हिंदी माध्यम नोट्स
Fashoda Incident in hindi , फशोदा कांड क्या था , मिस्र में फसोदा की घटना के बारे में बताइए
जाने Fashoda Incident in hindi , फशोदा कांड क्या था , मिस्र में फसोदा की घटना के बारे में बताइए ?
प्रश्न: फशोदा काण्ड क्या था ?
उत्तर: मिस्र में ब्रिटिश प्रभाव का फ्रांस को बड़ा खेद था। इसी कारण 1908 में फ्रांसीसी सेना ने श्वेत नील पर स्थित फशोदा पर फ्रांस का झण्डा गाड़ दिया। इंग्लैण्ड के जनरल किचनर ने फ्रांस के सेनापति मार्चण्ड को फशोदा से हट जाने के लिए कहा। युद्ध की सम्भावना व अपनी निर्बलता को देखकर फ्रांस हट गया।
प्रश्न: यूरोपीय प्रतिस्पर्धा की दुर्घटनाओं द्वारा अफ्रीका को कृत्रिम रूप से निर्मित छोटे-छोटे राज्यों में काट दिया गया। विश्लेषण कीजिए।
उत्तर: आधुनिक युग में विश्व के समक्ष साम्राज्यवाद के दो दौर हुए। प्रथम दौर का प्रारम्भ 15वीं शताब्दी के अन्त में हुए व्यापारिक मार्गों की खोज से हुआ जिसका समापन वर्ष 1815 में हुआ। कुछ समय इस विस्तारवादी प्रक्रिया में विश्राम रहा, पुनः वर्ष 1870 के पश्चात् इसका दूसरा दौर प्रारम्भ हुआ। अफ्रीका एशिया तथा दक्षिण अमेरिका के देश इसके शिकार बने। इस दौर को नवीन साम्राज्यवादी दौर से अभिहित किया गया है। यह समय यूरोप में औद्योगिक क्रान्ति के पश्चात् का दौर था। इसके पश्चात् यूरोपियों ने कच्चे माल, मानवश्रम तथा अपनी राजनीतिक शक्ति बढ़ाने के लिए उपनिवेश स्थापित करने प्रारम्भ कर दिए। इसकी परिणति अफ्रीका के विभाजन के रूप में आई।
अफ्रीका के परिप्रेक्ष्य में यूरोपीय देशों की उपनिवेशवादी प्रतिस्पर्धा की दुर्घटनाएं घटीं जिन्होंने अपने लाभ के लिए अफ्रीका को बाँटना प्रारम्भ कर दिया। इस क्रम में बेल्जियम के शासक लियोपोल्ड ने अफ्रीका के संसाधनों का दोहन करने तथा वहां उपनिवेश स्थापित करने के लिए वर्ष 1876 में बूसेल्स में एक सम्मेलन आयोजित किया। इस सभा में अफ्रीका अवगाहन करने के लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय सभा गठित की। इसके पश्चात् उसके दूतों ने अफ्रीका के आन्तरिक भागों में संधियाँ करके उसका प्रभुत्व स्थापित किया।
इस गतिविधि से अन्य यूरोपीय राष्ट्र जैसे ब्रिटेन व पुर्तगाल सशंकित हुए और उन्होंने कांगो नदी पर नियंत्रण के लिए एक संयुक्त आयोग स्थापित किया। इस दौरान इंग्लैण्ड ने कांगो पर पुर्तगाली अधिपत्य स्वीकार कर लिया। इस विरोध की परिणति एक अन्य प्रतिस्पर्धीय दुर्घटना से हुई जब वर्ष 1884 में बर्लिन कांग्रेस में बर्लिन की सन्धि की रूप रेखा तय की गई। जिसके तहत कांगों के निम्नतर प्रदेशों पर बेल्जियम का अधिकार स्वीकृत किया गया। इस कांग्रेस में यह भी निर्णय लिया गया कि यूरोपीय देशों द्वारा अफ्रीकी भू-भाग पर कब्जे करने के पश्चात् इसकी सूचना उस देश द्वारा अन्य देशों को दिए जाने पर उसके अधिपत्य को मान्यता मिल जाएगी।
इसके पश्चात् अनेक यूरोपीय देशों ने अफ्रीका में आधिपत्य के लिए चार्टर कम्पनियाँ स्थापित की। वे अफ्रीका क भू-भागों पर कब्जा करते गए तथा भू-भागों को अपनी सुविधानुसार बाँटते गए। जब इन यूरोपीय देशों ने 20वीं शताब्दा म इन उपनिवेशों को स्वतंत्र करना प्रारम्भ किया तो वे इन्हें कृत्रिम सीमाओं के आधार पर छोटे-छोटे राज्यों के रूप म अस्तित्व में आए। अतः स्पष्टतः कहा जा सकता है कि यूरोपीय प्रतिस्पर्धा की दुर्घटनाओं द्वारा अफ्रीका को कृत्रिम रूप से निर्मित छोटे-छोटे राज्यों में बाँट दिया।
प्रश्न: मिस्र पर ब्रिटेन ने किस प्रकार अपना साम्राज्यवाद एवं उपनिवेशवाद स्थापित किया ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर: स्वेज नहर के निर्माण से मिस्र का महत्व बढ़ा। खदीव इस्माइल पाशा विलासी था तथा कर्ज में डूबा हुआ था। उस समय मिस्र की राजनैतिक और आर्थिक स्थिति बिगड़ती चली गई। मिस्र में राजनैतिक अस्थिरता की स्थिती बनी। इन परिस्थितियों में 1876 में इंग्लैण्ड व फ्रांस ने मिलकर अपने आर्थिक हितों की रक्षा करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय आया। का गठन किया। मिस्र राजनैतिक दृष्टि से टर्की के अधीन था। इंग्लैण्ड व फ्रांस के दबाव में टर्की ने इस्माइल पाशा का 1879 में गद्दी से हुआ दिया। उसके स्थान पर उसके पुत्र तोफीक/तुफीक (Teufik) को मिस्र का नया खदीव बनाया।
मिस्र में विद्रोह (1881-82)
खदीव तोफीक के समय भी मिस्र की आर्थिक व राजनैतिक स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। तोफीक एक विलासी एवं अयोग्य शासक सिद्ध हुआ। 1881 में एक सैनिक अधिकारी अरबिक पाशा (।तंइपब च्ंेीं) ने तोफीक के विरुद्ध विद्राह किया और स्वयं ने सत्ता को संभाला। इसने नारा दिया – ‘मिस्र, मिस्रवासियों के लिए‘। मिस्र में विदेशियों का प्रभाव समाप्त करने पर बल दिया। जिससे इंग्लैण्ड व फ्रांस चिंतित हए। मिस्र की राजनैतिक एवं आर्थिक स्थिति पर विचार करने के लिए जून, 1882 में कस्तुनतनिया में राजदूतों का एक सम्मेलन हुआ। परंतु इंग्लैण्ड व फ्रांस के मतभेदों के कारण यह सम्मेलन विफल रहा।
इसी बीच 4 जून, 1882 को एलेक्जेन्ड्रिया में कुछ यूरोपवासियों का कत्ल कर दिया गया। इसे बहाना बनाकर इंग्लैण्ड न मिस्र पर आक्रमण कर दिया। 13 सितम्बर, 1882 तेल-अल-कबीर (ज्मस-मस-ज्ञंइपत) के युद्ध में अरबिक पाश को इग्लैण्ड ने पराजित किया। अगले दिन इंग्लैण्ड ने मिस्र की राजधानी (काहिरा) पर अधिकार कर लिया। तौफीक को मिस्र की गद्दी पर पुनः स्थापित किया गया। अरबिक पाशा को मृत्युदंड दिया गया परंतु बाद में उसे सीलोन (ब्मलसवद) (श्रीलंका) भेज दिया गया। इस प्रकार 1882 में इंग्लैण्ड ने मिस्र पर अपना आधिपत्य स्थापित किया।
प्रश्न: “अरबी राष्ट्रवाद का एक निराला चरित्र था। वह पृथक् अरब राज्यों की राष्ट्रीय स्वतंत्रता का और साथ-ही-साथ वह अपनी-अपनी राज्य सीमाओं का ध्यान किए बिना सभी अरबियों की एकता का पक्षधर था।‘‘ परीक्षण कीजिए।
उत्तर: 20वीं शताब्दी के आरम्भ में विशेषकर प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् अरब जगत में राष्ट्रवाद का उत्कर्ष पश्चिमी एशिया के इतिहास की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण घटना थी। इस राष्ट्रवाद का विशिष्ट चरित्र यह था कि विभिन्न अरब देशय जैसे – इराक, जॉर्डन, सीरिया, लेबनान तथा फिलिस्तीन जोकि राष्ट्रवाद से प्रेरित होकर ऑटोमन साम्राज्य के विरुद्ध पृथक् अरब राज्यों की स्वतंत्रता चाहते थे एवं साथ-ही-साथ वह अपनी-अपनी राज्य सीमाओं का ध्यान किए बगैर अरबियों की आपसी एकता के भी पक्षधर थे। ऑटोमन साम्राज्य के अधीन आने वाले अरब क्षेत्र की जनता मूलतः अरबी नस्ल की थी जबकि शासक वर्ग तुर्की नस्ल के। इस तरह की स्थिति में जब राष्ट्रवाद विकसित होने लगे तो ये जनता तुर्क शासन में मुक्ति के लिए संघर्षशील हो गई।
यह महज संयोग ही था कि इसी समय प्रथम विश्वयुद्ध शुरू हो गया। इसमें टर्की ने जर्मनी का साथ दिया तो ब्रिटेन-फ्रांस ने अरब राष्ट्रों को जर्मनी के खिलाफ उतारा और यह घोषणा की गई की युद्ध में विजय होने पर अरब राष्ट्रों को टर्की से मुक्त कर दिया जायेगा। परिणामस्वरूप अरब राष्ट्रों ने अपने आपको स्वतंत्र करना घोषित कर दिया। युद्ध का परिणाम मित्र राष्ट्रों के पक्ष में रहा। अतः अरब राष्ट्रों को आशा थी कि उनकों स्वतत्रंता मिल जायेगी। परन्तु प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन की जीत एवं तुर्की की पराजय के पश्चात् ब्रिटेन की दिलचस्पी इन अरब क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव बनाने की हो गई।
यद्यपि वर्ष 1916 में ही ऑटोमन साम्राज्य के बँटवारे को लेकर ब्रिटेन, फ्रांस एवं रूस के मध्य साइक्स-पिकॉट नामक गुप्त समझौता हो चुका था। प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् राष्ट्रसंघ की मैण्डेट प्रणाली के तहत इराक, ट्रांस जॉर्डन एवं फिलिस्तीन पर राष्ट्रसंघ की ओर से प्रशासनिक अधिकार ब्रिटेन को मिला जबकि सीरिया एवं लेबनान फ्रांसीसी सरंक्षण के अधीन तथा रूस ने अफगानिस्तान, ईराक और मिलान पर कब्जा कर लिया। इन यूरोपीय देशों के संरक्षण में अरब देश व्यापक शोषण का शिकार हो गए।
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद आंदोलन
अब अरब राष्ट्रों का उद्देश्य इन पश्चिमी शक्तियों से मुक्ति पाना हो गया। अब इनके विरुद्ध जगह-जगह विद्रोह होने लगे और जन आंदोलन उठ खड़े हुए। अरब राज्यों ने इस्लाम को राज्य से अलग कर दिया। टर्की, ईरान, मिस्र आदि ने इस्लाम की जगह राष्ट्र कल्याण को स्थान दिया। संक्षेप में इस आंदोलन ने अरब के इतिहास में एक नये यग का सूत्रपात किया। जिसमें विदेशी आधिपत्य से मुक्ति, राजनीतिक परिवर्तन, सामाजिक-राजनीतिक जीवन का पनर्गठन आदि का प्रचार-प्रसार हुआ।
सारांशतः हम कह सकते हैं कि अरब राष्ट्रवाद पहले ऑटोमन साम्राज्य के विरुद्ध एवं उसके पश्चात् यूरोपीय साम्राज्यवादी शक्तियों के विरुद्ध उदित हुआ। किन्तु इस बदली परिस्थिति में भी अरब राष्ट्रवाद जिन्दा रहा और अरब राष्ट्रों की स्वतंत्रता एवं अरबी एकता का लक्ष्य कायम रहा। दो विश्व युद्धों के बीच के काल में इन अरब देशों में राष्ट्रवादी आन्दोलन तीव्र हो गए जिसके परिणामस्वरूप इराक, सीरिया, लेबनान, जॉर्डन आदि अरब राष्ट्र स्वतंत्र हो गए। अतः इस तरह विभिन्न अरब देशों ने स्वतंत्र अस्तित्व कायम किए, परन्तु फिलिस्तीन जैसी गम्भीर समस्या अरब एकता पूर्ण होने के मार्ग में बाधा बनी हुई है।
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…