हिंदी माध्यम नोट्स
Categories: history
फरमान किसे कहते हैं | फरमान की परिभाषा क्या है अर्थ मतलब बताइए farman meaning in hindi
farman meaning in hindi definition फरमान किसे कहते हैं | फरमान की परिभाषा क्या है अर्थ मतलब बताइए ?
प्रश्न : सामन्तवाद से आप क्या समझते है ? मध्यकालीन प्रशासन में इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर : राजपूताना में राजपूत शासकों द्वारा अपने निकट सम्बन्धियों , सेनानायकों , विश्वस्त सेवकों आदि को अपने राज्य क्षेत्र में से एकाधिक गाँव ‘जागीर’ के रूप में देने की प्रथा सामन्तवाद कहलाती थी। जागीर पाने वाले सामन्तों को अपने क्षेत्र से लगान वसूलने का अधिकार था। ये जागीरदार राजा को अपनी विभिन्न सैनिक-असैनिक सेवाएँ उपलब्ध कराने , राज्य की सीमाओं की सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाये रखने और युद्ध के समय राजा की सैनिक – आर्थिक सहायता करते थे। कभी कभी वे नए राजा को चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे परन्तु इसकी आंतरिक दुर्बलता के कारण यह राज्य के लिए घातक सिद्ध हुई।
प्रश्न : राजस्थान में सामन्ती व्यवस्था के सामाजिक प्रभावों की आलोचनात्मक विवेचना कीजिये।
उत्तर : राजस्थान में सामन्ती व्यवस्था होने से राजस्थान के रीति रिवाजों पर इसकी गहरी छाप रही है। इस व्यवस्था के प्रभाव से यहाँ बाल विवाह , वृद्ध विवाह और अनमोल विवाह का भी प्रचलन रहा है। शासकों-सामन्तों की कन्या के साथ दहेज़ में लडकियाँ (डावरियां) वस्तुओं की भाँती भेंट दी जाती थी। इसके अलावा सती प्रथा , कन्या वध , त्याग प्रथा , सागडी प्रथा (बंधुवा मजदूर) , बेगार प्रथा , ऊँच-नीच का भेदभाव , जौहर प्रथा , लड़कों और लड़कियों का क्रय विक्रय आदि रिवाज भी एक सामाजिक बुराई के रूप में सामन्ती व्यवस्था के प्रभाव से ही उत्पन्न हुए।
प्रश्न : मध्यकालीन राजस्थान में अपराध तथा दण्ड की व्यवस्था पर विचार कीजिये।
उत्तर : वृहत कथा-कोष में इस काल के अपराधों तथा दण्ड-निति का उल्लेख करते हुए बताया है कि साधारण से साधारण अपराधों के लिए कठोर दंड देने की प्रथा थी। प्रथम सोपान तो छोटी अदालतों का था जहाँ राज्य के अधिकारी जिन्हें ‘तलारक्ष’ , ‘दण्ड पाशिक’ , ‘आरक्षक’ आदि कहते थे , मामले की जाँच-पड़ताल करते थे। ‘साधानिक’ , ‘धर्माधिकारी’ के समक्ष दोषों की विवेचना करता था। न्याय का अंतिम सोपान स्वयं शासक होता था। न्याय के मामलों को निरंकुशता से नहीं निपटाया जा सकता था। छोटे मोटे मामलें गाँव के पंचकुल अथवा नगर के महापात्र सुलझा देते थे। मध्ययुगीन राजस्थान में न्याय व्यवस्था का प्राचीन भारतीय स्वरूप था जिसे मुगलों के सम्पर्क ने परमार्जित कर दिया था। परगनों में हाकिम न्याय सम्बन्धी निर्णय देते थे। दरोगा-ए-अदालत इनके फैसलों की अपीलें सुनते थे।
प्रश्न : मध्यकालीन शासक वर्ग से सम्बन्धित राजकीय आदेशों से सम्बन्धित शब्दावलियाँ ?
उत्तर : फरमान : फरमान मुग़ल बादशाह द्वारा जारी शाही आदेश होते थे। कभी ये सार्वजनिक तो कभी विशेष रूप से मनसबदारों के लिए होते थे।
परवाना : महाराजा द्वारा अपने अधीनस्थ को जो आदेश जारी किया जाता था वह ‘परवाना’ कहलाता था।
निशान : बादशाह के परिवार के किसी सदस्य द्वारा मनसबदार को अपनी मोहर के साथ जो आदेश जारी किये गए , वे ‘निशान’ कहलाये।
अर्जदाश्त : एक प्रकार का लिखित प्रार्थना पत्र होता था जो कि एक अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारी को भेजता था।
खरीता : एक राजा का दूसरे राजा के साथ जो पत्र व्यवहार होता था वह ‘खरीता’ कहलाता था।
मंसूर : यह एक प्रकार का शाही आदेश होता था जो कि बादशाह की मौजूदगी में शहजादे द्वारा जारी किया जाता था। मुगल उत्तराधिकार युद्ध के समय शहजादा औरंगजेब ने अपने हस्ताक्षरित शाही आदेश जारी किये , वही मन्सूर कहलाये।
रुक्का : राज्य के अधिकारियों के मध्य पत्र-व्यवहार को रूक्का कहा जाता था।
वकील रिपोर्ट : मनसबदार , जागीरदार और अन्य सरदार मुग़ल दरबार में अपने प्रतिनिधि नियुक्त करते थे , जिनको ‘वकील’ कहा जाता था। वे अपने रियासती स्वामी से सम्बन्धित खबरों का संकलन कर दरबार की गतिविधियाँ अपनी रियासत को भेजा करते थे। जिन्हें 7 वकील रिपोर्ट कहा जाता था।
वाक्या : इसके तहत बादशाह अथवा राजा की व्यक्तिगत और राजकार्य सम्बन्धी गतिविधियाँ और राजपरिवार के सदस्यों की सामाजिक रस्म , व्यवहार , शिष्टाचार आदि का वर्णन दर्ज किया जाता था।
सनद : यह एक प्रकार की स्वीकृति होती थी , जिसके द्वारा मुगल सम्राट अपने अधीनस्थ राजा को जागीर प्रदान करता था।
खतूत महाराजगान और अहलकारान : इनके द्वारा देशी शासकों , मराठों , पिंडारियों , मुग़ल दरबार और पडोसी राज्यों के साथ शासन सम्बन्धी पत्र व्यवहार हुआ करता था।
प्रश्न : जागीरदारी प्रथा के बारे में बताइए।
उत्तर : राजपूत शासकों द्वारा अपने राज्यक्षेत्र में से निकट सम्बन्धियों और उच्चाधिकारियों को कुछ शर्तों के अनुसार एकाधिक गाँव उपयोग के लिए दिए जाते थे। वह भूमि ‘जागीर’ और ग्राही ‘जागीरदार’ और व्यवस्था “जागीरदारी प्रथा” कहलाती थी।
प्रश्न : रेख से आप क्या समझते है ?
उत्तर : राजपूत शासकों द्वारा अपने सामंतों से राजकीय माँगों का हिसाब रेख के आधार पर किया जाता था। जो जागीर को अनुमानित आय पट्टे में दर्ज होती थी उसी के आधार पर ‘रेख’ तय होता था।
प्रश्न : बाँह पसाव ?
उत्तर : मेवाड़ रियासत में जब सामंत दरबार में उपस्थित होता था तो वह झुककर महाराणा की अचकन छूता था तो सामंत का अभिवादन स्वीकार कर महाराणा समान्त के कंधे पर हाथ रखता था। यह प्रक्रिया “बांह पसाव” कहलाती थी।
प्रश्न : मुत्सदी किसे कहते है ?
उत्तर : मारवाड़ में जिन अधिकारियों को राजकीय सेवा के बदले जागीर तो मिली हुई थी परन्तु वे राठौड़ वंश के राजपूत नहीं होते थे , उन्हें मुत्सदी कहा जाता था।
प्रश्न : ‘नेग’ क्या होता था समझाइये ?
उत्तर : राजस्थान के सामन्तीशाही समाज में सामाजिक – धार्मिक और उत्सवपूर्ण अवसरों पर शासक को सामंत द्वारा तथा सामंत को उसके अनुसमान्त द्वारा ‘नेग’ (आर्थिक भेंट) प्रदान की जाती थी।
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
12 hours ago
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
12 hours ago
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
2 days ago
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
2 days ago
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
3 months ago
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…
3 months ago