का आधार अन्धविश्वास से जुड़ा है। केरल के कुछ समुदाय भूत-प्रेत को भगाने के लिए भूता रिवाज अपनाते हैं। इस रिवाज के साथ श्रमसाध्य नृत्य का आयोजन किया जाता है तथा इसकी प्रकृति बडी तीव्र और भयानक होती है।
दसकठिया, ओडिशा
दसकठिया ओडिशा में प्रचलित गाथा गायन की एक शैली है। दसकठिया शब्द श्काठीश् अथवा श्राम तालीश् नामक एक काष्ठ से बने संगीत वाद्य से लिया गया नाम है, जिसका उपयोग प्रस्तुतीकरण के दौरान किया जाता है। प्रस्तुतीकरण एक प्रकार की पूजा है तथा भक्त श्दासश् की ओर से भेंट है।
बिहू गीत, असम
बिहू गीत अपनी साहित्यिक विषयवस्तु और सांगीतिक विधि दोनों ही दृष्टि से असम की अति विशिष्ट शैली के लोक गीत हैं। बिहू गीत एक खुशहाल नव वर्ष के लिए शुभकामनाओं का प्रतीक हैं तथा नृत्य के साथ-साथ सुख-समृद्धि हेतु एक प्राचीन उपासना की परम्परा जुडी है। बिहू गायन का समय ही एक ऐसा अवसर है जब विवाह योग्य युवा पुरुष और महिलाएं अपनी भावनाओं का आदान-प्रदान करते हैं और अपने साथी का चुनाव भी करते हैं। उनकी खुशी गीतों में परिलक्षित होती है।
बगुरूम्बा लोक नृत्य
यह असोम का लोकनृत्य है, जो बोडो लोगों द्वारा विषुव संक्रांति के महीने में भविसागु (ठूपेंहन) त्यौहार के दौरान किया जाता है। इसमें महिलाएं रंग-बिरंगे परिधानों (ढोकना, ज्वांगरा और अरोनी) को पहनकर सेरजा, सिफुग, तर्खा आदि वाद्य यंत्रों के साथ नृत्य करती हैं।
साना लामोक, मणिपुर
मणिपुर की पहाडियां और घाटियां दोनों ही संगीत और नृत्य की शौकीन हैं। साना लामोक श्माईबा(पुजारी)श् द्वारा राज्याभिषेक समारोह के दौरान गाया जाता है। यह बादशाह का स्वागत करने के लिए भी गाया जाता है। इसे पाखंगबा, प्रधान देवता, का आत्मा को जाग्रत करने के लिए गाया जाता है। ऐसा विश्वास है कि यह गीत जादुई शाक्तियों से प्रभावी है।
लाई हाराओबा त्योहार के गीत मणिपुर
लाई हाराओबा शब्द का अर्थ देवी और देवताओं का त्योहार है। इसे उमंग-लाई (वनदेवता) के लिए गाया जाता है। औगरा हेंगेन, सृजन का गीत और हेईजिंग हिराओ, एक आनुष्ठानिक गीत, लाई हाराओबा त्योहार के अन्तिम दिवस पर गाया जाता है।
साईकुती जई (साईकुती के गीत), मिजोरम
मिजो लोगों को पारम्परिक रूप से, एक श्गायक जनजातिश् के रूप में जाना जाता है। मिजोरम के क्षेत्रीय लोक गीत मिजा लोगों की एक समृद्ध परम्परा है। साईकुती मिजोरम की एक कवयित्री द्वारा रचित गीत हैं जिन्हें योद्धाओं, बहादुर शिकारिया तथा महान योद्धा और शिकारी आदि बनने के इच्छुक युवा व्यक्तियों की प्रशंसा में गाया जाता है।
चाई हिआ (चाई नृत्य के गीत), मिजोरम
मिजो रिवाज के अनुसार चपचर कट त्योहार के दौरान न केवल गायन बल्कि नत्य भी परे त्योहार के दौरान जारी रहना चाहिए। गायन और नृत्य के लिए विशेष अवसर को श्चाई तथा गीतों को श्चाई हियाश् (चाई गीत) के नाम से जाना जाता हैं।
बसन्तीध्बसन्त गीत, गढवाल
बसन्त ऋतु का स्वागत गढ़वाल में एक अनूठे ढंग से किया जाता है। धरती भाति-भाति के रंगीन फूलों से सजी होती है। बसन्त पचमी के अवसर पर फर्श पर चावल के आटे से रंगोली बनाई जाती हैं और सन्दर बनाने हेतु गाय के गोबर के साथ हरे जई के बन्डलों का इस्तेमाल किया जाता है। पेड़ों पर झुले बांधे जाते हैं और लोक गीत गाए जाते हैं।
घसियारी गीत, गढवाल
पहाडों में युवा महिलाओं को अपने पशुओं के लिए घास लाने के लिए दूर-दूर वनों में जाना पडता है। वे वन में समूहों में नाचती और गाती हुए जाती हैं। मनोरंजन के साथ-साथ घसियारी गीत में श्रम के महत्त्व पर बल दिया जाता है।
सकर के बियाह, भोजपुरी गीत
भोजपुरी गीतों में सामान्य लोगों के जीवन का वर्णन किया जाता है। इसमें मन की सरल एवं सहज अन्दरूनी भावनाओं – को व्यक्त किया जाता है। ग्रामीण लोकगीतों में प्रकृति, ग्रहों और नक्षत्रों की अपनी ही व्याख्याएं हैं। शुक्र और वृहस्पति की कहानी अब भी गाई जाती है – किस प्रकार शक्र विवाह के आभूषण भूल जाता है और उन्हें लेने के लिए वापस आता है जहां वह अपनी माता को चावल का पानी पीता देखता है जो एक गरीब आदमी का खाना है। अपनी माता से इसके बारे में पूछने पर उसकी माता जवाब देती है कि वह नहीं जानती कि क्या शुक्र की ऐसी पत्नी होगी जो उसे चावल का पानी भी देगी अथवा नहीं। शुक्र अविवाहित रहने का निर्णय लेता है।
विल्लु पत्तु श्धनुष गीतश्, तमिलनाडु
विल्लु पत्तु तमिलनाडु का एक लोकप्रिय लोक संगीत है। प्रमुख गायक मुख्य निष्पादनकर्ता की भी भूमिका निभाता है। वह प्रमुख वाद्य बजाता है जो धनुष के आकार का होता है। गीत सैद्धान्तिक विषयों पर आधारित होते हैं और अच्छाई की बुराई पर विजय पर बल दिया जाता है। अम्मानईवारी, तमिलनाडु
अम्मानईवारी, चोला बादशाह की प्रशंसा में गाए जाने वाले गीत हैं। अम्मानाई एक लकड़ी की गेंद है तथा महिलाएं गेंद खेलते समय उपयुक्त गीत गाती हैं। अम्मानाई का यह खेल अभी भी तमिलनाडु में खेला जाता है।
भारत के विभिन्न भागों में कई अन्य नृत्य शैलियां हैं, जैसे भागवत मेला नाटक, कुरवंजी, मोहिनी अट्टन, ओटन तुल्लाल, यक्षगान, ब्रज की रामलीला, चोलोम, कुबक इशाई, सत्तरा और मणिपुर की रासलीला। भव्यता, आकर्षण, कला, सौंदर्य और कौशल में ये नृत्य शैलियां भारत की नृत्य कला की विरासत के विविध रूप प्रस्तुत करती हैं।
नागालैण्ड के श्मोएत्सू और येम्सेश् त्यौहारों के बीच या अरुणाचल प्रदेश के श्लीसरश् और श्खानश्
त्यौहारों के बीच विभिन्नता
मोएत्स यह त्यौहार नागालैण्ड में श्आओश् जनजाति द्वारा मनाया जाता है। यह मई महीने के प्रथम सप्ताह में आता है। इसका आरम्भ खेतों में बीज बोने के साथ प्रारम्भ होता है।
येम्से यह त्यौहार श्पोचुरीश् जनजाति का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। जोकि प्रत्येक वर्ष अक्टूबर महीने में बनाया जाता है। यह नई फसलों के आने पर हर्षोल्लास का प्रतीक होता है।
लीसर यह त्वांग क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है जो कि नववर्ष के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। मानेपा अरुणाचल की जनजाति है जो त्वांग में ज्यादा पाई जाती है। मोनपा द्वारा यह त्यौहार मनाया जाता है।
खान अरुणाचल प्रदेश का खान त्यौहार सामाजिक, सांस्कृतिक धारणाओं का क्षेत्रीय प्रतीक है। यह त्यौहार लगभग सभी जनजातियों द्वारा मनाया जाता है।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…